नारी सशक्तीकरण के लिए विशेष योजना
Women empowerment in Jharkhand
जननी सुरक्षा योजना
यह झारखंड सरकार की परियोजना है। इस योजना की शुरुआत 12 अप्रैल 2005 में की गई। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य केंद्र में संस्थागत प्रसव के लिए 1400 रु तथा शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रु सहायता राशि दी जाती है।
सरस्वती योजना
झारखंड सरकार ने यह योजना 2014 में शुरू किया। इस योजना के तहत विनिर्माण क्षेत्र से जुड़े मजदूरों की बेटी के जन्म पर 5000 रु का फिक्स डिपोजिट किया जाता है। तथा 18 वर्ष के पश्चात शादी के समय 1 लाख रु सहायता राशि दी जाती है।
फूलो झानो आशीर्वाद योजना
यह योजना झारखंड सरकार द्वारा 29 दिसंबर, 2019 में शुरू की गई। इस योजना के तहत हड़िया-दारू निर्माण से जुड़ी महिलाओ को उसके इच्छा के अनुरूप सम्मानजनक रोजगार से जोड़ना है। इन महिलाओं को Jharkhand State Livlihood Promotion Society के अंतर्गत व्यवसायिक प्रशिक्षण देकर आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य है। मिशन नवजीवन के तहत राज्य में हड़िया-दारू के बिक्री और उत्पादन से जुड़ी 15,000 महिलाओ का सर्वेक्षण किया गया है।
मुख्यमंत्री कन्यादान योजना
इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 2004 में सरायकेला-खरसावां जिले से प्रारंभ की गई। इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा (BPL) से नीचे जीवनयापन कर रहे परिवारों के कन्याओं के विवाह के लिए 30000 रु/कन्या आर्थिक सहायता दी जाएगी। इस योजना के अंतर्गत SC/ST/OBC/GENERAL सभी वर्ग के BPL आते है। अभी इस योजना का विलय 1 जनवरी 2019 से मुख्यमंत्री सुकन्या योजना में कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना
इस योजना की शुरुआत झारखंड सरकार द्वारा 15 नवंबर 2011 मे की गई। इस योजना का उद्देश्य गरीबी रेखा से नीचे (BPL) जीवनयापन कर रहे बालिकाओ का का पालन-पोषण और शिक्षा सुनिश्चित करना है। इस योजना के लाभार्थी का अधिकतम 2 बच्चा होना चाहिए,साथ ही लड़की का विवाह 18 वर्ष से पहले नही होना चाहिए तथा उसके पढ़ाई में विराम नही लगनी चाहिए। अभी इस योजना का विलय 1 जनवरी 2019 से मुख्यमंत्री सुकन्या योजना में कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री सुकन्या योजना
इस योजना की शुरुआत जनवरी 2019 में की गई। इस योजना में पूर्व से चली आ रही मुख्यमंत्री लाडली योजना तथा मुख्यमंत्री कन्यादान का विलय कर दिया गया। इस योजना का उद्देश्य नारी सशक्तीकरण है जिसके तहत लड़कियों के स्कूल ड्रॉपआउट को रोकना, लड़कियों के पोषण सुधार, बाल विवाह पर रोक इत्यादि सामाजिक सुधार लक्ष्य है। इस योजना का लाभ उस परिवार को मिलता है जिसका वार्षिक आय 72000 से कम है। इस योजना में वितरित की जाने वाली प्रोत्साहन राशि का विवरण निम्न है:-
जन्म से 2 वर्ष के बीच -5000 रु
पहली क्लास के दाखिला में -5000 रु
6ठी कक्षा में दाखिला में -5000 रु
8वीं कक्षा उत्तीर्ण होने पर -5000 रु
10वीं कक्षा उत्तीर्ण होने पर -5000 रु
12 वीं कक्षा उत्तीर्ण होने पर -5000 रु। इस तरह 18 वर्ष की उम्र तक 30000 रु बालिका के एकाउंट में जमा किया जाता है। अगर उस बालिका का विवाह 18 वर्ष के बाद होता है तो 10000 रु मिलता है, इस तरह इस योजना में कुल प्रोत्साहन राशि 40 हजार रु होते है।
तेजस्विनी योजना
यह परियोजना झारखंड सरकार ने 8 मार्च (महिला दिवस) 2015 में शुरू की। यह परियोजना वर्ल्ड बैंक के आर्थिक सहयोग से शुरू की गई है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य बंधुआ मजदूरी से मुक्त और परित्यक्ता महिलाओ को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के तहत 14 से 24 वर्ष के महिलाओ का कौशल विकास करके आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाया जाता है। यह योजना झारखंड के 17 जिलों में शुरू की गई है जो रामगढ़, खूँटी, पूर्वी सिंहभूम, सरायकेला-खरसवां, सिमडेगा, लातेहार, लोहारदग्गा, लातेहार, पलामू, चतरा, कोडरमा, देवघर, जामताड़ा, गोड्डा, पाकुड़, धनबाद और दुमका है। इस योजना को पहले दुमका और रामगढ़ में चलाया गया बाकी के 15 जिलों को 2019 में सम्मिलित किया गया। इस योजना में उन 17 जिलो को शामिल किया गया जो जिला “सबला योजना” में शामिल नही था।
