खोरठा व्यंजन वर्ण

खोरठा व्यंजन वर्ण | Khortha Consonants

JPSC/JSSC खोरठा

बेंजन बरन (व्यंजन वर्ण)

खोरठा में कुल 31 व्यंजन वर्ण होते है। हिंदी में प्रयुक्त 36 वर्ण के तुलना में खोरठा में 31 वर्ण होते है।

क ख ग घ

च छ ज झ ञ

ट ठ ड ढ ड़ ढ़

त थ द ध न

प फ ब भ म

य र ल व स ह

Note:- अर्थात हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त 7 वर्णों का प्रयोग खोरठा में नही होता है:- (ङ, ण, श, ष क्ष, त्र ज्ञ, श्र )

Note:- खोरठा बेंजन वर्णमाला में दो उत्क्षिप्त वर्ण (Flapped Letter) को शामिल किया जाता है:- (ड़, ढ़)। इसे उपव्यंजन भी कहा जाता है।

खोरठा व्यंजन वर्ण के कुछ नियम

Rule 1:- “ण” का प्रयोग खोरठा में नही होता है। हिंदी में प्रयुक्त शब्दो के “ण” वर्ण को “न” में बदलकर प्रयोग में लाया जाता है जैसे:- गुण – गुन, कारण – कारन इत्यादि।

Rule 2:-

a) खोरठा में “य” का प्रयोग नही के बराबर किया जाता है। इसका प्रयोग किसी दूसरे भाषा के शब्दों को लिखने के समय किया जाता है जैसे:- यानिंग (Yawning, अंगड़ाई)

b) “य” का उच्चारण शब्द के प्रथम वर्ण के रूप में कभी नही हो सकता। अगर शब्द हिंदी/संस्कृत का हो तो ‘य’ को ‘ज’ में बदल दिया जाता है। जैसे:- योगी- जोगी, यमराज- जमराज, यदि-जदि, यमुना- जमुना इत्यादि।

Note:- शब्दो के बीच मे भी “य” के स्थान पर “ज” का प्रयोग होता है जैसे:- प्रयोग- परजोग। अपयश- अपजस बशर्ते ऐसे शब्दो का निर्माण उपसर्ग जोड़कर किया गया हो।

c ) अगर शब्द उर्दू/फ़ारसी से हो, तो शुरुवात के “य” का बदलाव “ए” या “इआ” में हो जाता है। जैसे:- जैसे यकीन – एकिन, यार – इआर, याद- इआद।

d) “य” का उच्चारण शब्द के अंत और बीच मे हो तो “अ” में बदल दिया जाता है। जैसे पियार – पिआर, सियार- सिआर , फ़रियाद- फरिआद ,

e) जब “य” का उच्चारण शब्द के अंत मे हो तो यह “आ” या इ में आवश्यकतानुसार बदल जाता है।

आ में परिवर्तन

बदिया-दिआ, पहिया- पहिआ, रतिया-रतिआ, खटिया-खटिआ।

इ में परिवर्तन

समय-समइ, विषय- बिसइ

Rule 3: खोरठा में “व” का प्रयोग नही के बराबर किया जाता है। इसका प्रयोग किसी दूसरे भाषा के शब्दों को लिखने के समय किया जाता है जैसे:-

a) “व” का उच्चारण शब्द के प्रथम वर्ण के रूप में नही हो सकता। ‘व’ को ‘ब’ में बदल दिया जाता है। विषय – बिसय, विनोद-बिनोद।

Note:- व का बदलाव शब्दो के बीच मे भी होता है जैसे:- देवता- देबता, परवाह- परबाह, पकवान-पकबान, स्वाद-सबाद

b) अगर प्रथम वर्ण सिर्फ व हो (वी, वु, वू, वे,वो नही) तो “व” को “बो” भी बनाया जा सकता है। जैसे:- वन – बोन, वट – बोट

c) अगर शब्द उर्दू/फ़ारसी का हो तो “व” का बदलाव “ओ” में हो जाता है। जैसे:- वकील- ओकील, वजन-ओजन, वसूल- ओसूल।

d) अगर किसी शब्द के पहले “व्य” आता हो तो “व्य” का रूपांतरण “बे” में हो जाता है जैसे:- व्यापार- बेपार, व्याकरण- बेआकरन, व्यवधान- बेबधान व्यवहार- बेबहार।

e) किंतु ‘व’ का उच्चारण शब्द के बीच या अंत में कभी कभी किया जा सकता है।

Rule 4:-

a) “श” का प्रयोग खोरठा में नही किया जाता है। “श” के स्थान पर “स” का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- शांति – सांति, शोभा- सोभा, शुभ- सुभ

b) “ष” का प्रयोग भी खोरठा में नही होता है। “ष” के बदले में “स” या “ख” का प्रयोग किया जाता है जैसे:- विष – बिख/बिस, पुरुष- पुरुख/पुरुस, भाषा-भासा/भाखा, दोष-दोस/दोख, वर्षा-बरखा/बरसा, धनुष-धनुख/धनुस।

Rule 5:- खोरठा में किसी भी संयुक्ताक्षर (संयुक्त व्यंजन)का प्रयोग नही होता जैसे:- क्ष (क् + ष) त्र (त्+र) ज्ञ (ज्+ ञ) श्र (श्+र)

a) “क्ष” के स्थान पर आवश्यकतानुसार छ/ख का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- क्षति- ख़ति, परीक्षा- परीखा/परीक्छा/परिच्छा, क्षमता – खमता/खेमता, क्षेत्र- छेतर, पक्ष-पख

b) “त्र” के स्थान पर “तर” का प्रयोग किया जाता है। जैसे त्रिशूल- तिरसुल, यात्रा- जातरा इत्यादि।

c) “ज्ञ” के जगह गिय/गिअ/इग का प्रयोग होता है जैसे विज्ञान- बिगिआन, ज्ञान- गिआन, संज्ञा-सइंगा, यज्ञ- जइग।

Rule 6

“श्च” और “च्छ” के बदले में “छ” का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- पश्चिम-पछिम, इच्छा-इछा, पश्चात।

Rule 7

“ञ” के बदले यं/इं का प्रयोग भीकिया जा सकता है जैसे:- नाञ- नायं/नाइं, चरञ- चरयं/चरइं।

Rule 8

खोरठा में र, ल, म, न के महाप्राणिकृत रूप (रह, ल्ह, म्ह, न्ह) के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। जैसे:- खाइल्हे, हाम्ही, खेरहा, नांन्ह इत्यादि।

ध्वनियों का वर्गीकरण

उच्चारण स्थान के आधार पर

कंठव्य- अ, आ, कवर्ग और ह।

तालव्य- इ, ई, चवर्ग, य

मूर्धन्य- टवर्ग और र

ओष्ठ्य- उ, ऊ और पवर्ग

अनुनासिक- अनुस्वार, चंद्रबिंदु, ञ,न, म

कंठ-तालव्य-

कंठोष्ठव-

दंतोष्ठव-

अंतःस्थ व्यंजन – य र ल व

उष्ण/स्पर्शी व्यंजन – स ह

प्राणत्व के आधार पर

प्राण का अर्थ है वायु। जिन व्यंजन ध्वनि के उच्चारण में मुख से हवा कम निकले उसे अल्पप्राण कहा जाता है। जिन व्यंजन ध्वनि के उच्चारण में मुख से अधिक हवा निकले उसे महाप्राण कहा जाता है। महाप्राण ध्वनि में हकार की ध्वनि सुनाई देती है।

अल्पप्राण

हर वर्ग का 1st, 3rd, 5th वर्ण अल्पप्राण होता है।

खोरठा में कुल 18 अल्पप्राण है।

क ग

च ज

ट ड (ड़)

त द न

प ब म

और य र ल व

महाप्राण

खोरठा 13 महाप्राण है

ख घ

छ झ

ठ ढ (ढ़)

थ ध

फ भ

और स एवं ह।

घोषत्व के आधार पर

घोष का अर्थ होता है स्वरतांत्रियों में ध्वनि कंपन

अघोष

जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वरतांत्रियों का कंपन न हो वह अघोष ध्वनि कहलाती है। हर वर्ग का 1st और 2nd वर्ण अघोष होता है। खोरठा के कुल 11 वर्ण अघोष है।

क ख

च छ

ट ठ

त थ

प फ

इसके अलावे स

घोष

जिन ध्वनियों के उच्चारण में स्वरतांत्रियों का कंपन हो वह अघोष ध्वनि कहलाती है। हर वर्ग का 3rd, 4th और 5th वर्ण घोष होता है। खोरठा के 20 वर्ण घोष है।

ग घ ज झ ञ ड (ड़), ढ (ढ़), द, ध, न, ब भ, म

इसके अलावे य, र, ल, व और ह।

संक्षेप में खोरठा व्यंजन

महाप्राण की संख्या -13

अल्पप्राण की संख्या -18

घोष की संख्या -20

अघोष की संख्या – 11

अंतःस्थ व्यंजन – 4

उष्ण/स्पर्शी व्यंजन-2

उपव्यंजन -2

खोरठा व्यंजन वर्ण

https://youtu.be/O8h0lNrCfRA

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