Animal Husbandry In Jharkhand
झारखंड में पशुपालन
परिचय
Intearnationl World Milk Day प्रतिवर्ष 01 जून को मनाया जाता है। Food & Agriculture Organization ने पहला विश्व दुग्ध दिवस 01 जून 2001 से घोषणा की।
झारखंड में दुग्ध उत्पादन से ज्यादा दूध की खपत है। झारखंड में दूध उत्पादन की अपार संभावनाएं है। दूध उत्पादन में झारखंड के 16वां स्थान है। झारखंड में प्रतिव्यक्ति दूध उपलब्धता 172 ग्राम प्रतिदिन है जबकि प्रतिव्यक्ति दूध उत्पादन क्षमता 159 ग्राम है। यह आँकड़ा राष्ट्रीय औसत से बहुत कम है। झारखंड को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए झारखंड सरकार की संस्था झारखंड राज्य सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ ने National Dairy Development Board के साथ समझौता किया। जिससे Mother Dairy झारखंड राज्य में “मेधा” ब्रांड से दूध का बाजारीकरण कर रही है।
झारखंड में तीन नए Milk Processing Plant की स्थापना की जा रही है जो साहेबगंज, सारठ (देवघर) और पलामू में है। प्रत्येक प्लांट की क्षमता 50K लीटर की होगी जिसे 100K लीटर तक बढ़ाया जा सकता है। इन तीनो प्लांट के खुलने से झारखंड में कुल 7 मेधा दूध प्रोसेसिंग प्लांट हो जाएगा।
इन तीनो के खुलने से झारखंड का कुल दूध प्रोसेसिंग क्षमता प्रतिदिन 3.5 लाख लीटर हो जाएगा। इन तीनो के अलावा चार प्रोसेसिंग प्लांट राँची (क्षमता 1.40 लाख लीटर प्रतिदिन), देवघर (20 हजार लीटर प्रतिदिन), लातेहार (20 हजार लीटर प्रतिदिन), कोडरमा (20 हजार लीटर प्रतिदिन) है। इसके अलावा मिर्जागंज(गिरीडीह) और जमशेदपुर में दूध प्रोसेसिंग प्लांट प्रस्तावित है। राँची में दूध पाउडर संयंत्र प्रस्तावित है।
प्रजनन प्रक्षेत्र
पशुओं के प्रजाति को उन्नत करने के लिए तथा उसके प्रजनन क्षमता में विकास के लिए झारखंड में कई प्रजनन प्रक्षेत्र की स्थापना की गई है:-
वृहत भेड़ एवं बकरी प्रजनन प्रक्षेत्र
यह चतरा के लक्षणपुर गाँव मे 1963 में बनाया गया है। अभी इस प्रजनन क्षेत्र की स्थिति जर्जर अवस्था है। इस प्रक्षेत्र की बंजर भूमि पर National Mineral Development Corporation Limited द्वारा Steel Plant प्रस्तावित है।
सुकर प्रजनन प्रक्षेत्र
यह राँची जिला के काँके और होटवार में अवस्थित है। इसके अलावा गौरियकरमा (हज़ारीबाग) और सरायकेला में भी सुकर प्रजनन केंद्र की स्थापना की गई है। यहाँ उन्नत किस्म के सुकर का विकास किया जाता है। यहाँ टी एम मार्कशायर, पशायर, लैण्डरेस किस्म के उन्नत किस्म के सुकर को विकसित किया जाता है। सुकर के बच्चे को ग्रामीणों में वितरित किया जाता है तथा मुफ्त सुकर-पालन प्रशिक्षण दिया जाता है।
क्षेत्रीय कुक्कुट प्रक्षेत्र- यह रांची के होटवार में स्थित है।
दुग्ध आपूर्ति सह गव्य प्रक्षेत्र, होटवार
यहाँ दूध उत्पादन तथा दूध प्रोसेसिंग होता है। साथ ही यहाँ मुर्रा नस्ल के पशुधन का पालन और इससे उत्पन्न साँडों का नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत प्राकृतिक गर्भाधान के लिए इच्छुक लाभुकों को उपलब्ध कराया जाता है।
साँड़ पोषण प्रक्षेत्र
यह गौरियाकरमा (हज़ारीबाग) में अवस्थित है। यहाँ पर नर बछड़े को का पालन-पोषण किया जाता है। नर बछड़े को साँड़ के रूप में विकसित किया जाता है। यहाँ से झारखंड के अन्य क्षेत्रों में प्राकृतिक गर्भाधान के लिए विकसित साँड़ को वितरित किया जाता है।
राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, सरायकेला
यहाँ हरियाणी नस्ल के पशुधन का पालन और इससे उत्पन्न साँडों का नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत प्राकृतिक गर्भाधान के लिए इच्छुक लाभुकों को उपलब्ध कराया जाता है।
राजकीय पशु प्रजनन प्रक्षेत्र, गौरियाकरमा
यह हज़ारीबाग जिला में अवस्थित है। यहाँ रेड सिंधी नस्ल के पशुधन का पालन और इससे उत्पन्न साँडों का नस्ल सुधार कार्यक्रम के तहत प्राकृतिक गर्भाधान के लिए इच्छुक लाभुकों को उपलब्ध कराया जाता है।
मत्स्य पालन
झारखंड में मत्स्य पालन 1.19 लाख हेक्टेयर भूमि में तालाब, बाँध आहर, चेक डैम, जलाशय आदि के माध्यम से किया जाता है। राँची में मत्स्य अनुसंधान केंद्र स्थित है। राज्य सरकार के द्वारा किये गए बेहतरीन प्रयास से झारखंड 2017-18 से आत्मनिर्भर बन चुका है। सहकारी संस्था JHASCOFISH (Jharkhand State Co-Operative Fisheries Federation Limited) झारखंड में मत्स्यपालन को बढ़ावा देने में कार्यरत है।
झारखंड गौजातीय पशु-वध निषेध अधिनियम
इस अधिनियम को 2005 में पारित किया गया है। इसके तहत 3 वर्ष से 10 वर्ष के सजा का प्रावधान तथा 5k से 10k तक कि जुर्माना की बात की गई है। इस अधिनियम के अंतर्गत 2006 में गौ-सेवा आयोग की स्थापना की गई है। पुरुषोत्तम दास झुनझुनवाला इसके प्रथम अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
झारखंड में पशुपालन के महत्वपूर्ण तथ्य
1. Agroha Dairy Food Limited और Varsha Dairy Limited ये कंपनियां झारखंड में डेयरी क्षेत्र में कार्यशील है।
पशु जनगणना 2019
20वीं पशुगणना 2019 के अनुसार झारखंड में कुल 11.2 मिलियन पशुधन है। वही 2012 की पशु जनगणना में यह संख्या 8.7 मिलियन थी। लोहारदग्गा और कोडरमा जिला में सबसे कम पशुधन है। इस जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल के बाद झारखंड में सबसे ज्यादा 28% विकास दर है। जबकि राष्ट्रीय विकास दर 4.6% है।
बकरियों की संख्या 2012 में 6.58 मिलियन थी जो 2019 में 9.12 मिलियन हो गई। बकरियों में 38.59% का भारी इजाफा हुआ।
वर्ष 2012 में सुकर की संख्या 0.96 मिलियन थी जो 2019 में 1.28 मिलियन हो गई। सुकर की वृद्धि दर 32.69% आँकी गई। सुवर का विकास दर भारत में प्रथम है। झारखंड भारत मे सुवर की संख्या में दूसरा स्थान रखता है। सुवर की संख्या सबसे ज्यादा असम में है। विश्व मे सबसे ज्यादा सुवर चीन में पाए जाते है।
झारखंड में सुवर पालन के विकास के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया सुवर के संकर नस्ल “झारसुक” का विशेष योगदान है। यह नस्ल बहुत ही तेजी से बढ़ता है।
3. झारखंड राज्य में कृत्रिम गर्भाधान केंद्रों की कुल संख्या 433 है।
4. पशुपालन प्रशिक्षण केंद्र, काँके में है तथा पशुपालन विद्यालय गौरियाकरमा (हज़ारीबाग) में स्थित है।
5. राँची में 50K लीटर प्रतिदिन क्षमता वाली Mineral Mixure Dairy Plant लगाई गई है MILKFED द्वारा।
6. झारखंड में कुल 12 District Milk Union है।
7. झारखंड में सबसे ज्यादा पशुधन राँची जिला में है।
झारखंड में पशुपालन
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