सबला योजना
इसकी शुरुआत केंद्र सरकार द्वारा 01 अप्रैल 2011 में की गई। यह केंद्र सरकार द्वारा नारी सशक्तीकरण के लिए भारत के 200 जिलो में चलाई गई योजना है जिसके अंतर्गत झारखंड के 7 जिलों राँची, हज़ारीबाग, साहेबगंज,गिरिडीह, गुमला, गढ़वा और पश्चिम सिंहभूम को शामिल किया गया है। इस योजना का उद्देश्य 11 से 18 वर्ष की युवतियों को शारीरिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से विकसित करना है।
संजीवनी योजना
This Scheme is one of the Schemes of Jharkhand Government which is made for advancement of women empowerment in Jharkhand. यह झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है जिसे 2012 में नारी सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए शुरू किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य Self Help Group (स्वयं सहायता समूह) को सुदृढ़ता प्रदान कर महिलाओ को आजीविका प्रदान करना है तथा उन महिलाओं को सामाजिक सुरक्षा का लाभ उपलब्ध कराना होता है। यह योजना Jharkhand State Livlihood Promotion Society (JSLPS) द्वारा संचालित होती है।
भीमराव अम्बेडकर आवास योजना
इस योजना की शुरुआत झारखंड सरकार ने 14 अप्रैल 2016 में अम्बेडकर की 125वीं जयंती में किया। इस योजना के अंतर्गत झारखंड के विधवा महिलाओ के लिए आवास बनाया जाता है। इस योजना के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में आवास निर्माण हेतु 75000 रु तथा मैदानी क्षेत्रों में 70000 रु की अनुदान राशि प्रदान की जाती है।
मुख्यमंत्री विद्यालक्ष्मी योजना
इस योजना की शुरुआत 15 नवम्बर 2015 में की गई। इस योजना का उद्देश्य SC और ST छात्राओं का स्कूल ड्राप-आउट कम करना है। इस योजना के तहत 6ठी कक्षा में जानेवाली छात्राओं के नाम से 2 हजार रु का फिक्स्ड डिपोजिट सरकार द्वारा कराया जाएगा पर यह रकम 9वीं कक्षा में जाने के बाद ही निकाला जा सकता है। इस योजना का लाभ 14 वर्ष से कम उम्र की छात्राओं को ही मिलता है।
मुखबिर योजना (Informant Scheme)
झारखण्ड सरकार ने यह योजना बाल-विवाह को रोकने के लिए 2020 में बनाया है। इस योजना के तहत बाल विवाह को रोकने के लिए एक टोल फ्री नंबर 104 जारी किया है। इस योजना के तहत जो भी व्यक्ति बाल विवाह की जानकारी विवाह से पूर्व पुलिस को देता है उसे 1000 रु का नगद ईनाम दिया जाएगा। इसके अलावा राज्य में किसी ग्राम पंचायत जिसमे एक वर्ष की पूरी अवधि के लिए बाल विवाह के मामलो की koi रिपोर्ट नहीं है,उस ग्रामपंचायत को 50,000 रु का ईनाम दिया जायेगा।
Note :- झारखण्ड में सबसे ज्यादा बाल विवाह के मामले गोड्डा जिला में पाया जाता है। भारत में सबसे ज्यादा बाल विवाह झारखंड में होता है।
ASHA Scheme
इस योजना की शुरुआत 29 सितंबर 2020 में की गई। इस योजना का पूरा नाम Aajivika Samvardhan Hunar Abhiyan है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का है। इस योजना के अंतर्गत महिलाओ को कृषि, पशु पालन और वनोत्पाद संग्रहण से आधारित आजीविका से जोड़ा जाएगा। इस योजना के तहत राज्य के राज्य के 17 लाख ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने की योजना है। इस योजना में उन महिलाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है जो आजीविका के लिए हड़िया-दारू बेचती है।
पलास ब्रांड
29 सितंबर, 2020 को यह ब्रांड जारी किया गया। झारखंड सरकार की योजना है की सखी मंडलियों द्वारा बनाये गए उत्पादों को पलास ब्रांड से खुला बाजार में बेचा जाएगा। पलास ब्रांड के तहत उत्पादों को ज्यादा गुणवत्तापूर्ण और बाजार मूल्य में स्वस्थ प्रतिस्पर्धी के रूप में विकसित किया जाएगा। सखी मंडली द्वारा सिर्फ खाद्य पदार्थ ही बनाये जा रहे है भविष्य में अन्य चीजो के उत्पादन की योजना है। झारखंड में अभी 2.37 लाख सखी मंडली है। JSLPS के द्वारा झारखंड के 30 लाख परिवारों को 2.37 लाख सखी मंडली में जोड़ा जाएगा।
Schemes of Jharkhand Government Part-1
Schemes of Jharkhand Government Part-2
Schemes of Jharkhand Government Part-3
Schemes of Jharkhand Government Part-4
Schemes of Jharkhand Government Part-5