Jaipal Singh Munda

Jaipal Singh Munda Biography | जयपाल सिंह मुंडा की जीवनी|

झारखंड के विभूति

जयपाल सिंह मुंडा की जीवनी

Jaipal Singh Munda का जन्म खूँटी जिला के टकराहातु पाहनटोली गाँव में 3 जनवरी 1903 को हुआ था। इसके पिता का नाम अमरु पाहन और माता का नाम राधामणि था। इसकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के मिशनरी स्कूल से शुरू हुआ। 1910 में ईसाई धर्म स्वीकार कर लेने के कारण उसे राँची स्थित सेंट पॉल स्कूल में दाखिला मिल गया।

उसकी कुशाग्र बुद्धि से प्रभावित होकर उस स्कूल के हेडमास्टर केनन कोसग्रोव ने उसे सेंट अगस्सेंटाइन कॉलेज, सेंट जॉन्स कॉलेज और ऑक्सफोर्ड (सारे इंग्लैंड में) भेजा। वहीं से अर्थशास्त्र में 1922 में M A पास हुए थे। सेंट जॉन्स कॉलेज में जूनियर कॉमन रूम का प्रेसिडेंट बनाया गया। इससे पहले किसी गैर – ब्रिटिश को यह अवसर प्राप्त नही हुआ था।1927-28 में ये इंडियन सिविल सर्विस में चयनित हुए। उसे प्रशिक्षण के लिए इंग्लैंड भेज दिया गया,मगर उसी वर्ष 1928 में ओलंपिक गेम के वजह से प्रशिक्षण पूरा न कर सके। ओलंपिक के बाद इसे फिर से इंडियन सिविल सर्विस का प्रशिक्षण लेने को कहा गया मगर इन्होंने ICS से त्यागपत्र दे दिया।

1934 मेंं ये प्रिंस ऑफ वेल्स कॉलेज एचिमोटा गोल्ड कोस्ट, घाना में अध्यापक बने। 1937 में वो इंडिया आए और राजकुमार कॉलेज, रायपुर में वाइस प्रिंसिपल बने। 1938 में बीकानेर रियासत में राजस्व मंत्री पद में नियुक्त हुए।

ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में जयपाल सिंह ऑक्सफोर्ड हॉकी टीम के सदस्य थे। 1925 में “ऑक्सफोर्ड ब्लू” का खिताब पाने वाले पहले भारतीय हॉकी खिलाड़ी बने। हॉकी के मैदान में जयपाल सिंह डिफेंडर की भूमिका निभाते थे। 1928 में इसके नेतृत्व में भारत ने हॉकी में पहला ओलंपिक गोल्ड मेडल जीता। यह ओलंपिक एमस्टर्डडम (निदरलैंड) में हुआ था।

राजनीतिक जीवन – दिसंबर 1938 में जब जयपाल सिंह राँची आए तब छोटानागपुर-संथाल परगना आदिवासी सभा के बड़े बड़े नेता थियोडोर सुरीन, बंदीराम उरांव, पॉल दयाल, इग्नेस बेक, ठेबले उरांव इससे मिले। उन सबने आग्रह किया की वो आगामी वर्ष होने वाले इस पार्टी के वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता करे। इसे जयपाल सिंह ने स्वीकार कर लिया। हरमू नदी के तट पर सभा भवन मैदान में 20-21 जनवरी 1939 में छोटानागपुर-संथाल परगना आदिवासी सभा की दूसरी अधिवेशन की अध्यक्षता जयपाल सिंह मुंडा ने किया और इसी अधिवेशन में इस पार्टी का नाम बदलकर आदिवासी महासभा कर दिया गया। इस तरह जयपाल सिंह मुंडा आदिवासी महासभा के प्रथम अध्यक्ष बने।

इसी अधिवेशन में पहली बार छोटानागपुर-संथाल परगना को अलग राज्य का दर्जा देने की मांग की गई। इसी अधिवेशन में पहली बार 21 जनवरी 1939 को जयपाल सिंह ने बिहार से छोटानागपुर -संथालपरगना क्षेत्र के अलगाव का एक प्रस्ताव पेश किया जिसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

