झारखंड के चित्रकला

झारखंड का चित्रकला | Paintings Of Jharkhand

Jharkhand Arts & Culture

Paintings Of Jharkhand

झारखंड के चित्रकला

जादो-पटिया चित्रकला

यह चित्रकला दो शब्द जादो और पटिया से मिलकर बना है। जादो मतलब चित्र बननेवाला और पटिया का मतलब छोटे-छोटे कागज या कपड़े से बनाया हुआ चित्रफलक।यह चित्रकारी संताल समुदाय में काफी प्रचलित है। यह चित्रकारी संताल परगना प्रमंडल ममें बंगाल के सीमावर्ती भाग में प्रचलित है। जामताड़ा और दुमका जिला में यह चित्रकारी काफी प्रचलित है। संताल समाज के लोक-गाथाओं, सामाजिक रीति-रिवाज, धार्मिक विश्वास और नैतिक मान्यताओं की झलक इस चित्रकला में देखने को मिलता है। इस चित्रकला की खास बात है कि जादो(चित्रकार) इस चित्रकारी को गाना गा गाकर बेचता है। इस चित्रकारी में कागज या कपड़े के छोटे-छोटे टुकड़ों को जोड़कर बनाये जाने वाले पर चित्र अंकित किया जाता है जिसमे 4 से 16 चित्र अंकित होते है।

सोहराय चित्रकला

सोहराय चित्रकारी की शुरुआत वर्षा के बाद घर के लिपाई-पुताई के क्रम में शुरू होती है। इस चित्रकारी की संबंध सोहराय महापर्व से है जो दीवाली के एक दिन बाद मनाई जाती है। सोहराय चित्रकला के हज़ारीबाग जिला प्रसिद्ध है। सोहराय चित्रकला और कोहबर चित्रकला को झारखंड के संदर्भ में 2020 में GI Tag मिला है। इस चित्रकला में कला के देवता प्रजापति (पशुपति भी कहा जाता है) का विशेष चित्रण मिलता है। इस चित्रकारी में पशुपति को साँड़ के पीठ में खड़ा दिखाया जाता है। पशुपति का चित्रांकन प्रायः डमरू की आकृति जैसा किया जाता है। सोहराय चित्रकारी की दो शैलियाँ है कुर्मी सोहराय और मांझू सोहराय।

कोहबर चित्रकला

कोहबर दो शब्दों से मिलकर बना है कोह और वर। कोह का मतलब गुफा और वर का मतलब दूल्हा जिसका अर्थ होता है गुफा में दूल्हा। इस चित्रकारी को वसन्तर ऋतु से वर्षा के आगमन तक बनाई जाती है मतलब जनवरी से जूम तक। इस चित्रकारी में स्त्री-पुरुष के विभिन्न संबंधों का चित्रण, प्राकृतिक परिवेश (फूल, पत्ती, पशु, पक्षी, पेड़ आदि) का चित्रण, जादू टोना का चित्रण, ज्यामितीय आकृतियों का चित्रण मिलता होता है। इस चित्रकारी का सबसे ज्यादा प्रचलन बिरहोर समुदाय में पाया जाता है। कोहबर चित्रकारी में सिकी देवी का विशेष चित्रण मिलता है।

पईतकर चित्रकला

यह झारखंड के सिंहभूम क्षेत्र की प्रसिद्ध चित्रकला है। पूर्वी सिंहभूम के धालभूमगढ़ प्रखंड के आमडुबी गाँव इस चित्रकला के प्रसिद्ध है। इस चित्रकला को विलुप्त होने से बचाने के लिए आमडुबी गाँव को “पर्यटन गाँव” घोषित किया है। इस चित्रकारी की प्रमुख विशेषता है कि यह पेड़ के छाल और पत्तियों के रस से बनाई जाती है। यह एक स्क्रॉल चित्रकला का उदाहरण है। सबर जनजातियाँ इस कल में काफी निपुण होते है।

भित्ति चित्रकला

इस चित्रकला को घर के दीवालों में बनाई जाती है, इसे दीवाल चित्रण (Wall Painting) भी कहा जाता है। इस चित्रकला में ज्यामितीय चिन्हों की प्रमुखता पाई जाती है। झारखंड में भित्ति चित्रकला का व्यापक विकास हुआ है। इस चित्रकला में संताल समुदाय काफी निपुण माने जाते है। संताल समाज इस चित्रकला को अपनी पुरानी चाय-चम्पागढ़ (हजारीबाग) से जुड़ा हुआ मानते है। इस चित्रकला का ज्यादा विकास संताल परगना क्षेत्र में हुआ है हालांकि छोटानागपुर में भी यह व्यापत है। मगर छोटानागपुर और संताल परगना के भित्तिचित्र में कुछ अंतर है:-

a) संताल परगना चित्रकारी में प्राचीनता का भाव दिखता है वही छोटानागपुर चित्रकला में आधुनिकता का भाव दिखता है।

b) संताल परगना चित्रकारी में आकर की प्रधानता है वही छोटानागपुर चित्रकला में रंग की प्रधानता है।

c) संताल परगना चित्रकारी के चित्र में उभार पाए जाते है वही छोटानागपुर चित्रकला के चित्र समतल में होते है।

डब्लू सी आर्चर जो संताल परगना के डिप्टी कमिश्नर थे उन्होंने 19440 में अपनी पत्रिका “वर्टिकल मैन” में संताल समुदाय के भित्ति-चित्र का विवरण प्रस्तुत किया था।

बैद्यनाथ चित्रकला

यह झारखंड में विकसित नई चित्रकला है। इस चित्रकला का विकास बैद्यनाथधाम मंदिर के परम्परानुसार उसी तरह हो रहा है जैसे कालीघाट मंदिर से कालीघाट चित्रकारी का हुआ था। इस चित्रकारी में बैद्यनाथधाम मंदिर के परम्पराओ का चित्रांकन किया जाता है जैसे:- शिव बारात, काँवर यात्रा, रूद्राभिषेक, जलाभिषेक आदि।

स्ट्रॉ-आर्ट चित्रकला

यह झारखंड में विकसित नई चित्रकला है। ये धान के पुआल पर चित्रांकित होता है। इसमें पुआल की परत को फैलाकर ताप देकर समतल किया जाता है। फिर चित्रकार द्वारा इसपर चित्र बनाया जाता है और चित्र को काटकर अलग कर लिया जाता है। जिसे किसी रंगीली (प्रायः काली) पृष्ठभूमि में चिपकाकर मढ़ दिया जाता है।

झारखंड के चित्रकला के मुख्य तथ्य

1. झारखंड में पहला GI Tag कोहबर और सोहराय चित्रकला को मिला है।

2. 2021 में डाक विभाग द्वारा कोहबर और सोहराय चित्रकला से अंकित लिफाफा जारी किया गया।

3. गंजु चित्रकला भी झारखंड की एक चित्रकला है।

4.दुमका के ललित मोहन राय झारखंड के प्रसिद्ध चित्रकार थे। इनके बनाये गए चित्रों को दुमका संग्रहालय, पटना संग्रहालय और संताल नृत्यकला केंद्र में संग्रहित किया गया है। दुमका में इन्होंने स्कूल ऑफ आर्ट्स की स्थापना की। 1970 में इन्हें कला श्री सम्मान मिला। 2015 में झारखंड सरकार ने इन्हें “राष्ट्रीय शिखर सम्मान” से सम्मानित किया।

5. हरेन ठाकुर भी झारखंड के प्रसिद्ध चित्रकार है। इनका जन्म झरिया में हुआ था। इन्होंने राँची के रॉक गार्डन, राँची रेलवे स्टेशन, श्री कृष्ण पार्क (राँची) में चित्रकारी की है। इन्हें ऑल इंडिया फाइन आर्ट कैमलिन फाउंडेशन अवार्ड मिल चुका है। इनकी Water Crisis पर बनाई पेंटिंग काफी प्रसिद्ध हुई, जिसमें सूखते तालाब में मछली और कमल की दुर्गति दिखाई गई है।

झारखंड के चित्रकला Video

https://youtu.be/D8s1I9CxbIY

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