पंचप्रयाग विस्तृत अध्धयन
Panch Prayag
पंच प्रयाग
पौराणिक कथाओं में प्रयाग का शाब्दिक अर्थ नदियों का मिलन स्थान होता है। विष्णु प्रयाग, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग और देवप्रयाग को सम्मिलित रूप से पंच प्रयाग कहा जाता है। गंगा यमुना एवं सरस्वती (भूमिगत) के मिलन स्थल को प्रयागराज कहते है।
उत्तर से दक्षिण में पंचप्रयाग का क्रम
विष्णु ने कल रुला दिया – विष्णुप्रयाग ▶️नंदप्रयाग ▶️कर्णप्रयाग ▶️ रुद्रप्रयाग ▶️ देवप्रयाग
विष्णु प्रयाग | अलकनंदा और धौलीगंगा का संगम |
नंदप्रयाग | अलकनंदा और नंदाकिनी का संगम |
कर्णप्रयाग | अलकनंदा और पिंडारगंगा का संगम |
रुद्रप्रयाग | अलकनंदा और मंदाकिनी का संगम |
देवप्रयाग | अलकनंदा और भागीरथी का संगम |
केशवप्रयाग | अलकनंदा और सरस्वती का संगम |
गणेशप्रयाग | भिलंगना और भागीरथी |
सोनप्रयाग | मंदाकिनी और वासुकीगंगा |
प्रयागराज | गंगा, यमुना सरस्वती (भूमिगत) का संगम |
अलकनंदा नदी
यह नदी उत्तराखंड से के सतोपंथ हिमानी या अलकापुरी हिमनद (चमोली जिला, उत्तराखंड) से निकलती है। बद्रीनाथ धाम इसी नदी के तट पर अवस्थित है। यह नदी उत्तराखंड के देवप्रयाग (टिहरी गढ़वाल जिला) में भागीरथी नदी से मिल जाती है और यहां से गंगा नाम से आगे बढ़ती है। गंगा नदी में अलकनंदा नदी में जलराशि का प्रवाह भागीरथी नदी से ज्यादा होता है। इस नदी में भागीरथी और मंदाकिनी नदी दाएं से मिलती है जबकि सरस्वती, पिंडारगंगा धौलीगंगा और नंदाकिनी बाएं से मिलती है। तिब्बत भारत के सीमा पर स्थित केशव प्रयाग में अलकनंदा सरस्वती (आधुनिक) नदी से मिलती है। भागीरथी नदी से मिलने से पहले तक इसकी लंबाई 195 किलोमीटर है।
अलकनंदा नदी में महासीर नामक विशेष मछली पाई जाती है। यह मछली नदी के निचले हिस्से में निवास करती है किंतु अंडा देने के लिए ऊपर आ जाती है।
भागीरथी नदी
यह नदी उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिला के गोमुख हिमानी (गंगोत्री) से निकलकर देवप्रयाग (टिहरी गढ़वाल) में भागीरथी नदी से मिल जाती है और गंगा नदी का निर्माण करती है। गंगा नदी में मिलने से पहले यह नदी 205 किमी तक प्रवाहित होती है। इस नदी में बाएं से केदार गंगा भिलंगना और अलकनंदा नदी मिलती है। दाएं से जाधगंगा (जाह्नवी) और सियागंगा नदी मिलती है। भागीरथी नदी को “किरात नदी” के नाम से भी जाना जाता है।
टिहरी बांध
यह बांध उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल जिले में भागीरथी और भिलंगना नदी के संगम पर बनाया गया है। इस बांध को “स्वामी रामतीर्थ सागर बांध” भी कहा जाता है। टिहरी बांध विश्व का पांचवा सबसे ऊंचा बांध है तथा भारत का सबसे ऊंचा (260.5 मी) तथा विशालकाय बांध है। इस परियोजना से मुख्य रूप से सिंचाई और विद्युत उत्पादन किया जाता है
धौलीगंगा नदी
यह नदी भारत तिब्बत सीमा के पास नीति दर्रा से निकलती है और विष्णु प्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है। ऋषि गंगा नदी इसकी मुख्य सहायक नदी है।
मंदाकिनी नदी
यह नदी चाराबाड़ी हिमानी (केदारनाथ) से निकलती है और रुद्रप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है। वासुकीगंगा (सोनगंगा) इसकी प्रमुख सहायक नदी है। प्रसिद्ध केदारनाथ तीर्थ स्थल इसी नदी के तट पर अवस्थित है। इस नदी को कालीगंगा के नाम से भी जाना जाता है।
नंदाकिनी नदी
यह नदी उत्तराखंड के नंदाघूंटी हिमानी से निकलती है और नंदप्रयाग में अलकनंदा नदी से मिल जाती है। यूनेस्क विरासत में शामिल नंदा देवी फूलों की घाटी इसी नदी के समीप अवस्थित है।
Note:-गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ के सामूहिक यात्रा को सम्मिलित यात्रा को चार धाम यात्रा कहा जाता है।
Panch Prayag
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