झारखंड पार्टी की स्थापना – 1950 में जयपाल सिंह मुंडा ने आदिवासी महासभा के साथ यूनाइटेड झारखंड पार्टी का विलय करके एक नई राजनीतिक पार्टी ” झारखंड पार्टी” की स्थापना की जिसका चुनाव चिन्ह मुर्गा था। 1952 में झारखंड पार्टी ने 33 सिटी जीती और मुख्य विपक्षी दल बना और इसी वर्ष लोकसभा चुनाव में झारखंड पार्टी के पाँच सांसद बने।

जयपाल सिंह स्वयं खूँटी विधान सभा से जीते। 1957 के चुनाव में भी 32 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी दल बने रहे। मगर 1962 में सिर्फ 20 सीट आया। 1963 में झारखंड पार्टी का विलय कांग्रेस पार्टी में कर दिया गया जिससे जयपाल सिंह को तीव्र आलोचना का सामना करना पड़ा।

विलय के बाद बिहार राज्य के विनोदानंद झा के सरकार में जयपाल सिंह सामुदायिक विकास मंत्री बने। लेकिन वो मात्र एक महीने तक ही मंत्री रहे। जयपाल सिंह ने पुनः झारखंड पार्टी को जीवित करने के लिए 1969 में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिए। इनका निधन दिल्ली में 20 मार्च 1970 में प्रमस्तिष्कीय रक्तस्राव से हो गया।

जयपाल सिंह मुंडा पर लिखी गई पुस्तक

1. “आदिवासीडोम(आदिवासीयत)” एक पुस्तक है जिसमे जयपाल सिंह मुंडा द्वारा लिखे गए लेख,दिए गए भाषण और वक्तव्य का संकलन है।इसे अश्विनी कुमार पंकज ने लिखा है।

2. प्रख्यात पत्रकार बलबीर दत्त ने “जयपाल सिंह: एक रोमांचक अनकही कहानी” नामक पुतक लिखी है।

3. झारखंड के प्रसिद्ध नाटककार गिरधारी राम गौंझू ने एक नाटक “अमृतपुत्र:मरांग गोमके जयपाल सिंह” लिखा है।

4. Lo bir sendra : Autobiography ये जयपाल सिंह की आत्मकथा है जिसका संपादन रश्मि कात्यायन ने किया।

5. The Life & Time Of Jaipal Singh इस पुस्तक के लेखक संतोष किरो है।

6. A Memoit Of Jaipal Singh Munda के रचयिता रश्मि कात्यायन है।

संविधान सभा में जयपाल मुंडा – जयपाल सिंह मुंडा संविधान सभा के सदस्य भी चुने गए थे। ये संविधान सभा में मौलिकअधिकार समिति के सदस्य थे।इसके आलावा और भी व्यक्ति झारखंड क्षेत्र से थे।जिसके नाम निम्न है:-

a) रामनारायण सिंह

b) कृष्ण वल्लभ सहाय

c) विनोदानंद झा

d) बेनिफेस लकड़ा

e) गुप्तनाथ सिंह

f) देशबंधु गुप्ता

g) यदुवंश सहाय

h) महंता

I) पी के सेन

j) नारायण महथा

Important Facts Of Jaipal Singh Munda

1. इंदिरा गांधी नेशनल ट्राइबल यूनिवर्सिटी, अमरकंटक में जयपाल सिंह मुंडा स्टेडियम बनाया गया है।

2. जयपाल सिंह 1952 से 1970 तक(मृत्यु तक ) खूँटी से सांसद रहे।

3. जयपाल सिंह पहले आदिवासी थे जिसका इंडियन सिविल सर्विस में चयन हुआ।

4. जयपाल सिंह मुंडा ने दो विवाह किए तारा मजूमदार से और जहां आरा से।

Note:- तारा मजूमदार डब्लू सी बनर्जी की बेटी थी।डब्लू सी बनर्जी पहला कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष थे और जहां आरा ब्रिटिश फौज के कर्नल रोनाल्ड कार्टिश की पूर्व पत्नी थी।

