झारखंड में डायन प्रथा

झारखंड राज्य डायन प्रथा प्रतिषेध कानून 2001 | The Prevention Of Witch (Daain) Practices Act 2001

Jharkhand Act/Policy

The Prevention Of Witch Practices Act, 2001

झारखंड में डायन प्रथा

परिचय

झारखंड में डायन प्रथा एक परंपरागत कुरीति और अंधविश्वास है। डायन प्रथा से संबंधित घटनाओं के मामले में अन्य राज्यों के मुकाबले झारखंड में ज्यादा प्रचलन है। झारखंड में प्रतिवर्ष 1231 महिलाओं को डायन घोषित किया जाता है। डायन घोषित कर उस महिलाओं का अपने अपने तरीक़े से मानसिक और शारीरिक दंड दिया जाता है।

झारखंड के आदिवासियों में यह घटनाएँ बहुत ज्यादा है। हो जनजाति में सबसे ज्यादा डायन संबंधित घटनाएँ पाई जाती है।डायन मूल रूप से एक मनोवैज्ञानिक रोग है। डायन को एक तंत्र-विद्या माना जाता है जिसका प्रयोग आत्मा को बुलाने और उसे वश में करने के लिए किया जाता है।

डायन प्रथा का कारण

इस प्रथा के प्रचलन का मुख्य कारण निम्न है:-

1) अशिक्षा

2) अंधविश्वास

3) विधवा और असहाय महिलाओं की संपत्ति को हड़पने के लिए भी किसी महिला को डायन बताकर हत्या की जाती है।

ओझा – इस Act में ओझा उस व्यक्ति को कहा गया है जो यह दावा करता हो कि वो डायन को नियंत्रित करनी की क्षमता रखता है। इसे गुनी या सोखा भी कहा जाता है।

झारखंड राज्य डायन प्रथा प्रतिषेध कानून 2001 के अंतर्गत सजा

1. अगर कोई व्यक्ति किसी को डायन घोषित करता है तो उसे 3 महीने की सजा या ₹1000 का जुर्माना या दोनो हो सकता है।

2. अगर कोई व्यक्ति किसी महिला को डायन करार देकर शारीरिक और मानसिक तौर पे प्रताड़ित करता हो तो उसे 6 माह का कारावास या ₹2000 का जुर्माना या दोनो हो सकता है।

3. अगर कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति या समाज को उकसाता है कि वो किसी स्त्री को डायन करार दे या डायन के नाम पर प्रताड़ित करे। ऐसे व्यक्ति को 3 महीने की सजा या₹1000 जुर्माना या दोनो का प्रावधान हैं।

4. कोई व्यक्ति अगर किसी डायन घोषित की गई स्त्री का इलाज टोना-टोटका, झाड़-फूंक या शारीरिक यातना के माध्यम से करता है। उसके लिए 1 साल की सजा या ₹2000 या दोनो का प्रावधान है।

झारखंड राज्य डायन प्रथा प्रतिषेध कानून 2001 से संबंधित तथ्य

1. इस कानून के आधार पर किसी महिला को डायन कहना सामाजिक अपराध है।

2. झारखंड राज्य डायन प्रथा प्रतिषेध कानून 2001 पूरे झारखंड में लागू है।

3. अंधविश्वास के अनुसार डायनकुरी (डायन विद्या) सीखने का दिन अमावस्या को माना जाता है।

4. इस कानून के अनुसार बनाए गए सारे अपराध गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध (Cognizable Offence) है।

5. छूटनी देवी

छूटनी महतो को सामाजिक कार्य के क्षेत्र में वर्ष 2021 में पदम श्री सम्मान दिया गया। इन्होंने डायन प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई और कई औरत की जिंदगी बचाई। ये सरायकेला खरसवां जिला के गम्हारिया के बिरबांस गांव की रहने वाली है।

6. झारखंड में सबसे ज्यादा डायन प्रथा का प्रभाव कोल्हान प्रमंडल है।

झारखंड में नक्सलवाद VIDEO

https://youtu.be/WEp4O3qVDvE

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