Famous Food Of Jharkhand
झारखंड के खान-पान
केसरिया कलाकंद
झारखंड के कोडरमा केसरिया कलाकंद के लिए प्रसिद्ध है। (झारखंड के खान-पान)
पेड़ा
पेड़ा झारखंड का मुख्य मिष्ठान्न है। दुमका जिला का घोरमारा पेड़ा के लिए प्रसिद्ध है। देवघर में पेड़ा उद्योग काफी विकसित है।
Note:- देवघर में बनने वाले “मेधा पेड़ा” को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बेचे जाने की योजना है।
सोनपापड़ी
दुमका जिला का हंसडीहा सोनपापड़ी उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
गुलगुला
यह एक मिष्ठान्न है जो गेहूं के आटे और गुड़ से बनाया जाता है।
अरसा
इसे चावल और गुड़ से बनाया जाता है। विभिन्न पूजा में इसे प्रसाद के रूप में प्रयोग में लाया जाता है।
घटरा
यह चावल को महीन करके पानी और दूध में घोलकर बनाया जाता है।
छिलका रोटी
यह देखने मे और स्वाद में प्लेन डोसा जैसा होता है। इसे चावल चूर्ण और बेसन के मिश्रण से बनाया जाता है। ये बहुत सुपाच्य होता है तथा चटनी के साथ खाया जाता है।
मडुआ रोटी
मडुआ को घोल कर या बेलकर मडुआ रोटी बनाया जाता है।
मालपुआ
यह मिष्टान्न आटा, दूध, केला, मलाई और चीनी के मिश्रण से बनाया जाता है। इसे रसीला बनाने के लिए चासनी में डुबाया जाता है।
ठेकुआ
यह चावल और गेहूँ के आटे के मिश्रण से बनाया जाता है। इसमे नारियल,मावा और तिल मिलाया जाता है। छठ पूजा के मुख्य प्रसाद के रूप में इसका उपयोग होता है।
धुसका-बर्रा
धुसका को चावल और दाल के आटे के मिश्रण से बनाया जाता है वही बर्रा उड़द दाल से बनाया जाता है।
पीठा
इसे चावल से बनाया जाता है। पीठा नमकीन और मीठा दोनो बनाया जाता है। मीठा पीठा में तिल,गुड़, नारियल,खोया का मिश्रण भरावन के रूप में उपयोग किया जाता है। वही नमकीन पीठा में चने या उडद की दाल और सब्जियों का प्रयोग किया जाता है।
Note:- गुड़ पीठा जो चावल और गुड़ से बनाया जाता है वो टुसु पर्व में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है।
खपरा पीठा
इसे ढक्कन डब्बा या गोलगरबा भी कहा जाता है। इसे अरवा चावल से बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए मिट्टी के बर्तन का उपयोग किया जाता है।
खीरमोहन-इस मिष्ठान्न के लिए चौपारण प्रसिद्ध है।
बालूसाही
झारखंड में प्रचलित यह एक प्रमुख मिष्ठान्न है। इचाक की बालूसाही प्रसिद्ध है।
गुलाब जामुन
झारखंड में ग़ुलाब जामुन को बहुत पसन्द किया जाता है। हज़ारीबाग का टाटी झरिया गुलाब जामुन के लिए प्रसिद्ध है।
रुगरा या फूटका
झारखंड में इसकी सब्जी प्रचलित है जो कि अन्य राज्यो में नही पाया जाता है। यह मशरूम के जैसा होता है।
खुखड़ी
खुखड़ी की सब्जी का प्रचलन भी झारखंड में बहुत है। यह मशरूम का देशी रूप है। बरसात के दिनों में यह उगता है।
पेय पदार्थ
हड़िया
हड़िया उबले चावल, मडुआ और कोदो से बनता है मगर चावल का हड़िया ज्यादा प्रचलन में होता है। हड़िया अरवा और उसना चावल दोनो से बनाया जाता मगर उसना चावल से अच्छी हड़िया बनती है। हड़िया के लिए एक विशेष चावल “करैनी धान का चावल” का प्रयोग में लाया जाता है। पहले चावल को उबालकर भात बनाया जाता है फिर इसमें रानू मिलाकर Fermentation (किण्वन) के लिए छोड़ दिया जाता है। किण्वन के पश्चात हड़िया तैयार हो जाता है। हड़िया को राइस बियर भी कहा जाता है।
रानू
“चौली कंदा” जड़ी के जड़ को अरवा चावल के साथ पीसकर छोटी छोटी गोली बनाने के बाद सुखाकर बनाया जाता है। फर्मेंटेशन(किण्वन) के दौरान रानू भात को खराब होने नही देता है। हड़िया बनाते समय रानू को गर्म करके चूर्ण बनाकर डाला जाता है।
Note:- हड़िया में तीव्र मादकता के लिए यूरिया मिलाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक है।
इली
ताड़ी
यह ताड़ और खजूर के पेड़ के रस से बनाया जाता है।
संताल समाज मे खानपान
संताल समाज का मुख्य भोजन दाका-उरू (दाल-भात) जबकि दूसरी मुख्य भोजन जोन्डरा-डाका (मकई की दलिया)। महुआ को उबाल कर खाने की परंपरा है। हड़िया इनका मुख्य पेय है। संताल समाज मे सामान्यतः तीन बार भोजन किया जाता है। सुबह के जलपान को ये “बासक्याक” कहते है। दोपहर के भोजन को “माजवान” और रात के भोजन को “कादोक” कहा जाता है। ये मांसाहारी भी होते है,सुवर तथा मुर्गी इसके खानपान का मुख्य अंग है। सफहोड़ संताल शुद्ध शाकाहारी होते है। साल की पत्ती से बनी बीड़ी का प्रचलन पाया जाता है।
असुर समाज का खानपान
असुर प्रायः दो बार भोजन करते है।सुबह के खाने को यह “लोलो घोटो जोमकु” तथा शाम के खाने को “बियारी घोटो जोमकु” कहते है। चावल से बने बोथा या झरनुई (हड़िया जैसा) इनका मुख्य पेय है। असुरों में धूम्रपान का प्रचलन बहुत ज्यादा है। धूम्रपान के लिये ये “पिक्का” का प्रयोग करते है जो सखुआ के पत्ते में तम्बाकू लपेटकर चुरुट की तरह पिया जाता है।
खान-पान से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
1.गोंड समुदाय में मदिरापान का प्रचलन बहुत ज्यादा है।
2. चेरो समाज मे अधिकांश लोग शाकाहारी होते है।
SPT ACT परिभाषाये VIDEO
धुसका-बर्रा नामक पकवान सोहराय और करमा पर्व में खूब बनता है सर जी।