West Singhbhum District Introduction
West Singhbhum District
कोल विद्रोह और पोटो सरदार के विद्रोह के परिणामस्वरूप अंग्रेजो ने छोटानागपुर के प्रशासनिक सुधार पर विशेष ध्यान दिया इसके कारण 1833 में हजारीबाग,1834 में SWFA का निर्माण हुआ फिर 1837 में SWFA से अलग करके सिंहभूम एक नया जिला बना जिसका मुख्यालय चाईबासा बनाया गया। फिर 1990 में सिंहभूम जिला दो भागों में विभाजित हो जाता पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम में।इस प्रकार पश्चिम सिंहभूम का स्थापना 16 जनवरी 1990 में की जाती है। चाईबासा को इसका मुख्यालय बनाया जाता है।
पश्चिम सिंहभूम के अनुमंडल
Sub Division Of West Singhbhum
1. सिंहभूम सदर (चाईबासा)
2. जगन्नाथपुर
3. पोरहाट(चक्रधरपुर)
पश्चिम सिंहभूम के प्रखंड
Blocks Of West Singhbhum District
पश्चिम सिंहभूम जिला में कुल 14 प्रखंड है जिसमे सिंहभूम सदर अनुमंडल में 7 प्रखंड है। जगन्नाथपुर अनुमंडल में 4 प्रखंड है और पोरहाट अनुमंडल में 7 प्रखंड है।
सिंहभूम सदर अनुमंडल के प्रखंड
1. चाईबासा
2. हाट गम्हारिया
3. तांतनगर
4. टोंटो
5. मंझरी
6. झिकपानी
7. खूँटपानी
जगन्नाथपुर अनुमंडल के प्रखंड
1. जगन्नाथपुर
2. मंझगांव
3. नोवामुंडी
4. कुमारदुंगी
पोरहाट अनुमंडल के प्रखण्ड
1. चक्रधरपुर
2. बंदगांव
3. गुदडी
4. सोनुआ
5. गोईलकेरा
6. आनंदपुर
7. मनोहरपुर
पश्चिम सिंहभूम जिला के विधान सभा क्षेत्र
पश्चिम सिंहभूम जिला में कुल 5 विधान सभा क्षेत्र है।
1. चाईबासा
2. चक्रधरपुर
3. जगन्नाथपुर
4. मनोहरपुर
5. मंझगांव
पश्चिम सिंहभूम जिला के लोक सभा क्षेत्र
यह जिला सिंहभूम लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत आता है जो ST के लिए आरक्षित है।
पश्चिम सिंहभूम जिला के पर्यटन स्थल
Tourist Places Of West Singhbhum
सारंडा जंगल (Saranda Forest)
यह जंगल झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिला में अवस्थित है। इसका कुल क्षेत्रफल 820 वर्ग किमी है। यह एशिया का सबसे बड़ा साल वन है। थोलकोबाद नामक एक पहाड़ी गाँव सारंडा के जंगल के भीतर प्रसिद्ध पर्यटन केंद्र है जहाँ से यहाँ के आसपास की खूबसूरती को देखने लोग आते है। काइना नदी सारंडा के जंगल मे उत्पन्न होती है तथा इस जंगल से गुजरते हुए दक्षिण कोयल नदी में मिल जाती है।
दक्षिण कोयल नदी सारंडा के पश्चिम से होकर गुजरती है। सारंडा का पुराना नाम सेरेंगदा है जिसका शाब्दिक अर्थ “चट्टान से निकलता पानी” है। इस जंगल मे हो समुदाय की प्रधानता पाई जाती है। कई लोहे की खान इस जंगल में मौजूद है जैसे गुआ, नोआमुण्डी,चिरिया, किरीबुरू, मेघाहातुबुरु इत्यादि।
सारंडा के जंगल को सात सौ पहाड़ियों की भूमि कहा जाता है। सारंडा के वन में विलुप्तप्राय उड़नेवाली छिपकली पाई जाती है। टैबो जलप्रपात (टैबो घाटी में), हिरनी जलप्रपात ( रामगढ़ नदी पर), पंडुल झरना, झिंगरा झरना, पंचेरी झरना, बाहुबली झरना(यहाँ जल कुर्सीनुमा आकार में गिरता है) , रानीडुबा झरना(चिरिया खान के समीप), नगाड़ा मंदिर और रिंगारिंग डैम सारंडा वन के भीतर मौजूद है।
पहले यह नक्सलियों का गढ़ माना जाता था। केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा यहाँ नक्सलवाद को खत्म करने के लिए कई अभियान चलाए गए जैसे ऑपेरशन जाल, ऑपेरशन अनाकोंडा। इस जंगल मे रहनेवाले हो समुदाय के जीवन स्तर को सुधारने के लिए 2011 में Saranda Development Plan शुरू किया गया है।
बैतरणी नदी: बैतरणी नदी का उद्गम क्योंझर जिले के गोनासिका में गुप्तगंगा पहाड़ियों से होता है। बैतरणी का प्रारंभिक भाग उड़ीसा और झारखंड के बीच सीमा का कार्य करता है। नदी बेसिन का ज्यादा हिस्सा उड़ीसा राज्य के भीतर स्थित है जबकि ऊपरी प्रवाह का एक छोटा सा हिस्सा झारखंड में है।
सोनुआ डैम
यह डैम संजय नदी पर चक्रधरपुर के पास में सिंचाई के उद्देश्य से बनाया गया है।
सतपोटका डैम – यह डैम पोटका नदी पर चक्रधपुर के पास बनाया गया है।
नकटी डैम – यह डैम 201 में बन कर तैयार हुआ जो बंदगांव के पास स्थित है। यह डैम विजय नदी पर बनाया गया है।
झरझरिया डैम – यह डैम चक्रधपुर के समीप बामनी नाला पे बना है।
जेनसारी डैम – यह डैम चक्रधरपुर के आसपास अवस्थित है जो 1981 में बनाया गया।
कंसरा मंदिर – बंदगांव
पनसुआ डैम
यह डैम सोनुआ प्रखंड में स्थित है। डैम के बीच मे दो पुराना पेड़ है जिसे राजा-रानी पेड़ कहा जाता। इस डैम के बगल में छोटी पहाड़ी में ढाल राजाओ की ईष्ट देवी पौड़ी देवी का मंदिर अवस्थित है।
तोरलो डैम – यह डैम 1990 में तोरलो नदी पर चाईबासा के पास बनाया गया है।
ईचा डैम –
टंकुरा मंदिर – सोनुआ प्रखंड
बेनीसागर – सोनुआ प्रखंड
विदनी तालाब – मंझारी प्रखंड
भागाबिल्ला घाटी – मंझारी प्रखंड
समीज आश्रम
यह आश्रम गोइलकेरा प्रखंड में स्थित है। इस आश्रम को विश्व कल्याण आश्रम भी कहा जाता है। इसकी स्थापना शंकराचार्य ने वनवासियों के सेवा के उद्देश्य से की। यह आश्रम काली-कोकिला संगम पर स्थित है। काली कारो नदी तथा कोकिला दक्षिण कोयल नदी को कहा जाता है।
मृगेश्वर महादेव मंदिर – भगवान भोलेनाथ का यह मंदिर नोवामुंडी के पास उड़ीसा (क्योंझर)-झारखंड के सीमा पर अवस्थित है। इसे स्थानीय लोग मुर्गा महादेव के नाम से बुलाते है।
पश्चिम सिंहभूम के सिंचाई परियोजनाएं
Irrigation Projects Of West Singhbhum
1. तोरलो जलाशय परियोजना
2. रोरो जलाशय परियोजना – यह जलाशय परियोजना पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है।
3. सोना जलाशय परियोजना – यह जलाशय परियोजना पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है।
4. बरहमिनी जलाशय परियोजना
यह जलाशय परियोजना पश्चिम सिंहभूम जिला में अवस्थित है। यह जलाशय परियोजना पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है।
5. पुतूंगरा जलाशय परियोजना
6. जेनासाई जलाशय परियोजना
पश्चिम सिंहभूम के शैक्षणिक संस्थान
Educational Institutions Of West Singhbhum
1. Bindray institute of research study and action (BIRSA)
पश्चिम सिंहभूम से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
Important Facts Of West Singhbhum District
1.चक्रधरपुर में युवा संस्कृति मंच नामक नाट्य संस्थान है।
2. झारखंड का सबसे बड़ा संसदीय चुनाव क्षेत्र पश्चिम सिंहभूम लोक सभा क्षेत्र है।
3. पश्चिम सिंहभूम में स्थित वेणुसागर मन्दिरो के अवशेष को भारतीय पुरातात्त्विक विभाग ने राष्ट्रीय महत्त्व का पुरातात्त्विक स्थल घोषित किया है।
4. पश्चिम सिंहभूम में स्थित सारंडा के जंगलों से आतंकवादी गतिविधी रोकने के लिए ऑपरेशन एनाकोंडा चलाया गया था।
5. अमरदास ने अपनी पुस्तक “अमरकोश” में चाईबासा के लिए “श्रीवास शहर” का प्रयोग किया है। इस पुस्तक के अनुसार यहाँ का राजा नरवाहन था जिसके पुत्र ललितांग का विवाह चंपा की राजकुमारी से हुआ था।
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