भारतीय संविधान का निर्माण
संविधान सभा Constituent Assembly
संविधान सभा का इतिहास
🔥 पहली बार संविधान सभा की मांग 1895 में बाल गंगाधर तिलक ने उठाया था।
🔥 1922 ई में महात्मा गांधी ने कहा था भारत का राजनीतिक भाग्य भारतीय स्वयं लिखेंगे।
🔥 भारत के लिए संविधान सभा की रचना के लिए संविधान सभा का विचार सर्वप्रथम स्वराज पार्टी नामक राजनीतिक दल ने 1924 में दिया था।
🔥 कम्युनिस्ट पार्टी के एम एन राय द्वारा 1934 ई में संविधान सभा का प्रस्ताव लाया गया था।
🔥 कांग्रेस ने 1935 ई में संविधान सभा की मांग की थी।
🔥 1938 में पंडित नेहरू द्वारा घोषणा की गई कि भारत की संविधान का निर्माण व्यस्क मताधिकार द्वारा चुने गए भारत के प्रतिनिधि ही करेंगे जिसमें किसी बाह्य शक्तियों का कोई हस्तक्षेप नहीं होगा।
🔥 8 अगस्त 1940 में अगस्त प्रस्ताव (वायसराय लिनलिथगो के द्वारा) के माध्यम से सैद्धांतिक रूप से संविधान सभा की मांग अंग्रेजों ने स्वीकार कर ली। लेकिन भारतीय नेताओं ने इसे अस्वीकार कर दिया था। क्योंकि इस प्रस्ताव में डोमिनियन स्टेट की बात की गई थी और जो संविधान सभा बनाने की बात की गई थी उस में भारतीयों के साथ-साथ ब्रिटिश अधिकारियों के होने की बात की गई थी।
🔥 क्रिप्स मिशन योजना, 1942 के तहत संविधान सभा का प्रस्ताव अंग्रेजों द्वारा दिया गया जिसे मुस्लिम लीग ने अस्वीकार कर दिया था।
🔥 अंततः संविधान सभा की स्थापना कैबिनेट मिशन की रिपोर्ट के आधार पर जुलाई 1946 में हुई थी। संविधान सभा ने अपना कार्य 1 दिसंबर 1946 से शुरू कर दिया था
परिचय
भारतीय संविधान का शीर्षक है “भारत का संविधान” इसका जिक्र अनुच्छेद 343 में किया गया है। मूल संविधान में कुल 22 भाग 8 अनुसूचियां और 395 अनुच्छेद थे। वर्तमान में भारतीय संविधान में कुल 470 अनुच्छेद, 25 भाग 12 अनुसूचियां और 5 अनुलग्नक (Appendices) है। संविधान 2 वर्ष 11 माह 18 दिन में तैयार हुआ था।
सदस्य
संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 389 निर्धारित की गई थी। जिनमें से 292 ब्रिटिश प्रांतों के के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर क्षेत्र के प्रतिनिधि और 93 देसी रियासतों के प्रतिनिधि थे। जुलाई 1946 में संविधान सभा का चुनाव हुआ जिसमें 208 कांग्रेस के 73 मुस्लिम लीग के एवं 15 अन्य दलों के तथा स्वतंत्र उम्मीदवार निर्वाचित हुए थे। संविधान सभा में ब्रिटिश प्रांतों के 296 प्रतिनिधियों का विभाजन सांप्रदायिक आधार पर किया गया था जिसमें 213 सामान्य 79 मुसलमान तथा 4 सिख थे। 3 जून 1947 को माउंटबेटन योजना के अनुसार देश का बंटवारा हो जाने पर भारतीय संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 324 निर्धारित की गई जिसमें 235 स्थान प्रांतों के लिए और 89 स्थान देसी रियासतों के लिए थे।
देश विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर 1947 को किया गया था। जिसमे संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 निर्धारित की गई थी जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या 229 एवं देसी रियासतों की सदस्यों की संख्या 70 थी।
संविधान सभा में कुल 15 महिला सदस्य थी अनुसूचित जाति के 26 एवं अनुसूचित जनजाति के 35 सदस्य थे।