5. जयपाल सिंह मुंडा का मूल नाम वेनंद पाहन था। खूँटी के एक पुरोहित जयपाल मिश्रा ने इसका नाम जयपाल सिंह रख दिया।

6. इसके उपनाम मरांग गोमके (बड़ा नेता) और मुंडा राजा है।

7. जयपाल सिंह को मरांग गोमके की उपाधि 1939 में आदिवासी महासभा (पुराना नाम छोटानागपुर-संथाल परगना आदिवासी महासभा) ने दी।

8. 1957 के चुनाव में जयपाल सिंह ने मुंबई की एक पारसी मीनू मसानी को राँची सीट से चुनाव में जीत दिलाया था जिससे इसकी बहुत आलोचना हुई और इसकी लोकप्रियता में कमी आई।

9. जयपाल सिंह की दूसरी पत्नी जहांआरा इंदिरा गांधी के मंत्रिपरिषद में परिवहन और विमाननन विभाग में उप मंत्री बनाए जाने पर भी जयपाल सिंह मुंडा की कड़ी आलोचना हुई।

10. जयपाल सिंह मुंडा ने “आदिवासी सकम” नामक साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया था।यह पत्रिका आदिवासी महासभा संगठन का मुखपत्र था। इसका संपादन 1940 से शुरू हुआ था।

11. जयपाल सिंह के सांस्कृतिक गुरु सुकरा पाहन थे।

12. सर्वप्रथम वृहत झारखंड की मांग जयपाल सिंह मुंडा ने किया था।

13. ईसाई धर्म अपनाते समय इसका नाम ईश्वर दास हुआ मगर आदिवासीयत को जिंदा रखने के लिए इसने इस नाम का आगे प्रयोग नहीं किया।

Jaipal Singh Munda

Jaipal Singh Munda was born on 3 January 1903 in Takarahatu Pahantoli village of Khunti district. His father’s name was Amaru Pahan and mother’s name was Radhamani. His primary education started from the village missionary school. Due to his acceptance of Christianity in 1910, he got admission in St. Paul’s School, Ranchi.

Impressed by his sharp intellect, the headmaster of that school, Kenan Cosgrove, sent him to St. Augustine’s College, St. John’s College and Oxford (all in England). From there he passed MA in Economics in 1922. Made the President of Junior Common Room in St. John’s College. Before this, no non-British person had got this opportunity. In 1927-28, he was selected in the Indian Civil Service. He was sent to England for training, but could not complete the training due to the Olympic Games in the same year 1928. After the Olympics, he was again asked to take training for Indian Civil Service but he resigned from ICS.

In 1934 he became a teacher at Prince of Wales College, Achimota, Gold Coast, Ghana. In 1937, he came to India and became Vice Principal of Rajkumar College, Raipur. In 1938, he became the Revenue Minister in Bikaner state.

Jaipal Singh was a member of the Oxford hockey team at Oxford University. Became the first Indian hockey player to receive the title of “Oxford Blue” in 1925. Jaipal Singh used to play the role of defender in the hockey field. In 1928, under his leadership, India won the first Olympic gold medal in hockey. This Olympics took place in Amsterdam (Netherlands).

Political life – When Jaipal Singh came to Ranchi in December 1938, prominent leaders of Chhotanagpur-Santhal Pargana Tribal Sabha, Theodore Surin, Bandiram Oraon, Paul Dayal, Ignace Beck, Theble Oraon met him. All of them requested that he preside over the annual convention of this party to be held in the coming year. Jaipal Singh accepted this. Jaipal Singh Munda presided over the second session of Chhotanagpur-Santhal Pargana Tribal Sabha on 20-21 January 1939 at the Sabha Bhawan grounds on the banks of river Harmu and in the same session the name of this party was changed to Adivasi Mahasabha. In this way Jaipal Singh Munda became the first president of the Adivasi Mahasabha. In this session, for the first time, a demand was made to give the status of a separate state to Chhotanagpur-Santhal Pargana. In the same session, for the first time on 21 January 1939, Jaipal Singh presented a proposal for separation of Chhotanagpur-Santhalpargana region from Bihar, which was passed unanimously.

Establishment of Jharkhand Party – In 1950, Jaipal Singh Munda merged the United Jharkhand Party with the Adivasi Mahasabha and established a new political party “Jharkhand Party” whose election symbol was the cock. In 1952, Jharkhand Party won 33 cities and became the main opposition party and in the same year, Jharkhand Party had five MPs in the Lok Sabha elections.

Jaipal Singh himself won from Khunti Assembly. Even in the 1957 elections, it remained the main opposition party by winning 32 seats. But in 1962 only 20 seats came. In 1963, Jharkhand Party was merged with Congress Party due to which Jaipal Singh had to face intense criticism.

After the merger, Jaipal Singh became the Community Development Minister in the government of Vinodanand Jha of Bihar state. But he remained minister only for one month. Jaipal Singh resigned from the Congress Party in 1969 to revive the Jharkhand Party. He died of cerebral hemorrhage on 20 March 1970 in Delhi.

Books On Jaipal Singh Munda

1. “Adivasidom” is a book which is a compilation of articles, speeches and statements written by Jaipal Singh Munda. It has been written by Ashwini Kumar Pankaj.

2. Renowned journalist Balbir Dutt has written a book titled “Jaipal Singh: An Exciting Untold Story”.

3. Jharkhand’s famous playwright Girdhari Ram Gaunjhu has written a play “Amritputra: Marang Gomke Jaipal Singh”.

4. Lo bir sendra: Autobiography This is the autobiography of Jaipal Singh which was edited by Rashmi Katyayan.

5. The Life & Time Of Jaipal Singh– The author of this book is Santosh Kiro.

6. The author of A Memoit Of Jaipal Singh Munda is written by Rashmi Katyayan.

Jaipal Munda in the Constituent Assembly – Jaipal Singh Munda was also elected member of the Constituent Assembly. He was a member of the Fundamental Rights Committee in the Constituent Assembly. Apart from this, there were other people from Jharkhand region. Whose names are as follows:-

a) Ramnarayan Singh

b) Krishna Vallabh Sahay

c) Vinodonand Jha

d) Benefes Lakra

e) Guptnath Singh

f) Deshbandhu Gupta

g) Yaduvansh Sahay

h) Mahanta

I) PK Sen

j) Narayan Mahatha

Important Facts Of Jaipal Singh Munda

1. Jaipal Singh Munda Stadium has been built at Indira Gandhi National Tribal University, Amarkantak.

2. Jaipal Singh was MP from Khunti from 1952 to 1970 (until his death).

3. Jaipal Singh was the first tribal to be selected in the Indian Civil Service.

4. Jaipal Singh Munda married twice, to Tara Majumdar and to Jahan Ara.

Note:- Tara Majumdar was the daughter of WC Banerjee. WC Banerjee was the president of the first Congress session and Ara was the colonel of the British Army.

5. Jaipal Singh Munda’s original name was Venand Pahan. Jaipal Mishra, a priest of Khunti, named it Jaipal Singh.

6. Its nicknames are Marang Gomke (big leader) and Munda Raja.

7. Jaipal Singh was given the title of Marang Gomke by the Adivasi Mahasabha (old name Chhotanagpur-Santhal Pargana Adivasi Mahasabha) in 1939.

8. In the 1957 elections, Jaipal Singh made Meenu Masani, a Parsi from Mumbai, win the election from Ranchi seat, which led to a lot of criticism and its popularity declined.

9. Jaipal Singh Munda was strongly criticized even after Jaipal Singh’s second wife Jahanara was made the Deputy Minister of Transport and Aviation Department in Indira Gandhi’s Council of Ministers.

10. Jaipal Singh Munda edited a weekly magazine named “Adivasi Sakam”. This magazine was the mouthpiece of the Adivasi Mahasabha organization. Its editing started in 1940.

11. Jaipal Singh’s cultural guru was Sukra Pahan.

12. The demand for Greater Jharkhand was first made by Jaipal Singh Munda.

13. While adopting Christianity, his name became Ishwar Das, but to keep tribalism alive, he did not use this name further.

Jaipal Singh Munda का Detailed Video

https://youtu.be/opWkud6eqaM

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