झारखंड का नगरीकरण | Urbanization In Jharkhand

India Geography

झारखंड में नगरीय विकास

Urbanization Of Jharkhand

भारत में नगरीय विकास का इतिहास 11वीं सदी से माना जाता है किंतु धार्मिक तीर्थ स्थलों का पर्यटन केंद्र मानकर यह कहा जाता है कि इन स्थलों का उद्भव पुराणकालीन है। झारखंड का सबसे प्राचीन नगर वैद्यनाथ धाम है क्योंकि यह भगवान शिव का प्राचीन दर्शनस्थली है जिस वजह से इस नगर का निर्माण झारखंड में सर्वप्रथम माना जाता है।

संक्रमण काल के दौरान झारखंड में नगरों का विकास शुरू हुआ था। संक्रमण काल भारत के इतिहास में उस काल को कहा जाता है जब मुगलों का अंत और ब्रिटिश काल का आरंभ हुआ था। 18वीं सदी के उत्तरार्द्ध में जब अंग्रेजों का झारखंड में प्रवेश हुआ उस दौरान 1773 में रामगढ़ हिल ट्रैक्ट की स्थापना की गई जिसका मुख्यालय शेरघाटी हुआ करता था। बाद में रामगढ़ हिल ट्रैक्ट का मुख्यालय चतरा में स्थापित हो गया और चतरा 1773 से लेकर 1780 तक मुख्यालय बना रहा। इस समय अंग्रेजों का आना-जाना शेरघाटी और चतरा दोनों जगह पर होता था। स्थाई रूप से अंग्रेजों ने 1780 में रामगढ़ को रामगढ़ हिल ट्रैक्ट का मुख्यालय बनाया। रामगढ़ 1834 तक इसका मुख्यालय बना रहा। इस प्रकार झारखंड का प्रथम स्वर देवघर को दूसरा शहर चतरा को और तीसरा शहर रामगढ़ को माना जाता है। 1834 ई तक झारखंड में इन 3 नगरों की स्थापना हो चुकी थी।

कोल विद्रोह के बाद नगरों का विकास

1834 ई में कोल विद्रोह के पश्चात दक्षिण पश्चिम सीमांत एजेंसी (SWFA) की स्थापना की गई जिसका मुख्यालय लोहरदगा को बनाया गया। इस क्रम में लोहरदगा नामक शहर का निर्माण हुआ। 1852 में तत्कालीन SWFA के कमिश्नर विलकिंग्सन किशुनपुर में विलकिंसनगंज शहर की नीव डाली जो बाद में चलकर SWFA का मुख्यालय बना तथा यही रांची शहर के रूप में विकसित हुआ। 1855 में संथाल परगना नामक नया जिला बनाया गया जिसका मुख्यालय दुमका को बनाया गया जिससे दुमका शहर की नींव पड़ी। 1860 में छोटानागपुर के कमिश्नर डाल्टन डाल्टेनगंज शहर की स्थापना पलामू में की। 1893 ईस्वी में जब पलामू को छोटानागपुर से अलग किया गया तब डालटेनगंज इसका मुख्यालय बना और इस शहर का विस्तार हुआ। 1880 में धनबाद शहर की स्थापना हुई तथा 1886 में हजारीबाग नगरपालिका का गठन हुआ। 1891 में झरिया शहर की स्थापना कोयला खनन के लिए हुई ।1900 में कोडरमा की स्थापना अभ्रक खनन के कारण हुई।

मुंडा विद्रोह के पश्चात गुमला को 1902 में, खूंटी को 1903 में और सिमडेगा को 1915 में रांची जिला के अंतर्गत अनुमंडल बनाया गया जिससे इन तीनों शहर का निर्माण हुआ। इसी समय झारखंड में पुरुलिया से रांची तक रेल की छोटी लाइन शुरू हुआ जिससे नगरीकरण को बल मिला। 1907 में साकची में लौह इस्पात कारखाने की नींव रखी गई जिससे टाटानगर या जमशेदपुर शहर का निर्माण शुरू हुई। 1919 साकची का नाम बदलकर जमशेदपुर किया गया था

