झारखंड की कृषि संबंधित योजनाएँ
Agriculture Scheme Of Jharkhand
आर्या योजना (ARYA Scheme) –ARYA योजना का फुल फॉर्म Attracting & Retaing Youth In Agriculture है। इस योजना की शुरुआत 2017 में की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि-कर्म की और आकर्षित करना तथा राज्य में हरित क्रांति लाना है। इस योजना के तहत Agriculture Technology Management & Training Agency (ATMA) के माध्यम से हर गाँव के दो युवा का चयन करके कृषि के नई तकनीक का प्रशिक्षण दिया जाता है। ये प्रशिक्षित युवा गाँव के परती भूमि को चिन्हित कर उसे खेती लायक बनाएंगे तथा ग्रामीणों को उस भूमि में दलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
धान खरीद योजना – झारखंड सरकार के खाद्य, सार्वजनिक वितरण एवं उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा “धान खरीद योजना 2012-13” का उद्देश्य किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर धान खरीदना है ताकि उचित मुआवजा और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इस योजना के माध्यम से किसानों को पूर्व निर्धारित MSP दरों पर सीधी खरीद सेवाएँ प्राप्त होती हैं, जिससे बिचौलियों द्वारा शोषण कम होता है और समय पर भुगतान सुनिश्चित होता है। इस योजना में “सामान्य” ग्रेड के लिए एमएसपी ₹1250/- प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है तथा “ग्रेड ए” धान के लिए एमएसपी ₹1280/- प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
किसान समृद्धि योजना –किसान समृद्धि योजना 20 मई 2024 को शुरू की गई थी। झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग द्वारा शुरू की गई “किसान समृद्धि योजना” का उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और कृषि लागत कम करने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाली सिंचाई प्रणालियों को बढ़ावा देना है। इस योजना के माध्यम से, किसानों को सौर सिंचाई इकाइयों के लिए 90% तक सब्सिडी मिलती है, जिससे उनकी आय बढ़ती है और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा मिलता है।
जैविक खेती योजना –झारखंड सरकार ने यह योजना 2017 में चालू किया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में जैविक कृषि को बढ़ावा देना है।
विशिष्ट फसल योजना –झारखंड सरकार ने यह योजना मोटे अनाज का उत्पादन बढ़ाने के लिए शुरू किया है। झारखंड की जलवायु और भौगोलिक दशाएं मोटे अनाज के उत्पादन के लिए उपयुक्त है। इस योजना के तहत रागी, मडुआ, ज्वार और गुड़गी के उत्पादन पर जोर दिया गया है। साथ ही इस फसल योजना में गन्ना और दाल के उत्पादन को भी शामिल किया गया है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना –इस योजना के तहत 2016 में झारखंड में 3.53 लाख हेक्टेयर तक कि भूमि का बीमा किया गया है जिससे 8.29 लाख किसानों को लाभ मिल रहा है। इस योजना के अंतर्गत गिरीडीह, देवघर तथा गुमला में 5000 मीट्रिक टन का कोल्ड स्टोरेज बनाया गया है।
जल-निधि योजना –झारखंड सरकार द्वारा यह योजना 2015-16 में प्रारम्भ किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में मानसून पर किसानों की निर्भरता को कम करना है। इस योजना के अंतर्गत विभिन्न स्रोतों से सिंचाई की व्यवस्था किया जाता है जैसे डीप बोरिंग, परकोलेशन टैंक, मायक्रोलिफ्ट इरिगेशन।
जल क्रांति अभियान –केंद्र सरकार ने इस अभियान की शुरुआत 2015-16 में की। इस अभियान के तहत झारखंड के 48 गाँव को जल-ग्राम के रूप में चयन किया गया है,जो प्रत्येक जिला से 2-2 चुना गया है। इस अभियान के तहत सारे 48 गाँव को जल के सभी आयामों में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा। 2016-17 में इस सभी जल-ग्राम में CIWSP (Comprehensive Integrated Water Security Plan) योजना लागू किया गया।
