खोरठा लिंग विधान

खोरठा लिंग विधान | Khortha Ling Vidhan

JPSC/JSSC खोरठा

Khortha Ling Vidhan

खोरठा लिंग बिधान

खोरठा भाखायं आसल लिंग बिधान पावल जाइ। जे रकम हिंदी बा उरदू भाखायं कालपनिक लिंग बिधान पावल जाइ ऊ रकम खोरठा भाखायं नाञ पावल जाइ। एकर मेनेक जोदि कोनहो/कुछु जिनीस आसल रुपे नर हिके ओकरा पुलिंग आर जोदि कोनहो/कुछु जिनीस आसल रूपे मेदी हिके ओकरा इसतिरीलिंग कहल जाइ। जे रकम हिंदी भाखायं आँइख आर किताब इसतिरीलिंग होवे हे मकिन ई दुयो आसल रूपे मेदी नाइ हिके।

अर्थ – खोरठा में वास्तविक लिंग विधान होता है। जिस तरह हिंदी या उर्दू में काल्पनिक लिंग विधान भी होता है। अर्थात खोरठा में वास्तविक रुप से अगर कोई नर है तो उसे पुर्लिंग या अगर कोई वास्त्विक रूप से मादा है तो स्त्रीलिंग कहा जाएगा। जैसे हिंदी में आंख, पुस्तक स्त्रीलिंग होते हैं जबकि आंख और पुस्तक वास्तविक रुप से स्त्री (Female) नहीं है।

खोरठा लिंग बनवेक बिधान

1. खोरठा भाखायं हिंदिक रकम कोनहो सबदेक लिंग नाञ होवे। जइसन हिंदी भाखायं आंइख आर नयन दुयोक माने एके होवे, मकिन आंइख के इसतिरीलिंग आर नयन के पुलिंग मानल जाइ। हियाँ सबदेक आधारे लिंग बदलल हे। ई लिंग विधान खोरठायं नाइ पाबल जाइ।

अर्थ – खोरठा विधान में हिंदी की तरह शब्दों का कोई लिंग नहीं होता है। जैसे हिंदी में नयन और आंख का एक ही होता है लेकिन आंख को स्त्रीलिंग और नयन पुल्लिंग मना जाता है। यहां शब्द के अनुसार लिंग बदला है। ये लिंग विधान खोरठा में नही पाया जाता है।

2. खोरठा भाखायं खाली बोड़ जिबेक लिंग निरधारन होवे। जइसन काका- काकी, काड़ा -काड़ी, पांठा- पांठी। खोरठायं छोट जिबेक लिंग निरधारन नाइ होवे जइसन गोजर, सांप, पिपरी, बेंग, पोका। एइसन सबद के लूपुंगलिंग कहल जाइ।

अर्थ – खोरठा भाषा में लिंग सिर्फ बड़े प्राणियों का ही लिंग निर्धारण होता है। जैसे चाचा, चाची, काडा, कडरू, लाघइर (दूध देने वाली गाय)। खोरठा में छोटे प्राणियों के लिए कोई लिंग नहीं होता है जैसे:- गोजर, सांप, पिपरी, बेंग, पोका। ऐसे शब्द को नपुंसक लिंग कहा जाता है।

खोरठा लिंग परिवर्तन के प्रभाव

खोरठा लिंग- बदल के परभाब

1. सरबनाम पदें लिंग-बदल के कोनहो परभाब नाञपड़े जइसन:- हमर गरु, हमर गाय।

अर्थ – सर्वनाम पद में लिंग परिवर्तन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है जैसे:- हमर गरु, हमर गाय।

👍 बिसेसन पदें लिंग-बदल के परभाब पड़े हे जोदी ऊ बिसेसन लिंग-बदल के खेमोता राखे। जोदी ऊ बिसेसन लिंग-बदल के खेमोता नाञ राखे ताब बिसेसन पदें लिंग-बदल के परभाब नाय पड़े

जइसन:-चरका गरू – चरकी गाय (हियाँ बिसेसन लिंग-बदल के खेमोता राखे हे), लाल मुरगा -लाल मुरगी ( हियाँ बिसेसन लिंग-बदल के खेमोता नाय राखे हे)

