देवगिरि के यादव वंश
Yadav Dynasty Of Devgiri
परिचय
देवगिरि के यादव आरंभ में चालूक्यों (कल्याणी) के सामंत थे। इस वंश के संस्थापक दृढप्रहारा थे । इसकी राजधानी देवगिरी अभी के महाराष्ट्र में औरंगाबाद के नजदीक है। मुहम्मद बिन तुगलक ने देवगिरी के किला को दौलताबाद के किला में परिवर्तित कर दिया था। इस वंश की भाषा कन्नड़ मराठी और संस्कृति थी।
Note:-यादव द्वारा शासित क्षेत्र को स्यूनदेसा के नाम से जाना जाता है।
विल्लभ पंचम (1185 से 1193)
ये इस वंश के प्रथम स्वतंत्र राजा हुए जिन्होंने चालूक्यों की अधीनता स्वीकार करना बंद कर दिया और स्वतंत्र यादव वंश की स्थापना की। 1187 इसवी में यादव राजा विल्लभ पंचम ने अंतिम चालुक्य राजा सोमेश्वर चतुर्थ को परास्त कर कल्याणी पर आक्रमण कर लिया।
देवगिरी के दक्षिण में द्वार समुद्र (मैसूर के आसपास है) होयसल वंश का राज्य था। अभी द्वारसमुद्र को हलेबिड के नाम से जाना जाता है। होयसल वंश भी चालूक्यों के सामंत थे। यह दोनों एक साथ ही चालूक्यों से आजाद हुए थे। इनकी राजधानी आसपास थी और सीमा एक दूसरे के क्षेत्र को छूता था। इन दोनों राजवंशों में परस्पर क्षेत्रीय विस्तार की होड़ लगी। जिसमे देवगिरी के विल्लभ पंचम और होयसल के राजा बल्लाल द्वितीय के बीच युद्ध हुआ जिसमें वीर वल्लाल द्वितीय विजय हुआ और यादव वंश को बहुत नुकसान उठाना पड़ा। इस युद्ध में विल्लभ पंचम मारा गया।
जैत्रपाल प्रथम – विल्लभ पंचम के मारे जाने के बाद यादवों की शक्ति क्षीण हो गई। विल्लभ पंचम के उत्तराधिकारी जैत्रपाल प्रथम ने अनेक युद्ध किए और अपने देवगिरी राज्य को पुनः वापस लाने का प्रयास किया। होयसल देवगिरी और बादामी में स्थाई रूप से शासन नहीं करते थे इसका फायदा उठाकर जैत्रपाल प्रथम ने पुनः देवगिरी राज्य को खड़ा किया।
सिंघम द्वितीय (1210- 1247)
सिंघम द्वितीय जैत्रपाल प्रथम का पुत्र और उत्तराधिकारी था। यह यादव वंश के सबसे प्रतापी और शक्तिशाली राजा हुए। सिंघम द्वितीय साम्राज्यवादी प्रवृत्ति का था। इन्होंने अपने दक्षिण विजय के दौरान होयसल के वीर बल्लाल द्वितीय से युद्ध किया और उसे परास्त किया और और अपने दादा विल्लभ पंचम के हार का बदला लिया।
दक्षिण विजय से उत्साहित सिंघम ने उत्तर विजय के दौरान इन्होंने परमार राजा अर्जुन वर्मन को परास्त किया। इन्होंने कलचुरी पांड्य आदि राज्यों पर भी विजय प्राप्त किया। गुजरात पर उन्होंने कई आक्रमण किए और मालवा को अपने अधिकार क्षेत्र में लिया । काशी और मथुरा तक विजय यात्रा निकाली। अफगानो से भी युद्ध किया और अपने साम्राज्य का विस्तार कावेरी नदी से लेकर विंध्याचल तक स्थापित किया। इस विजय के दौरान इन्होंने कावेरी नदी के तट पर विजय स्तंभ की स्थापना की।
सिंघम द्वितीय के दरबार में “संगीत रत्नाकर” का रचयिता सारंगधर निवास करते थे। प्रसिद्ध ज्योतिषी सांगदेव भी इन के दरबार में रहते थे।
कृष्ण (1247-1260) – यह सिंघम द्वितीय के पोते एवं उत्तराधिकारी थे।
महादेव – इसका शासन काल 1206 से 1210 वी तक था । इन राजाओं के समय में भी गुजरात और शीलाहार राज्य के साथ यादवो के युद्ध जारी रहे। महादेव के बाद रामचंद्र यादवो का राजा बना
रामचंद्र देव (1271- 1309)
रामचंद्र देव के खिलाफ युद्ध करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने अपने सेनापति मालिक काफूर को भेजा। मालिक काफूर और रामचद्र देव के बीच भीषण युद्ध हुआ। अंततः रामचंद्र को अलाउद्दीन खिलजी के साथ समझौता करना पड़ा। इस समझौते से रामचंद्र के बेटे शंकरदेव बहुत नाराज हुआ था।
Yadav Dynasty Of Devgiri
History of sunga dynasty