President Of India

भारत के राष्ट्रपति| President Of India

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भारत के राष्ट्रपति

President Of India

Article 52 – भारत में एक राष्ट्रपति होगा।

Article 53(1) – भारत की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और यह इसका प्रयोग संविधान के अनुसार करेगा (स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के माध्यम से)।

Article 53(2) – संघ के रक्षा बलों का सर्वप्रमुख राष्ट्रपति होगा।

Article 54 – राष्ट्रपति के निर्वाचन में निम्न सदस्य भाग लेंगे: –

a) संसद के दोनों सदनो (लोकसभा और राज्यसभा) के निर्वाचित प्रतिनिधि

b) राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित प्रतिनिधि

Note:- 70वा संविधान संशोधन,1992 के द्वारा 2 केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पांडिचेरी विधानसभा के निर्वाचित सदस्य को राष्ट्रपति निर्वाचक मंडल में शामिल किया गया है।

Article 55 –

Article 56 (1) – राष्ट्रपति अपने पद धारण के दिन से 5 वर्ष तक अपने पद को धारण करेगा। लेकिन:-

a) राष्ट्रपति, 5 वर्ष के कार्यकाल से पूर्व उपराष्ट्रपति को त्यागपत्र दे सकता है।

b) गैर-संवैधानिक कार्य करने पर अनुच्छेद 61 के आधार पर महाभियोग के द्वारा पद से हटाया जा सकता है।

c) राष्ट्रपति अपने पद की अवधि समाप्त होने पर भी, तब तक पद को धारण करेगा, जब तक की कोई नया राष्ट्रपति पद को ग्रहण ना कर ले।

Note:- राष्ट्रपति का चुनाव शेष अवधि के लिए नहीं होता है। राष्ट्रपति की मृत्यु या किसी अन्य कारण से राष्ट्रपति का पद रिक्त होता है तो 6 महीना तक में चुनाव करवाना होता है।

Article 56 (2) – जब राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति को त्यागपत्र देगा उस समय तुरंतइ सकी जानकारी उपराष्ट्रपति के द्वारा, लोकसभा अध्यक्ष को दी जाएगी।

Article 57 – राष्ट्रपति का पुनर्निर्वाचन हो सकता है। भारत मैं एक व्यक्ति कितनी बार राष्ट्रपति बन सकता है इसका संविधान में कोई जिक्र नहीं है लेकिन राष्ट्रपति का पुनर्निर्वाचन हो सकता है।

Note:- USA में एक व्यक्ति अधिकतम दो बार राष्ट्रपति बन सकता है।

Article 58 (1) – कोई व्यक्ति राष्ट्रपति के पद मैं तभी चुना जाएगा जब वह: –

a) भारत का नागरिक हो।

b) वह 35 वर्ष की आयु पूरा कर चुका हो।

c) लोकसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित होने योग्य हो।

Article 58 (2) – जो व्यक्ति केंद्र सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी लाभ के पद को धारण करता हो, वह राष्ट्रपति पद के लिए योग्य नहीं माना जाएगा।

Note- अनुच्छेद 58 में एक स्पष्टीकरण दिया गया है कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, राज्यपाल तथा राज्य या केंद्र सरकार के मंत्री के पद को लाभ का पद नहीं माना जाएगा। संविधान में “लाभ के पद” को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है।

Note:- डेरेक ओ ब्रायन (तृणमूल कांग्रेस) पहले एंग्लो इंडियन है जो संसद (राज्यसभा) में निर्वाचित होकर आए। तथा यह पहले एंग्लो इंडियन है जिन्होंने राष्ट्रपति चुनाव में हिस्सा लिया है।

राष्ट्रपति पद की शर्तें (Conditions Of President Office)

Article 59(1)- राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन (राज्यसभा और विधानसभा) या विधानमंडल (विधानसभा और विधान परिषद) के किसी भी सदन का सदस्य नहीं हो सकता है। अगर राष्ट्रपति किसी सदन का सदस्य है तो राष्ट्रपति के पद को धारण करने के दिन से ही उसकी यह सदस्यता रद्द मानी जाएगी।

Article 59(2)- राष्ट्रपति किसी लाभ के पद को धारण नहीं कर सकता है।

Article 59(3)- राष्ट्रपति बिना किराया दिए हुए राष्ट्रपति आवास में रह सकता है। राष्ट्रपति अनुसूची 2 के अन्तर्गत विधि द्वारा निर्धारित उपलब्धियां (Emouluments), भत्ते (Allowance) और विशेषाधिकार (Privielges) पाने का हकदार होगा।

Article 59(4)- राष्ट्रपति के उपलब्धियां (Emouluments) एवं भत्ते (Allowances) उसके पदधारण के दौरान कम नहीं किया जा सकता है।

Note:- वर्तमान में राष्ट्रपति का वेतन ₹5 लाख है। अनुसूची 2 में वर्णित विभिन्न पदाधिकारियों का वेतन निम्न है: –

💰उपराष्ट्रपति(राज्यसभा के सभापति) – ₹4 लाख 💰 लोकसभा के अध्यक्ष – ₹4 लाख 💰 राज्यपाल – ₹3.5 लाख 💰 उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश – ₹2.8 लाख 💰 उच्चतम न्यायालय के अन्य न्यायाधीश – ₹2.5 लाख 💰 उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश – ₹2.5लाख 💰 उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीश – 2.25 लाख 💰 नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक – ₹2.5 लाख 💰 मुख्य चुनाव आयुक्त – ₹2.5 लाख 💰 महान्यायवादी – ₹2.5 लाख

