झारखंड में उग्रवाद और नक्सलवाद | Maowaad & Naxalism In Jharkhand

झारखंड आपदा प्रबंधन

झारखंड में उग्रवाद/नक्सलवाद

झारखंड में वामपंथी उग्रवाद एवं नक्सलवाद की शुरुआत 1980 के दशक में शुरू हुई। वर्तमान समय मे झारखंड में कई वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद संगठन है जो निम्न है:-

1) मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) – यह झारखंड का सबसे बड़ा नक्सलवादी संगठन है। इसका प्रभाव लगभग पूरे झारखंड (22 जिले) में है। इस संगठन से पलामू और हज़ारीबाग सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। इस संगठन का वर्तमान प्रमुख रामाशंकर यादव है।

2) टीपीसी (Tritiya Sammelan Prastuti Committee) इसका स्थापना 2002 में MCC (Maoist Communist Centre) से अलग हुए सदस्यों के द्वारा हुई। इस संगठन को CPI (Mao) के साथ दुश्मनी के लिए जाना जाता है। TPC और CPI (Mao) आपस मे प्रबल शत्रुता के लिए जाना जाता है। 2013 में 25 माओवादियों के चतरा मे हत्या के बाद TPC चर्चा में आया था। इसका वर्तमान अध्यक्ष का नाम ब्रजेश गंझू या गोपाल सिंह भोक्ता है। इस संगठन का मुख्य प्रभाव पलामू प्रमंडल और इसके सीमावर्ती क्षेत्र में है।

3) जेपीसी (Jharkhand Prastuti Committee)- इस संगठन का प्रमुख रामपति है। यह लोहारदग्गा, लातेहार, हज़ारीबाग और गुमला जिला में सक्रिय है।

4) PLFI (Peoples Liebration Front Of India) – इस संगठन का प्रमुख दिनेश गोप है। इसका प्रभाव राँची जिला के इर्द-गिर्द है। यह संगठन राँची, गुमला, लोहारदग्गा, खूँटी, लातेहार,पलामू और चतरा जिला में सक्रिय है।

5) JSJMM (Jharkhand Sangharsh Jan Mukti Morcha) – इस संगठन का प्रमुख रंजीत सिंह है। यह लातेहार, गुमला और लोहारदग्गा जिला में सक्रिय है।

6) JJMP (Jharkhand Jan Mukti Parishad)

7) RCC (Revolutonary Communist Centre)

Red Corridor In Jharkhand

भारत के पूर्वी, मध्य और दक्षिण क्षेत्र के वो भाग जहां नक्सली/माओवादी की स्थिति बहुत मजबूत है उसे Red Corridor के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में जून 2021 के रिपोर्ट के अनुसार भारत के दस राज्यों में इसका विस्तार पाया जाता है। जो बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलांगना राज्य में है। भारत के कुल 70 जिलों को आतंकवाद प्रभावित क्षेत्र में रखा गया है। झारखण्ड के 16 जिले Red Corridor के अंतर्गत आता है। जो निम्न है:-

a) कोल्हान प्रमंडल के तीनो जिला – पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां

b) पलामू प्रमंडल के तीनो जिला- गढ़वा, लातेहार और पलामू

C) उत्तरी प्रमंडल के 5 जिला – धनबाद, हजारीबाग, गिरिडीह, बोकारो और चतरा।

d) दक्षिणी छोटानागपुर प्रमंडल के सभी 5 जिला – राँची, गुमला, सिमडेगा लोहरदग्गगा और खूँटी।

अति माओवाद प्रभावित क्षेत्र- देश में कुल 25 जिला को अति माओवाद प्रभावित क्षेत्र घोषित किया गया है जिसमे से 8 झारखण्ड में है। जो चतरा, गिरिडीह, गुमला, खुंटी, पश्चिम सिंहभूम, सरायकेला खरसावाँ, लोहरदग्गा, लातेहार है।

झारखंड मे उग्रवाद/नक्सलवाद के कारण

1) वामपंथी एवं राजनीति के बीच अप्रत्यक्ष रूप से मिलीभगत

2) झारखंड की भौगोलिक स्थिति

3) विकास का आसमान वितरण

4) गरीबी, बेरोजगारी एवं अशिक्षा

5) कमजोर न्याय प्रणाली

6) भूमि संबंधित विवाद

7) पुलिस का आधुनिकीकरण में आभाव

8) औद्योगिक विस्थापन जैसी समस्याएं

9) अस्थिर और गठबंधनात्मक राजनीति

10) कमजोर प्रशासनिक व्यवस्था

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1. माओवाद/ नक्सलवाद को खत्म करने के लिए सारंडा के जंगल में ऑपरेशन जाल, ऑपरेशन अनाकोंडा -1 & अनाकोंडा -2 चलाया गया।

2) 2013 मे नक्सलियों के धर पकड़ के लिए बेंदी जंगल और इसके आसपास के क्षेत्र में ऑपरेशन खोज चलाया गया।

3) 2005 में बिहार और झारखंड के बॉर्डर क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन K2 चलाया गया।

4) गढ़वा जिला में ऑपरेशन जंगल और पलामू जिला में ऑपरेशन अग्निदुत, लातेहार में ऑपरेशन सामना नक्सलियों के सफाया के लिए चलाया गया।

5) 2009 में नक्सलियों/माओवादी के खिलाफ ऑपरेशन ग्रीनहंट चलाया गया।

6) नक्सलियों के आत्मसमर्पण कराने के लिए ऑपरेशन नई दिशा चलाई गई।

झारखंड में उग्रवाद एवं नक्सलवाद VIDEO

https://youtu.be/WEp4O3qVDvE

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