वैदिक सभ्यता
Source Of Vedic Civilization
बोगजकोई अभिलेख
इसे विश्व का सबसे पुराना अभिलेख माना जाता है। इसे 1400 BC का अभिलेख माना गया है। इसकी प्राप्ति एशिया माइनर (वर्तमान तुर्की) से हुई है। इसी अभिलेख के आधार पर कई विद्वानों ने इस सिद्धांत को प्रतिपादित किया है कि भारत में आर्यों का आगमन मध्य एशिया से हुआ है। यह अभिलेख संस्कृत और किलाक्षरी लिपि से लिखा गया है। इस अभिलेख में वैदिक काल के 4 देवताओं अश्विनी कुमार (नास्तस्य ), मित्र, वरुण और इंद्र का उल्लेख मिलता है। इस अभिलेख की खोज ह्यूगो विंकलर ने किया था।
गैरिक मृदभांड (Ochre Coloured Pottery) – इससे पूर्व वैदिक काल के बारे में जानकारी मिलती है। यह गेरुआ रंग के बर्तन होते हैं जिसे हाथ लगाने मात्र से टूट कर बिखर जाता है इसलिए इसे गैरिक मृदभांड कहा जाता है।
Note:-गैरिक मृदभांड के प्राप्ति स्थल – अतरंजीखेड़ा, अहिच्छत्र सैफई (इटावा), बिसौली (बदायूं), राजपुर परसु, लाल किला नसीरपुर है। इसके अलावा हस्तिनापु, श्रृंगवेरपुर एवं नोह में गैरिक मृदभांड के साक्ष्य मिले हैं।
चित्रित धूसर मृदभांड (Painted Gray Ware) – इससे उत्तर वैदिक काल के बारे में जानकारी मिलती है। उत्तर प्रदेश के बरेली जिला के अहिच्छात्र गांव में 1940-44 के मध्य हुए उत्खनन से सर्वप्रथम चित्रित धूसर मृदभांड की प्राप्ति हुई है। इस तरह के मृदभांड पंजाब हरियाणा उत्तर राजस्थान गंगा घाटी में मिलती है। हस्तिनापुर से चित्रित धूसर मृदभांड प्राप्ति का महत्वपूर्ण स्थान है।
साहित्यिक स्रोत
वेद (Vedas)
वेद के संकलनकर्ता महर्षि कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास को माना जाता है। वेद की संख्या चार है ऋग्वेद ▶️ सामवेद▶️ यजुर्वेद ▶️ अथर्ववेद। इनके रचयिता निम्न है:-
ऋग्वेद – विश्वामित्र
सामवेद –
यजुर्वेद –
अथर्ववेद- अर्थवा ऋषि
वेदों के उच्चारणकर्ता
ऋग्वेद- होतृ
सामवेद- उदगाता
यजुर्वेद – पुरोहित/अर्ध्यु
अथर्ववेद- ब्रह्मा
उपवेद
प्रत्येक वेद का एक उपवेद है:-
ऋग्वेद – आयुर्वेद (चिकत्सा से संबंधित)
सामवेद- गंधर्व वेद (संगीत एवं कला से संबंधित)
यजुर्वेद- धनुर्वेद (युद्ध कला से संबंधित)
अथर्ववेद- शिल्प वेद (भवन निर्माण से संबंधित)
ब्राह्मण ग्रन्थ
वेदों में लिखे गए मंत्रों का ब्राह्मण ग्रंथों में व्याख्या किया गया है। यह “ब्रह्म” शब्द से बना है। वेदों को आम लोगों तक सरल भाषा में पहुंचाने के लिए गद्य के रूप में लिखित ग्रंथ को ब्राह्मण कहते हैं। ब्राह्मण ग्रन्थ बलि प्रथा को का विरोध करता है तथा Meditation पर जोर देता है।ब्राह्मण ग्रंथ की कुल संख्या 8 है। प्रत्येक वेद के अलग ब्राह्मण ग्रंथ है जो नीचे वर्णित है: –
ऋग्वेद – ऐतरेय ब्राह्मण एवं कौषीतिकी ब्राह्मण
