मुगल स्थापत्य कला
Mughal Architecture
मुगल वास्तुकला का परिचय
मुगल काल में स्थापत्य कला की शुरुआत बाबर के समय से शुरू होती है। मुगल स्थापत्य कला का विकास अकबर के समय में होती है। मुगल स्थापत्य कला का चरमोत्कर्ष शाहजहां के समय में होती है और मुगल स्थापत्य कला का पतन औरंगजेब के शासनकाल में होती है।
👍 हैवेल के कथन – ” मुगल वास्तुकला को भारतीय वास्तुकला का पुनरावृति कहां है”।
👍 पर्सी ब्राउन के कथन – मुगल काल वास्तु कला का ग्रीष्म काल था।
बाबरकालीन की स्थापत्य कला
Mughal Architecture (Babur Era)
बाबर अपनी आत्मकथा तुजुक ए बाबरी में स्वीकार करता है कि उसे फारसी स्थापत्य कला या सल्तनत स्थापत्य कला प्रभावित नहीं करती है वह अगर प्रभावित है तो ग्वालियर के स्थापत्य कला से।
काबुली बाग मस्जिद | पानीपत | बाबर |
जामी मस्जिद | संभल | बाबर |
पिलखाना | अलीगढ़ | बाबर |
आरामबाग | आगरा | बाबर |
आरामबाग
आरामबाग मुगलों द्वारा लगाया गया सबसे पुराना बाग है। इसका निर्माण बाबर ने आगरा में 1528 में करवाया था। बाबर को पहले और अस्थाई रूप से आराम बाग में दफनाया गया था बाद में इसे काबुल में “बाग ए बाबर” नामक बगीचे में शेरशाह सूरी द्वारा दफनाया गया।
हुमायूंकालीन की स्थापत्य कला
Mughal Architecture (Humayun Era)
आगरा की मस्जिद | आगरा | हुमायूं |
दीनपनाह नगर | दिल्ली | हुमायूं |
हुमायूं का मकबरा | दिल्ली | हाजी बेगम |
पुराना किला में पुस्तकालय (शेर मंडल) | दिल्ली | हुमायूं |
फतेहाबाद की मस्जिद | हरियाणा | हुमायूं |
दीनपनाह नगर
हुमायूं ने 1533 में यमुना नदी के तट पर एक नए शहर दिनपनाह की स्थापना की थी। जब 1540 मैं शेरशाह ने हुमायूं को पराजित कर दिया तब उसने इस शहर को पूरी तरह से नष्ट कर दिया और अपनी नई राजधानी शेरगढ़ी के नाम से बसाई। इस स्थान को अभी पुराना किला के नाम से जाना जाता है। हुमायूं जब दोबारा मुगल शासक बना तब उसने यहां पर एक पुस्तकालय की स्थापना की थी। हुमायूं की मृत्यु इसी पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुई थी।
शेरशाहकालीन की वास्तुकला
किला ए कुहना | दिल्ली |
पुराना किला (शेरगढ़) | दिल्ली |
रोहतासगढ़ का किला | रोहतास (बिहार) |
शेरशाह का मकबरा | सासाराम (इस्लाम शाह ने) |
शेरगढ़
1540 में हुमायूं को पराजित करने के बाद शेरशाह ने हुमायूं द्वारा निर्मित शहर दिनपनाह को नष्ट कर उस स्थान पर अपनी राजधानी शेरगढ़ बनाया। इस शेरगढ़ में स्थित एक दरवाजा का नाम लाल दरवाजा या खूनी दरवाजा है।
खूनी दरवाजा
इस दरवाजे के पास औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह के हत्या के बाद उसकी गर्दन को टंगवा दिया था। इसी दरवाजे में 22 सितंबर 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान 22 सितंबर 18 57 को विलियम हडसन ने बहादुर शाह जफर के 2 पुत्र (मिर्जा मुगल और खिज्र सुलतान) और और 1 पौत्र (अबू बकर) की हत्या कर दी थी।
किला ए कुहना
यह मंदिर दिल्ली के पुराना किला परिसर में अवस्थित है। जब शेरशाह ने हुमायूं को 1540 ई में पराजित कर दिल्ली की गद्दी पर बैठा उस समय उसने इसका निर्माण करवाया।
शेरशाह का मकबरा
