झारखंड सरकार की औद्योगिक नीति, 2001
Industrial Policy Of Jharkhand, 2001
झारखंड खनिज-सम्पदा से परिपूर्ण राज्य है। यहाँ उद्योगों के विकास के लिए व्यापक संभावनाएं मौजूद है। उद्योगों को विकसित करने के लिए झारखंड सरकार प्रयासरत है। इसके लिए समय समय पर झारखंड सरकार औद्योगिक नीतियों की घोषणा करती रही है।
झारखंड राज्य औद्योगिक नीति, 2001
Jharkhand State Industrial Policy, 2001
यह झारखंड सरकार द्वारा बनाया गया पहला औद्योगिक नीति है। यह नीति 2001 से 2011 तक 10 वर्षो कार्यान्वित की गई। इस नीति में 10% औद्योगिक विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया। हालांकि इस विकास दर को हासिल नही किया जा सका, मगर इस नीति के वजह से झारखंड में कई महत्वपूर्ण कार्य हुए।
औद्योगिक नीति 2001 की महत्वपूर्ण बातें
a) इस नीति के तहत उद्योग लागने के लिए उद्योगपतियों को सरकार 30 वर्षो के लिए भूमि उपलब्ध कराएगी। जिसका अगले 30 वर्षो के बाद नवीकरण होगा। 10 वर्षो के बाद सरकार भूमि का पुनरीक्षण(Review) करेगी कि भूमि का सही उपयोग हुआ या नही।
b) उद्योगपतियों को भूमि उपलब्ध कराने के लिए सरकार जिला स्तर पर भूमि बैंक की स्थापना करेगी जिससे किसानों के भूमि अधिग्रहण से बचा जा सके।
c) वन पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए झारखंड सरकार निम्न और बंजर भूमि लंबे समय के लिए उपलब्ध कराएगी तथा इसपर वृक्षारोपण कराएगी।
d) डिप्टी कमिश्नर 5 एकड़ जमीन सरकारी भूमि उद्योग लगाने के लिए उद्योगपतियों को दे सकते है। इससे अधिक भूमि देने के लिए राजस्व पार्षद द्वारा गठित उच्च स्तरीय कमिटी से स्वीकृति लेनी होगी।
e) झारखंड सरकार निजी उद्योगों की स्थापना के लिए भूमि-अधिग्रहण के कीमत पर भूमि खरीद को बढ़ावा देगी। लेकिन ऐसे भूमि कम से कम 100 एकड़ होनी चाहिए। साथ ही सरकार की जिम्मेदारी होगी कि वो निजी उद्योगों के लिए सड़क, पानी, बिजली तथा अन्य आधारभूत सुविधाएं प्रदान करेगी।
f) झारखंड सरकार उद्योग लगानेवाले को आसानी से वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराएगी। इसके लिए सरकार 200 करोड़ की प्रारंभिक पूँजी से IFIDC- Industrial Finance & Infrastructure Development Corporation (औद्योगिक वित्त एवं आधारभूत संरचना निगम) की स्थापना करेगी। इस संस्था का वित्त-पोषण ICICI, IDBI तथा SIDBI जैसे कमर्शियल बैंक करेंगे।
प्रथम औद्योगिक नीति की उपलब्धियाँ
Industrial Policy Of Jharkhand, 2001 Achievement
1. थ्रस्ट जोन/थ्रस्ट एरिया का निर्माण – थ्रस्ट जोन/थ्रस्ट एरिया का निर्माण औद्योगिक पिछड़ेपन वाले क्षेत्र में किया जाता है। इस नीति के तहत लातेहार-चंदवा और राँची-लोहारदग्गा में नए औद्योगिक थ्रस्ट जोन/थ्रस्ट एरिया का निर्माण हुआ।
2. लोहे के उत्पादन में वृद्धि – झारखंड में लोहे का उत्पादन 8 मिलियन टन से बढ़कर 12 मिलियन टन हो गया, जो राष्ट्रीय उत्पादन का 25% है।
3. तसर रेशम के उत्पादन में वृद्धि – तसर के उत्पादन में 100 मिलियन टन से बढ़कर 716 मिलियन टन हो गई।
4. एल्युमिनियम के उत्पादन में वृद्धि – 80,000 मिलियन टन से बढ़कर 2 लाख मिलियन टन हो गया।
