Central Highland Of India

भारत की केंद्रीय उच्च भूमि | Central Highland Of India

India Geography

केंद्रीय उच्चभूमि

Central Highland Of India

प्रायद्वीपीय पठार को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है केंद्रीय उच्च भूमि, पूर्वी पठार, उत्तरी पूर्वी पठार तथा दक्कन का पठार। इन पठार में भी कई पठार शामिल है। इसलिए प्रायद्वीपीय पठार को पठारो का पठार कहा जाता है। प्रायद्वीपीय पठार की आकृति और नियमित त्रिभुजाकार है। इस पठार का विस्तार उत्तर पशम में अरावली पर्वत श्रेणी तथा दिल्ली, पूर्व में राजमहल की पहाड़ियां, पश्चिम में गीर की पहाड़ियां दक्षिण में इलायची की पहाड़ियां तथा पूर्वोत्तर में शिलांग तथा कार्बी-ऐंगलोंग (असम) पठार तक है। इस पठार की ऊंचाई 600 से 900 मीटर है। यह प्रायद्वीपीय पठार गोंडवाना लैंड से टूटकर उत्तर दिशा में प्रवाहित होने के कारण बना है। प्रायद्वीपीय पठार की ऊंचाई पश्चिम से पूर्व की ओर कम होती जाती है। इस वजह से प्रायद्वीपीय पठार की अधिकांश नदियों का प्रवाह पूर्व की ओर है। किंतु दो बड़ी नदियां नर्मदा एवं ताप्ती का प्रवाह पश्चिम की ओर है क्योंकि यह भ्रंश घाटी से होकर गुजरती है।

Boundry Of Central Highland Of India

अरावली पर्वत श्रृंखला, विंध्याचल पर्वत शृंखला, मालवा का पठार, मेवाड़ का पठार, बुंदेलखंड का पठार, बघेलखंड का पठार को सम्मिलित रूप से केंद्रीय उच्च भूमि कहा जाता है।

मालवा का पठार

मालवा का पठार अरावली पर्वत श्रृंखला और विंध्याचल पर्वत शृंखला के मध्य अवस्थित है। इसका निर्माण लावा (बेसाल्ट चट्टानों के) के अपक्षय और अपरदन से हुआ है। मालवा पठार का निर्माण दरारी उद्भेदन (Fissure) के द्वारा हुआ है। इसके पूर्व में बुंदेलखंड का पठार तथा उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़ियां (मेवाड़ का पठार) है। इसके दक्षिण में विंध्याचल पहाड़ी तथा दक्कन का पठार स्थित है। इसके उत्तर में नदियों के कछारी निक्षेप तथा यमुना का खादर क्षेत्र स्थित है। इसका ढाल उत्तर पूर्व की तरफ है। मालवा पठार का मुख्य भाग मध्यप्रदेश में भी स्थित है और कुछ भाग राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश में भी है। इस पठार में काली मिट्टी पाई जाती है, इसलिए मालवा के पठार में कपास की खेती बहुत ज्यादा होती है और इस क्षेत्र में सूती वस्त्र उद्योग विकसित अवस्था में है। मालवा पठार की सर्वोच्च चोटी सिगार पहाड़ (881 मी) है।

Note:- पौधों में सबसे बड़ी कोशिका कपास की तंतु के होते हैं।

Note:- मालवा के पठार, मेवाड़ के पठार और बुंदेलखंड के पठार को सम्मिलित रूप से मालवा उच्च भूमि कहा जाता है।

मालवा क्षेत्र में भूमिगत जल की कमी क्यों पाई जाती है?

मालवा क्षेत्र बेसाल्ट चट्टानों (लावा) से बनी हुई है, यह चट्टाने बहुत ही कठोर होती है तथा इसमें में छिद्र नहीं होते हैं जिससे जल का रिसाव नीचे की तरफ नहीं हो पाता है। इस वजह से मालवा क्षेत्र में अच्छी बारिश होने के बावजूद भी भूमिगत जल का अभाव पाया जाता है। बरसात के समय में इस क्षेत्र की पानी नदियों के द्वारा समुद्र में प्रवेश कर जाती है।

मालवा एक समप्राय मैदान (Peneplain) है क्योंकि इसका मैदानी रूप नदियों के अपरदन के कारण हुआ है। मालवा एक उर्मिल मैदान है क्योंकि इसमें उत्तर पूर्व की तरह तीव्र ढाल (400-500 CM/KM) पाए जाते हैं। इस वजह से विंध्याचल से निकलकर गंगा नदी प्रणाली में मिलने वाली सारी नदियां तीव्र गति से बहती हुई अचानक मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इससे अपने साथ लाए हुए अवसादो को जमा करने लगती है। इन अवसादो के नदियों द्वारा खड्ड अपरदन (Gully Erosion, गहराई से काटना) करने से बीहड़ (Bad Land) का निर्माण होता है। इस तरह क्षेत्र से गुजरने वाली सभी नदियां बीहड़ का निर्माण करती है।

मालवा से होकर बहने वाली नदियां

मालवा से गुजरने वाली सारी नदियां गंगा नदी तंत्र में मिल जाती है। इस क्षेत्र से गुजरने वाली नदियां है चंबल, क्षिप्रा, काली सिंध, सिंध, पार्वती, बनास, सोन, बेतवा, धासन। इस क्षेत्र की सभी नदियां खड्ड अपरदन या अवनालिका अपरदन करती है और बिहड का निर्माण करती है। जो पुराने जमाने में डाकुओं के छिपने का स्थान हुआ करता था। बुंदेलखंड के क्षेत्र में बिहड का सबसे ज्यादा निर्माण होता है

मेवाड़ का पठार

यह पठार मुख्य रुप से राजस्थान में अवस्थित है। इसका कुछ भाग मध्य प्रदेश में पड़ता है। मेवाड़ का पठार अरावली पर्वत श्रृंखला को मालवा के पठार से अलग करता है। यह पठार अरावली पर्वत से निकलने वाली नदी बनास के अपवाह क्षेत्र के अंतर्गत आती है।

बुंदेलखंड का पठार

बुंदेलखंड का पठार मालवा के पश्चिम भाग में अवस्थित है। यह पठार मालवा के पठार और बघेलखंड के पठार के मध्य में है। इस पठार की मुख्य नदियां बेतवा और धासन है। बुंदेलखंड के दक्षिण में तथा मालवा पठार के पूर्व में भांडेरखंड का पठार अवस्थित है। यह पठार उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में स्थित है इस पठार के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के 7 जिले तथा मध्य प्रदेश के 8 जिले आते हैं।

उत्तर प्रदेश के जिले – ललितपुर, झांसी, जालौन, हमीरपुर, चित्रकूट, महोबा और बांदा

मध्य प्रदेश के जिले – निवाड़ी, टीकमगढ़, छतरपुर, दतिया, पन्ना विदिशा, दमोह और सागर।

Note:- ग्रेनाइट तथा निस चट्टानों की प्रधानता के कारण बुंदेलखंड पठार में लाल मृदा का विकास हुआ है। बुंदेलखंड पठार में चंबल नदी के द्वारा बनाए गए महा खंडों को उत्पाद भूमि या बीहड़ कहते हैं। यह पठारी क्षेत्र आर्थिक दृष्टि से एक पिछड़ा क्षेत्र है क्योंकि यह सूखा प्रभावित है।

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Brahmputra River Class

https://youtu.be/j_Q5DK-RAPQ

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