स्वतंत्रता के बाद उद्योगों का विकास

भारत की आजादी के बाद 1964 में माराफारी में बोकारो इस्पात कारखाना की स्थापना हुई जिससे बोकारो शहर की नींव पड़ी। आजादी से पहले झारखंड में नगरीकरण की गति बहुत धीमी रही थी जो आजादी के बाद तीव्र हो गई। खनन उद्योग, दामोदर घाटी परियोजना, टाटा इस्पात नगर आदि कारणों से अनेक उद्योगों की शुरुआत हुई जिससे इस क्षेत्र में छोटे-छोटे नगरों की स्थापना हुई जैसे सिंदरी, कतरास, करगाली, जसीडीह, बेरमो, फुसरो आदि कई शहर का निर्माण हुआ। लोहा और तांबा खनन उद्योग के कारण घाटशिला मुसाबनी, गुआ आदि शहर का विकास हुआ। यूरेनियम के खनन और UCIL की स्थापना के वजह से जादूगोड़ा शहर का विकास हुआ।

प्रथम जनगणना

भारत की प्रथम जनगणना 1872 के अनुसार उस समय तक झारखंड में केवल आठ शहर थे जिसकी आबादी 1000 से ज्यादा थी। रांची (12641), हजारीबाग (11050), चाईबासा (4641) डालटेनगंज (1113) यह सभी जिला मुख्यालय थे। अन्य 4 शहर चतरा (8818), देवघर (4861), साहिबगंज (3251) और गढ़वा (3133) अनुमंडल मुख्यालय थे। यह सभी शहर प्रशासकीय शहर थे। प्रशासकीय कार्य संचालन के कारण इस शहरों का विकास होता गया। यहां मंडी और बाजार संग्रह केंद्र थे जहां से ग्रामीणों को आवश्यक वस्तुएं प्राप्त होती थी। इस कारण इस शहरों का विकास तेजी से हुआ।

प्रति दशक नगरीय वृद्धि

1891 की जनगणना के आधार पर झारखंड की कुल नगरीय जनसंख्या में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इस दशक में डालटेनगंज में 30.2% चतरा में 9.4% और गढ़वा में 7.3 % जनसंख्या ह्रास दर्ज हुआ था। इस जनगणना के बाद गढ़वा को नगरीय दर्जा से हटा दिया गया था। यहां फैली कई बीमारियों के कारण यहां जनसंख्या का बहुत ह्रास हुआ था। इस दशक में कुल 11 नगरीय केंद्र झारखंड में आंके गए थे।

1901 की जनगणना

1901 की जनगणना में नगरीय जनसंख्या में 32.1% की वृद्धि दर्ज की गई थी। इस दशक में तीन नए नगरीय केंद्रों को जनगणना में शामिल किया गया था। वह थे गिरिडीह (9433), मधुपुर (6840), और बुंडू (6840)। गढ़वा जिसे पिछले दशक में नगरीय दर्जे से हटा दिया गया था उसे पुनः इस दशक में नगरीय दर्जा दिया गया। इस दशक में 4 नगरों की जनसंख्या में ऋणात्मक वृद्धि हुई थी साहिबगंज (-33.1% ), लोहरदग्गा (-13.9%), हजारीबाग (-5.2%) और चतरा(-1.7%)। रांची और चाईबासा में 25% जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई थी। कुल नगरों की संख्या इस दशक में 13 थी।

1911 की जनगणना

1911 की जनगणना में झारखंड क्षेत्र में नगरीय जनसंख्या की दशकीय वृद्धि 34.08% दर्ज की गई थी। इस जनगणना के दौरान जमशेदपुर (5672), दुमका (5629) और राजमहल (5329) को नए नगरीय केंद्र माने गए। इस दशक में नगरीय जनसंख्या वृद्धि मधुपुर में 2.3% साहिबगंज में 95.6% दर्ज की गई जबकि चतरा में पुनः -30% का ह्रास हुआ। इस दशक में झारखंड क्षेत्र में कुल 16 नगर दर्ज किए गए थे।