इसका निर्माण शेरशाह के शसनकाल में शुरू हो गया था जिसे उसके पुत्र इस्लामशाह ने पुरा करवाया। यह बिहार के सासाराम (रोहतास जिला का मुख्यालय) में अवस्थित है। इतिहासकार कनिंघम ने इसे ताजमहल से भी खूबसूरत माना है। इसे दुसरा ताजमहल कहा जाता है। यह बीजापुर के गोल गुंबज (आदिलशाह का मकबरा) के बाद दूसरी बड़ी मकबरा है। यह इंडो -इस्लामिक वास्तुकला में बनाया गया है। इसके वास्तुकार मीर मुहम्मद अलीवाल खान थे।
अकबर का वास्तु कला
Mughal Architecture (Akbar Era)
आगरा का किला | आगरा | अकबर |
इलाहाबाद किला | इलाहाबाद | अकबर |
लाहौर का किला | लाहौर | अकबर |
अजमेर का किला | अजमेर | अकबर |
अटक का किला | पाकिस्तान | अकबर |
जहांगीरी महल | आगरा | अकबर |
जोधाबाई महल | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
बीरबल का महल | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
पंचमहल | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
खास महल | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
मरियम की कोठी | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
तुर्की सुल्ताना की कोठी | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
फतेहपुर सीकरी | आगरा | अकबर |
बुलंद दरवाजा | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
जामा मस्जिद | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
सलीम चिश्ती का मकबरा | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
इस्लाम शाह का मकबरा | फतेहपुर सीकरी | अकबर |
हिरण मीनार | ||
ज्योतिष महल | ||
अनूप तालाब |
हुमायूं का मकबरा
इसे “ताजमहल का पूर्वगामी” कहा जाता है क्योंकि यह पूर्णतया संगमरमर से बना हुआ है। यह मकबरा चारबाग शैली से बना हुआ प्रथम मकबरा है। इसका निर्माण हुमायूं की विधवा हाजी बेगम द्वारा करवाया गया था। हमीदा बानो बेगम का भी कब यहीं पर बनाया गया है। अकबर के शासन काल की सर्वप्रथम इमारत हुमायूं का मकबरा है। इसका निर्माण दिनपनाह के पास किया गया है। इसके वास्तुकार का नाम मीरन मिर्जा गियास था। इस मकबरे में मुख्य कक्ष के अलावा चार अन्य कक्ष भी मौजूद है जहां अन्य कई मुगल शहजादो/शहजादियों को दफनाया गया जैसे दारा सिकोह, फर्रुखशियार, जहांदार शाह, आलमगीर -2, रफीउदोल्ला, रफी उद दरजात बहादुर शाह जफर के 2 पुत्र इत्यादि। मुगलों के इतने ज्यादा कब्र होने के कारण इस स्थान को मुगलों का शयनगार भी कहा जाता है। इसे 1993 में यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किया गया है। भारत में पहली बार दोहरे गुंबद का प्रयोग इसी इमारत में किया गया। इस इमारत को “महबूब के लिए महबूबा की पेशकश” भी कहा जाता है। यह मुगल काल की पहली इमारत है जो चारों तरफ से चारदीवारी से घिरा हुआ है।
1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान बहादुर शाह जफर ने हुमायूं के मकबरे में आत्मसमर्पण किया था।
अजमेर का किला
इसे अकबर ने बनवाया था इस किला को मैगजीन दुर्ग भी कहा जाता है।
अटक का किला
किला का निर्माण अकबर ने करवाया था। यह सिंधु नदी के तट पर बना है। इसे सिंध सागर या अटक बनारस भी कहा जाता है।
इलाहाबाद का किला
यह किला प्रयागराज में अवस्थित है। इस किले का निर्माण अकबर ने करवाया था ।अकबर द्वारा निर्मित सभी किलों में अकबर का किला सबसे बड़ा था।
फतेहपुर सीकरी
अबुल फजल ने अपनी पुस्तक आईने अकबरी में अकबर के बारे में यह लिखा है कि ” बादशाह अकबर अपनी कल्पना में जिस वास्तुकला की संकल्पना करता है उसको इमारत निर्माण में असली रूप प्रदान करता है”।
यह 1571 में अकबर द्वारा बनाया गया राजमहल है। 1571 से 1585 तक यह स्थान मुगलों की राजधानी रही बाद में पानी की कमी के कारण इस स्थान से राजधानी पुनः आगरा में स्थानांतरित किया गया। फतेहपुर सीकरी का निर्माण अकबर ने अपने गुरु संत सलीम चिश्ती के यादगार में करवाया था। 1986 में फतेहपुर सीकरी को यूनेस्को की विरासत सूची में शामिल किया गया। बहाउद्दीन को इस किले का वास्तुकार माना जाता है। इसके अंदर बनी ज्यादातर इमारतें लाल बलुआ पत्थर से बनी है तथा कुछ इमारतों में संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
फतेहपुर सीकरी के प्रांगण में वास्तुकला के कई नमूने देखने को मिलते हैं जैसे: – आंख मिचौली, दीवान ए आम, दीवान ए खास, बुलंद दरवाजा, पंचमहल, ख्वाबगाह, जोधाबाई का महल, मरियम का महल, तुर्की सुल्ताना की महल अनूप तालाब, शाही मस्जिद, सलीम चिश्ती का मकबरा, इस्लाम खान का मकबरा, बीरबल महल।
Note:- इतिहासकार फरगुशन ने फतेहपुर सीकरी के बारे में कहा है कि यह “महान व्यक्ति के मस्तिष्क का प्रतिबिंब है”।
जोधाबाई का महल
फतेहपुर सीकरी में सबसे बड़ी इमारत जोधा बाई का महल है। इस वास्तु कला में गुजरात शैली का प्रभाव दिखाई पड़ता है। इस महल में हिंदू स्थापत्य कला की छवि दिखाई पड़ती है। यह एक दो मंजिला महल है। इस महल के उत्तर में ग्रीष्म विलास और दक्षिण में शरद विलास नामक इमारत है। जिसमें विलास इमारत में जोधाबाई गर्मी के दिनों में रहती थी तथा शरद विलास नामक स्थान में ठंडी के दिनों में रहती थी।
मरियम की कोठी/मरियम महल
जोधाबाई महल के समीप ही मरियम की कोठी नामक एक छोटी सी इमारत है। यहां से भित्ति चित्र की प्राप्ति हुई है।
Note:- जोधाबाई आमेर के राजपूत राजा भारमल की पुत्री थी। इसे हरखा बाई या हीर कुंवारी नाम से भी जाना जाता है। अकबर ने इसे “मरियम उज जमानी” का खिताब दिया था जोधाबाई के गर्व से ही जहांगीर का जन्म हुआ था।
फतेहपुर सीकरी की जामा मस्जिद
इसका निर्माण अकबर ने करवाया था। इस जामा मस्जिद को फतेहपुर सीकरी का गौरव कहा जाता है। इतिहासकार स्मिथ ने जामा मस्जिद को “पत्थर में रोमांस” तथा फरगुशन ने “पत्थर में रूमानी कथा” कहा है। अकबर ने दीन ए इलाही की शुरुआत यही के जामा मस्जिद से की थी।
बुलंद दरवाजा
इस इमारत का निर्माण अकबर ने मुजफ्फर खां तृतीय को हराकर (1574 में) गुजरात विजय की स्मृति में 1602 में बनवाया था। बुलंद दरवाजा में बाइबल कि 1 पंक्ति उकेरी गई है। इस दरवाजे में कुरान के कुछ आईटेल लिखी हुई है। यह विश्व का सबसे ऊंचा प्रवेश द्वार है, इसकी ऊंचाई 176 फीट है। यह अर्द शैगुंबदीय तथा चाप- स्कंधीय शैली में बना हुआ है। दक्षिण विजय (दक्कन विजय) के बाद इसकी ऊंचाई बढ़ाई गई थी।
तुर्की सुल्ताना की महल
इतिहासकार वर्षी ब्राउन ने इसे “मुगल स्थापत्य कला का रत्न” कहां है। यह भी फतेहपुर सीकरी परिसर में अवस्थित है।
पंचमहल
इसे हवामहल भी कहा जाता है तथा यह पिरामिडय की आकृति का बना हुआ है इसमें बौद्ध शैली का प्रभाव दिखता है।
आगरा का किला
आगरा का किला का निर्माण लाल पत्थर से हुआ है इसलिए इसे आगरा का लाल किला भी कहा जाता है। इस किले का निर्माण अकबर ने करवाया था। इसकी दो दरवाजे हैं पश्चिम के दरवाजा को दिल्ली दरवाजा या हाथी दरवाजा कहा जाता है तथा पूर्वी दरवाजे को अमर सिंह दरवाजा कहा जाता है। इस किले में प्रायः 500 इमारत है। कासिम खान को इस किले का वास्तुकार माना जाता है। लाहौर के किले का भी वास्तुकार कासिम खान था। जिनमें से प्रमुख है: –
जहांगीरी महल – जहांगीरी महल की आकृति ग्वालियर के किले की तरह है।
अकबरी महल – यह भारतीय शैली से बना हुआ महान है। इसमें बंगाल स्थापत्य कला का प्रभाव दिखता है।
नगीना मस्जिद – सफेद संगमरमर से बना हुआ नगीना मस्जिद आगरे के किले में मौजूद है। इसे शाहजहां ने बनवाया था।
मोती मस्जिद – नगीना मस्जिद के समीप ही एक अन्य सफेद संगमरमर से बना हुआ मस्जिद आगरे के किले में मौजूद है जिसे शाहजहां ने बनवाया था।
जहांगीर की वास्तुकला
Mughal Architecture (Shahjahan Period)
अकबर का मकबरा | सिकंदरा | जहांगीर |
शालीमार बाग | कश्मीर | जहांगीर |
एत्माद्दौला का मकबरा | आगरा | नूरजहां |
अब्दुलरहीम खानखाना मकबरा | आगरा | जहांगीर |
जहांगीर का मकबरा | शहादरा | नूरजहां |
अनाकली मकबरा | लाहौर | जहांगीर |
मरियम उज जमानी मकबरा | सिकंदरा | जहांगीर |
मरियम उज जमानी मस्जिद | लाहौर | जहांगीर |
जहांगीर ने वास्तु कला से ज्यादा ध्यान बाग बगीचे बनवाने तथा चित्रकारी में दिया था इसलिए कुछ इतिहासकार जहांगीर के शासनकाल को “मुगल स्थापत्य कला का विश्राम काल” कहते हैं।
अनारकली का मकबरा
यह मकबरा पाकिस्तान के लाहौर में अवस्थित है। यह एक अष्टकोणीय मकबरा है। जिस जिसका निर्माण जहांगीर ने 1615 में करवाया।
Note:- अनारकली का मूल नाम नादिरा बेगम था जिसे शर्फूनिस्सा भी कहा जाता था। यह एक खूबसूरत ईरानी महिला थी। सलीम और अनारकली के प्रेम संबंधों से अकबर नाराज था और अकबर ने 1599 में अनारकली को दीवारों में चुनवा दिया था। जब सलीम मुगल राजा बना तब उन्होंने 1615 में अनारकली के अवशेषों को लेकर लाहौर में अनारकली का मकबरा बनवाया था।
अकबर का मकबरा
अकबर का मकबरा सिकंदरा में अवस्थित है सिकंदरा नामक स्थान आगरा से 5 मील की दूरी में अवस्थित है। इस स्थान को सिकंदर लोदी ने अपने नाम बसाया था जिसका नाम अकबर ने बदलकर बहिस्ताबाद कर दिया था। अकबर ने अपने जीवन काल में ही अपने मकबरे का डिजाइन तैयार किया तथा निर्माण कार्य शुरू कर दिया था। इस मकबरे का निर्माण अकबर के पुत्र जहांगीर ने पूरा किया। मुगल काल की यह पहली मकबरा थी जिसमें गुंबद का प्रयोग नहीं किया गया था। गुंबद के जगह इस मकबरे में संगमरमर के मीनारों का प्रयोग किया गया है। इस मकबरे में मुस्लिम, हिंदू बौद्ध और ईसाई कलाएं दृष्टिगत होती है।
शेख सलीम चिश्ती का मकबरा
फतेहपुर में स्थित शेख सलीम चिश्ती का मकबरा का निर्माण अकबर ने करवाया था किंतु बाद में जहांगीर ने इस मकबरे को पूर्णरूपेण सफेद संगमरमर से बनवाया था।
एत्माद्दौला का मकबरा
