Baiga Tribe बैगा जनजाति

बैगा जनजाति विस्तृत अध्धयन | Baiga Tribes Detailed Study

Jharkhand Tribes

Baiga Tribes

Baiga Tribe बैगा जनजाति

परिचय

बैगा जनजाति का शाब्दिक अर्थ है-पुरोहित। इसकी सबसे बड़ी जनसंख्या मध्य प्रदेश में पाई जाती है। उसके बाद क्रमशः छतीसगढ़, उत्तरप्रदेश, झारखंड में पाई जाती है। झारखंड में इसका जमाव राँची, हज़ारीबाग और सिंहभूम में है। यह जनजाति द्रविड़ प्रजातीय समूह के अंतर्गत आता है। पुराने समय मे ये “बैगानी” भाषा बोलते थे मगर यह भाषा अभी विलुप्त हो चुकी है। बैगानी भाषा द्रविड़ परिवार की भाषा है।

सामाजिक व्यवस्था

बैगा समाज पितृसत्तात्मक होता है। इसमे अन्य जनजातियो की तरह टोटमिक गोत्र नही पाए जाते है। इनमे संयुक्त परिवार की प्रथा पाई जाती है। बैगा जनजाति में विवाह से पूर्व दो प्रेमी आपस में साथ रह सकते है तथा यौन-संबंध बना सकते है। लेकिन इन दोनों प्रेमियों को भविष्य के पति-पत्नी के रूप में देखा जाता है। बैगा जनजाति में बहुविवाह काफी प्रचलित है। प्रायः बैगा लोग बहुविवाह करते है। स्त्रियों को भी एक से ज्यादा विवाह करने की अनुमति है। विधवा पुनर्विवाह की मान्यता है, जिसे “चूड़ी तोड़ना” कहा जाता है। बैगा जनजातियों में निम्न 6 तरह का विवाह प्रचलित है:-

मँगनी विवाह

यह विवाह आयोजित विवाह होती है, जिसमे वधुमूल्य देकर विवाह किया जाता है। इसमे दोनो पक्षों के लोग आपस में विवाह तय करते है। इस विवाह में लड़की की सहमति सर्वोपरि होता है।

इस विवाह पद्धति में शादी से पहले सगाई होती है। इसमे लड़के के घर वाले कुछ बुजुर्गों के साथ लड़की के घर जाते है। लड़की के पिता से पूछते है प्यास लगी है? लड़की के पिता दो बोतल हड़िया रख देता है। फिर किसी बुजुर्ग महिला के साथ बेटी के पास जाकर पूछता है- बेटी मैं भी पीऊं क्या? अगर लड़की हाँ कह देती है तो इसे लड़की की स्वीकार्यता मानी जाती है। विवाह का तिथि निश्चित कर विवाह संपन्न कराया जाता है।

उठवा विवाह

यह विवाह मँगनी विवाह की तरह ही होता है। इसमे शादी का सारा खर्च वर पक्ष वाले उठाते है। एक निश्चित तिथि में लड़केवाले लड़की के घर जाते है और लड़की को विवाह कर ले आते है।

चोर विवाह

बैगाओं में सबसे प्रचलित विवाह चोर विवाह है। इस विवाह में लड़का-लड़की हाट/बाजार में मिलते है। भागकर वो किसी रिश्तेदार या मुकद्दम के घर चले जाते है। मुकद्दम लड़की और लड़के के माता-पिता को बुलाता है। शादी का तिथि तय कर विवाह करा दिया जाता है।

पैठुल विवाह

इस तरह के विवाह में लड़की रात को चुपके से लड़के के घर में घुस जाती है। लड़के के ऊपर हल्दी-पानी डाल देती है। यह लड़की की स्वीकारिता मानी जाती है। सुबह यह खबर जब मुकद्दम के पास पहुँचता है। लड़की के पिता को बुलाकर शादी तय की जाती है। शादी में लड़की के पिता का जितना खर्च होता है वो वर पक्ष वहन करता है। शादी का खर्च वहन नही करने की स्थिति में वर को 3 वर्ष का लमसेना रहना पड़ता है।

लमसेना विवाह

इस विवाह को घरजिया विवाह भी कहा जाता है। जब लड़का के माता पिता विवाह का खर्च उठाने में असमर्थ होता है। लड़का अपनी मर्जी से लड़की के घर मे रहने लगता है। ऐसे लड़के को लमसेना कहा जाता है। लड़का लड़की के पिता के कार्य में हाथ मदद करता है। अगर लड़की का पिता उसके कार्य से खुश होता है तो एक वर्ष के भीतर विवाह कर देता है। शादी के बाद लड़की, लड़के के साथ उसके घर चली जाती है। लमसेना रहने के समय 5 से 7 वर्ष तक होता है।

उढरिया विवाह

इस तरह के विवाह में विवाहित स्त्री अपने मर्जी से किसी दूसरे लड़के के घर जाकर दूर के रिश्तेदारों के मदद से विवाह कर लेती है। इसके बाद पंच बैठता है। लड़की के होनेवाला देवर, लड़की के ऊपर एक लौटा गर्म पानी डालता है। जिससे उस लड़की का शुद्ध होना समझा जाता है। लड़की के होनेवाले पति से हर्जाना वसूला जाता है और पूर्व-पति को दिया जाता है। इस हर्जाना को “दावा” कहा जाता है। दावा पैसे, गाय, बैल के रूप में दिया जाता है।