1921 की जनगणना

1921 की जनगणना में झारखंड में दो और नए नगरीय केंद्र जुड़े। यह नगरीय केंद्र थे धनबाद (11973 व्यक्ति) और चक्रधरपुर (7944 व्यक्ति)। 1911-21 मैं दशकीय जनसंख्या वृद्धि 58.62% आंकी गई थी। इस दशक में जमशेदपुर की स्थापना नगरीय विकास के इतिहास में झारखंड की महत्वपूर्ण घटना थी। यही कारण है कि इस दशक में सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई थी।

1931 की जनगणना

1931 की जनगणना में कुल नगरीय जनसंख्या की दशकीय वृद्धि 32.15% थी। इस दशक में झारखंड में कुल नगरों की संख्या 17 थी। पुरानी शहरों की जनसंख्या वृद्धि 8.5 % थी जबकि नए शहरों में जनसंख्या में काफी तीव्रता से वृद्धि दर्ज की गई। चक्रधरपुर में 41.87% धनबाद में 36.6% और जमशेदपुर में 46% जनसंख्या वृद्धि की गई थी। इस दशक में झारखंड में 3 बड़े नगर सामने आए थे जमशेदपुर, रांची और गिरिडीह।

1941 की जनगणना

1941 की दशकीय जनसंख्या वृद्धि 56.24% चार दर्ज की गई थी जो पिछले दशक से काफी अधिक थी। इस दौरान छह नए खनन क्षेत्रों को नगरीय रूप में दर्ज किया गया। यह नगर थे झरिया (8037 व्यक्ति), बेरमो (5674 व्यक्ति), कारगाली, (10127 व्यक्ति), बोकारो (75093 व्यक्ति), नोआमुंडी (63891 व्यक्ति), मुसाबनी (8270 व्यक्ति)। इस दशक में झारखंड में 22 नगर स्थापित हो चुके थे।

1951 की जनगणना

1951 की जनगणना में कुल दशकीय वृद्धि 48.80% दर्ज की गई थी। इस दशक में और नए नगर जनगणना में जुड़े जिससे संपूर्ण झारखंड में नगरों की संख्या 32 हो गई थी। तीन नए नगर सिंहभूम जिले में (गुआ, मऊभंडार, खरसावां) दो हजारीबाग जिले में (झुमरीतिलैया और रामगढ़) एक धनबाद जिले में सिंदरी जुड़े तथा चार अन्य जिलों में जुड़े। यह सभी नगर खनन के कारण विकसित हुए।

1961 की जनगणना

1961 की जनगणना में नगरों की जनसंख्या में दशकीय वृद्धि 77.8% दर्ज की गई। यह वृद्धि 1941 की कुल नगरीय जनसंख्या के बराबर थी। इस दशक में कुल 31 नए नगर जुड़े। नए शहरों की कुल जनसंख्या 21% के बराबर थी। नए नगरों में जगदीश बाजार, कतरास, कुमारधूबी, जोरापोखर, मुरी, नेतरहाट, मैथन, पंचेत, झींकपानी, खलारी आदि प्रमुख थे। झारखंड में अब नगरों की कुल संख्या 44 हो चुकी थी।

1971 की जनगणना

1971 की जनगणना में कुल दशकीय वृद्धि 7.82 प्रतिशत दर्ज की गई थी। यह 1961 की कुल नगरीय जनसंख्या से भी अधिक थी। इस दशक में सर्वाधिक नगरीय जनसंख्या वृद्धि हजारीबाग में दर्ज की गई जो 118.38% थी। इसके बाद क्रमशः धनबाद, रांची, पश्चिम सिंहभूम जिला में नगरीय जनसंख्या की वृद्धि हुई। इस दशक में और भी नए नगरों की संख्या जोड़ी गई और झारखंड में कुल नगरों की संख्या 63 हो गई।

1981 की जनगणना

1981 के दशक की जनगणना में नगरीय जनसंख्या में कुल वृद्धि 53% दर्ज की गई। सर्वाधिक वृद्धि रांची में दर्ज की गई जो 86.71% थी। इस दशक में नगरीय जनसंख्या में वृद्धि सिर्फ रांची में हुई । इस जनगणना के अनुसार कुल नगर संख्या 64 थी।

1991 की जनगणना

1991 की जनगणना में नगरीय जनसंख्या वृद्धि बहुत कम दर्ज की गई थी। यह मात्र 33.18% थी। जमशेदपुर में वृद्धि 21.93% धनबाद में 6.2% आंकी गई थी वही रांची में 1.28% आंकी गई थी। इस दशक में सबसे ज्यादा नगरीय जनसंख्या में वृद्धि बोकारो में मापी गई थी जो 50.82% थी। इस जनगणना के अनुसार झारखंड में कुल 133 नगर बस चुके थे।

2001 की जनगणना

2001 की जनगणना के अनुसार नगरीय जनसंख्या में दशकीय वृद्धि 28.99% दर्ज की गई थी पिछले दशक से कुछ कम थी। इस दशक में झारखंड क्षेत्र में कुल नगरों की संख्या 157 थी। इस जनगणना के अनुसार गढ़वा में 2, पलामू में 5, चतरा में 1, हजारीबाग में 24, कोडरमा में 2, गिरिडीह में 4, देवघर में 3, गोड्डा में 1, साहिबगंज में 2, पाकुड़ में 1, दुमका में 4, धनबाद में 47, बोकारो में 16, रांची में 8, लोहरदगा में 1, गुमला में 2, पश्चिम सिंहभूम में 19 और पूर्वी सिंहभूम में 15।

2011 की जनगणना

2011 की जनगणना के अनुसार दशकीय जनसंख्या वृद्धि 24% दर्ज की गई जो पिछले दशक से कुछ कम है। 1961 से लगातार दशकीय वृद्धि में नगरीय जनसंख्या का ह्रास होना इस बात की तरफ इंगित करता है कि या तो नगरीय क्षेत्र में जन्मदर लगातार घटता जा रहा है अथवा मृत्युदर बढ़ती जा रही है। इस जनगणना के अनुसार झारखंड में 228 नगर आंका गया है।

झारखंड के 10 सबसे जनसंख्या वाला शहर (घटते क्रम में)

1. जमशेदपुर

2. धनबाद

3. रांची

4. बोकारो

5. देवघर

6. फूसरो

7. हजारीबाग

8. गिरिडीह

9. रामगढ़

10. मेदनीनगर

नगरीकरण के आधार पर झारखंड के जिलों को निम्न वर्गों में बांटा जा सकता है: –

1) उच्च नगरीकरण वाले जिले – धनबाद, देवघर और पूर्वी सिंहभूम।

2) मध्यम नगरीकरण वाले जिले – पश्चिम सिंहभूम, हजारीबाग और रांची।

3) निम्न नगरीकरण वाले जिले – गिरिडीह, साहिबगंज और दुमका।

4) अति निम्न नगरीकरण वाले जिले – पलामू, गुमला, गोड्डा, लोहरदगा

झारखंड में उच्च नगरीकरण और निम्न नगरीकरण के सिर्फ दो भाग में बांटा जाए तो स्पष्ट रूप से 46% जिले उच्च नगरीकरण क्षेत्र में है जबकि 50 4% क्षेत्र निम्न नगरीकरण क्षेत्र में आता है। झारखंड का पूर्वी भाग्यादा नगरीय है तथा पश्चिम भाग में नगरीकरण की मात्रा कम है।

कुछ महत्वपूर्ण तथ्य

1. झारखंड में कुल गांव की संख्या 32620 है वही ग्राम पंचायतों की संख्या 4350 है।

2. झारखंड में महानगरों की संख्या 3 है जहां 10 लाख से ऊपर की आबादी निवास करती है वह है जमशेदपुर, धनबाद और रांची।

3. झारखंड में 1 लाख से ज्यादा की जनसंख्या वाला नगर की संख्या 10 है।

4. 2011 के जनगणना के अनुसार भारत में 32% नगरीय जनसंख्या है।

5.

पलामू के चेरो राजवंश

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