ऐतरेय ब्राह्मण:- ऐतरेय ब्राह्मण के रचयिता महीदास है। इसमें राजा के राज्याभिषेक के समय लिए जाने वाले शपथ एवं राजसूय यज्ञ का वर्णन है।
कौषीतिकी ब्राह्मण:- कौषीतिकी ब्राह्मण के रचयिता कुषितक ऋषि थे। इसमें विभिन्न यज्ञों का वर्णन है।
सामवेद – पंचविश ब्राह्मण, षडविश ब्राह्मण एवं जैमीनिय ब्राह्मण
पंचविश ब्राह्मण – इसके रचयिता महर्षि तांडी थे। इसे तांडय या पौड ब्राह्मण भी कहा जाता है। इसे महाब्राह्मण ग्रंथ भी कहा जाता है। इसका मुख्य विषय है सोमयाग।
षडविश ब्राह्मण – इसके रचयिता महर्षि तांडी और उनके कुछ शिष्य थे। इसे अदभुत ब्राह्मण ग्रन्थ कहा जाता है। इसका मुख्य विषय अकाल और भूकंप जैसे उत्पाद।
जैमीनिय ब्राह्मण – इसके रचयिता महर्षि व्यास के शिष्य जैमीनिय तथा जैमीनिय के शिष्य तवलकार के द्वारा की गई है।
यजुर्वेद – शतपथ ब्राह्मण एवं तैतिरीय ब्राह्मण
शतपथ ब्राह्मण:- यह शुक्ल यजुर्वेद का ब्राह्मण ग्रंथ है। शतपथ ब्राह्मण के रचयिता याज्ञवालक्य ऋषि द्वारा किया गया है। इसे बाज स्नेही संहिता कहते है। यह सबसे बड़ा और प्राचीन ब्राह्मण ग्रंथ है। इसमें पुनर्जन्म के सिद्धांत, दुष्यंत और भरत के कथाओं तथा कृषि ज्ञान का वर्णन है। इसमें 104 अध्याय है। शतपथ ब्राह्मण में स्त्री को पुरुष का अर्धांगिनी कहा गया है।
तैतिरीय ब्राह्मण:- तैतिरीय ब्राह्मण कृष्ण यजुर्वेद का ब्राह्मण है। इस ब्राह्मण के अनुसार मनुष्य का व्यवहार देवों की भांति होनी चाहिए। इसके रचयिता महर्षि बैशम्पयान है।
अथर्ववेद- गोपथ ब्राह्मण
गोपथ ब्राह्मण:- गोपथ ब्राह्मण के रचयिता गोपथ ऋषि को माना जाता है। इसमें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) का वर्णन मिलता है। इसके दो भाग है पूर्व गोपथ तथा उत्तर गोपथ।
वेदांग (वेदस्य अंग)
वेदांग की संख्या 6 है:- निरुक्त, शिक्षा, कल्प, व्याकरण, ज्योतिष और छंद। इसे वैदिक साहित्य का भाग नहीं माना जाता है। वेदांग संक्षिप्त शैली में लिखी गई है इसलिए इसे सूत्र भी कहा जाता है। अष्टाध्याई पाणिनी रचित अष्टाध्यायी पुस्तक में वेदांग को वेदरूपी शरीर के अनुरूप बताया गया है।
निरुक्त – यह वेद का कान माना जाता है। इसमें वैदिक शब्दो की व्युत्पत्ति का विवरण मिलता है।
Note:- महर्षि कश्यप द्वारा रचित “निघंटु ग्रंथ” में वेदों के कठिन शब्दों का संकलन मिलता है। वर्तमान में यह पुस्तक अप्राप्य है। इसी पुस्तक का सरल व्याख्या “निरूक्त शास्त्र” के रुप में यास्क मुनि ने की। संस्कृत शब्दों की सरल व्याख्या करने के लिए ऋषि कात्यायन ने वार्तिक नामक ग्रंथ लिखा। इन इन तीनों ऋषियों को सम्मिलित रूप से मुनित्रय किराए के रूप में जाना जाता है। इसी तरह ऋग्वेद, सामवेद और यजुर्वेद को सम्मिलित रूप से वेदत्रय के रूप में जाना जाता है।
शिक्षा – यह वेद का नाक माना जाता है। इससे वैदिक शब्दो का सही उच्चारण करना सीखा जाता है अर्थात इसमें स्वर विज्ञान का विवरण है
कल्प – यह वेद का हाथ माना जाता है। इसमें वैदिक कर्मकांडों की व्याख्या है। कल्पसूत्र के 3 भाग है स्रोत सूत्र, गृहयसूत्र एवं धर्म सूत्र।
स्रोत सूत्र- इसमें यज्ञ और धार्मिक विधि-विधानो का विवरण मिलता है। शुल्व (मापने की डोरी) सूत्र का एक भाग है जिसमें यज्ञ की वेदीका बनाने का विधि बताया गया है। इस सूत्र को ज्यामितीय रेखागणित का जनक माना जाता है।
गृहयसूत्र- इसमें ग्रीन कर्मकांड तथा जजों के बारे में जानकारी मिलती है। आश्वलायन को गृहयसूत्र के प्रणेता माने जाते हैं।
धर्म सूत्र- इसमें राजनीतिक, सामाजिक और धार्मिक कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है। आपस्तबद को धर्मसूत्र का प्रणेता माना जाता है।
व्याकरण- यह वेद का मुख माना जाता है। यह भाषा को वैज्ञानिक आधार प्रदान करता है।
Note:- अष्टाध्यायी और महाभाष्य क्रमशः पाणिनी और पतंजलि द्वारा रचित प्रमुख व्याकरण ग्रंथ है। पतंजलि पुष्यमित्र शुंग के प्रधान पुरोहित थे इसलिए महाभाष्य में शुंग वंश की जानकारी मिलती है।
ज्योतिष- यह वेद का आंख माना जाता है।
Note:- वेदांग ज्योतिष लागधमुनि ने लिखा है।
Note:- महर्षि कात्यायन द्वारा रचित गार्गी संगीता भी एक ज्योतिष ग्रंथ है। इस ग्रंथ में भारत पर होने वाले यवन आक्रमण का भी उल्लेख मिलता है।
छंद – यह वेद का पैर माना जाता है।
Note:-छंद शास्त्र महर्षि पिंगल ने लिखा है।
Trick:- कानी (कान -निरूक्त), मुख से उच्चारण होता है (मुख -व्याकरण), छन -छन पैरों की पायल करती है (छंद -पैर), ज्योति आंख में होती है (ज्योतिष-आंख), नासिका (नाक -शिक्षा) तथा कर मतलब हाथ होता है (कल्प – हाथ)
पुराण
पुराण का शाब्दिक अर्थ पुराना होता है ज्यादातर पुराण संस्कृत भाषा में लिखी गई है। कुछ पुराण को लिखने के लिए अन्य भाषाओं का प्रयोग किया गया है। पुराणों की कुल संख्या 18 है। लोमहर्ष और इसके पुत्र उग्रश्रवा को पुराणों का रचयिता माने जाते है। भारतीय इतिहास की सबसे अच्छी कथा का क्रमवार वर्णन पुराणों में मिलता है।
👍 मत्स्य पुराण – यह सबसे पुराना पुराण है। इससे आंध्र- सातवाहन वंश की जानकारी मिलती है।
👍 कूर्म पुराण
👍 वामन पुराण
👍 वराह पुराण
👍 ब्रह्मा पुराण
👍 ब्रह्म वैवर्त पुराण
👍 शिव पुराण
👍 लिंग पुराण
👍विष्णु पुराण- इससे मौर्य वंश की जानकारी मिलती है।
👍 भागवत पुराण-
👍 वायु पुराण – इससे गुप्त वंश की जानकारी मिलती है।
👍 अग्नि पुराण
👍 भविष्य पुराण
👍 मार्कंडेय पुराण
👍 पद्म पुराण
👍 गरुड़ पुराण
👍 नारद पुराण
Note:-केवल 5 पुराण मत्स्य पुराण वायु पुराण विष्णु पुराण ब्राह्मण पुराण एवं भागवत पुराण में ही राजवंशों की जानकारी मिलती है।