माउंटबेटन योजना
3 जून, 1947 को माउंटबेटन योजना के द्वारा देशी रियासतों के सदस्य भी तथा भारत में स्थित मुस्लिम लीग के सदस्य भी संविधान सभा में शामिल हुए।
भारत स्वतंत्रता अधिनियम,1947
इस अधिनियम के तहत संविधान सभा में तीन महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए :-
1. संविधान सभा के सदस्यों की संख्या 299 निर्धारित की गई।
2. संविधान सभा को संप्रभुता का अधिकार मिला।
3. संविधान सभा को संसद के रूप में कार्य करने का अधिकार मिला।
Chief Commissonary
4 चीफ कमिश्नरी दिल्ली, कुर्ग, अजमेर-मारवाड़ और बलूचिस्तान थे जिस से एक-एक सदस्य चुने निर्वाचित हुए थे। देसी रियासतों के सारे सदस्य मनोनीत किए गए थे। इसका Trick है:- ABCD (Ajmer -Marvad, Baluchistan, Coorg, Delhi)
निर्वाचन क्षेत्र का निर्धारण
उस समय भारत की कुल आबादी लगभग 40 करोड़ के करीब थी। 10 लाख की आबादी पर एक प्रतिनिधित्व का निर्णय लिया गया था जिस कारण संविधान सभा के कुल सदस्यों की संख्या 389 निश्चित की गई। प्रांतों का प्रतिनिधित्व मुख्यतः तीन प्रमुख समुदायों की जनसंख्या के आधार पर विभाजित किया गया था। यह समुदाय के मुस्लिम, सिख एवं साधारण
चुनाव
संविधान सभा के सदस्य वयस्क मताधिकार के आधार पर अप्रत्यक्ष रूप से एकल संक्रमणीय मत तथा समानुपातिक तरीके से निर्वाचित हुए थे जिसका चुनाव जुलाई 1946 में संपन्न हुआ था।
उद्देश्य प्रस्ताव
13 दिसंबर 1946 को जवाहरलाल नेहरू द्वारा पेश किए गए उद्देश्य प्रस्ताव के साथ ही संविधान निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई। उद्देश्य प्रस्ताव में भारतीय संविधान की संरचना और ढांचे की झलक थी। उद्देश्य प्रस्ताव को 22 जनवरी 1947 को सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया था। संविधान की प्रस्तावना का आधार इसी उद्देश्य प्रस्ताव को माना जाता है। इस प्रस्ताव के स्वीकृति के बाद संविधान सभा ने संविधान निर्माण प्रक्रिया को गति प्रदान करने के लिए कुल 22 समितियों का गठन किया। जिनमें से कुछ प्रमुख समितियां और उसके अध्यक्ष निम्न है: –
विभिन्न समिती के अध्यक्ष
नियम (संचालन) समिति – डॉ राजेंद्र प्रसाद
संघ शक्ति समिति – पंडित जवाहरलाल नेहरू
संघ संविधान समिति – पंडित जवाहरलाल नेहरू
राज्य समिति – पंडित जवाहरलाल नेहरू
प्रांतीय संविधान समिति – सरदार वल्लभभाई पटेल
प्रारूप समिति – डॉक्टर भीमराव अंबेडकर
Note:- Drafting Committee का मूल नाम “पाण्डुलेखन समिति था।
परामर्श समिति- सरदार वल्लभभाई पटेल
सर्वोच्च न्यायालय समिति – एस वारादाचारियार
मूल अधिकार उपसमिति -जे बी कृपलानी
झंडा समिति -जे बी कृपलानी
अल्पसंख्यक उपसमिति – एस सी मुखर्जी
पहली बैठक
संविधान सभा की प्रथम बैठक नई दिल्ली में स्थित Council Chamber (आज का संसद भवन सेंट्रल हॉल) के पुस्तकालय भवन में 9 दिसंबर 1946 में हुई थी। इस बैठक में संविधान सभा को संबोधित करने वाले प्रथम व्यक्ति जे बी कृपलानी थे। इस दिन के लिए इस सभा में चयनित सबसे बुजुर्ग डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थाई अध्यक्ष चुना गया था।
मुस्लिम लीग ने इस बैठक का बहिष्कार किया था और पाकिस्तान के लिए अलग संविधान सभा की मांग की थी। संविधान सभा की पहली बैठक में कुल 207 सदस्यों ने भाग लिया था जिसमें महिलाओं की संख्या 9 थी। हैदराबाद एक ऐसा देशी रियासत था जिसके किसी भी प्रतिनिधि ने संविधान सभा में भाग नहीं लिया था।
Note:- संविधान सभा की प्रथम बैठक का मुस्लिम लीग के द्वारा विरोध किए जाने पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने कहा था कि “यह एक ऐसा विवाह है जिसकी दुल्हन ही गायब है।”
अध्यक्ष – राजेंद्र प्रसाद जो चुनाव 11 दिसंबर 1946 में चुना गया।
उपाध्यक्ष- 11 दिसंबर 1946 में हरेंद्र कुमार मुखर्जी संविधान सभा के प्रथम उपाध्यक्ष चुने गए। संविधान सभा के दूसरे उपाध्यक्ष वीटी कृष्णमाचारी थे।
संवैधानिक सलाहकार – बीएन राव (भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार करने का श्रेय इसे ही दिया जाता है)
अंतिम बैठक
24 जनवरी 1950 मैं संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई जिसमें संविधान पर सभी ने अपने हस्ताक्षर करके इसे मान्यता दी। इसी दिन संविधान सभा के द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद को भारत का प्रथम राष्ट्रपति चुना गया था। संविधान सभा 26 जनवरी 1950 से लेकर 1951-52 में हुए प्रथम आम चुनाव के बाद बनने वाली नई संसद के निर्माण तक भारत की अंतरिम संसद के रूप में काम किया था।
संविधान सभा में महिलाएं
संविधान सभा में कुल 15 महिलाएं सदस्य थी। वे अम्मू स्वामीनाथन, एनी मैस्करिन, बेगम एजाज रसूल, दक्ष्यानी वेल्यादुन, जी दुर्गाबाई, हंसा मेहता, कमला चौधरी, लीला रे, मालती चौधरी, पूर्णिमा बनर्जी, रेणुका राय, सरोजिनी नायडू, राजकुमारी अमृत कौर, सुचेता कृपलानी और विजया लक्ष्मी पंडित थी। बेगम एजाज रसूल संविधान सभा में एक मात्र मुस्लिम महिला थी।
संविधान सभा के महिला सदस्यों का विस्तृत विवरण
रूपरेखा
संविधान सभा की रूपरेखा तैयार करने का श्रेय बेनेगल रामाराव को जाता है। बी एन राव द्वारा तैयार किए गए संविधान सभा के प्रारूप पर विचार करने के लिए संविधान सभा द्वारा 29 अगस्त 1947 ई को एक संकल्प पारित कर प्रारूप समिति का गठन किया जाता है। इस प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को चुना जाता है।
प्रारूप समिति में कुल 7 सदस्य होते हैं। अन्य सदस्य थे:- एन गोपालस्वामी आयंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी, सैयद मोहम्मद सादुल्ला (मुस्लिम लीग), एन माधवराव (बी एल मित्र के स्थान पर) और डी पी खेतान
Note:- डी पी खेतान के मृत्यु के बाद TT krishnamachari को सदस्य बनाया गया था।
Note:- कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी एकमात्र कांग्रेसी नेता थे जो प्रारूप समिति में शामिल थे। बाकी अन्य नेता कांग्रेस के चुनाव चिन्ह तले जीते थे मगर वह शुद्ध कांग्रेसी नहीं थे।
बी एन राव
बी एन राव एक आईसीएस अधिकारी थे जो संविधान सभा के सदस्य नहीं थे। इन्होंने निशुल्क संविधान सभा की रूपरेखा तैयार की थी। यह अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में प्रथम भारतीय न्यायाधीश (1952-53) चुने गए थे। इनके अलावा अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश नागेंद्र सिंह, रघुनंदन पाठक (1981- 91)और दलवीर भंडारी (2012 से) चुने गए हैं। इनमें से नरेंद्र सिंह 1976-79 तक उपाध्यक्ष थे तथा 1980 -88 तक अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष रहे।
वाचन
संविधान सभा में कुल 3 वाचन हुए थे। पहला वाचन 4 नवंबर से 9 नवंबर 1948 तक चला। संविधान पर दूसरा वाचन 15 नवंबर 1948 से 17 अक्टूबर 1949 तक चला। संविधान सभा में संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर 1949 को प्रारंभ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
अंबेडकर का संविधान सभा में प्रवेश
संविधान सभा के सदस्यों के चुनाव के दौरान भीमराव अंबेडकर मुंबई से शेड्यूल कास्ट फेडरेशन (SCF) से चुनाव लड़े जिसमें उसे पराजित होना पड़ा था। फिर बाद में यह मुस्लिम लीग की सहायता से जैसुर-खुलना क्षेत्र से जीते और संविधान सभा में पहुंचे। विभाजन के पश्चात इनका चुनाव क्षेत्र पाकिस्तान में चला गया था जिस कारण इन्हें संविधान सभा से इस्तीफा देना पड़ा। पुनः बी एन राव तथा सरदार पटेल के आग्रह पर अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद ने तत्कालीन मुंबई के प्रधानमंत्री बी जी खेर को आग्रह किया की संविधान सभा में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के लिए 1 सीट सुरक्षित किया जाए। भाईखला-परोल चुनाव क्षेत्र से एम आर जयकर ने इस्तीफा दिया जहां से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर पुनः चुनाव जीतकर संविधान सभा में पहुंचे।
Note:- बी जी खेर राजभाषा आयोग 1955 के अध्यक्ष भी रहे।
संविधान सभा के कार्य
संविधान सभा के दो मुख्य कार्य थे प्रथम कार्य संविधान का निर्माण करना द्वितीय कार्य भारतीय संसद की भूमिका निभाना। संविधान निर्माण कार्य के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद थे वहीं संसद संबंधी कार्य के अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर थे।
जब तक प्रथम चुनाव नहीं हुआ था तथा नई संसद का गठन नहीं हुआ था तब तक संविधान सभा ने संसद की भूमिका निभाई थी। भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम,1947 के तहत यह प्रावधान किया गया था कि जब तक नई संसद की स्थापना नहीं हो जाती तब तक संविधान सभा ही अंतरिम सरकार के मदद से भारत का शासन (भारत शासन अधिनियम 1935 के प्रावधानों के अनुसार) चलाएगा। उस समय के अंतिम अनुच्छेद 395 में यह प्रावधान किया गया था कि जब नए संसद की स्थापना हो जाएगी तब भारत शासन अधिनियम 1935 को खत्म कर दिया जाएगा।
संविधान की लिखावट एवं कलाकृति
भारतीय संविधान को कलम से प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखा है मूल संविधान इंग्लिश में लिखा गया है संविधान के प्रत्येक पेज में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा का नाम उकेरा गया है तथा आखिरी पेज में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा के साथ-साथ उनके दादा जी का भी नाम लिखा हुआ है। संविधान को सुसज्जित नंदलाल बोस ने अपने चित्रकारी से किया है।
संविधान के अनुच्छेदो का प्रवर्तन
26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया था और उस दिन से 15 धाराओं को लागू भी किया गया था। यह 15 धाराएं थी 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391 392 और 393। बाकी धाराओं को 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया था। अनुच्छेद 394 में उन धाराओं के बारे में जिक्र है जिसको 26 नवंबर 1949 से लागू किया जाएगा। अतः अनुच्छेद 394 को मिलाकर कुल 16 अनुच्छेद को प्रभावी किया गया था। अनुच्छेद 394 में यह भी लिखा गया है कि बाकी के सारे अनुच्छेद 26 जनवरी 1950 से लागू होंगे।
संविधान सभा द्वारा लिए गए कुछ फैसले
1. 1949 में भारत को राष्ट्रमंडल देशों के सूची में शामिल किया गया।
2. 22 जुलाई 1947 को तिरंगे को राष्ट्रीय झंडे के रूप में स्वीकार किया गया।
3. 24 जनवरी 1950 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचित किया गया तथा इसी दिन जान गण मन को भारत का राष्ट्रीय गान घोषित किया गया।
4. संविधान सभा का पहला संशोधन 1951 में संविधान सभा द्वारा ही किया गया था।
संविधान सभा पर आलोचना
🔥 विंस्टन चर्चिल ने संविधान सभा को एक जाति की संस्था कहा था।
🔥 साइमन ने संविधान सभा को हिंदुओं की संस्था का था।
🔥 संविधान सभा एक कांग्रेस की संस्था थी यह ऑस्टिन ने कहा था।
संविधान सभा Constituent Assembly
संविधान पार्क
मध्यप्रदेश के देवास में संविधान पार्क बनाया जा रहा है। इसमें कुल 22 मूर्तियां लगेगी जो कि मूल संविधान के 22 भाग में अंकित है। मूल संविधान में पुष्पक विमान से अयोध्या लौटते श्रीराम-सीताजी-लक्षमण, श्रीकृष्ण और अर्जुन (कुरुक्षेत्र की रणभूमि), गंगा मैया एवं भागीरथ, सीता की तलाश में उड़ कर जाते हुए हनुमानजी, यज्ञ कराते वैदिक ऋषि की यज्ञशाला, गौतम बुद्ध, तप में लीन वर्धमान महावीर, बौद्ध धर्म का प्रचार करते हुए हाथी में सवार सम्राट अशोक, महात्मा गांधी, राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ, सुभाष चंद्र बोस, अकबर, टीपू सुल्तान, रानी लक्ष्मीबाई, गुरु गोविंद सिंह, हड़प्पा सभ्यता, समुद्र में रक्षा करती है समुद्री बेड़ा, काल की छाती पर नृत्य करते हुए नटराज की प्रतिमा, रेगिस्तान का दृश्य अंकित है।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य
संविधान सभा Constituent Assembly
🔥 संविधान सभा की कुल 114 दिन बैठक हुए थे। संविधान निर्माण कार्य में कुल ₹ 63,96,729 खर्च हुए थे।
🔥 के वी राव ने डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक और जननी कहां है।
संविधान सभा Constituent Assembly
🔥 भारत के संविधान बनाते समय संविधान सभा में कुल 7 देशों के संविधान का अध्ययन किया था।
🔥 आखरी अधिवेशन 24 जनवरी 1950 को मिलाकर संविधान सभा में कुल 12 अधिवेशन हुए थे।
🔥 संविधान का कुल वजन 13 किलो है तथा इसमें 233 पन्ने है। इसे लिखने के लिए शाही और कागज को इंग्लैंड के बर्मिंघम शहर से मंगवाया गया था। मूल संविधान में काली चमड़ी के जिल्द पर सोने की कारीगरी की गई है। संविधान को लिखते समय 432 निब की जरूरत पड़ी थी।
🔥 भारतीय संविधान में अब तक 127 संविधान संशोधन विधेयक प्रस्तुत किए जा चुके हैं। इनमें से 105 बार संविधान संशोधन किया जाता है।
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