KHORTHA MAINS QUESTION NO – 11 खोरठा का मानकीकरण

Uncategorized

खोरठा भाखाक मानकीकरन

खोरठा भाखाक मानकीकरन के दरकार – झारखंडे भिनू-भिनू परकाररेक छेतरिय भाखा पावल जाइ जइसन संताली, हो, मुंडारी, नागपुरी मालतो, कुरुख। मानकीकरनेक समसिया सोब छेतरिय भाखाय पावल जाइ। सेइ जिनिस टाक धियान राखि रामदयाल मुंडा आर कुमार सुरेस सिंह के परजास के बादें, बिहार सरकारें 1980 बछरे “झारखंड जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग” रांची विश्वविद्यालएक भीतरे खोललइ। कहेल पारे कि झारखंडेक सोब छेतरिय भाखाक मानकीकरन के दरकार हइ मकिन खोरठाक सबले बेसी दरकार हे। एकर कारन हेंठे देल गेल हे:-

1. सातगो भेद पावल जाइ – झारखंडेक सोब छेतरिय भाखा ले खोरठाक छेतरिय बिसतार बेसि हइ। ई एगो ढांगा-ओसार छेतर में संताल परगना, उततरि छोटानागपूर, पलामू प्रमंडले आर कुछू कुछु राँची जिलाञ बोलल जाइ। झारखंड एगो पठारी छेतर हकइ, जे खातिर उँच- नीच, पहाड़, नदी, नाला देदार पावल जाइ। एकर भउगोलिक बिबिधताक खातिर पुरानपरिया कालेस आवा-जाहि बाधित रहल हे। जे खातिर ई सात रुपे पावल जाइ:- देसवाली, पारनदिया, सिखरिया, रामगढ़िया, गोलवारी, संताल परगनिया/ देवघरिया, उपरघटिया। ई सातो रुपे ढेइर बेमेल पावल जाइ। ई बेमेल भाभटा गूचावे खातिर सातोंक मिलाइ एकीकरन करेक दरकार हे। ई काम खातिर मानकीकरन होवे चाहि।

2. दसर भाखाक जोर – खोरठा भाखाञ परोसिया भाखाक परभाव फरिच रुपे देखल जाइ पारे। हिंदी, बांगला, नागपुरी, मगही, अंगिका, नागपूरी, कुरमाली आर कुछू -कूछू जनजातीय भाखाक सबद संगे-संगे बेयाकरन ई रकम घूइल -मिल गेल हे कि चिनहेल पारा दाइ भे गेल हइ। ई खातिर मानकीकरन होवे चाहि।

3. दोसरका राजभाखा बनवल गेल हे – खोरठा भाखा के “झारखंड राज्य राजभाषा अधिनियम, 2011” लागिन दोसरका राजभाखा बनवल गेल हे सेइ खातिर झारखंड सरकारेक ई जिमेदारी हकइ कि खोरठा भाखाक बिकास होवे चाहि। ई खातिर मानकीकरन के दरकार हइ।

4. पाइठकरम में जोड़ल गेल हे – खोरठा भाखा एगो पाइठकरम के बिसइ हकइ। पहिल किलास ले पी एच डी लागिन ई झारखंड सिकखा पाइठकरम के भाग लागइ। खोरठा पढ़वइया गिदरेक सकत आधार दिए खातिर खोरठाक मानकीकरन होवे चाहि।

5. सरकारी नउकरी परिखाय एगो बिसइ – खोरठा सरकारी नियूकति परिखाय एगो बिसइ हकइ। जेपीएससी, जेएसएससी जइसन परिखाय खोरठा एगो सिलेबसेक बिसइ हकइ। सेइ खातिर खोरठाक मानकीकरन होवे चाहि।

6. लिपिक समससिआ – खोरठा भाखाक मानकीकरन ठिक से नाञ भेल पारल हे सेइ खातिर खोरठा लिपिक ठीक से बिकास नाञ भेल पारल हे। नागेनदर महतो आर दिनेस दिनमनी जीक परजास से खोरठर लिपि बनवल गेल हे मकिन मानकीकरन के आभाबे एकर परजोग ठिक से नाञ करे पारा जाइ।

खोरठा भाखाक मानकीकरन के परजास

एखन ले खालि चाइर बेर मानकीकरन भेइल हे।

पहिलका मानकीकरन – 13-14 दिसंबर 1986 बछरे राँची विश्विद्यालएक ” जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग” के परजास से जेवियर इंस्टीट्यूट, राँची में झारखंडेक छेतरिय आर जनजातीय भाखाक मानकीकरनेक खातिर पहिल बइठक भेल हलइ। ई बइठक के मुखिया डा ए के झा हलइ। शिवनाथ प्रमाणिक, बी एन ओहदार, शांति भारत, शशि कुमार जइसन बुइझगर लोक ई बइठक में भाग लेल हलइ। ई बइठके कुछु मानक निरधारन भेल हलइ जे हैंठे दियल गेल हे:-