अरण्यक (Forest Books)
यह वह पवित्र पुस्तक है जो ऋषि-मुनियों के द्वारा वन में प्रवास के दौरान अपने शिष्यों के लिए लिखा गया है। अरण्यक को ब्राह्मण ग्रंथ का सारांश कहा जाता है। अरण्यक कर्म मार्ग तथा ज्ञान मार्ग के बीच सेतु का काम करता है। उपनिषद कर्म मार्ग पर जोर देता है वही ब्राह्मण ज्ञान मार्ग को पर जोर देता है।
NOTE:-अथर्ववेद का कोई अरण्यक नहीं है।
दर्शन (Darshan)
उपनिषद
उपनिषद का अर्थ होता है “गुरु के समीप बैठकर ज्ञान अर्जित करना”, उप (समीप), नि (नीचे) ,षद (बैठना)। उपनिषदों की कुल संख्या 108 है। उपनिषद वैदिक साहित्य के सबसे अंत में जोड़े गए हैं इसलिए इसे वेदांत भी कहा जाता है। इसे भारतीय दर्शन का मुख्य स्रोत माना जाता है। उपनिषद कर्मकांड और बलिदान की निंदा करता है। यह कर्म मार्ग पर ज्यादा जोर देता है। ब्रह्मांड के बनने के कई सिद्धांतों का उल्लेख मिलता है। उपनिषदों की रचना 800 से 500 BC के मध्य में माना गया है।
सबसे पहला उपनिषद् – छांदोग्य उपनिषद्
सबसे बाद का उपनिषद्- मैत्रायणी उपनिषद
सबसे बड़ा उपनिषद – वृहदारण्यक उपनिषद्
सबसे छोटा उपनिषद – मांडूक्य उपनिषद्
कुल प्रमाणिक उपनिषद – 12
Note:- सत्यमेव जयते मुंडक उपनिषद से लिया गया है इसी उपनिषद में यज्ञ की तुलना टूटे हुए नाव से की गई है।
वेदों के उपनिषद
ऋगवेद – ऐतरेयएवं कौषीतिकी
सामवेद – छान्दोग्य एवं केन
यजुर्वेद –
अथर्ववेद –
मुंडक उपनिषद – इस उपनिषद से “सत्यमेव जयते” शब्द लिया गया है।इस उपनिषद में यज्ञ की तुलना टूटी हुई नाव से की गई है।
जाबालो उपनिषद – इस उपनिषद से चार आश्रमों का उल्लेख मिलता है।
स्मृति (Smriti)
यह वैदिक काल के Rules & Regulation की व्याख्या करता है। इसे धर्मशास्त्र भी कहा जाता है। यह एक कानून का किताब है जो श्लोक के रूप में लिखा गया है।
मनुस्मृति – जिसे मानव धर्म शास्त्र कहा जाता है यह दुनिया का सबसे पुराना कानून की किताब है। इसी स्मृति की रचना शुंग काल में हुई थी।
नारद स्मृति – इस स्मृति से गुप्त काल के बारे में जानकारी मिलती है।
महाकाव्य
भारत में दो महाकाव्य महाभारत एवं रामायण
Ramayana
रामायण की रचना महर्षि वल्मीकि ने की है। इसमें 24000 श्लोक है। इसकी रचना 5000 BC में हुई थी।
Mahabharata
महाभारत का वास्तविक नाम जय संगीता है। यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है। इसकी रचना महर्षि वेदव्यास ने किया था।
वैदिक सभ्यता के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
👍 यजुर्वेद तथा सामवेद में किसी भी ऐतिहासिक घटना का वर्णन नहीं मिलता है।
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Source Of Vedic Civilization