इस मकबरे का निर्माण नूरजहां ने 1926 में अपने पिता मिर्जा गियास बेग के समाधि में आगरा में किया है। मिर्जा ग्यास बैग जहांगीर के दरबार में मंत्री थे जिसे जहांगीर ने “एत्माद्दौला” नामक उपाधि दी थी। इस मकबरे को अकबर और शाहजहां के वास्तुकला के बीच कड़ी माना जाता है। मुगल काल की यह पहली इमारत थी जो पूर्णरूपेण संगमरमर से बना है।
भारत में सफेद संगमरमर से बनी हुई यह पहली मकबरा है। इस मकबरे में पित्रा दूरा (पत्थर में हीरे जवाहरात जोड़ने का काम) पद्धति का प्रयोग किया गया है। यह मकबरा मुगल काल में बने अन्य अखबारों से छोटा है। इस मकबरे में प्रयोग की गई कई चीजों का प्रयोग ताजमहल बनाने में किया गया है इसलिए इसे “बेबी ताज” के रूप में भी जाना जाता है।
शाहजहां की वास्तुकला
Mughal Architecture (Shahjahan Era)
आगरा महल | आगरा | शाहजहां |
शीश महल | आगरा | शाहजहां |
खास महल | आगरा | शाहजहां |
ताजमहल | आगरा | शाहजहां |
मुसम्मन बुर्ज | आगरा | शाहजहां |
रंग महल | दिल्ली | शाहजहां |
लाल किला | दिल्ली | शाहजहां |
दीवाने आम | दिल्ली | शाहजहां |
दीवाने खास | दिल्ली | शाहजहां |
जामा मस्जिद | दिल्ली | शाहजहां |
जामा मस्जिद | आगरा | जहान आरा |
नगीना मस्जिद | आगरा | शाहजहां |
मोती मस्जिद | आगरा | शाहजहां |
शाहजहानाबाद | दिल्ली | शाहजहां |
शालीमार बाग | लाहौर | शाहजहां |
हयातबक्श बाग | दिल्ली | शाहजहां |
निशात बाग | कश्मीर | आसफ शाह |
मुसम्मन बुर्ज
यह इमारत आगरा के किला में अवस्थित है। यहीं से शाहजहां जनता को झरोखा दर्शन देते थे। औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को इसी जगह पर कैद करके 8 वर्ष रखा था। यहां से ताजमहल स्पष्ट दिखता है।
लालकिला
हयातबक्श बाग
यह बाग दिल्ली के लाल किले में मोती मस्जिद के बाई और अवस्थित है। लाल किला प्रांगण में सबसे बड़ा बाग यही है। इसका निर्माण शाहजहा ने करवाया था। इस बाग में दो समरूप मंडप बने हुए हैं जिसे सावन मंडप तथा भादो मंडप कहा जाता है।
औरंगजेब की वास्तुकला
Mughal Architecture (Aurangzeb Era)
मोती मस्जिद | दिल्ली | औरंगजेब |
बीबी का मकबरा | औरंगाबाद | औरंगजेब |
बादशाही मस्जिद | लाहौर | औरंगजेब |
बीबी का मकबरा
इसका निर्माण मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने पुत्र आजमशाह के देखरेख में महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में करवाया है। औरंगजेब ने अपनी प्रिय पत्नी दिलराज बानो बेगम (राबिया उद दौरानी) की यादगार में इस इमारत को बनवाया था। इस मकबरे का निर्माण ताजमहल के आधार पर किया गया था। इस मकबरे को ताजमहल की फुहड़ नकल भी कहा जाता है। इस मकबरे का डिजाइन अताउल्ला द्वारा किया गया था। अत्ताउल्लाह के पिता उस्ताद अहमद लाहौरी थे जिसने ताजमहल का डिजाइन तैयार किया था।
दिल्ली का मोती मस्जिद
दिल्ली में लाल किला परिसर में स्थित मोती मस्जिद का निर्माण औरंगजेब ने 1659- 1660 में करवाया था। औरंगजेब ने इस मस्जिद का निर्माण अपने पत्नी नवाबबाई के लिए करवाया था। इसे दक्कन का ताज भी कहा जाता है।
बादशाही मस्जिद
इस मस्जिद का निर्माण 1673 में औरंगजेब ने लाहौर में करवाया था। यह लाहौर के किले के समीप स्थित है। बादशाही मस्जिद का डिजाइन दिल्ली की जामा मस्जिद से काफी मिलता-जुलता है।
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