Mains Question No 23 – Describe the major problems of agriculture of Jharkhand. Also mention the efforts of the government to solve the agricultural problems in the state.

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Mains Question No 23 –झारखंड के कृषिगत समस्याओं का वर्णन करे। साथ ही राज्य में कृषिगत समस्याओ को सुलझाने के लिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख करे।

Mains Question No 23 – Describe the major problems of agriculture of Jharkhand. Also mention the efforts of the government to solve the agricultural problems in the state.

Introduction – Jharkhand is an agricultural state, agriculture is the main livelihood of 3/4 rural population of the state. Agriculture contributes (11-14)% to the GSVA of Jharkhand. Jharkhand is a part of the country’s agro-climatic zone VII which is known as the Eastern Plateau and Hilly Region. The main characteristics of Jharkhand’s agriculture are:- Dependence on nature, low investment, low productivity, inadequate irrigation facilities, small and marginal land holdings, single-crop farming. There has been very little development of agriculture in Jharkhand due to which the following are the reasons:-

परिचय – झारखण्ड कृषि प्रधान राज्य है, राज्य की 3/4 ग्रामीण आबादी का मुख्य जीवनयापन कृषि ही है। कृषि झारखंड के GSVA में (11-14)% का योगदान करता है। झारखंड देश के कृषि-जलवायु क्षेत्र VII का एक हिस्सा है जिसे पूर्वी पठार और पहाड़ी क्षेत्र के रूप में जाना जाता है। झारखंड की कृषि की मुख्य विशेषता है:- प्रकृति पर निर्भरता, कम निवेश, कम उत्पादकता, अपर्याप्त सिंचाई सुविधा, छोटी और सीमांत जोत, एकल-फसलीय खेती की विशेषता है। झारखंड में कृषि का विकास बहुत कम हुआ है जिसके कारण निम्नलिखित है:-

Drought –The problem of drought is one of the major problems of Jharkhand. It is very unfortunate for the farmers of Jharkhand that the state has faced drought crisis 10 times in 23 years. Earlier there used to be drought every three or four years, but this time severe weather events happened twice in a row. In 2022, 226 blocks in 22 districts of the state were declared drought affected. In 2023, 158 blocks of 17 districts were declared drought affected. All districts of the state were affected by drought in 2002, 2009 and 2010. All 24 districts of Jharkhand have been declared drought affected. In the year 2023, the state government had set a target of sowing paddy in 1.61 million hectares for the Kharif crop, but paddy could be sown only in 0.28 million hectares. Palamu, Garhwa, Latehar, Chatra, Godda are high drought prone areas of Jharkhand. The Indian Irrigation Commission has categorized 5 regions of India as repeatedly affected by drought. Of these, Palamu division of Jharkhand (Palamu, Garhwa, Latehar) is one area. Where rainfall decline has been measured for the last 25 years.

सुखा – सूखे की समस्या झारखंड की प्रमुख समस्याओं में से एक है। झारखंड के किसानों के लिए यह बेहद दुर्भाग्य की बात है कि 23 सालों में 10 बार राज्य को सूखे के संकट का सामना करना पड़ा है। पहले तीन या चार साल में सूखा पड़ता था, लेकिन इस बार मौसम की भीषण घटनाएं लगातार दो बार हुईं। 2022 में राज्य के 22 जिलों के 226 ब्लॉक को सूखा प्रभावित घोषित किया गया। वही 2023 में 17 जिले के 158 प्रखण्ड को सूखाग्रस्त घोषित किया गया। 2002, 2009 और 2010 में राज्य के सभी जिले सूखे से प्रभावित रहे। झारखंड के सभी 24 जिले को सुखा प्रभावित घोषित किया जा चुका है। वर्ष 2023 में राज्य सरकार ने खरीफ फसल के लिए 1.61 मिलियन हेक्टेयर में धान की बुवाई का लक्ष्य रखा था पर मात्र 0.28 मिलियन हेक्टेयर में ही धान की बुवाई हो पाई। पलामू, गढ़वा, लातेहार, चतरा, गोड्डा झारखंड के उच्च सूखाग्रस्त क्षेत्र है। भारतीय सिंचाई आयोग ने भारत के 5 क्षेत्रों को बार-बार सूखा से प्रभावित क्षेत्र की श्रेणी में रखा है। इसमे से झारखंड का पलामू प्रमंडल ( पलामू, गढ़वा, लातेहार) एक क्षेत्र है। जहां पिछले 25 वर्षों से वर्षा की गिरावट मापी गई है।

Inadequate irrigation system – Agriculture of Jharkhand is dependent on monsoon hence irrigation is required to achieve stability in agricultural production. But Jharkhand’s irrigation infrastructure is a matter of concern. Due to the hard rocky plateau area, making a canal is not easy. Wells, ponds and tube wells were mainly used as means of irrigation. The gradual lowering of groundwater levels is also a concern for conventional irrigation. Many irrigation projects have been started but they are not being implemented properly. The total agricultural land in Jharkhand is 29.74 lakh hectares, out of which the total irrigated area is only 2.59 lakh hectares (2020-21), which is a matter of concern.

अपर्याप्त सिंचाई व्यवस्था – झारखंड की कृषि मानसून पर निर्भर है इसलिए कृषि उत्पादन में स्थिरता प्राप्त करने के लिए सिंचाई के लिए सिंचाई की आवश्यकता है। किंतु झारखंड के सिंचाई की बुनियादी ढांचा चिंताजनक है। कठोर चट्टानी पठारी क्षेत्र होने के कारण नहर बनाना आसान नहीं है। सिंचाई के साधन के रूप में मुख्य रूप से कुआ, तालाब और नलकूप का प्रयोग किया जाता। भूजल स्तर के उत्तोरत्तर नीचे चले जाना भी परंपरागत सिंचाई के लिए एक चिंता का विषय है। कई सिंचाई परियोजना शुरू की गई है किंतु उसका सही से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है। झारखंड में कुल कृषि भूमि 29.74 लाख हेक्टेयर है जिसमे कुल सिंचित क्षेत्र मात्र 2.59 लाख हेक्टेयर है (2020-21) जो चिंता का विषय है।

Being a plateau region – Jharkhand state is a plateau region where many production constraints are found such as soil erosion, acidity, lack of moisture, low availability of nutrients (especially phosphate), Irregular rainfall, lack of irrigation facilities, poor water holding capacity and permeability of soil. A total of 38 lakh hectares of land is cultivable in Jharkhand, out of which agriculture is done on 25.75 lakh hectares of land. There is no agriculture on 12.75 lakh hectares of land. A large land area in Jharkhand 7% area is barren or cultivated.

पठारी क्षेत्र का होना – झारखंड राज्य एक पठारी क्षेत्र है जहां उत्पादन संबंधी कई बाधाएँ पाई जाती है जैसे, मिट्टी का कटाव, अम्लता, नमी की कमी, पोषक तत्वों की कम उपलब्धता (विशेष रूप से फॉस्फेट), अनियमित वर्षा, सिंचाई सुविधाओं की कमी, खराब जल धारण क्षमता और मिट्टी की पारगम्यता। झारखंड में कुल 38 लाख हेक्टेयर भूमि कृषि योग्य है जिसमे मात्रा 25.75 लाख हेक्टेयर भूमि पर कृषि की जाती है। 12.75 लाख हेक्टेयर भूमि पर कृषि नही होती है। झारखंड में एक बड़ा भूभाग 7% क्षेत्र बंजर या खेती के लायक नही है।

Lack of nutrients in cultivable land – There is a severe deficiency of major nutrients and micronutrients in the soil of Jharkhand.

Status of main nutrients – In Jharkhand, deficiency of main nutrients mainly phosphorus and sulfur is found. There is phosphorus deficiency in more than half the districts of Jharkhand region. In Gumla, East Singhbhum Simdega, Godda, Seraikela and West Singhbhum, availability of phosphorus is very less in more than 80% of the soil. Sulfur deficiency is 60-80% in West Singhbhum, Latehar and Lohardaga districts. Phosphorus deficiency is found in about 66% of the total geographical area and sulfur deficiency in 38% area. Potassium is found in low to medium condition in 51% of the total geographical area and Nitrogen is found in low to medium condition in 70% of the area while Carbon is found in moderate condition in 47% of the area.

Status of micronutrients – Boron deficiency is found in 45% of the total geographical area of ​​Jharkhand, Copper in 4% and Zinc deficiency in 7%. Considerable deficiency of boron is found in Seraikela, Palamu, Garhwa, Lohardaga, East Singhbhum and Latehar districts. Zinc deficiency is mainly in four districts – Found in Pakur, Lohardaga, Giridih and Koderma. The deficiency of copper is almost negligible and other micronutrients like iron, manganese are available in abundance in the soil.

कृषि योग्य भूमि में पोषक तत्वों की कमी – झारखंड के मिट्टी में मुख्य पोषक तत्वों और सूक्ष्म पोषक तत्वों की भारी कमी पाई जाती है।

मुख्य पोषक तत्वों की स्थिति – झारखंड में मुख्य पोषक तत्वों में मुख्य रूप से फास्फोरस एवं सल्फर की कमी पाई जाती है। झारखंड क्षेत्र के आधा से ज्यादा जिलों में फास्फोरस की कमी है। गुमला, पूर्वी सिंहभूम सिमडेगा, गोड्डा, सरायकेला एवं पश्चिम सिंहभूम में 80% से अधिक मिट्टी में फास्फोरस की उपलब्धता बहुत कम है। पश्चिम सिंहभूम, लातेहार एवं लोहरदगा जिलों में सल्फर की कमी 60-80% तक है। कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के लगभग 66% भाग में फास्फोरस एवं 38% भाग में सल्फर की कमी पाई जाती है। पोटेशियम कुल भौगोलिक क्षेत्र के 51% भाग में निम्न से मध्यम तथा नाइट्रोजन 70% भाग में निम्न से मध्यम पाई जाती है जबकि कार्बन 47% भाग में मध्यम स्थिति में पाई जाती है।

सूक्ष्म पोषक तत्वों की स्थिति – झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्र के 45% भाग में बोरॉन, 4% भाग में कॉपर तथा 7% में जिंक की कमी पाई जाती है। सरायकेला, पलामू, गढ़वा, लोहरदगा, पूर्वी सिंहभूम एवं लातेहार जिले में बोरॉन की काफी कमी पाई जाती है। जिंक की कमी मुख्यतः चार जिलों – पाकुड़, लोहरदगा, गिरिडीह एवं कोडरमा में पाई गई है। तांबा की कमी लगभग नगण्य है एवं अन्य सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे- लोहा, मैगनीज मिट्टी में प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

Acidity in soil –In Jharkhand, about 10.0 lakh hectares of cultivable land, which is about 49% of the total geographical area, has highly acidic soil with pH values ​​ranging between 4.5 to 5.5. Neutral soils (pH 6.6 to 7.3) accounts for only about 8%. More than 50 percent of the total geographical area of ​​the land in the South-Eastern Plateau Zone (Zone VI) Seraikela-Kharsawan, East and West Singhbhum), North Eastern Plateau Zone (Zone IV) (Jamtara, Dhanbad, Bokaro, Giridih, Hazaribagh and Ranchi) & Western Plateau Zone (Zone V) (Simdega, Gumla and Lohardaga) is suffering from acidic problem, which has been found to be less than 5.5 PH . Whereas in Palamu division (Palamu, Garhwa and Latehar) the area of ​​acidic land has been found to be only less than 16 percent.

मिट्टी में अम्लता –झारखंड में, कुल भौगोलिक क्षेत्र के लगभग 10.0 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि जो लगभग 49% है, में मिट्टी अत्यधिक अम्लीय है जिसका pH मान 4.5 से 5.5 के बीच है। उदासीन या तटस्थ मिट्टी (पीएच 6.6 से 7.3) केवल 8% है। उत्तरी पूर्वी पठारी जोन (जोन IV) (जामताड़ा, धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग एवं राँची), पश्चिमी पठारी जोन (जोन V) (सिमडेगा, गुमला एवं लोहरदगा), दक्षिण-पूर्वी पठारी जोन (जोन VI) सरायकेला-खरसावां, पूर्वी एवं पश्चिमी सिंहभूम) के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 50 प्रतिशत से अधिक भूमि अम्लीय समस्या से ग्रस्त है, जिसका पी.एच. 5.5 से कम पाया गया है। दक्षिण-पूर्वी पठारी जोन में अम्लीय भूमि की समस्या सबसे ज्यादा है जहां 70% से अधिक भूमि अम्लीय है। जबकि पलामू प्रमंडल (पलामू, गढ़वा एवं लातेहार) में अम्लीय भूमि का क्षेत्रफल मात्र 16 प्रतिशत से कम पाया गया है।

Small/marginal land holdings- The average size of landholdings in Jharkhand was 1.17 hectares in the year 2010-11 which decreased marginally to 1.10 in the year 2015-16. Due to small land holdings, farmers are not able to use adequate technology and financial investment. The distribution of land holdings in the state is highly skewed, with nearly 70% of holdings being marginal in nature (<1 acre). From 2010-11 to 2015-16, the number of marginal operational holdings increased from 1848 thousand units to 1962 thousand units. Small land holdings have a negative impact on the development of agriculture. It is therefore impossible to organise farmers for the cropping patterns, seeking extension support, marketing and obtaining training and capacity building.

छोटी/सीमांत जोत- झारखंड में जोत का औसत आकार वर्ष 2010-11 में 1.17 हेक्टेयर था जो वर्ष 2015-16 में मामूली रूप से घटकर 1.10 हेक्टेयर हो गया। छोटी जोत के कारण किसान पर्याप्त तकनीक एवं आर्थिक निवेश का उपयोग नहीं कर पाते हैं। राज्य में भूमि जोत का वितरण अत्यधिक विषम है, लगभग 70% जोत, सीमांत जोत (<1 एकड़) है। 2010-11 से 2015-16 तक सीमांत जोतों की संख्या 1848 हजार यूनिट से बढ़कर 1962 हजार यूनिट हो गई। जोत का छोटा कृषि के विकास पर नकरात्मक प्रभाव डालती है। इससे किसानों को फसल प्रारूप, विस्तार समर्थन, विपणन और प्रशिक्षण प्राप्त करने और क्षमता निर्माण के लिए संगठित करना असंभव है।

Non-adoption of crop rotation – 88% of the land is under monoculture of paddy and the only crop rotation followed in the state is paddy-wheat. Due to which there is lack of fertility in the soil here.

फसल चक्र को न अपनाना – 88% भूमि एक फसली धान के अंतर्गत अंतर्गत आती है और राज्य में एकमात्र फसल चक्र धान-गेहूं को अपनाया जाता है। जिससे यहां के मिट्टी में उर्वरता की कमी हो जाती है।

Lack of awareness-The productivity of agriculture depends not merely on the fertility of soil and climatic conditions of the state but also on agricultural inputs. Such inputs include irrigation, seed, fertilizers, pesticides, credit and farm machinery. There is a lack of awareness among the people towards agriculture in Jharkhand. According to a report by IARI, only 24% farmers of Jharkhand know about MSP and only 6% farmers are able to take advantage of it.

जागरूकता में कमी- कृषि की उत्पादकता न केवल मिट्टी की उर्वरता और राज्य की जलवायु परिस्थितियों पर बल्कि कृषि के लिए प्रयुक्त सामग्रियों पर भी निर्भर करती है। झारखंड में आज भी परंपरागत कृषि की जा रही है। उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, अत्याधुनिक औजार, सूक्ष्म सिंचाई तकनीक, ट्रैक्टर आदि का प्रयोग बहुत कम होता है। झारखंड के कृषक कृषि में ज्यादा लागत नही लगाते है। झारखंड में कृषि के प्रति लोगो की जागरूकता में कमी है। IARI के एक रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के मात्र 24% किसान MSP के बारे में जानते है वही 6% किसान इसका फायदा उठा पाते है।

किसानों द्वारा कम लागत का उपयोग – झारखंड के ज्यादातर किसानों के पास कृषि में निवेश के लिये पूँजी का अभाव है। आज भी झारखंड के ज्यादातर किसानों को व्यावहारिक रूप में संस्थागत ऋण सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। कई बार किसानों के पास इतनी भी पूँजी नहीं होती कि वे बीज, खाद, सिंचाई जैसी बुनियादी चीजों का भी प्रबंध कर सकें। इसका परिणाम यह होता है कि किसान समय से फसलों का उत्पादन नहीं कर पाते अथवा अपर्याप्त पोषक तत्वों के कारण फसलें पर्याप्त गुणवत्ता की नहीं हो पाती हैं। इसके साथ ही पूंजी के अभाव में किसान को निजी व्यक्तियों से ऊँची ब्याज दर पर ऋण लेना पड़ता है जिससे उसकी समस्याएँ कम होने की जगह बढ़ जाती हैं।

Low cost use by farmers – Most of the farmers of Jharkhand lack capital to invest in agriculture. Even today, most of the farmers of Jharkhand do not get the benefit of institutional loan facilities in practical terms. Many times farmers do not have enough capital to manage even the basic things like seeds, fertilizers and irrigation. The result is that farmers are unable to produce crops on time or the crops are not of adequate quality due to inadequate nutrients. Besides this, due to lack of capital, the farmer has to take loans from private individuals at high interest rates, due to which his problems increase instead of reducing.

जलवायु परिवर्तन – जलवायु परिवर्तन का झारखंड में स्पष्ट नकरात्मक प्रभाव देखा जा रहा है। जलवायु परिवर्तन से पिछले कुछ वर्षों से झारखंड में वर्षा का आसमान वितरण, वर्षा प्रारूप में परिवर्तन, औसत तापमान में वृद्धि, कार्बन डाई ऑक्साइड में वृद्धि, किट और पादप रोगों में वृद्धि देखी जा रही जो मुख्य रूप से रबी फसलों को बहुत हद तक प्रभावित कर रही है।

Climate Change – Clear negative impact of climate change is being seen in Jharkhand. Due to climate change, in the last few years, Jharkhand is witnessing change in distribution of rainfall, change in rainfall pattern, increase in average temperature, increase in carbon dioxide, increase in insect and plant diseases Which is mainly affecting Rabi crops to a great extent.

विपणन की समस्या – झारखंड के किसानों को अपने उत्पाद बेचने में समस्या होती है। अन्य राज्यों की तरह यहां मंडियों की कमी है।कोल्ड स्टोरेज की कमी होने के कारण किसानों को अपने उत्पाद कम मूल्य पर बेचना पड़ता है। MSP के प्रति लोगो की जागरूकता बहुत कम है। परंपरागत खेती के प्रयोग से यहां उत्पादकता भी बहुत कम है।

Marketing problem – Jharkhand farmers face problems in selling their produce. Like other states, there is a lack of agriculture markets here. Due to lack of cold storage, farmers have to sell their produce at low prices. People’s awareness about MSP is very low. Productivity is also very low here due to the use of traditional farming.

Government Initiatives

The central and state governments are making efforts to increase productivity by removing agricultural problems in Jharkhand. The following efforts are being made by the government to solve various agricultural problems of Jharkhand:-

झारखंड में कृषि समस्याओं को दूर करके उत्पादकता को बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार प्रयासरत है। सरकार के द्वारा झारखंड के विभिन्न कृषिगत समस्याओं को सुलझाने के लिए निम्न प्रयास किए जा रहे है:-

कृषि उत्पादकता बढ़ाने का प्रयास

झारखंड सरकार झारखंड में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के लिए निम्न प्रयास कर रही है:-

कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना- केंद्र सरकार द्वारा झारखंड के सभी जिलो में कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना की जा रही है। जिसके द्वारा किसानों को व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करके के उत्पादकता को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तरीको का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जैसे उर्वरकों का प्रयोग,खेती के लिए उपयुक्त फसल का चुनाव, उन्नत बीज का प्रयोग, कीटनाशी, खरपतवारनाशी का प्रयोग।

Establishment of Krishi Vigyan Kendra- Krishi Vigyan Kendra is being established by the Central Government in all the districts of Jharkhand. Through which, by providing professional training to the farmers, they are being given training in modern methods to increase the productivity like use of fertilizers, selection of suitable crops for farming, improved seeds.

मृदा की कमियों को दूर करने का प्रयास – मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना से मृदा स्वास्थ्य की वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन किया जा रहा है और इस रिपोर्ट के आधार पर खेती के लिए फसल का चयन तथा उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है।

Efforts to remove the deficiencies of the soil –Through the Soil Health Card Scheme, the current status of soil health is being evaluated and on the basis of this report, crops are selected for farming and fertilizers are used.

उन्नत बीज के उपयोग में जोर – बिरसा फसल विस्तार योजना के द्वारा राज्य के किसानों को रियायती दर पर विभिन्न उन्नत बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। झारखंड सरकार ने एक अन्य योजना “बीज विनिमय एवं वितरण कार्यक्रम” के तहत किसानों को उन्नत बीज वितरित करती है ताकि उन्हें उत्पादन बढ़ाने में मदद मिल सके और उत्पादन लागत भी कम हो सके। वित्त वर्ष 2022-23 में खरीफ सीजन के दौरान धान व अन्य फसलों के 34124.44 क्विंटल प्रमाणित बीज वितरित किए जा चुके हैं।

Emphasis on use of improved seeds – Through Birsa Fasal Extension Scheme, various improved seeds are being made available to the farmers of the state at concessional rates. Under another scheme “Seed Exchange and Distribution Programme” the Government of Jharkhand distributes improved seeds to the farmers to help them increase production and also reduce the cost of production. During the Kharif season in the financial year 2022-23, 34124.44 quintals of certified seeds of paddy and other crops have been distributed.

जैविक कृषि को बढ़ावा – झारखंड सरकार ने भूमि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए 2017 में जैविक कृषि योजना शुरू की है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में जैविक कृषि को बढ़ावा देना है।

Promotion of Organic Agriculture – Jharkhand Government has launched Organic Agriculture Scheme in 2017 to increase the productivity of land. The main objective of this scheme is to promote organic agriculture in the state.

कृषि क्लिनिक योजना – 2015-16 में झारखंड सरकार द्वारा शुरू की गई कृषि क्लिनिक योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाना तथा किसानो की आय में वृद्धि करना। इस योजना के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य, पौधा-संरक्षण, फसल-बीमा, पशु-चारा आदि पर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय के स्नातकों द्वारा किसानों को परामर्श उपलब्ध कराया जाता है।

Agricultural Clinic Scheme – The objective of Agricultural Clinic Scheme launched by the Government of Jharkhand in 2015-16 is to increase agricultural production capacity and increase the income of farmers. Under this scheme, consultation is provided to the farmers by graduates of recognized universities on soil health, plant protection, crop insurance, animal feed etc.

विशिष्ट फसल की खेती को बढ़ावा – झारखंड की जलवायु और भौगोलिक दशाएं मोटे अनाज के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इसे देखते हुए विशिष्ट फसल योजना शुरू किया है यह योजना मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरू किया है।

Vishisht Fasal Yojna – The climate and geographical conditions of Jharkhand are suitable for the production of coarse grains. Keeping this in view, a specific crop scheme has been started to increase the production of coarse grains.

भूमि अम्लीयता को कम करने का प्रयास – झारखंड सरकार भूमि अम्लीयता को कम करने के लिए टाटा स्टील, बोकारो स्टील प्लांट, सिंदरी उर्वरक कारखाना से प्राप्त होने वाले बेसिक स्लैग का प्रयोग भूमि की अम्लीयता को दूर करने के लिए कर रही है।

Efforts to reduce soil acidity – Jharkhand Government is using basic slag obtained from Tata Steel, Bokaro Steel Plant, Sindri Fertilizer Factory to reduce soil acidity.

प्राकृतिक आपदा से निबटने का प्रयास

Efforts to cope with natural disaster

आपदा राहत योजना – झारखंड सरकार ने प्राकृतिक आपदा से होने वाले कृषि के नुकसान से राहत देने के लिए किसान राहत योजना तथा सुखाड़ राहत योजना की शुरुआत की है।

Disaster Relief Scheme – Jharkhand government has started Kisan Rahat Yojana and Drought Relief Scheme to provide relief from agricultural losses caused by natural disaster.

शैक्षणिक,तकनीकी सहायता – राज्य में सुखा, ओलापात, तड़ित आदि प्राकृतिक आपदा की स्थिति से निबटने के लिए SKIPA, JASC, BAU जैसे संस्थान शैक्षणिक और तकनीकी सहायता कर रहे है।

Educational, Technical Assistance – To deal with natural disaster situations like drought, hailstorm, lightning etc. in the state, institutes like SKIPA, JASC, BAU are providing educational and technical assistance.

किसान कॉल सेंटर की स्थापना – किसानों को आकस्मिक सलाह के लिए झारखंड कृषि विभाग ने 1800-123-1136 टोल फ्री नंबर जारी किया है।

Establishment of Kisan Call Centre – Jharkhand Agriculture Department has issued toll free number 1800-123-1136 for emergency advice to farmers.

कृषि लागत को बढ़ाने का प्रयास

पर्याप्त बजट आवंटन – झारखंड सरकार ने 2023-24 के बजट में पिछले आर्थिक वर्ष (2022-23) के तुलना में 40% वृद्धि करते हुए कुल ₹5831करोड़ कृषि और इससे संबंधित उद्योग के लिए आबंटित किए है। जिसमे ₹164 करोड़ प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के लिए सुरक्षित किए गए है।

Adequate budget allocation – Jharkhand government has allocated a total of ₹ 5831 crore for agriculture and related industries in the budget of 2023-24, an increase of 40% compared to the previous financial year (2022-23). In which ₹164 crore has been reserved for the Prime Minister Irrigation Scheme.

किसानो के लिए क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था – कृषि, मत्स्य पालन और पशुपालन क्षेत्र के किसानों की ऋण आवश्यकताओं को आसानी से पूरा करने के लिए नाबार्ड के सहयोग से द्वारा किसी किसानो के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की व्यवस्था की गई है।

Credit Card facility for farmers – Kisan Credit Card facility has been provided to farmers in collaboration with NABARD to easily meet the credit requirements of farmers in agriculture, fisheries and animal husbandry sector.

झारखंड कृषि ऋण माफी योजना – इस योजना के तहत राज्य सरकार किसानों का 50,000 रुपये तक का कर्ज माफ कर रही है।

Jharkhand Agriculture Loan Waiver Scheme – Under this scheme, the state government is waiving the loans of farmers up to Rs 50,000.

मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना – इस योजना का उद्देश्य खरीफ मौसम की शुरुआत से पहले सीमांत एवं छोटे किसानों को उनके बैंक खाते में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से प्रति वर्ष 5000 रुपये प्रति एकड़ (अधिकतम 5 एकड़ तक) दिए जाते हैं।

Mukhyamantri Krishi Ashirwad Yojna The objective of this scheme is to provide Rs 5000 per acre (up to a maximum of 5 acres) per year to marginal and small farmers through Direct Benefit Transfer (DBT) in their bank accounts before the beginning of Kharif season.

प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना – इस योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा प्रतिवर्ष ₹6000 कुल 3 किस्तों में दी जाती है।

Pradhan Mantri Samman Nidhi Yojana – Under this scheme, ₹6000 is given every year by the Central Government in total 3 installments.

Construction of Storage/cold storages

शीत भण्डारण का निर्माण

Food Corporation of India has opened a total of 375 warehouses in Jharkhand. The total storage capacity of these warehouses is 1.61 lakh metric tonnes. The maximum number of warehouses are in Gumla (30), Giridih (28), Palamu (27) respectively. For the purpose of safe storage of agricultural products cold storages of 5000 MT capacity have been approved in each district of the state. A total 117, capacity of 5MT eco-friendly mini solar cold rooms, which are fully solar powered are sanctioned in the financial year 2021-22 & 2022-23 .

स्टोरेज/कोल्ड स्टोरेज का निर्माण- झारखंड में भारतीय खाद्य निगम ने कुल 375 गोदाम खोले है। इन गोदामो की कुल भंडारण क्षमता 1.61 लाख मिट्रिक टन है। सबसे ज्यादा गोदाम क्रमश: गुमला(30), गिरिडीह (28), पलामू (27) है। कृषि उत्पादों के सुरक्षित भंडारण के उद्देश्य से राज्य के प्रत्येक जिले में 5000 मीट्रिक टन भंडारण क्षमता के कोल्ड स्टोरेज स्वीकृत किये गये हैं। वित्तीय वर्ष 2021-22 और 2022-23 में 5 मीट्रिक टन क्षमता के कुल 117 पर्यावरण अनुकूल मिनी सौर कोल्ड रूम स्वीकृत किए गए हैं, जो पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित हैं।

कृषि बाजार की व्यवस्था

कृषि विस्तार उप मिशन/ATMA कार्यक्रम- इस उप-मिशन का लक्ष्य झारखंड में कृषि विस्तार तंत्र को पुनर्गठित और मजबूत करना है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए, झारखंड सरकार ने कृषि विस्तार उप मिशन के लिए 41.36 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे और सरकार ने पहले ही 39.77 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल कर लिया।

Agricultural Extension Sub Mission/ATMA Program- This sub-mission aims to reorganize and strengthen the agricultural extension system in Jharkhand. For the financial year 2021-2022, the Jharkhand government has allocated Rs 41.36 crore for the Agricultural Extension Sub Mission है And the government has already achieved the target of Rs 39.77 crore.

झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक – 3 फरवरी, 2023 को झारखंड सरकार ने “झारखंड राज्य कृषि उपज एवं पशुधन विपणन विधेयक-2022” पारित किया। इस विधेयक में नए बाजारों की स्थापना के साथ-साथ बाजारों के आधुनिकीकरण के लिए कई प्रावधान हैं। यह विधेयक कृषि विपणन में निजी भागीदारी की बात करता है। इस विधेयक में राज्य के किसानों को आधुनिक विपणन व्यवस्था ‘एक देश एक बाजार’, ग्रामीण हाट के तहत इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल से जोड़ने का प्रावधान किया गया है।

WTC – World Trade Center is established at Ranchi to accelerate exports of Jharkhand. The World Trade Centre will boost exports of agricultural and food products.

WTC – झारखंड के निर्यात में तेजी लाने के लिए रांची में WTC( वर्ल्ड ट्रेड सेंटर) की स्थापना की गई है। झारखंड के निर्यात में तेजी लाने के लिए. वर्ल्ड ट्रेड सेंटर कृषि और खाद्य उत्पादों, कपड़ा, तसर उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देगा।

मुफ्त स्मार्ट फोन का वितरण – मुफ्त स्मार्ट फोन योजना के द्वारा e-NAM (National Agriculture Market) में पंजीकृत सभी किसानों के लिए झारखंड सरकार ने मुफ्त स्मार्ट फोन प्रदान करने की व्यवस्था की है। e-NAM 2016 में एकीकृत राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाया गया पोर्टल है। इस प्लेटफार्म से किसान अपने उत्पादों को उचित मूल्य में किसी भी बाजार में बेच सकता है।

Distribution of free smart phones – Through the Free Smart Phone Scheme, the Jharkhand government has made arrangements to provide free smart phones to all the farmers registered in e-NAM (National Agriculture Market). e-NAM is a portal created in 2016 with the aim of providing a unified national market. Through this platform, farmers can sell their products in any market at a fair price.

Some Other Initiative – Jharkhand Government has taken some other initiative to boost market for agriculture:- Palas Brand, SFURTI Scheme, JHARKRAFT, Food Park, Agro based park, Mega handloom clusters, Mukhyamantri Laghu Kutir Udyan Vikas Board, Agriculture Cooperative Society, JOHAR Scheme (2017), CM Jan Van Scheme, Didi Bagia Scheme (2021-22).

कुछ अन्य पहल – झारखंड सरकार ने कृषि के लिए बाजार को बढ़ावा देने के लिए कुछ अन्य पहल की हैं: – पलास ब्रांड, स्फूर्ति योजना, झारक्राफ्ट, फूड पार्क, कृषि आधारित पार्क, मेगा हैंडलूम क्लस्टर, मुख्यमंत्री लघु कुटीर उद्यान विकास बोर्ड, कृषि सहकारी समिति, जोहार योजना (2017), सीएम जन वन योजना, दीदी बगिया योजना (2021-22)।

जल संरक्षण (water conservation)

नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना द्वारा राज्य की वार्षिक जल संरक्षण क्षमता में 5 करोड़ लीटर की वृद्धि किया गया है। इस योजना में केत का पानी खेत के पास रोकने का लक्ष्य निर्धारित है। जल संरक्षण के विभिन्न संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है जैसे डोभा, पोखर, हैंडपम्प, कुँवा जल संकट से जूझ रहे पलामू प्रमंडल में भूगर्भ जल का स्तर बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है। झारखंड जल संरक्षण योजना, 2024 के द्वारा राज्य के 24 जिलों के 2,133 तालाबों का नवीनीकरण और 2,795 परकोलेशन टैंकों का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए 467.32 करोड़ का आवंटन किया गया है।

The state’s annual water conservation capacity has been increased by 5 crore liters through the Nilambar Pitambar Jal Samridhi Yojana. In this scheme, a target has been set to stop the farm water near the farm. Various structures for water conservation are being constructed such as Dobha, pond, hand pump, well etc. Efforts are being made to increase the level of ground water in Palamu division which is facing water crisis. Under the Jharkhand Jal Sanrakshan Yojana, 2024, 2,133 ponds in 24 districts of the state will be renovated and 2,795 percolation tanks will be constructed. An allocation of Rs 467.32 crore has been made for this.

सिंचाई के क्षेत्र में प्रयास

मानसून पर किसानों की निर्भरता को कम करने के लिए झारखंड सरकार ने कई पहल की है जो निम्नलिखित है:-

To reduce the dependence of farmers on monsoon, the Jharkhand government has taken several initiatives which are as follows:-

जल-निधि योजना – झारखंड सरकार द्वारा यह योजना 2015-16 में प्रारम्भ किया गया। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न स्रोतों से सिंचाई की व्यवस्था किया जाता है जैसे डीप बोरिंग, परकोलेशन टैंक, मायक्रोलिफ्ट सिंचाई।

Jal-Nidhi Yojana – This scheme was started by the Jharkhand government in 2015-16. Under this scheme, irrigation is arranged from various sources such as deep boring, percolation tank, microlift irrigation.

जल क्रांति अभियान – केंद्र सरकार ने इस अभियान की शुरुआत 2015-16 में की। इस अभियान के तहत झारखंड के सब्जी जिला के 2- 2 गांवो अर्थात 48 गाँव को जल-ग्राम घोषित कर जल के सभी आयामों में आत्मनिर्भर बनाया गया है। 2016-17 में इस सभी जल-ग्राम में CIWSP (Comprehensive Integrated Water Security Plan) योजना लागू किया गया।

Jal Kranti Abhiyan – The central government started this campaign in 2015-16. Under this campaign, 2 villages each, i.e. 48 villages of 24 district of Jharkhand were declared Jal-gram and made self-sufficient in all aspects of water.

सिंचाई पम्प के द्वारा सिंचाई की व्यवस्था – तिलका मांझी ग्रामीण पम्प योजना के द्वारा ग्रामीण सिंचाई पम्पो को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान समृद्धि योजना के अंतर्गत सोलर ऊर्जा से संचालित पम्प सेटो को उपलब्ध कराया जा रहा है।

Arrangement of irrigation through irrigation pumps – Free electricity connection is being provided to rural irrigation pumps through Tilka Manjhi Rural Pump Scheme. Solar energy connection is being provided under Kisan Samridhi Yojana.

माइक्रोड्रिप सिंचाई सिंचाई की व्यवस्था – Jharkhand Horticulture Intensification by MicroDrip Irrigation Project (JHIMDI) द्वारा ड्रिप सिंचाई के माध्यम से मजबूत और टिकाऊ बागवानी को बढ़ावा दिया जा रहा है।

Microdrip irrigation system – Jharkhand Horticulture Intensification by MicroDrip Irrigation Project (JHIMDI) is promoting strong and sustainable horticulture through drip irrigation.

भूमि सुधार

बंजर भूमि को उपयोग लायक बनाना – नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना के द्वारा 5 लाख एकड़ बंजर भूमि को उपयोग लायक बनाया जा रहा है।

Making barren land usable – 5 lakh acres of barren land is being made usable through the Nilambar Pitambar Jal Samridhi Yojana.

परती भूमि का कृषि में उपयोग – 2017 में आर्या योजना की शुरुआत की गई। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि-कर्म की और आकर्षित करना तथा राज्य में हरित क्रांति लाना है। इस योजना के तहत Agriculture Technology Management & Training Agency (ATMA) के माध्यम से हर गाँव के दो युवा का चयन करके कृषि के नई तकनीक का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये प्रशिक्षित युवा गाँव के परती भूमि को चिन्हित कर उसे खेती लायक बनाएंगे। हरित ग्राम योजना द्वारा प्रत्येक जिले में 1400 एकड़ परती भूमि को चिन्हित कर उसमें फलदार वृक्षों की मिश्रित बागवानी की जा रही है।

Use of fallow land in agriculture – ARYA Yojana was launched in 2017. Its main objective is to attract rural youth towards agriculture and bring green revolution in the state. Under this scheme, two youth from each village are being selected and trained in new agricultural techniques through Agriculture Technology Management & Training Agency (ATMA). These trained youth will identify the fallow land of the village and make it suitable for farming. Under the Green Village Scheme, 1400 acres of fallow land is being identified in each district and mixed gardening of fruit trees is being done in it.

जोत/प्लाट को विशिष्ट पहचान किया जाना – अलपीन योजना के द्वारा झारखंड सरकार हर जोत/प्लॉट को यूनिक नंबर प्रदान कर रही है और इसे मालिक के आधार नंबर से लिंक किया जा रहा है।

Unique identification of land holdings/plots– Under the ALPIN scheme, Jharkhand government is providing unique number to each land holding/plot and linking it with the Aadhaar number of the owner.

Educational/Training Support

SAMETI (STATE AGRICULTURAL MANAGEMENT & EXTENSION TRAINING INSTITUTE) – Need based training programmes are being organized by SAMETI for the farming community.

समेति (राज्य कृषि प्रबंधन एवं विस्तार प्रशिक्षण संस्थान) – समेति द्वारा कृषक समुदाय के लिए आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है।

समेकित बिरसा ग्राम-सह कृषक पाठशाला – झारखंड सरकार ने 15 अगस्त, 2021 को समेकित बिरसा ग्राम विकास योजना (कृषक पाठशाला) की शुरुआत की। इस कार्यक्रम के तहत कृषक पाठशाला में स्थानीय किसानों की क्षमता में सुधार किया जाएगा तथा उन्हें कृषि क्षेत्र, पशुपालन, मत्स्यपालन, सुअर पालन आदि क्षेत्रों में रोजगार के लिए प्रशिक्षित कर उनकी आय में वृद्धि की जाएगी। राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 90 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।

Integrated Birsa Village-cum-Farmers School – The Jharkhand government launched the Integrated Birsa Village Development Scheme (Farmers School) on August 15, 2021. Under this programme, capacity of local farmers will be improved in Krishak Pathshaala and their income will be increased by training them for employment in agriculture sector, animal husbandry, fisheries, pig farming etc.बी The state government has allocated Rs 90 crore for this scheme.

Agriculture based educational institutions –BAU is leading educational institutions in Jharkhand to technical support to Agriculture. There are some other institutions who provide education in agriculture like:- Rabindranath Tagore Agriculture College in Deoghar, Tilka Manjhi Agriculture College in Godda , College Of Agriculture in Garhwa, College Of Forestry in Ranchi, Faculty Of Forestry in Ranchi, College of Horticulture in Chaibasa.

कृषि आधारित शैक्षणिक संस्थान – बीएयू झारखंड में कृषि को तकनीकी सहायता देने वाला अग्रणी शिक्षण संस्थान है। कुछ अन्य संस्थान भी हैं जो कृषि में शिक्षा प्रदान करते हैं जैसे:- देवघर में रवींद्रनाथ टैगोर कृषि महाविद्यालय, गोड्डा में तिलका मांझी कृषि महाविद्यालय, गढ़वा में कृषि महाविद्यालय, रांची में वानिकी महाविद्यालय, रांची में वानिकी संकाय, चाईबासा में बागवानी महाविद्यालय।

Agriculture based research institute – Some Agriculture based research institute in Jharkhand are Oilseeds Research & Development Institute in Medininagar, Soil Research & Research Institute Hazaribagh, CTRTI in Namkum, IARI in Barhi, BAU (Ranchi) Giloy Research Institute BAU (Ranchi)

कृषि आधारित अनुसंधान संस्थान – झारखंड में कुछ कृषि आधारित अनुसंधान:- मेदिनीनगर में तिलहन अनुसंधान एवं विकास संस्थान, हजारीबाग में मृदा अनुसंधान एवं अनुसंधान संस्थान, नामकुम में सीटीआरटीआई, बरही में आईएआरआई, BAU (रांची) में गिलोय रिसर्च इंस्टीट्यूट।

New Agriculture Policies & Act

Jharkhand government has implemented several policies to promote agriculture & agro-based industry like Food Processing Industrial Policy 2015, Food/Fodder Processing Industry Policy 2015, Textile, Apparel and Footwear Policy 2016, MSME Act 2006, Purchasing Policy 2014, New Food Processing Policy under Jharkhand State Export Policy etc. The new Industrial Policy 2021 and Industrial Park and Logistics Policy 2022, Jharkhand Ethanol Production Promotion Policy-2022 have been made focused on agro-based industries & MAKE-IN-JHARKHAND’ initiative

झारखंड सरकार ने कृषि आधारित उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए कई नीतियां लागू की है। खाद्य प्रसंस्करण औद्योगिक नीति 2015, खाद्य/चारा प्रसंस्करण उद्योग नीति 2015, कपड़ा, परिधान और जूते नीति 2016, एमएसएमई अधिनियम 2006, क्रय नीति 2014, झारखंड राज्य निर्यात नीति के तहत नई खाद्य प्रसंस्करण नीति इत्यादि। नई औद्योगिक नीति 2021 और औद्योगिक पार्क एवं लॉजिस्टिक नीति 2022, झारखंड इथेनॉल उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2022 को कृषि आधारित उद्योग एवं मेक इन झारखंड नीति पर केंद्रित बनाया गया है।

Program & Mission

Sub Mission of Agriculture Extension (SMAE)/ATMA Program- The goal of this sub-mission is to restructure and strengthen the agricultural extension apparatus. For the fiscal year 2021–2022, the Jharkhand government had set aside 41.36 crores rupees for the Sub Mission of Agriculture Extension and the government has already achieved target of 39.77 crore rupees.

कृषि विस्तार उप मिशन/ATMA कार्यक्रम- इस उप-मिशन का लक्ष्य झारखंड में कृषि विस्तार तंत्र को पुनर्गठित और मजबूत करना है। वित्तीय वर्ष 2021-2022 के लिए, झारखंड सरकार ने कृषि विस्तार उप मिशन के लिए 41.36 करोड़ रुपये निर्धारित किए थे और सरकार ने पहले ही 39.77 करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल कर लिया।

Bringing Green Revolution to Eastern India (BGREI)- This programme was launched in 2010-11 to address the constraints limiting the productivity of ‘rice-based cropping systems’ in eastern India comprising seven states which also included Jharkhand.

पूर्वी भारत में हरित क्रांति लाना (बीजीआरईआई)- यह कार्यक्रम 2010-11 में शुरू किया गया पूर्वी भारत के सात राज्यों में ‘चावल आधारित फसल प्रणालियों’ की उत्पादकता को सीमित करने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए, जिसमें झारखंड भी शामिल है।

Jharkhand State Horticulture Mission Society – For implementation of NHM programmes in the state a Society a JSHM has been launched.

झारखंड राज्य बागवानी मिशन सोसाइटी – राज्य में एनएचएम कार्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए एक सोसाइटी जेएसएचएम शुरू की गई है।

Conclusion- In the last two years, the state has been suffering from droughts caused by climate change. There is a need to implement measures to adapt to climate change. There has been an increase in micro schemes for irrigation. The year 2023-24 has seen an increase in the number of small and marginal farmers receiving agricultural financing which is a mark of addressing the problem of agricultural costs. Horticulture development has immense potential not only to meet the local demand of fruits, vegetables, flowers, medicinal and aromatic plants but also has immense export potential. There are ample opportunities for setting up food processing units in the state. All this should be accompanied by an established and healthy agricultural marketing system that can ensure profitable prices for the farmers.

निष्कर्ष- पिछले दो वर्षों में, राज्य जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न सुखा से ग्रस्त है। जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने के लिए जरूरी उपायों के क्रियान्वयन की आवश्यकता है। सिंचाई के लिए सूक्ष्म योजनाओ में वृद्धि हुई है। वर्ष 2023- 24 कृषि वित्तपोषण प्राप्त करने वाले छोटे और सीमांत किसानों की संख्या में वृद्धि देखी गई है जो कृषि लागत की समस्या को दूर करने की पहचान है। बागवानी विकास में न केवल फलों, सब्जियों, फूलों, औषधीय और सुगंधित पौधों की स्थानीय मांग को पूरा करने की अपार संभावनाएं हैं, बल्कि निर्यात की भी अपार संभावनाएं है। राज्य में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए पर्याप्त अवसर हैं। इन सबके साथ एक स्थापित और स्वस्थ कृषि विपणन प्रणाली भी होनी चाहिए जो किसानों के लिए लाभदायक मूल्य सुनिश्चित कर सके।

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