Jharkhand Mukti Morcha

Jharkhand Mukti Morcha Detailed Study | झारखंड मुक्ति मोर्चा का विस्तृत अध्धयन

Jharkhand Poilty

झारखंड मुक्ति मोर्चा

Jharkhand Mukti Morcha

स्थापना

झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना 4 फरवरी 1973 में धनबाद के रणधीर वर्मा स्टेडियम में किया गया। यह पार्टी तीन संगठन को एक साथ विलय करके बनाया गया। पहला विनोद बिहारी महतो द्वारा गठित “शिवाजी समाज”, दूसरा शिबू सोरेन द्वारा गठित “सोनोत संताल समाज” और तीसरा ए के रॉय द्वारा गठित “मार्क्सवादी को -ऑर्डिनेशन कमिटी”। बिनोद बिहारी महतो JMM के प्रथम अध्यक्ष और शिबू सोरेन प्रथम महासचिव बने। निर्मल महतो और टेकलाल महतो भी अन्य प्रसिद्ध संस्थापक सदस्य में थे।

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने स्थापना के समय चार मुख्य लक्ष्य निर्धारित किये थे:-

मुख्य लक्ष्य

a) महाजनी प्रथा के खिलाफ संघर्ष

b) झारखंड को पृथक राज्य बनाना

c) जंगल कानून के खिलाफ जंगल काटो अभियान

d) विस्थापितों के लिए पुनर्वास एवं कल-कारखानों में आदिवासियों की बहाली।

JMM ने बृहत्तर झारखंड के माँग को संकुचित कर सिर्फ छोटानागपुर और संताल परगना को मिलाकर पृथक राज्य की माँग की।

JMM के छात्र संघ का नाम झारखंड छात्र मोर्चा है, इसके महिला संघ का नाम झारखंड महिला मोर्चा है और इसके युवा संघ का नाम झारखण्ड युवा मोर्चा है।

शिबु सोरेन, बिनोद बिहारी महतो और ए के रॉय के संयुक्त मोर्चा ने मिलकर नारा दिए:-

a) लोटा, सोटा और झोंटा बाहर जाओ।

यहाँ लोटा, मारवाड़ी को सोटा, बिहारियों को और झोंटा पंजाबियों को इंगित करता है।

b) ABCD को मार भगाओ (A-आरा, B-बलिया, C-छपरा, D-दरभंगा)

JMM द्वारा किये गए महत्वपूर्ण कार्य

1. JMM और शिबु सोरेन ने 1973 में धनकटनी आंदोलन चलाया। यह आंदोलन धनबाद जिला के आदिवासी बहुल इलाका टुंडी प्रखंड में चला इसलिए इसे टुंडी आंदोलन से भी जाना जाता है। यह आंदोलन महाजनी प्रथा के खिलाफ था। महाजनो ने जो सूदखोरी के नाम पर आदिवासियों की जमीन अपने कब्जे में कर रखी थी। उस जमीन पर लगे धान को आदिवासी जबरन काट लेते थे। इस आंदोलन का केंद्र बिंदु पोखड़िया आश्रम ( टुंडी) था।

Jharkhand Mukti Morcha का बिखराव

1977 में शिबू सोरेन ने पहला विधानसभा चुनाव यही से लड़ा था लेकिन जनसंघ के प्रत्यासी से हार गए थे। 1980 में हुए विधान सभा चुनाव में JMM के प्रत्यासी बिनोद बिहारी महतो ने इस हार का बदला लिया। बिनोद बिहारी महतो यही से प्रथम बार विधायक बने। 1980 में पहली बार JMM अपनी चुनाव चिन्ह तीर-धनुष के साथ पहली बार विधान सभा चुनाव लड़े और 13 सीटें जीती। इस जीत के पश्चात बाबूलाल मरांडी और बिनोद बिहारी महतो JMM से अलग हो गए। बिनोद बिहारी महतो ने JMM(B) नाम से अलग पार्टी बनाई।

बिनोद बिहारी महतो के JMM से अलग होने के बाद निर्मल महतो को JMM का अध्यक्ष बनाया गया। 1987 में निर्मल महतो की हत्या के बाद ये दोनों गुट का आपस मे विलय हो गया। पुनः 1992 में JMM का विभाजन हुआ। कृष्णा मार्डी ने JMM(Ulgulan) अलग राजनीतिक दल बना लिया। 1999 में JMM (U) का विलय JMM में हो गया।

2. JMM ने 1978 में शिबु सोरेन के नेतृत्व में सिंहभूम जिला में “जंगल काटो अभियान” चलाया। इस आंदोलन में देवेंद्र माँझी और शैलेन्द्र महतो का बहुत योगदान था।

3. 21 मार्च 1978 को शिबु सोरेन ए के रॉय के साथ मिलकर पटना में आदिवासी रैली की। ये रैली झारखंडियों का अब तक का सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन था।

4. JMM के सार्थक प्रयास से ही 1982 में बिहार की कांग्रेस सरकार ने छोटानागपुर विकास प्राधिकरण और संताल परगना विकास प्राधिकरण का गठन किया।

वृहत्तर झारखंड

1950 के दशक में आदिवासी बहुल इलाका को मिलाकर जयपाल सिंह मुंडा ने आंदोलन चलाया था, जो वृहत्तर झारखंड के रूप में जाना जाता है। 1939 में आदिवासी महासभा ने सर्वप्रथम इसकी माँग रखी थी। शिबु सोरेन ने वृहत्तर झारखंड की मांग को संकुचित कर सिर्फ छोटानागपुर और पलामू तक ही सीमित रखा। वास्तव में 2000 में सिर्फ छोटानागपुर और संताल परगना को मिलाकर झारखंड राज्य बना। 1970 के दशक में निराल होरो ने अपनी राजनीतिक पार्टी झारखंड पार्टी (होरो गुट) के मंच से वृहत्तर झारखंड का माँग उठाया जो ज्यादा प्रभावशाली नही रहा। वृहत्तर झारखंड का विस्तार बिहार, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा तक था।

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बांकुड़ा, पूर्वी मिदनापुर, पश्चिमी मिदनापुर और झारग्राम जिला वृहत्तर झारखंड का हिस्सा था। छत्तीसगढ़ का रायगढ़, सरगुजा, बलरामपुर, सूरजपुर और कोरिया जिला तक वृहत्तर झारखंड का विस्तार था। उड़ीसा के संभलपुर, क्योंझर, मयूरभंज और सुंदरगढ़ तक विस्तार था। पश्चिम बंगाल की क्षेत्रीय पार्टी झारखंड पार्टी (नरेन गुट) वृहत्तर झारखंड की माँग कर रहा है।

Jharkhand Mukti Morcha Video

https://youtu.be/9vbEoBQN59g

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