5. भूमि अधिग्रहण – इस दौरान उद्योगों के लिए 8000 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया गया।
6. प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि – इस दौरान झारखंड के प्रति व्यक्ति आय 14,392 रु से बढ़कर 38,350 रु हो गई।
7. निवेश में वृद्धि – 28424.06 करोड़ पूँजी का झारखंड में निवेश हुआ।
8. रोजगार का सृजन – कुल 63,000 नए रोजगार का सृजन हुआ।
7. नए उद्योगों की स्थापना – इस नीति के तहत 26 वृहत उद्योग, 106 मध्यम उद्योग और 18,109 सूक्ष्म उद्योग स्थापित किये गए।
8. मेगा ग्रोथ सेंटर की स्थापना – झारखंड सरकार ने औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए हज़ारीबाग के बरही में मेगा ग्रोथ सेंटर का निर्माण कर रही है।
9. मिनी विकास केंद्रों की स्थापना – औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए इस नीति के तहत कई स्थानों पर मिनी विकास केंद्र की स्थापना की जा रही है जैसे:-
a) तसर रेशम पार्क – गोड्डा और चाईबासा में।
b) एग्रो फ़ूड प्रोसेसिंग पार्क – राँची और दुमका में।
c) इलेक्ट्रॉनिक पार्क – टाटीसिल्वे (नामकुम) में।
d) निर्यात प्रोत्साहन पार्क – धनबाद में
e) प्लास्टिक पार्क – देवीपुर (देवघर) में
f) सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क – राँची, जमशेदपुर, जसीडीह और धनबाद में।
👉 झारखंड राज्य औद्योगिक नीति, 2001 के तहत झारखंड में निम्न प्राधिकरण का गठन हुआ: –
a) JIIDCO (Jharkhand Industrial Infrastructure Development Corporation, झारखंड औद्योगिक आधारभूत संरचना विकास प्राधिकरण) (2004 स्थापना)
b) JHARCRAFT( स्थापना 2006)
c) Jharkhand State Khadi & Village Industries Board
झारखण्ड में औद्योगिकरण की समस्याएँ
a) बंदरगाह समस्या – झारखंड के पास अपना कोई बंदरगाह नही है। झारखंड में सबसे ज्यादा निर्यात जमशेदपुर से किया जाता है। अंतराष्ट्रीय निर्यात के लिए दूसरे राज्य के बंदरगाह का सहारा लेना पड़ता है।, जो झारखंड सीमा से दूर है। जिससे ढुलाई खर्च ज्यादा लग जाता। झारखंड अंतराष्ट्रीय निर्यात के लिए बंगाल के कोलकाता/हुगली और उड़ीसा के पारादीप बंदरगाह पर निर्भर है।
b) विस्थापन समस्या – झारखंड में विस्थापितों के पुनर्स्थापना के लिए कोई स्पष्ट नीति नही है। हालाँकि झारखंड पुनर्स्थापना और एवं पुनर्वास नीति, 2008 बनाई गई है,लेकिन इसके प्रावधान भी कई जगहों पे अस्पष्ट है। विस्थापितों द्वारा आंदोलन झारखंड की पुरानी समस्या है। साथ ही उद्योगों के लिए जमीन अधिग्रहण की कोई स्पष्ट नीति नही है।
c) उग्रवाद/नक्सलवाद- झारखंड के ज्यादातर क्षेत्र red corridor में आते है, जो उग्रवाद/नक्सलवाद से प्रभावित है। निवेशकों के लिए ये बहुत बड़ी समस्या है।
d) योजना का आभाव – वन आधारित उद्योगों के लिए झारखंड सरकार की कोई स्पष्ट कार्य योजना नही है। जैसे लाह उत्पादन, बायोडीजल, तसर उद्योग, फर्नीचर उद्योग।
Video On Industries Of Jharkhand Part -1
Video On Industries Of Jharkhand Part -2
Video On Industries Of Jharkhand Part -3
Video On Industries Of Jharkhand Part -4
Video On Industries Of Jharkhand Part -5
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