अर्थ – विशेषण पद में लिंग परिवर्तन का प्रभाव पड़ता है अगर वह विशेषण लिंग परिवर्तन की क्षमता रखता है तो। अगर वह विशेषण लिंग परिवर्तन की क्षमता नहीं रखता है तो वहां विशेषण पद में लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।) जइसन:-

चरका गरू – चरकी गाय (हियाँ बिसेसन लिंग-बदल के खेमोता राखे हे)

लाल मुरगा -लाल मुरगी ( हियाँ बिसेसन लिंग-बदल के खेमोता नाय राखे हे)

👍खोरठा भाखायं लिंग-बदल बसूत के आधारे होवे। सबद के आधारे लिंग-बदल नाय होवे।

(खोरठा में लिंग वस्तु के आधार पर चलता है न की शब्द के आधार पर।)

👍खोरठा भाखायं किरिया-पदें लिंग-बदल के परभाब पड़े हे जोदी ऊ किरिया-पदें लिंग-बदल के खेमोता राखे हे। जोदी ऊ किरिया-पदें लिंग-बदल के खेमोता नाय राखे हे ताब बिसेसन पदें लिंग-बदल के परभाब नाय पड़े।

खोरठा में क्रियापद का प्रभाव पढ़ता है अगर क्रियापद में लिंग परिवर्तन की क्षमता हो तो।

जइसन:- हलय/हल – हलि , हतक – हतिक/हइल।

जेनी गुला खाइत हतिक/मरद गुला खाइत हतक

जेनी गुला खाइ रहल हलि/ मरद गुला खाइ रहल हलय

लिंग के प्रकार (खोरठायं लिंगेक भेद)

खोरठा भाखायं तीन किसिम के लिंग पावल जाइ: पुलिंग, इसतीरीलिंग आर लूपुंगलिंग।

खोरठा में तीन प्रकार के लिंग होते हैं: पुल्लिंग और स्त्रीलिंग और नपुंसकलिंग।

पुलिंग – पुलिंगेक भितरे हेंठे लिखल जीनिस आवे:-

1. सोब बोड़ नर जिब (बरद, बाघ, बांदर)

2. सोब बोड़ नर जिबेक जाइत, नाम, हिला-पेसा आर गोछा (मरद, कुम्हार, तेली)

अर्थपुल्लिंगखोरठा में पुल्लिंग के अंतर्गत निम्न चीजें आते हैं:-

💕 सारे बड़े नर प्राणी (बरद, बाघ, बांदर)

💕 सारे बड़े नर प्राणियों के जाति, नाम, पेशा और समुदाय (मरद, कुम्हार, तेली)

इसतीरीलिंग – इसतीरीलिंगेक भितरे हेंठे लिखल जीनिस आवे:-

1. सोब बोड़ मेदी जिब ( गाय, बाघिन, बांदरी)

2. सोब बोड़ मेदी जिबेक जाइत, नाम, हिला-पेसा आर गोछा (जनि, कुम्हारिन, तेलिन)

अर्थ – स्त्रीलिंगखोरठा में स्त्रीलिंग के अंतर्गत निम्न चीजें आते हैं:-

💕 सारे बड़े मादा प्राणी ( गाय, बाघिन, बांदरी)

💕 सारे बड़े मादा प्राणियों के जाति, नाम, पेशा और समुदाय (जनि, कुम्हारिन, तेलिन)

लूपुंगलिंग – लूपुंगलिंगेक भितरे हेंठे लिखल जीनिस आवे:-

1. सोब बेजान जीनिस (सूप, टुंगरी, बोढ़इन, टांगा)

2. सोब छोट जीनिस (पोका, पिपरी, खोंटा, गोजर)

3. सोब भाभबाची सइंगा (रीझ, हांसी, ढढ़नच)

अर्थ – नपुंसक लिंग – खोरठा में निम्न चीजे नपुंसक लिंग के अंतर्गत आते हैं: –

💕 सारे अजीवित पदार्थ (सूप, टुंगरी, बोढ़इन, टांगा)

💕 सारे छोटे जीवित पदार्थ (पोका, पिपरी, खोंटा, गोजर)

💕 सारे भाववाचक संज्ञा (रीझ, हांसी, ढढ़नच)

उभयलिंग

खोरठा में कुछ ही उभयलिंग शब्दों का प्रयोग किया जाता है। इसकी संख्या बहुत कम होने की वजह से उभयलिंगी को खोरठा के लिंग वर्गीकरण में शामिल नहीं किया गया है। यह शब्द है छउआ गीदर, पोहना, खनिहार, करनिहार।

Note:- उभयलिंगी शब्दों को अगर किसी लिंग उपसर्ग के द्वारा निश्चित किया जा रहा हो तो शब्द में कोई परिवर्तन नहीं होता है जैसे: –

जेनी पोहना {सही है, क्योंकि यहां शब्द (पोहना) परिवर्तन नहीं हुआ है।}

जेनी पोहनी {गलत है, क्योंकि यहां शब्द (पोहना) परिवर्तन हुआ है।}

Note:- अगर किसी शब्द के अंत में हार है और इस शब्द से किसी जीवित प्राणी का बोध हो तो वह उभयलिंगी होंगे।

उभयलिंग में टा/टी का प्रयोग

खोरठा में उभयलिंगी शब्द को स्त्रीलिंग या पुल्लिंग के रूप में निश्चित कराने के लिए टा और टी शब्द का प्रयोग किया जाता है। पुल्लिंग को निश्चित कराने के लिए टा तथा स्त्रीलिंग को निश्चित कराने के लिए टी शब्द का प्रयोग किया जाता है। जैसे गीदर एक उभयलिंगी शब्द है अगर इसके साथ गीदडर टा का प्रयोग करते हैं तो यह पुल्लिंग का बोध कराता है और गीदर टी का प्रयोग करते हैं तो यह स्त्रीलिंग का बोध कराता है।

टा/टी का प्रयोग किसी वस्तु का छोटा या बड़ा बोध कराने के लिए किया जाता है। अगर किसी शब्द के साथ टा का प्रयोग किया गया हो तो वह बड़ा को सूचित करता है और अगर किसी शब्द के साथ टी का प्रयोग किया गया हो तो यह छोटा का बोध कराता है। जैसे हांथी टा – बड़ा हांथी और हांथी टी-छोटा हांथी।

पुल्लिंग से स्त्रीलिंग में परिवर्तन

परतय का प्रयोग करके

निम्न स्त्री परतय (प्रत्यय) का प्रयोग पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के लिए किया जाता है:-

🌹 आइन

🌹 बाइन

🌹 वाइन

🌹 ई

🌹 नी

🌹 इया

🌹 इन

खोरठा में पुल्लिंग से स्त्रीलिंग में परिवर्तन के लिए मुख्य रूप से परतय (प्रत्यय) का उपयोग किया जाता है। जिसे स्त्री प्रत्यय कहा जाता है। खोरठा में निम्न स्त्री प्रत्यय का प्रयोग किया जाता है: –

वाइन स्त्री परतय – उकरांत, ऊकरांत और ओकरांत शब्दो के अंत में वाइन स्त्री परतय लगाकर पुल्लिंग को स्त्रीलिंग में बदला जाता है। वाइन स्त्री परतय लगाकर नए स्त्रीलिंग शब्द में दीर्घ से ह्रस्व में परिर्वन होता है जैसे:-

पुल्लिंग शब्द कारांत स्त्रीलिंग/दीर्घ से ह्रस्व

साधु उकरांत सधुवाइन

महतो ओकरांत महतवाइन

गुरु उकरांत गुरवाइन

बाबू ऊकरांत बबुवाइन

साढू ऊकरांत सढ़वाइन

बिना दीर्घ को ह्रस्व किए हुए – उकरांत, ऊकरांत और ओकरांत शब्द में सिर्फ आइन जोड़कर भी स्त्रीलीग बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में शब्दो को जस का तस रहने दिया जाता है (बिना दीर्घ को ह्रस्व किए हुए)। महतोआइन, साधुआइन, गुरुआइन, बाबूआइन, साढूआइन।

आकरांत में वाइन – जब शब्द के अंत में वा/व/वे/वू/वु हो तो वहां अनिवार्यतः वाइन लगेगा जैसे:- पटवा – पटवाइन, नउवा – नउवाइन।

आकरांत में बाइन – जब शब्द के अंत में ब/बा/बे/बु/बू हो तो वहां अनिवार्यतः बाइन लगेगा जैसे:- चोबे – चोबाइन

आइन स्त्री परतय – आइन स्त्री परतय का प्रयोग करके भी खोरठा में पुल्लिंग से स्त्रीलिंग में परिवर्तन किया जाता है। यह परतय अकरांत, आकरांत, इकारांत, ईकरांत और एकारांत शब्दो के अंत में लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। आइन स्त्री परतय लगाकर नए स्त्रीलिंग शब्द में दीर्घ से ह्रस्व में परिर्वन होता है जैसे:-

पुल्लिंग करांत स्त्रीलिंग (दीर्घ से ह्रस्व में परिर्वतन)

सेठ अकरांत सेठाइन

मिसिर अकरांत मिसिराइन

भगत अकरांत भगताइन

चोबे एकरांत चोबाइन

मांझी ईकरांत मंझिआइन

पाड़े एकरांत पांडिआइन

आकरांत में आइन – जब शब्द के अंत में या/आ हो तो वहां अनिवार्यतः आइन लगेगा जैसे:- बेदिया- बेदियाइन, बनिया – बनियाइन, सहुआ -सहुआइन।

ई स्त्री परतय- ई स्त्री प्रत्यय का प्रयोग प्रायः आकारांत शब्दों में किया जाता है जैसे:-

घोड़ा- घोड़ी

भेड़ा- भेड़ी

पाठा – पाठी

बूढ़ा – बूढ़ी

बड़का बड़की

काका – काकी

काड़ा – काड़ी

फदराहा – फदराही

आजा (दादा) – आजी (दादी)

इन स्त्री परतय – इन स्त्री परतय को जोड़कर खोरठा में पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जब इस तरह से पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाया जाता है उस समय ईकरांत, इकरांत में बदल जाता है। जैसे:-

तेली – तेलिन

बाघ – बाघिन

सोनार – सोनारिन

जोलहा – जोलहिन

कोइरी – कोइरिन

कमार – कमारिन

हांथी -हांथिन

नी स्त्री परतय – नी स्त्री परतय से भी पुल्लिंग को स्त्रीलिंग में बदला जाता है जैसे:- चोर-चोरनी, डॉक्टर-डॉक्टरनी, मास्टर-मास्टरनी, मोर-मोरनी।

इया स्त्री परतय – किसी भी पुल्लिंग शब्द में निश्चिता का बोध कराने के लिए “वा परतय” तथा स्त्रीलिंग शब्द में निश्चितता का बोध कराने के लिए “इया” परतय का प्रयोग किया जाता है। जैसे

बुढ़वा -पुल्लिंग शब्द

बुढ़िया – स्त्रीलिंग शब्द

लेढ़वा – पुल्लिंग शब्द

लेढिया – स्त्रीलिंग शब्द

स्वतंत्र स्त्रीलिंग-पुल्लिंग

लोगदा -लोगदिन

बाप – माय (माइ)

मरद- जेनी

भइया- भोउजी

गाय – गरू/बरद

राजा – रानी

पुरुस- इसतरी

दामाद- बेटी

कडरू – काड़ी

कडरू-सडारू

बाछा – बाछी

बाछा – ओंसइर

बाछा – फेटाइन

खसी – छगरी

लोगदा- लोगदिन

पंठरु – पंठीयर

करिया- कइरकी

काढ़ा- भइंस

डोड़ा -छउड़ी

बोक – बोकली

गुंगू – गूंगूमाइ

हरवाहा – रोपनी

बाबा – बाबमाइ/मामा/आजी

छोट बाबा – काकमाइ/छोट आजी

नर -मेदी/ढाइढ

बाबू – नूनी

बेंग – बेंगली

नुनु -नूड़ी/नूनी

पिसा -नाना

पोटा -पोटरी

थारा -थारी

बइठक – बइठकी

टांगा – टंइगला

मोट -मोटरी

खाइट/खाट – खइटला/खइटली

बइंठी – बइंठीन

सूप -सुपली

खांची -खांइचली

दुभा -दुभी/दुभनी

लोटा – लोटनी /लोटी

टूपा -टुपली

भुंड – भूंडिन

रंइगला/ रंगिया- रंइगली

भदभदिया -भदभदी

फड़फड़िया -फड़फड़ी/फूड़फूड़ी

करिया कइरकी

शब्दावली

पिपरी -चींटी

खोंटा – बड़ा चींटी (काला)

बेंग – मेढक

पोका – कीड़ा

बोढ़इन – झाड़ू

टांगा – कुल्हाड़ी

जीनिस – वस्तु

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