Gandhi Period In Jharkhand
झारखंड में गाँधी युग
साइमन कमीशन और झारखंड
साइमन कमीशन का गठन 1927 में हुआ। इसका गठन भारत शासन अधिनियम (मांटेस्क्यू-चेम्सफोर्ड सुधार),1919 की समीक्षा के लिए किया गया था।
राँची में एस के सहाय ने और पलामू में कोहड़ा पांडेय के नेतृत्व में साइमन कमीशन के खिलाफ “Go B ack” के नारे लगाए गए तथा कमीशन को काले झंडे दिखाए गए।
साइमन कमीशन के सामने छोटानागपुर उन्नति समाज के दो सदस्य बिशप वान ह्युक और जोएल लकड़ा ने आदिवासीयों के लिए अलग प्रशासनिक इकाई बनाने की माँग की।
ताना भगतो ने साइमन कमीशन का विरोध किया।
रौलेट एक्ट और झारखंड
राँची में रौलेट एक्ट का विरोध 6 अप्रैल 1919 में बारेश्वर सहाय और गुलाब नारायण तिवारी ने किया। पलामू जिला स्कूल के शिक्षक रामदीन पांडेय ने 6 अप्रैल, 1919 को अपने 6 विद्यार्थियों के साथ साथ रौलेट एक्ट के विरोध में उपवास रखा। चाईबासा और जमशेदपुर में कुछ लोगों ने विरोध दिवस मनाया।
गुलाब तिवारी राँची जिला बोर्ड में एक टंकक थे। इन्होंने “दया बाजार” नामक सिविल सोसाइटी की स्थापना की थी और गाँधी वादी विचारधारा राँची में फैलाया।
स्वराज पार्टी और झारखंड
चौरीचौरा काण्ड के बाद गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को अचानक बंद कर दिया। जिससे कांग्रेस के कुछ नेता नाराज होकर 1923 में अलग राजनीतिक पार्टी “स्वराज पार्टी” की स्थापना की। इस राजनीतिक दल के संस्थापक मोतिलाल नेहरू और चित्तरंजन दास थे। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य प्रांतीय और केंद्रीय चुनाव में भाग लेकर भारत शासन अधिनियम, 1919 को निष्क्रिय करना था। स्वराज पार्टी ने विनोदानंद झा को संताल परगना प्रमंडल का प्रमुख बनाया। के बी सहाय को छोटानागपुर का प्रमुख बनाया गया था। बाद में के बी सहाय को बिहार प्रांतीय स्वराज पार्टी का सचिव नियुक्त किया गया। 1923 के विधान परिषद के चुनाव में हज़ारीबाग से के बी सहाय और संताल परगना से रामेश्वर लाल चुनाव जीते।
भारतीयों के तरफ से सर्वप्रथम स्वराज पार्टी ने सबसे पहले राँची में मई, 1934 में संविधान सभा की माँग को उठाया था।
जिला काँग्रेस कमिटियों का गठन
पलामू जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना – 1919 में बिंदेश्वरी पाठक और भागवत पांडेय ने पलामू जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना की।
हज़ारीबाग जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना – 1920 में हज़ारीबाग जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना की गई।
राँची जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना – 1920 में ही राँची जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना की गई।
बहावी आंदोलन
झारखंड में बहावी आंदोलन के प्रसार की जिम्मेदारी शाह मुहम्मद हुसैन को सौपीं गई थी। वही संताल परगना में यह जिम्मेदारी पीर हुसैन को सौपी गई थी। झारखंड में बहावी आंदोलन का सर्वाधिक प्रभाव संताल परगना क्षेत्र पर पड़ा। हज़ारीबाग के मीर उस्मान की मुलाकात अहमदशाह बरेलवी (बहावी आंदोलन के मुख्य नेतृत्वकर्ता) से हुई थी। बहावी आंदोलन की शाखाएँ राजमहल में खोली गई। पाकुड़ के इब्राहीम मंडल को बहावी आंदोलन के दौरान आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
खादी आंदोलन
झारखंड क्षेत्र के एक नेता नीलकांत चटर्जी ने 1924 ईस्वी में बिहार विधान परिषद में खादी से संबंधित एक प्रस्ताव रखा था। सिंहभूम के आदिवासियों ने 1924 ई में विष्णु माहुरी के नेतृत्व में हाट कर न देने हेतु आंदोलन चलाया था। झरखंड के विभिन्न स्थानों पर चरखा आंदोलन को प्रसारित करने हेतु सरला देवी के नेतृत्व में खादी डिपो की स्थापना की गई थी। All India Khadi Board के अध्यक्ष जमुनालाल बजाज ने देवघर में खादी मेला का शुभारंभ किया था। जमशेदपुर में टेंपल नामक एक ब्रिटिश अधिकारी ने खादी प्रदर्शनी का उद्घाटन किया था। 1940 ई में जब महात्मा गांधी रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में भाग लेने के क्रम में रामगढ़ आए थे उस समय उन्होंने रामगढ़ में खादी ग्रामोद्योग का उद्घाटन किये थे।
झारखंड में गाँधी युग (Video)