दावा चुकाने के बाद “मिलौकि” होता है जिसमे मुकद्दम पंचों के सामने दो खपरियो में 1 रु पैसा, दुब घास और कच्चा हींग रखता है, जिसे सबके सामने तोड़ दिया जाता है। इसे दोनो पूर्व और वर्तमान पतियों के बीच बैर टूटना माना जाता है।

राजनीतिक व्यवस्था

इसके ग्रामीण जातीय पंचायत को पूर्वा पंचायत कहा जाता है जिसका प्रमुख “मुकद्दम” कहलाता है। मुकद्दम की सहायता के लिए अन्य पद होते है जैसे दीवान, कोटवार, समरथ, दवार, सयान और सिख । चारिदार का पद भी होता है जो संदेशवाहक का काम करता है। कोटवार का काम गाँव की सुरक्षा करना है।

धार्मिक जीवन

बैगा जनजाति के प्रधान देवता “बड़ा देव” है। बड़ा देव का निवास स्थान साल वृक्ष को मानते है। इसलिए साल इसके पवित्र वृक्ष होते है। ये धासी देवी की पूजा भी करते है। रोग/बीमारी से बचाव के लिए दूल्हा देव की पूजा करते है। बाघ को ये पवित्र पशु मानते है तथा बाघ को नुकसान नही पहुँचाते है। बैगा जनजाति में धार्मिक प्रधान को “बेवात” कहा जाता है।

इनका प्रमुख पर्व चरेता, रसनावा, नावभोज,विदरी, हरैली एवं फाग है। रसनावा 9 वर्ष में होने वाला त्यौहार है। चरेता वर्ष का पहला त्यौहार होता है जो बाल-भोज है।

आर्थिक जीवन

इस जनजाति की परंपरागत पेशा तंत्र-मंत्र और वैद्य का काम करना है। पुराने समय मे खरवार/गोंडके वैद्य हुआ करते थे, तथा इनके आस-पास रहा करते थे। इसे पंडा भी कहा जाता है। इसलिए इसकी सामाजिक व्यवस्था, गोत्र व्यवस्था, धार्मिक व्यवस्था खरवारों से मिलता जुलता है। यह जनजाति धरती को माता मानते है। हल चलाकर खेती करना सही नही मानते, इसलिए इसमें खेती की परंपरा बहुत कम होती है। महिलाओ का हल छूना वर्जित है। अतः ये शिकार और जंगली कंद-मूल पर ज्यादा निर्भर रहते है। इसके सुबह, दोपहर और रात का खाना क्रमशः बासी, पेज और बियारी कहलाते हैं।

कृषिकर्म में काफी पिछड़े होने के बावजूद कुछ बैगा में स्थान्तरित खेती देखने को मिलता है जिसे ये “बेवार या दहिया या पोण्डु” कहते है। कुल्हाड़ी इनके प्रिय औजार है।

नृत्य-संगीत

बैगा जनजातियों की प्रसिद्ध नृत्य करमा, सुआ, परधौनी, ददरिया, झरपट और विमला है। पुरषों के नृत्य को शैला/दशन तथा महिलाओ का नृत्य रीना कहलाता है।

गोदना/वेश-भूषा

बैगा महिला अनिवार्यतः गोदना गुदवाती है। गोदना प्रायः सभी जनजातियो में पाई जाती है मगर बैगा महिला अपने माथे पे गोदना गुदवाती है। जिस महिला का गोदना अच्छा होता उसे सौभाग्यशाली माना जाता है। पुरुषों में गोदना गुदवाने की प्रथा है मगर यह अनिवार्य नही है।

महिलाएँ विशेष प्रकार के वस्त्र पहनती है जिसे कपची कहा जाता है। पुरूष लंगोटी पहनते है। पुरुष सर पे जो पगड़ी बांधते उसे फेंटा या बंडी कहा जाता है।

मृत्यु-संस्कार

शव को जलाने और दफनाने दोनो की प्रथा है। प्रायः शव को दफनाया जाता है, लेकिन किसी की मृत्यु लंबी बीमारी से होती है तो शव को जलाया जाता है। अंतिम संस्कार का स्थान हमेशा नदी के उस पार होता है। इसके पीछे मान्यता है कि भटकती आत्मा नदी के इस पार नही आती। मृतक के शव पर सोने/चाँदी का सिक्का तथा दही रखा जाता है। इसे “सामरा प्रथा” कहते है। इसके पीछे की मान्यता यह है कि इससे अगले जन्म में बैभवशाली घर मे जन्म होता है।

बैगा जनजाति से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य

1. बैगा लोग अपने उत्पत्ति “नंगा बैगा” और “नंगी बैगन” से मानते है।

Baiga Tribe बैगा जनजाति Video

https://youtu.be/LAyZIcIdoAo

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