खुदिया बीयर योजना –इस योजना की शुरुआत 18 दिसंबर 2016 में की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि योग्य भूमि में सिंचाई उपलब्ध करवाना है। इस योजना के तहत 27 गांवों के 42000 हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। चास प्रखंड के गबई बराज और धनबाद के गोविंदपुर के खुदिया नदी में 272 करोड रुपए की लागत से इस योजना की शुरुआत की गई है।
मुख्यमंत्री कृषि आशीर्वाद योजना–इस योजना की शुरुआत 10 अगस्त 2019 में की गई। इस योजना के अंतर्गत खरीफ फसल के उत्पादन के लिए छोटे और सीमांत किसानों को 5000 रु प्रति एकड़ की राशि प्रदान की जाती है (अधिकतम 25000 रु)। यह 5 एकड़ जमीन तक दी जाती है। जिन किसानों के पास 5 एकड़ से ज्यादा जमीन है उस किसान को इस योजना का लाभ नही मिलता। किसानों के बीच इस योजना को प्रसारित करने के लिए “जीवन सारथी” अभियान चलाया गया है।
तिलका मांझी ग्रामीण पम्प योजना-झारखंड सरकार ने इस योजना की शुरुवात 2 जुलाई 2016 में पाकुड़ के लिट्टीपाड़ा से की गई। इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण सिंचाई पम्पो को निःशुल्क विद्युत कनेक्शन उपलब्ध कराना है। इस योजना के तहत झारखंड के 81 विधान सभा मे सभी विधान सभा के 50-50 गांव का चयन किया गया है और प्रत्येक गाँव से 25-25 पम्प धारकों का। इस योजना के 40% लाभार्थी SC/ST वर्ग के होते है। जो व्यक्ति जितना गरीब होगा, योजना के चयन में उसे उतनी अधिक प्राथमिकता दी जाएगी।
कृषि क्लिनिक योजना-इस योजना की शुरुआत 2015-16 में झारखंड सरकार द्वारा की गई। इस योजना का उद्देश्य कृषि उत्पादन क्षमता को बढ़ाना तथा किसानो की आय में वृद्धि करना। इस योजना के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य, पौधा-संरक्षण, फसल-बीमा, पशु-चारा आदि पर मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय के स्नातकों द्वारा किसानों को परामर्श उपलब्ध कराया जाता है।
नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना –कोरोना संकट के दौरान अनेक प्रवासी मज़दूरों का झारखंड में आगमन हुआ। इनके के लिए रोजगार उपलब्ध कराना झारखंड सरकार के लिए चुनौती बन गई। इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से झारखंड सरकार ने 4 मई 2020 को 3 योजनाओं की शुरुआत की पोटो हो खेल विकास योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना। इस योजना के द्वारा राज्य के जल संकट को दूर करने का तथा कृषि उत्पादन को बढ़ाने पे विशेष ध्यान दिया गया है। यह योजना झारखंड के सभी पंचायत में चलाई जा रही है।
इस योजना के लक्ष्य
a) मनरेगा के तहत 25 करोड़ मानव दिवस का सृजन
b) राज्य की वार्षिक जल संरक्षण क्षमता में 5 करोड़ लीटर की वृद्धि करना।
c) 5 लाख एकड़ बंजर भूमि को उपयोग लायक बनाना
d) खेत का पानी खेत के पास रोकने का लक्ष्य
e) जल संरक्षण के विभिन्न संरचनाओं का निर्माण जैसे डोभा, पोखर, हैंडपम्प, कुँवा
f) जल संकट से जूझ रहे लातेहार, पलामू और गढ़वा जिला में भूगर्भ जल का स्तर बढ़ाना।
g) प्रवासी मजदूरों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना।
बिरसा हरित ग्राम योजना –कोरोना संकट के दौरान अनेक प्रवासी मज़दूरों का झारखंड में आगमन हुआ। इनके के लिए रोजगार उपलब्ध कराना झारखंड सरकार के लिए चुनौती बन गई। इन प्रवासी मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से झारखंड सरकार ने 4 मई 2020 को 3 योजनाओं की शुरुआत की पोटो हो खेल विकास योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलाम्बर पीताम्बर जल समृद्धि योजना।
हरित ग्राम योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनाना है। इस योजना के अंतर्गत 5 करोड़ फलदार वृक्ष लगाए जाने का लक्ष्य है। इसके लिए प्रत्येक जिले में 1400 एकड़ परती भूमि को चिन्हित कर उसमें फलदार वृक्षों की मिश्रित बागवानी की जाएगी। जिसमे 450 एकड़ जमीन पर अनिवार्यतः फलदार पेड़ लगाए जाएंगे। इस योजना में आम (आम्रपाली और मल्लिका प्रजाति), अमरूद (L-49, इलाहाबादी सफेदी प्रजाति) और नींबू, शरीफा, खैर, कटहल, बैर के पौधे को प्राथमिकता दी गई है। और इसके चारों और इमारती लकड़ी के पौधे लगाए जाएंगे।
