पोटो सरदार जीवन परिचय
पोटो सरदार (पोटो हो) का जन्म पश्चिम सिंहभूम के जगन्नाथपुर के राजबासा गाँव में हुआ था। 18-19 नवंबर 1837 में सेरेंगसिया घाटी में इन्होंने अंग्रेजी सेना के विरुद्ध हुए भीषण युद्ध का नेतृत्व किया। यह एक छापामार युद्ध है। इस युद्ध के लिए गुप्त बैठक वलंडिया गांव में हुआ था। सेरेंगसिया घाटी पश्चिम सिंहभूम के टोंटो प्रखंड में अवस्थित है। इस युद्ध मे 26 हो लड़ाकू शहीद हुए तथा ब्रिटिश सेना की तरफ से एक हवलदार, एक सूबेदार और 13 सिपाही की मौत होती है।
इस युद्ध मे अंग्रेजो के तरफ से 400 सशस्त्र सैनिक, पाईक सैनिक और घुड़सवार थे। इस सेना का नेतृत्व कैप्टन आर्मस्ट्रॉन्ग ने किया था। इस युद्ध मे पोटो हो ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर परंपरागत हथियार से ही अंग्रेजो को भगा दिया था। सेरेंगसिया घाटी तथा भगाबिला घाटी (बगालिया) को अंग्रेजो से आजाद करवा लिया था।
8 दिसंबर 1837 को पोटो हो और उसके प्रमुख सहयोगियों नारा हो, पांडुआ हो, भुगनी हो, बोड़ो हो, बड़ई हो, देवी हो के साथ गिरफ्तार कर लिया गया। इन विद्रोहियों को पकड़ने के लिए स्थानीय जमींदारों के पाईको की मदद ली गई। 01 जनवरी 1838 में जगन्नाथपुर में बरगद के पेड़ में में फाँसी दे दिया गया।
पोटो सरदार के साथ उसी दिन बुडई हो और नारा हो को भी फाँसी दिया गया था। दूसरे दिन 02 जनवरी 1938 में पोटो सरदार के सहयोगी पांडुआ हो तथा बोड़ो हो को सेरेंगसिया घाटी में फाँसी दिया गया। इसके अलावे 79 हो लड़ाकू को कारावास की सजा दी गई।
Poto Sardar Biography
Poto Sardar (Poto Ho) was born in Rajbasa village of Jagannathpur in West Singhbhum. He led a fierce battle against the British army in the Serengasia Valley on 18-19 November 1837. This is a guerilla war. A secret meeting for this war was held in Valandiya village. Serengasia valley is located in Tonto block of West Singhbhum. 26 fighters were martyred in this war and and from the British Army, one Havildar, one Subedar and 13 soldiers died.
In this war, the British had 400 armed soldiers, pike soldiers and horsemen. This army was led by Captain Armstrong. In this war, Poto Ho along with his colleagues fought with traditional weapons only. Serengasia Valley and Bhagabila Valley (Bagalia) were liberated from the British.
On 8 December 1837, Poto Ho was arrested along with his main associates Nara Ho, Pandua Ho, Bhugni Ho, Bodo Ho, Badai Ho, Devi Ho. The help of the local landlords’ Paikos was taken to catch these rebels. They were hanged on a banyan tree in Jagannathpur on 01 January 1838.
Budhai Ho and Nara Ho were hanged on the same day along with Poto Sardar. On the next day, 2 January 1938, Poto Sardar’s associates Pandua Ho and Bodo Ho were hanged in Serengsia Valley. Apart from this, 79 fighters were sentenced to imprisonment.
पोटो हो विद्रोह के कारण
1831-32 के कोल विद्रोह के दौरान छोटानागपुर में ब्रिटिश सरकार को बड़े विद्रोह का सामना करना पड़ा। इस विद्रोह के परिणामस्वरूप 1834 में SWFA का गठन किया गया। SWFA के AGG ( Agent to Governor General) कैप्टन थॉमस विल्किंसन को बनाया गया।
इस वजह से कोल्हान के 22 पीड़ के हो समाज नाराज थे। हो हमेशा से स्वतंत्र रहे थे उसे अपने कोल्हान को SWFA में मिलाना पसंद नही थे। हो समाज मे अंग्रेजी प्रशासन हावी हो रहा था जबकि हो समाज अपनी परंपरागत शासन व्यवस्था “मुंडा मानकी शासन व्यवस्था” को चाहते थे। इस विद्रोह के तात्कालिक कारण किसुनपुर जेल से भाग रहे कैदियों को कठोर शारीरिक दंड देना था।
अंग्रेजी सरकार के विद्रोह के कारण बहुत से हो लड़ाकू लोग किसुनपुर जेल में बंद थे। वे जब भागने के प्रयास किये तो अंग्रेजो ने काफी यातनाएं दी जिससे कई के मौत हो गए। इस घटना के तुरंत बाद पोटो हो के नेतृत्व में उन कैदियों के रिश्तेदारों ने हथियार उठा लिए।
Reasons for Poto Ho rebellion
The British government faced a major rebellion in Chhota Nagpur during the Kol rebellion of 1831-32. As a result of this rebellion, SWFA was formed in 1834. Captain Thomas Wilkinson was appointed AGG (Agent to Governor General) of SWFA.
Due to this, the 22 generations of Ho community of Kolhan were angry. The Ho community had always been independent and did not like the merger of Kolhan with SWFA. The British administration was dominating the Ho community Whereas the Ho community wanted their traditional system of governance “Munda Manki governance system”. The immediate reason for this rebellion was the harsh corporal punishment given to the prisoners escaping from Kisunpur jail.
Due to the rebellion against the British government, many Ho fighters were imprisoned in Kisunpur jail. When they tried to escape, the British tortured them a lot, due to which many died. Soon after this incident, the relatives of those prisoners, led by Poto Ho, took up arms.
विद्रोह का दमन
हो लड़ाकू द्वारा पराजित होने के बाद विल्किंसन को बहुत चिंता हुई। उसने पुनः कैप्टेन आर्मस्ट्रॉन्ग और लेफ्टिनेंट सिम्पसन को आदेश दिया कि इस विद्रोह के जननायक पोटो हो को गिरफ्तार करें। रामगढ़ बटालियन के सैनिक का सहारा लिया गया। इसके लिए विल्किंसन ने खरसांवा के ठाकुर, सराईकेला और केरा के जमींदार औऱ कुछ स्थानीय मानकीयो (बबन सिंह, लक्ष्मण सिंह) को अपने अच्छे पाईको को ब्रिटिश सेना के मदद करने के लिए भेजने को कहा।
20 नवम्बर 1837 को अंग्रेजो ने राजाबासा गांव को हमला किया। पूरे गाँव को आग लगा दी गई। कुल 6 आदमी को गिरफ्तार किया जिसमे पोटो हो कि पिता और दो पाईक भी शामिल थे। रुइया गाँव और निजाम लोहवार गाँव को भी जलाया गया। अंग्रेज सैनिक खड़ी फसलों में भी आग लागाते गए और मवेशियो को मारते गए।
22 नवम्बर 1837 को तोरांगहातु गाँव पे हमला किया गया। यहाँ उन्हें सिर्फ 8 महिलाएँ और दो पुरुष मिले। महिलाओ को गिरफ्तार कर लिया गया और पुरुषों को मार दिया गया। अंततः 8 दिसंबर 1837 को पोटो सरदार सेरेंगसिया गाँव से गिरफ्तार हुए।
पोटो हो के गिरफ्तारी के बाद विल्किंसन 12 दिसंबर 1837 से 3 जनवरी 1838 तक जगन्नाथपुर में रहे। गवर्नर जनरल से अतिरिक्त न्यायिक शक्तियाँ प्राप्त की। छोटी सी ट्रायल के बाद कई विद्रोहियों को फाँसी और कइयों को सश्रम कारावास की सजा सुना दी।
इस विद्रोह के परिणाम
अंग्रेजो को पता था कि हो लड़ाकू प्रवृत्ति के होते है। 1820-21 के हो विद्रोह के दौरान और 1831-32 के कोल विद्रोह के दौरान अंग्रेजो को हो लोगो से काफी नुकसान हुआ था। इसलिए विल्किंसन ने इनलोगो की बात मानना ही सही समझा। 1837 में सिंहभूम को SWFA से अलग कर दिया गया। हो लोगो को विशेष ध्यान रखते हुए “विल्किंसन रूल” लागू किया गया। हो समुदाय के विशेष शासन व्यवस्था “मुण्डा मानकी शासन व्यवस्था” को मान्यता प्रदान की गई।
पोटो सरदार से संबंधित तथ्य
1. पोटो सरदार के राजबासा गाँव को “शहीद ग्राम योजना” के तहत शामिल किया गया है।
2.पोटो हो विद्रोह के दौरान “तीर” को प्रतीक चिन्ह बनाया गया था। तीर को हो गांव में शौर्य के रूप में घुमाकर लोगो से समर्थन हासिल किया था। यह तीर मंगी नायक ने पोटो सरदार को दिया था।
3. पोटो हो ने लोगो को विद्रोह में जोड़ने के लिए धर्म का भी सहारा लिया था।
4. फोटो हो के बारे में जानकारी नीदरलैंड के शोधकर्ता डॉ पाल स्टूमर के शोधों से प्राप्त होती है। जिसने 15 साल कोल्हान में रहकर पोटो हो के बारे में शोध किए। अपने शोधों के आधार पर इन्होंने एक पुस्तक “A Land Of Their Own” की रचना की।
पोटो हो खेल विकास योजना
इस योजना की शुरुआत 4 मई 2020 में की गई। कोरोना संकट के दौरान अनेक प्रवासी मज़दूरों का झारखंड में आगमन हुआ। इनके के लिए रोजगार उपलब्ध कराना झारखंड सरकार के लिए चुनौती बन गई। इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से झारखंड सरकार ने 4 मई 2020 को 3 योजनाओं की शुरुआत की पोटो हो खेल विकास योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना
पोटो हो खेल विकास योजना के तहत प्रत्येक पंचायत में एक खेल मैदान बनाने का निर्णय लिया गया है। इस योजना के तहत 5000 खेल मैदान बनाने का निर्णय लिया गया है। इस योजना के तहत झारखंड के खिलाड़ियों को खेल सामग्री प्रदान की जाएगी। खिलाड़ियों को विशेष आरक्षण देकर सरकारी नोकरी प्रदान किया जाएगा। इस योजना के तहत मनरेगा के अंतर्गत 1 करोड़ मानव दिवस का सृजन किया जाएगा।
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