सवर बरन के मानकीकरन

1. अ, आ, इ ई, उ, ऊ ए, ओ 8 गो साड़ा के माइनता देल गेलइ आर ऋ, ऐ और औ साड़ाक परजोग के मनाही करल गेलइ।

2. ई आर ऊ साड़ाक परजोग सुधु दिसाबाची सरबनाम खातिर राखल गेलइ।

3. संजोगी सवर ऐ खातिर ‘अइ’ आर औ खातिर “अउ” उखरान के माइनता देल गेलइ। जइसन:-ऐनक- अइनक, पैसा-पइसा, मौजा-मउजा, औजार-अउजार।

4.”ऋ” के जाइघाइ “री/रि” के परजोग पे जोर देल गेलइ जइसन – ऋषि- रिसि, ऋण – रिन, ऋतु- रितु।

5. विसर्ग (:) कर परजोग नाञ करेल कहल गेलइ। खोरठाञ विसर्ग के छांइट दियल जाइ जइसन:- दुःख-दुख, निःसंदेह- निसंदेह, छः – छ।

बेंजन बरन के मानकीकरन

1. बेंजन बरन में 31 साड़ा के मानइता देल गेलइ। हिंदी बरनमालाञ परजोग होववाला सा “ङ, ण, श, ष क्ष, त्र ज्ञ, श्र” के परजोग के मनाही करल गेलइ।

3. “श” साड़ा के जाइघाइ “स” के परजोग के मानइता देल गेलइ।

2. “व” साड़ा के जाइघाइ “ब” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- वन, बन, वंदना – बंदना। उरदु/फारसी/अरबी से खोरठा में आइल सबद मे “व” साड़ा के जाइघाइ “ओ” साड़ा के के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- वकील – ओकिल वकालत – ओकालत।

3. “श” साड़ा के जाइघाइ “स” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- दिशा – दिसा, महेश – महेस।

4. “ष” साड़ा के जाइघाइ “स आर ख” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- वर्षा – बरसा/बरखा, विष – बिस/बिख।

5. “य” साड़ा के कोनहो सबद के आगु परजोग के मनाही करल गेलइ ओकर जाइघाइ “ज” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- यमुना – जमुना, यशोदा – जसोदा। जोदि “य” साड़ा कोनहो सबद के मांझे आबे, से जाइघाइ “इअ” आर जोदि सेसे आबे से जाइघाइ “इ आर आ” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- प्यार – पिआर, सियार – सिआर, विषय – बिसइ, समय – समइ। पहिया – पहिआ, खटिया – खटिआ। उरदु/फारसी/अरबी से खोरठा में आइल सबद मे “य” साड़ा के जाइघाइ “ए बा इया” साड़ा के के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- यकीन – एकिन ओकिल वकालत – ओकालत।

6. संजोगी बेंजन “क्ष” साड़ा के जाइघाइ “छा आर ख” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- क्षमा – छमा/खमा, क्षत्रिय – छतरिय/खतरिय।

7. संजोगी बेंजन “त्र” साड़ा के जाइघाइ “तर” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- क्षेत्र – छेतर, चरित्र – चरितर।

8. संजोगी बेंजन “ज्ञ” साड़ा के जाइघाइ “गिय/गेय” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- ज्ञान – गियान, विज्ञान – बि गियान।

9. संजोगी बेंजन “श्र” साड़ा के जाइघाइ “सर” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- हश्र – हसर।

10. “ण” साड़ा के जाइघाइ “न” के परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- उदाहरण – उदाहरन, व्याकरण – बेआकन।

संसकिरित आर हिंदी सबदेक परजोग

संसकिरित आर हिंदी से आइल ओइसन सबद जेकर खोरठा में उखरान करले माने पुरा-पुरी बदइल जाइ तकरा मुल रुपे इनभरटेड कोमा (“….”) के भितर लिखेक मानइता देल गेलइ। जइसन “पात्र” के खोरठा बोली में लिखलइ पातर (पतला) होवे जेकार माने पुरा-पुरी बदली गेलइ।

ठेंठ सबद के परजोग में जोर

दसर भाखा ले आइल सबद के कम से कम परजोग करे आर ठेठा खोरठा साबाद के बेसि से बेसि परजोग पर सिफारिस करल गेलइ। जोदि कोनहों भाभ उखरावे खातिर सबद नाञ पावल जाइ तखन झारखंडेक कोनहो सदानी भाखाक सबद परजोग करल जाइ पारे।

हाइफेन के परजोग

आगु समाइन बरतमान काले मुल किरिआ आर सहायक किरिआ के मांझे अवग्रह (ऽ) के परजोग करल जाइ रहल। ई बइठके अवग्रह (ऽ) के परजोग के छांइट देलकइ आर एकर बदल हाइफेन बा ओ के परजोग के मानइता देलकइ। जइसन: गेलऽ हलइ के बदले गेल-हलइ/गेलो हलइ।