सरकार ने 3 वर्ष तक मे किसान की वार्षिक आमदनी 50000 करने का लक्ष्य रखा है।
इस योजना को मनरेगा से जोड़ दिया गया है। इस योजना के तहत 5 करोड़ पौधों के देखभाल के लिए स्थानीय महिलाओं के समूह “बागवानी सखी” का गठन किया गया है। इससे स्थानीय महिलाओं की स्थिति में सुधार होगा।
जिला और प्रखंड स्तर पर प्रसंकरण इकाइयों की स्थापना की जाएगी जिससे उत्पादों के लिए बाजार मिल सके।
इस योजना के अंतर्गत 5 लाख परिवारों को 100-100 फलदार पौधों का पट्टा दिया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत कीटपालन और लाह उत्पादन भी शामिल किया गया है।
मुफ्त स्मार्ट फोन योजना –झारखंड सरकार द्वारा यह योजना 2018 से शुरू की गई। e-NAM (National Agriculture Market) में पंजीकृत सभी किसानों के लिए झारखंड सरकार ने मुफ्त स्मार्ट फोन प्रदान करने की व्यवस्था की है। e-NAM 2016 में एकीकृत राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बनाया गया पोर्टल है। इस प्लेटफार्म से किसान अपने उत्पादों को उचित मूल्य में किसी भी बाजार में बेच सकता है। Agriculture Scheme Of Jharkhand
ULPIN Scheme –इस योजना का full form है Unique Land Parcel Identification Number. इस योजना के तहत झारखंड सरकार हर प्लॉट को यूनिक नंबर प्रदान करेगी और इसे मालिक के आधार नंबर से लिंक किया जाएगा। यह यूनिक नंबर 15 से 18 अंको की होगी। इस नंबर में जमीन का खाता नंबर, मौजा नंबर, अंचल नंबर और जिला नंबर समाहित होगा।
अल्पकालीन कृषि ऋण राहत योजना –झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा 7 जनवरी 2021 को राज्य में अल्पकालीन कृषि ऋण धारकों को ऋण के बोझ से राहत प्रदान करने के लिए “झारखंड कृषि ऋण माफी योजना” की शुरुआत की गई। इस योजना के तहत, 31 मार्च 2020 तक मानक फसल ऋण बकाया खातों में ₹50,000/- तक की बकाया ऋण राशि माफ की जाएगी। 31 मार्च 2020 तक मानक फसल ऋण उधारकर्ता इस योजना का लाभ उठाने के लिए पात्र होंगे।
झारखंड राज्य फसल राहत योजना – इस योजना की शुरुआत वित्तीय वर्ष 2020 21 में किया गया। इस योजना को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की जगह लाई गई है। झारखंड सरकार के कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग द्वारा “झारखंड राज्य फसल राहत योजना” शुरू की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसी भी प्राकृतिक आपदा और प्राकृतिक दुर्घटनाओं के कारण फसल क्षति की स्थिति में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह योजना फसल बीमा योजना नहीं है, बल्कि फसल क्षति के मामले में किसानों को प्रदान की जाने वाली क्षतिपूर्ति योजना है। यह प्राकृतिक आपदाओं के कारण फसल के नुकसान की स्थिति में किसानों को सुरक्षा कवरेज प्रदान करने और एक निश्चित वित्तीय सहायता प्रदान करने के उद्देश्य को पूरा करेगी। यह योजना भूमि मालिक और भूमिहीन किसान दोनों को कवर करेगी। इस योजना के तहत किसानों को किसी भी तरह के फसल बीमा प्रीमियम का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होगी और फसल के नुकसान की स्थिति में उन्हें सरकार द्वारा सीधे वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत 30-50% नुकसान की स्थिति में: ₹3,000/- प्रति एकड़, अधिकतम 5 एकड़ तक 50% से अधिक नुकसान की स्थिति में: ₹4,000/- प्रति एकड़, अधिकतम 5 एकड़ तक मुआवजा दी जाती है। इस योजना में निम्नलिखित प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं को शामिल किया गया है, जो कि किस प्रकार प्रभावित हो सकती हैं:
Schemes of Jharkhand Government Part-1
Schemes of Jharkhand Government Part-2
Schemes of Jharkhand Government Part-3
Schemes of Jharkhand Government Part-4
Schemes of Jharkhand Government Part-5