Western Ghats Mountain

पश्चिम घाट की पहाड़ियां | Mountains Of Western Ghats

India Geography

पश्चिम घाट की पहाड़ियां

Western Ghats Mountain

पश्चिम घाट का विस्तार ताप्ती नदी से महेंद्रगिरी (कन्याकुमारी) तक है। यह गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्य में फैला हुआ है। यह एक ब्लॉक पर्वत है। पश्चिम घाट की लंबाई 1600 किलोमीटर है जबकि इसकी औसत ऊंचाई 1000- 1300 मीटर है।

पश्चिम घाट की उत्पत्ति

जब भारतीय प्लेट यूरेशियन प्लेट (अंगारालैंड) से टकराया था तब भारतीय प्लेट (जो पहले गोंडवानालैंड का एक हिस्सा था) का पश्चिमी किनारा ऊपर उठ गया तथा अरब सागर नीचे धंस गया। परिणाम स्वरूप प्रायद्वीपीय भारत का पश्चिमी किनारा एक कंगार (Block) के रूप में दिखता है जिसे पश्चिम घाट पर्वत श्रृंखला कहां जाता है।

पश्चिम घाट का पश्चिम किनारा तीव्र ढाल युक्त है यहां 45 डिग्री की ढाल पाई जाती है वहीं इसका पूर्वी किनारे में मंद ढाल (9-10°) पाया जाता है। तीव्र ढाल के कारण पश्चिम घाट के पश्चिम तरफ की नदियों का प्रवाह बहुत तेज होता है। जिससे यह नदियां V आकार की घाटी का निर्माण करती है। नदियों का प्रवाह तेज होने के कारण तथा मैदानी भाग में कम दूरी तय करने के कारण अवसादों की कमी पाई जाती है जिससे डेल्टा का निर्माण नहीं कर पाती इस स्थिति में नदियां एस्चुरी तथा रियो तट की निर्माण करती है। वही इसके पूर्वी ढाल से निकलने वाली नदियों का प्रवाह मंद होने के कारण यह नदियां डेल्टा बनाती है।

Note:- एस्चुरी के निर्माण में समुद्र का ज्यादा योगदान होता है तथा नदियों का कम वही डेल्टा के निर्माण में नदियों का ज्यादा योगदान होता है और समुद्र का कम।

Note:- भारत के पश्चिमी समुद्री किनारे में अवसादो की कमी के कारण प्राकृतिक बंदरगाह ज्यादा पाए जाते हैं। अतः पश्चिमी समुद्री किनारा बंदरगाहों के लिए उपयुक्त माना जाता है।

सतमाला पहाड़ी

उत्तर में पश्चिम घाट का पहला पर्वत श्रेणी सतमाला है। बालाघाट श्रेणी , अजंता श्रेणी, ग्वालिगढ़ श्रेणी भी इसी पर्वतमाला का विस्तार है।

बालाघाट पहाड़ी

इसकी स्थिति मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में है। यह मैग्नीज भंडार के लिए प्रसिद्ध है।

अजंता पहाड़ी

यह पहाड़ी महाराष्ट्र में ताप्ती नदी के दक्षिण में स्थित है। इस पहाड़ी में गुप्त काल के गुफा है जिसकी चित्रकारी बहुत प्रसिध्द है।

सहयाद्री

पश्चिम घाट और सतमाला पहाड़ी के विस्तार (अजंता श्रेणी बालाघाट श्रेणी और ग्वालीगढ़ श्रेणी) को संयुक्त रुप से सहयाद्रि कहा जाता है। अर्थात:-

पश्चिम घाट + सतमाला पहाड़ी + अजंता श्रेणी + बालाघाट श्रेणी + ग्वालीगढ़ श्रेणी = सहयाद्री

सहयाद्री का विभाजन

16 डिग्री अक्षांश गोवा के पास सहयाद्री को दो भागों में बांटती है। उत्तरी भाग को उत्तरी सहयाद्री और दक्षिणी भारत को दक्षिण सहयाद्रि के नाम से जाना जाता है।

Note:- कुछ भूगोलवेत्ताओ ने सहयाद्री को तीन भागों में बांटा है। 16 डिग्री अक्षांश से ऊपरी भाग को उत्तरी सहयाद्री, 11 डिग्री अक्षांश और 16 डिग्री अक्षांश के बीच के भागों को मध्य सहयाद्री तथा 11 डिग्री सहयाद्री से नीचे (दक्षिण भाग) को दक्षिण सहयाद्री कहते हैं। यह 11 डिग्री अक्षांश मंगलोर के पास से गुजरती है।

उत्तरी सहयाद्रीताप्ती नदी से गोवा (16° अक्षांश)
मध्य सहयाद्रीगोवा (16° अक्षांश)-मंगलौर (11° अक्षांश)
दक्षिण सहयाद्रीमंगलौर (11° अक्षांश)- महेंद्रगिरी

Note:- उत्तरी सहयाद्री में बेसाल्ट की चट्टाने पाई जाती है वहीं दक्षिणी सहयाद्री में आर्कियन एवं धारवाड़ चट्टाने पाई जाती है जिस में लौह अयस्क की प्रधानता है। जैसे बाबा बुदन की पहाड़ियां और कर्नाटक का धारवाड़।

नीलगिरी पहाड़ी

👍 यह पहाड़ी एक ब्लॉक पर्वत का उदाहरण है। इसकी स्थिति तमिलनाडु में अवस्थित है इस की सबसे ऊंची चोटी डोडाबेट्टा (2673 मी)। डोडाबेट्टा दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है।

👍 उंटकमंड पहाड़ी या उंटी (Hill Station) नीलगिरी पर्वत श्रेणी में अवस्थित है।

👍 पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट का मिलन स्थल नीलगिरी पहाड़ी ही है।

👍 इस पहाड़ी को ब्लू माउंटेन भी कहा जाता है। इसके चट्टान नीले रंग के होते हैं और इस चट्टानों के नीले रंग के होने का कारण चारनोकाइट

👍 नीलगिरी पहाड़ी भारत का प्रथम बायोस्फीयर रिजर्व बनाया गया था (1985-86)।

Western Ghats Mountain

अन्नामलाई पहाड़ी

👊 इसे एलीफेंट हिल भी कहा जाता है। इस पहाड़ी की स्थिति केरल और तमिलनाडु के बीच में अवस्थित है।

👊 आनाईमुदी इस पहाड़ी की सर्वोच्च शिखर (2695 मी) है जो दक्षिण भारत की भी सबसे ऊंची पर्वत चोटी है। पश्चिम घाट पर्वतमाला का भी सबसे ऊंची चोटी आनाईमुदी ही है। आनाईमुदी केरल में अवस्थित है और केरल की भी सबसे ऊंची शिखर है।

👊 नीलगिरी और अन्नामलाई पहाड़ी के बीच में जो Gap है उसे पालघाट कहा जाता है। नीलगिरी के दक्षिण भाग में पालघाट दर्रा अवस्थित है जो केरल के कोचीन को तमिलनाडु के कोयंबटूर से जोड़ती है।

Note:- आनाईमुदी तीन पहाड़ियों का केंद्र बिंदु है। यहां से तीन पहाड़ी श्रृंखलाए तीन दिशाओं में जाती है। दक्षिण की ओर इलायची की पहाड़ियां उत्तर की ओर अन्नामलाई की पहाड़ियां तथा उत्तर पूर्व की ओर पालनी की पहाड़ियां है।

Western Ghats Mountain

कार्डोमम (इलायची) पहाड़ी

👊 इसकी स्थिति केरल और तमिलनाडु के बीच में अवस्थित है। यह भारत की सबसे दक्षिण भाग में स्थित पहाड़ी है।

👊 इस पहाड़ी को पश्चिम घाट पहाड़ी का विस्तार माना जाता है। अन्नामलाई और कार्डोमोम पहाड़ी के बीच में कोई गैर नहीं है। इस पहाड़ी को इल्लामलाई पहाड़ी भी कहा जाता है। तथा मसालों की खेती के लिए यह प्रसिद्ध होने के कारण इसे मसालों की पहाड़ी (इलायची की पहाड़ी) भी कहा जाता है।

👊 पेरियार नदी इसी पहाड़ी से निकलती है।

महेंद्रगिरी पहाड़ी

कार्डमम पहाड़ी के नीचे महेंद्र गिरी पहाड़ी पाई जाती है इसकी स्थिति भी तमिलनाडु राज्य में है। इसे भी कार्डमम पहाड़ी का विस्तार माना जाता है।

नागरकोई पहाड़ी

इसे कार्डोमम पहाड़ी का ही विस्तार माना जाता है। कार्डोमम पहाड़ी और नागरकोई पहाड़ी के बीच में गैप है। उसे सीनकोट्टा Gap करते हैं तथा सिनकोट दर्रा यहीं पर स्थित है जो केरल के त्रिवेंद्रम को तमिलनाडु के मदुरई से जोड़ता है।

पालनी पहाड़ियां

इस पहाड़ी की अवस्थी थी तमिलनाडु में है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल कोडाईकनाल इसी पहाड़ी में अवस्थित है।

बाबाबुदन पहाड़ियां

इस पहाड़ी का नाम एक सूफी संत बाबा बुदन के नाम से पड़ा है। पहाड़ी कर्नाटक के चिकमंगलूर में अवस्थित है। यह पहाड़ी कॉफी और लोह- अयस्क के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। इस पहाड़ी पर स्थित कुद्रेमुख पहाड़ी लौह अयस्क के लिए प्रसिद्ध है। इस पर्वतमाला की सबसे ऊंची चोटी मूलयानगिरी (कर्नाटक की सर्वोच्च शिखर) है।

मॉनसून का प्रभाव

पश्चिम घाट का पश्चिम भाग अरब सागर से आने वाली दक्षिण पश्चिम मॉनसून के वृष्टि क्षेत्र में पड़ता है तथा इसका पूर्वी ढाल वृष्टि छाया प्रदेश में पड़ता है जिसके कारण नजदीक होने के बावजूद भी मुंबई में ज्यादा बारिश और पुणे में कम बारिश होती है। उसी तरह कर्नाटक के मंगलोर में ज्यादा बारिश और मांड्या में कम बारिश होती है।

पश्चिम घाट से निकलने वाली नदियां

गोदावरी नदी – गोदावरी पश्चिम घाट के नासिक के समीप त्र्यबकेश्वर पर्वत से निकलकर पूर्वी की तरफ बहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

कृष्णा नदी – यह नदी महाबलेश्वर पर्वत (महाराष्ट्र) से निकलकर पूर्व की तरफ रहते हुए बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

कावेरी नदी – यह नदी कर्नाटक के ब्रह्मगिरि (तालकावेरी) से निकलती हुई पूर्वी की तरफ बहती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है।

शरावती नदी – यह नदी पश्चिम घाट (कर्नाटक) से निकलकर पश्चिम ढाल के सहारे अरब सागर में गिर जाती है यही नदी भारत की सबसे ऊंची जलप्रपात जोग जलप्रपात का निर्माण करती है।

हरिश्चंद्र पहाड़ियां

हरिश्चंद्र पर्वत श्रृंखला पश्चिम मध्य भारत के पश्चिम घाट के पूर्व में विस्तृत पहाड़ियों का समूह है। यह पर्वत श्रृंखला पश्चिमोत्तर दक्कन के पठार में गोदावरी और भीमा नदियों के बीच में अवस्थित है। इसकी औसत ऊंचाई 600 मीटर है। इसकी चोटियों की ऊंचाई दक्षिण पूर्व की तरफ घटती जाती है वही पश्चिम घाट की तरफ बढ़ती जाती है। इस पहाड़ियों की चट्टाने बेसाल्ट युक्त लावा से बनी है। महाराष्ट्र अहमदनगर हरिश्चंद्र पहाड़ी की गोद में बसा हुआ है इस पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी कलसूबाई है जो महाराष्ट्र की भी सबसे ऊंची चोटी है।

Western Ghats Mountain

Division Of Coastal Plain

https://youtu.be/nsAI1G-C3b4

1 thought on “पश्चिम घाट की पहाड़ियां | Mountains Of Western Ghats

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *