झारखंड जनजातीय परिचय
Jharkhand Tribes Introduction
झारखंड में कुल 32 जनजातियाँ है। झारखंड के निर्माण के समय 30 जनजातियाँ थी। 8 जनवरी 2003 में कवर और कोल को शामिल करने के बाद जनजातियों की संख्या 32 हो गई। झारखंड की 32 जनजातियाँ निम्न है:-
1) संताल 2) उराँव 3) मुंडा 4) हो 5) खरवार 6) लोहारा 7) खड़िया 8) भूमिज 9) माहली 10) माल पहाड़िया 11) गोंड 12) चेरो 13) चिक बड़ाईक 14) सौरिया पहाड़िया 15) करमाली 16) कोरा 17) परहिया 18) कोरबा 19) असुर 20) गौडाइत 21) बिरहोर 22) बिरजिया 23) बैगा 24) खोंड 25) बथुड़ी 26) किसान 27) बंजारा 28) सबर 29) बिंझिया 30) बेदिया 31) कवर और 32) कोल।
झारखंड के जनजातियो में सबसे ज्यादा जनसंख्या संताल की है तथा सबसे कम जनसंख्या खोंड की है।
आदिवासियों की ज्यादा जनसंख्या (घटते क्रम में):-
संताल > उराँव > मुंडा > हो > खरवार > लोहारा > खड़िया
3 सबसे कम जनसंख्या वाली आदिवासी ( बढ़ते क्रम में):-
खोंड <बंजारा < बथुड़ी
आदिम जनजाति (Primitive Tribes)
उपरोक्त 32 जनजाति में से 8 जनजाति को आदिम जमजाति के श्रेणी में रखा गया है। इन जनजातियों की सामाजिक, आर्थिक स्थिति बहुत दयनीय है। ये 8 आदिम जनजाति है:- 1) माल पहाड़िया 2) सौरिया पहाड़िया 3) असुर 4) कोरबा 5) बिरहोर 6) बिरजिया 7) परहिया 8) सबर।
आदिम जनजातियों में सबसे ज्यादा जनसंख्या माल पहाड़िया की और सबसे कम बिरजिया की है।
आबादी के आधार पर आदिम जनजातियों का क्रम:-
माल पहाड़िया > सौरिया पहाड़िया > कोरबा > परहिया > बिरहोर > असुर > सबर > बिरजिया
सदान जनजाति (Sadan Tribes)
झारखंड के 32 जनजातियों में 7 जनजाति को सदान जनजाति कहा जाता है। ये जनजाति प्राचीन काल मे सदान थे। ये 7 जनजाति है:- 1) बिरजिया 2) चिक बड़ाईक 3) करमाली 4) लोहारा 5) माहली 6) किसान 7) गौडाइत।
सदान जनजाति में सबसे ज्यादा जनसंख्या लोहारा का और सबसे कम जनसंख्या बिरजिया का है।
राजपूत जनजाति
झारखंड के 32 जनजातियों में 5 जनजाति को राजपूत जनजाति कहा जाता है। ये अपने को उच्च हिन्दू मानते है। ये 5 जनजाति है:- बथुड़ी, बेदिया, बिंझिया, चेरो, खरवार। राजपूत जनजाति में सबसे ज्यादा जनसंख्या खरवार और सबसे कम जनसंख्या बथुड़ी की है।
प्रजातीय वर्गीकरण
प्रजातीय समूह के आधार पर झारखंड के आदिवासियों को तीन समुहों में रखा गया है:- प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड (Proto-Australoid), ऑस्ट्रालॉयड (Auatraloid/Pre-Dravidian) और द्रविड़ियन (Dravidian)। झारखंड में पाए जाने वाले जनजातियों में ज्यादातर प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड समूह में आते है। प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड की जनसंख्या भी ज्यादा है। सबसे कम जनजाति (2) ऑस्ट्रालॉयड समूह में आते है और इस श्रेणी की जनसंख्या भी सबसे कम है।
प्रोटो-आस्ट्रेलॉयड – इस वर्ग में संताल, हो, लोहारा, खड़िया, भूमिज, माल पहाड़िया, सौरिया पहाड़िया, परहिया, कोरबा, असुर, बिरहोर और सबर
ऑस्ट्रालॉयड – इस वर्ग में सिर्फ दो जनजाति आते है:- मुंडा और करमाली
द्रविड़ियन – इस वर्ग में उराँव, खरवार, माहली, गोंड, खोंड, चेरो, चिक बड़ाईक, गौडाइत, बिरजिया, बैगा, बथुड़ी, किसान, बिंझिया, बेदिया आते है।
2011 की जनगणना में Tribes की स्थिति
💕 झारखंड में अनुसूचित जनजातियों की संख्या की संख्या 86,45,042 है जो राज्य की कुल जनसंख्या का 26.20% है। (2011 जनगणना के अनुसार)। झारखंड में जनजातियों का मुख्य संकेन्द्रण पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती क्षेत्रों में है। भारत की कुल 08.30% आबादी झारखण्ड में निवास करती है।
💕 राज्य में आदिम जनजातियों की कुल संख्या 1,92,425 है जो झारखंड की जनसंख्या का 0.72% है। 2011 जनगणना के अनुसार)
💕 झारखंड में जनजातीय साक्षरता दर 40.70% है। पुरुष साक्षरता दर 54% वही महिला साक्षरता दर 27.20% है। सबसे ज्यादा साक्षरता उराँव जनजाति में पाई जाती है। 2011 जनगणना के अनुसार)
💕 2001-11 के दौरान ST जनसंख्या विकास दर 17.3% आँकी गई जो 1991-2001 के विकास दर से 6% (23.3%) कम है।
💕 91.7% ST की जनसंख्या गांवों में निवास करती है।
💕 जनजातीय जनसंख्या के हिसाब से 4 सबसे बड़े जिले:-
राँची > पश्चिम सिंहभूम > गुमला > पूर्वी सिंहभूम
💕 सबसे कम आबादी वाले चार जिले:-
कोडरमा < चतरा < हज़ारीबाग < देवघर में है ।
💕 जनजातीय जनसंख्या प्रतिशत के हिसाब से 4 सबसे बड़े जिले:- खूँटी > सिमडेगा > गुमला > पश्चिम सिंहभूम
💕 जनजातीय जनसंख्या में प्रतिशत के हिसाब से 4 सबसे छोटे जिले:-
कोडरमा < चतरा < हज़ारीबाग < धनबाद
💕 जनजातीय जनसंख्या के हिसाब से झारखंड का भारत मे 7th स्थान है। वही जनसंख्या प्रतिशत के हिसाब से 10 वां स्थान (Including UT)।
💕 जनजातियों में लिंगानुपात 987 है। सबसे ज्यादा बोली जाने वाली जनजातीय भाषा संताली है।
💕 2001 के जनसंख्या के आधार पर ST की जनसंख्या प्रतिशत 26.3% था जो 2011 कि जनगणना में 0.1% घटकर 26.2% हो गया।
नदी और जनजातियों का सम्बंध
दामोदर नदी – करमाली जनजाति इस नदी को पवित्र नदी मानते हैं और इसकी पूजा करते हैं।
तजना नदी – पुराने समय में असुर सभ्यता का विकास सजना और कोटरी नदी के घाटियों में हुआ था।
बांसलोई नदी – इस नदी के तट पर पहाड़िया जनजातियों का सघन निवास पाया जाता है।
महानदी – इस नदी के तट पर सबर जनजातियों का मुख्य निवास स्थान है।
स्वर्णरेखा नदी – इस नदी के तट पर वो बथूड़ी जनजातियों का सघन निवास स्थान है।
Jharkhand Tribes Introduction (Type Of Marriage)