झारखंड के वस्त्र एवं आभूषण | Famous Oraments Of Jharkhand

Jharkhand Arts & Culture

Oranmemts Of Jharkhand

झारखंड वस्त्र एवं आभूषण

वस्त्र एवं परिधान

पढ़िया- झारखंड की महिलाएं लाल रंग की किनारी वाली साड़ी पहनती है जिसे पढ़िया कहा जाता है किसका आंचल चौड़ा और कलात्मक होता है। यह परिधान मुंडा समाज में ज्यादा देखने को मिलता है।

बरकी लिजा यह मुंडा महिलाओ द्वारा पहना जानेवाला विशेष प्रकार की साड़ी है। इसे बारह हथिया भी कहते है। मुंडा महिलाएं पिछाड़ी नामक वस्त्र पहनती है जो लगभग 5 मीटर का होता है छोटी लड़कियां खड़िया पहनती है।

तोलोंग- यह मुंडा पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला साधारण सा धोती है। जिसे कमर के नीचे पहना जाता है। इसे बटोई भी कहा जाता है

झीपली- यह उरांव महिलाओं द्वारा पहने जाने वाला आभूषण है। इसका निर्माण सीप के खोल से किया जाता है।

केरया और खनरिया- पर्व त्यौहार के अवसर पर उरांव समाज के पुरुष वर्ग द्वारा पहना जाने वाला वस्त्र “केरया” एवं महिला वर्ग द्वारा पहना जाने वाला वस्त्र “खनरिया (परेया)” कहलाता है।

पांची-पाडहान – यह वस्त्र संथाल महिलाओं द्वारा पहना जाता है। पंची को कमर के ऊपर तथा पाडहान को कमर के नीचे पान आ जाता है।

Note:- कुपनी, कांचा, दहड़ी (पगड़ी) और पटका (लूंगी) संताल समाज में मुख्य परंपरागत पोशाक प्रचलित है।

झारखंड के आभूषण एवं पोशाक
झारखंड के आभूषण एवं पोशाक

बंडी- यह खरवार तथा गोंड पुरुषों द्वारा पहना जाने वाला विशेष वस्त्र है। यह एक विशेष प्रकार की पगड़ी होती है।

झूला- यह चेरो महिलाओं द्वारा कमर के ऊपर पहना जाने वाला विशेष वस्त्र है।

झब्बा- यह बंजारा पुरुषों द्वारा पहने जाने वाले ढीला ढाला कमीज है।

ठेठी और पाचन- यह बेदिया महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला परंपरागत वस्त्र है। वहीं बेदिया पुरुषों की परंपरागत वस्त्र केरया है।

खरपा- यह चमड़े की बनी होती है जिसे मुंडा लोग पैरों में पहनने के लिए प्रयोग करते हैं।

खटनही- यह काष्ठ की बनी होती है जिसे मुंडा लोग पैरों में पहनने के लिए प्रयोग करते हैं।

आभूषण

क्रम संख्याअंगआभूषण
1.बालउंडू, खोंगसो, सुरा-खोंगसों, पानपत्ता खोंगसो, चवनी बाला, झिका, चिरो-चिलोंपो, झीका
2.सिरटीका, मांगटीका कलगा, मयूरपंख, सिलपट, जिनतो (बंडो पगड़ी), पटवासी
3.कानकानपासा, पनरा, तारकुला, तरका, तरकी, कर्णफूल, करंजफूल, लवंगफुल, उपरकाना (पुरुष), पिपरपत्ता, ठिप्पी, तरपत, कुण्डल (पुरुष)
4.नाकनथ, छुछी, मकड़ी, लोला, बुलाक, नाक बेसईर,
5.कमरकमरधनी
6गलाहंसूली, सिकड़ी, बेरनी, हिसिर, खंभिया, बंधना (ठोसा), भुंडिया, ताबीज, पुन, चिकदाना, चन्द्रहार, चंदवा, सीतामाला, कंठामाला।
7.बांहखागा, तार-साकोम, टांड़ (ताड़)
8.पैरबांक-बांकी, बटारिया, कड़ा, पड़ा, पायल, गोडाम, पयंरी (पैरी), बिछिया
9.हाथसाखा, साकोम, झूटिया, राली- घुंघूंर, सिली, बाईकल, बढ़ेरा, ठेला, पहूंची, मठिया, लहटी (लाह के प्रयोग), बंगूरी
10.पैर की ऊंगलीझटिया, कतरी, अंगूठा

Note:- चीक बड़ाईक समुदाय द्वारा एक विशेष प्रकार का वस्त्र बनाया जाता है जो “लाल पाड़हान” नाम से जाना जाता है।

झारखंड वस्त्र एवं आभूषण

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