Article-60 (Oath & Affirmation Of President)

इस अनुच्छेद में राष्ट्रपति का शपथ और प्रतिज्ञान है। राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष शपथ ग्रहण करता है। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ तम न्यायाधीश के समक्ष शपथ लेता है। राष्ट्रपति “संविधान की रक्षा तथा नागरिकों के कल्याण” की शपथ लेता है।

Note:- राष्ट्रपति का शपथ ग्रहण 25 जुलाई को होता है। नीलम संजीव रेड्डी के बाद जितने भी राष्ट्रपति हुए हैं सब ने 25 जुलाई को शपथ ग्रहण किया है।

Note:- राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति तथा राज्यपाल का शपथ का उल्लेख अनुसूची-3 में नहीं है। बाकी सारे पदाधिकारियों के शपथ का उल्लेख अनुसूची-3 में मिलता है।

राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रक्रिया

Article 61 –

Article 62 –

Article 63-70 – Vice President Of India

राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित विवाद

Dispute Related to President/Vice President Election

Article 71(1) – राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित कोई भी विवाद उच्चतम न्यायालय सुलझाएगा और उच्चतम न्यायालय का Decision अंतिम माना जाएगा।

Article 71(2) – यदि उच्चतम न्यायालय राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को शून्य घोषित कर देता है इस स्थिति में पद में रहते हुए राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति के द्वारा किए गए कार्य अमान्य नहीं होंगे।

Article 71(3) – राष्ट्रपति/उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संबंधित किसी विषय पर संसद कानून बना सकता है।

Article 71(4) – राष्ट्रपति उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को इस आधार पर कभी प्रश्नगत नहीं किया जा सकता है कि निर्वाचक मंडल के सदस्य कुछ कारणों से निर्वाचन में अनुपस्थित रहे।

Article-72 (Power to Pardon)

संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति प्रदान की गई है। इस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रपति निम्न व्यक्ति को क्षमादान करेगा: –

a) Union Law (संघीय कानून) के विरुद्ध अपराध किए गए अपराधी को।

b) सैनिक न्यायालय द्वारा दंडित किए गए अपराधी को।

c) यदि दंड का स्वरूप मृत्युदंड हो तो सभी अपराधी को।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायपालिका से स्वतंत्र होती है। राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति एक कार्यकारी सकती है। इस शक्ति का प्रयोग करते समय राष्ट्रपति किसी न्यायालय की तरह काम नहीं करता है। गृह मंत्रालय के संसुप्ति पर राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर क्षमादान शक्ति का प्रयोग करता है। राष्ट्रपति अनुच्छेद 74(1) के तहत क्षमादान याचिका को पुनर्विचार के लिए मंत्रिमंडल के पास एक बार भेज सकता है।राष्ट्रपति को यह शक्ति प्रदान करने का कारण है: –

a) अगर कोई न्यायिक गलती हुई हो तो उसे सुधारा जाए।

b) यदि राष्ट्रपति दंड का स्वरूप अधिक कड़ा समझता है तो अपराधी बचा प्रदान करने के लिए।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति में निम्न 5 बातें शामिल है: –

a) क्षमा (Pardon) – इस क्षमादान में अपराधी को पूर्णतया सजामुक्त किया जाता है। इस क्षमादान के बाद आरोप और सजा दोनों खत्म हो जाती है।

b) लघुकरण (Commutation) – इस तरह के क्षमादान में दंड के स्वरूप को बदलकर कम किया जाता है। जैसे:- मृत्युदंड को का लघुकरण कर इसे कारावास में बदलना।

c) परिहार (Remission) – इस तरह के क्षमादान में दंड का स्वरूप परिवर्तित किए बिना दंड की अवधि को कम किया जाता है। जैसे:- अगर किसी अपराधी का कारावास दो वर्ष का है तू परिहार के द्वारा उसे 1 वर्ष किया जाना।

d) विराम (Respite) – इस तरह का क्षमादन किसी अपराधी को किसी विशेष परिस्थिति में दिया जाता है जैसे शारीरिक अपंगता, बुढ़ापा या महिलाओं को गर्भावस्था की अवधि के कारण।

e) प्रविलंबन (Reprive) – इस तरह के क्षमादान में दंड (विशेषकर मृत्युदंड) पर अस्थाई रोक लगाई जाती है। इसका उद्देश्य है कि दोषी व्यक्ति का क्षमा-याचना के लिए समय देना है।

Article 73 –

Article 74-

Article 75 –

Article 76 –

राष्ट्रपति का वेतन

President Of India Important Fact

1. President Of India के चुनाव में प्रयुक्त जनसंख्या के लिए 1971 को आधार वर्ष माना जाता है जो कि 2026 तक आधार वर्ष रहेगा।

2. President Of India के चुनाव के समय अगर लोकसभा भंग हो जाती है तथा सभी राज्यों की विधानसभा भी भंग हो जाती है इस स्थिति में भीर राष्ट्रपति का चुनाव होगा। इस स्थिति में स्थाई सदन राज्यसभा मुख्य भूमिका निभाएगा।

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