बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000

Jharkhand Poilty

Bihar State Reconsturction Bill, 2000

बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000

विधेयक के पहले झारखंड राज्य निर्माण के वैधानिक कदम

झारखंड निर्माण को लेकर तत्कालीन गृह मंत्री शंकर राव चौहान ने 6-7 अप्रैल 1996 को दिल्ली में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई। इस बैठक में चार राष्ट्रीय दलों (काँग्रेस, जनता दल, भाजपा और भाकपा) के प्रतिनिधि-मंडल से बात करके झारखंड मुद्दे पर राय ली। वर्ष 1997 में लालू यादव का नाम चारा घोटाले में जुड़ जाने के कारण वे जनता दल के अध्यक्ष नही रह सके। लालू यादव ने राष्ट्रीय जनता दल नाम से अलग राजनीतिक पार्टी बनाई। जनता दल में इस विभाजन के कारण लालू सरकार अल्पमत में आ गई। उन्होंने JMM और झारखंड क्षेत्र के निर्दलीय विधायक का समर्थन अलग झारखंड के शर्त पर मिला। 22 जुलाई 1997 को बिहार की राजद सरकार ने अलग झारखंड राज्य के गठन संबंधित संकल्प सर्वसम्मति से पारित कर केंद्र को भेजा। यह पृथक झारखंड निर्माण के लिए पहला वैधानिक कदम था।

28 जून 1998 को अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने बिहार विधान सभा मे पारित संकल्प के आधार पर वनांचल राज्य से संबंधित “बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 1998” तैयार किया तथा इसकी स्वीकृति के लिए बिहार के राबड़ी सरकार को भेजा।

इस विधेयक में बिहार के 18 जिलों को मिलाकर वनांचल राज्य की बात कही गई थी। इस विधेयक पर विचार के लिए 21 सितंबर, 1998 में बिहार विधान सभा की विशेष सत्र बुलाई गई। इस सत्र में बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक,1998 को 107 के मुकाबले 181 मतों से नामंजूर कर दिया गया।

उधर केंद्र में 17 अप्रैल,1999 को लोकसभा में विश्वास मत प्राप्त न करने के कारण NDA सरकार का पतन हो गया। इन दो कारणों से पृथक झारखंड राज्य के गठन का मामला अधर में लटक गया।

परिचय

बिहार राज्य पुनर्गठन विधेयक 2000 में 10 भाग है, जो 10 अनुसूची में विभक्त है। इस विधेयक में कुल 91 अनुच्छेद है। इस विधेयक में कानून की कुल संख्या 29 है। इस विधेयक को पास होते समय केंद्र में NDA (National Deomocratic Alliance) की सरकार थी। बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की सरकार थी।

इस विधेयक को पारित होने के समय विभिन्न पद

1) प्रधानमंत्री – अटल बिहारी वायपेयी

2) राष्ट्रपति – के आर नारायणन

3) उप-राष्ट्रपति – कृष्णकांत

4) लोक सभा अध्यक्ष -गंटी मोहना चंद्र बालयोगी

5) बिहार के मुख्यमंत्री – राबड़ी देवी

6) बिहार के राज्यपाल – विनोद चंद्र पांडेय

7) बिहार विधान सभा के अध्यक्ष – सदानंद सिंह

बिहार पुनर्गठन विधेयक के विभिन्न चरण

फरवरी 2000 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में RJD को पूर्ण बहुमत नही मिलने के कारण काँग्रेस से समर्थन लेना पड़ा। काँग्रेस अलग झारखंड राज्य के हिमायती थी जिसने अलग राज्य की शर्त रखी। राबड़ी सरकार ने दवाब में आकर 25 अप्रैल 2000 में विधान सभा मे इस विधेयक को पारित कर दिया।

a) बिहार विधान सभा से पारित की तिथि – 25 अप्रैल, 2000

b) लोक सभा से पारित की तिथि – 02 अगस्त, 2000

Note:- 25 जुलाई 2000 को NDA सरकार ने तीन नए राज्यों (झारखंड, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़) के निर्माण के लिए विधेयक प्रस्तुत किया था। जिसमे बिहार पुनर्गठन विधेयक 2 अगस्त को पारित कर दिया गया।

c) राज्यसभा सभा से पारित की तिथि – 11 अगस्त, 2000

d) राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षर – 25 अगस्त, 2000

उड़ीसा में झारखंड निर्माण का विरोध

झारखंड के निर्माण का विरोध बिहार से ज्यादा उड़ीसा में हुआ था।स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद झारखंड में स्थित 2 देशी रियासत (सरायकेला रियासत और खरसावां रियासत) को 1947 में उड़ीसा में शामिल कर दिया था। भारी विरोध और आंदोलन के बावजूद 18 मई 1948 में बिहार में शामिल कर दिया था। उड़ीसा की राजनीतिक पार्टियां झारखंड राज्य के गठन के समय इन दो क्षेत्र (सरायकेला और खरसवाँ) को उड़ीसा में मिलाने की माँग कर रहे थे। उड़ीसा के इस दावे को केंद्र सरकार ने नही माना।

बिहार पुनर्गठन विधेयक Video

https://youtu.be/WKR6ICyhyGg

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