“कि” सबद के परजोग

हिंदी भाखा में परजोग सवालबाचि सबद”क्या” के उचचारन खातिर तीनों सबद “कि/का/किना” के परजोग करल जाइ पारे मकिन लिखेंक बेराञ सुधु ” कि” सबद के परजोग के सिफारिस करल गेलइ।

दोसरका मानकीकरन – नवंबर मइहना 2010 बछरे रामगढ़ेक कुसवाहा धरमसालाञ दु दिनेक बइठक भेल हलइ। ई बइठक के मुखिया डा ए के झा हलइ। शिवनाथ प्रमाणिक, बी एन ओहदार, गजाधर महतो, भुवनेश्वर साहु, बिनोद कुमार, महेद्रनाथ गोस्वामी, नागेश्वर महतो, वंशीलाल, शांति भारत, शशि कुमार जइसन बुइझगर लोक ई बइठक में भाग लेल हलइ। बि पी केसरी आर गिरधारी गोस्वामी जइसन भाखाबिद मुइख अतिथिक रुपे आइल हलइ। ई बइठके कुछु मानक निरधारन भेल हलइ जे हैंठे दियेल गेल हे:-

महाप्राण साडाक माइनता

म्ह (mh), न्ह (nh), ल्ह (lh) रह (rh) जइसन चाइर साड़ाक परजोग के माइनता दियल गेलइ।

उपबेंजन के परजोग

दूगो साड़ा “ड़, ढ़” के परजोग के मानइता देल गेलइ।

रेफ/रफला कर परजोग

रेफ आर रफला कर परजोग के सिफारिस करल गेलइ।

पांचवा साड़ाक नियम

पांचवा साड़ा ङ, ञ,ण न, म के अनुसुआर (•) रूपे परजोग के मानइता देल गेलइ जइसन:- झारखण्ड – झारखंड, किन्तु – किंतु, सम्पादक – संपादक।

बहुबचन बनवेक नियम

खोरठा भाखाक सबद में बांगला भाखाक पारा गुला/गुली/गुलइन/गुलिन जोइड़ के बहुबचन बनवेक मानइता देल गेलइ।

तिसरका मानकीकरन – 2013 बछरे खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद के परजास से रामगढ़ेक (कांकेबार) पटेल छातराबासे तिसरका भेल हलइ। ई बइठक के मुइख काइज जेटेट परिखाञ पुछल सोबाल के जांच- पड़ताल करेक। ई बइठक के मुखिया डा बी एन ओहदार हलइ। दिनेश दिनमणि, गिरधारी गोस्वामी, अनाम अजनबी, भुवनेश्वर साहु, नागेश्वर महतो जइसन खोरठा के जानकार लोक ई बइठक में भाग लेल हलइ। ई बइठके पइछला दुबेर भेल मानकीकरन आर सिफारिस के दोहरावल आर माइनता देल गेलइजे हैंठे दियेल गेल हे:-

1. साड़ा “ड़, ढ़” के उपबेंजन कहल गेलइ आर एकरा ट – बरगे जाइघा दियल गेलइ।

2. अपसबद आर मंड़उ सबद के परजोग के मनाहि के सिफारिस करल गेलइ। जइसन:- तुबेक, ठुंसेक, कोचेक ई तीनोको माने होवे खाएक मकिन ई अपसबद हकइ।

3. खोरठा भाखाञ एकरूपता लाने लेल बहुबचन बनवेल लागिन अइन/ वइन परतइ के बदल बांगला भाखाक परतइ गुला/गुली/गुलइन/गुलिन जोइड़ के बहुबचन बनवेक पर जोर देल गेलइ।

4. मेसरी बाइक (मिश्र वाक्य) में संजोजक “कि” के बदलें जे के परजोग करेक सिफारिस करल गेलइ।

5. हिंदी भाखा में परजोग सवालबाचि सबद”क्या” के बदले ” कि” सबद के परजोग करेक माइनता दियल गेलइ।

6. लोकोकतिक खातिर पटतइर आर मुहावरा खातिर आहना सबद के परजोग होवेल चाहि।

7. संज्ञा सबद खातिर संइगा/सइंगा के परजोग नाञ होवे चाही। एकर खातिर संग्या लिखेक चाही।

निंघरउति – माइर -कुइट के ई कहे पारे कि खोरठा भाखाक बिकास खातिर मानकीकरन महत राखेवाला परजास हकइ। मानकीकरन बइठके खोरठाक नामकइजका जानकर लोक एक जाइघाइ आपन बुइझ के आदान-परदान कइर के खोरठा भाखाक मानक रूप खड़ा करेक उता-सुता करे।मानकीकरन खातिर बइठक बतरसिरे होते रहल चाहि काहेकि खोरठा झारखंडेक सबसे बोड़ जनमानुस के भाखा हकइ।

शब्द संग्रह

दरकार – जरूरत

ढांगा-ओसार – लंबा -चौड़ा

दाइ -मुश्किल

जाइघाइ – स्थान पे

सुधु/खालि – सिर्फ

बतसिरे – समय समय पर

उता सुता – प्रयास

नामकइजका -प्रसिद्ध

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *