झारखंड की पशुपालन योजना

JPSC PT (Scheme 8) पशुपालकों के लिए झारखंड सरकार की योजना

झारखंड सरकार की योजनाएँ | Schemes Of Jharkhand Government

Scheme Of Jharkhand Government

झारखंड की पशुपालन योजना

मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना 2024- इस योजना को 2024 में हेमंत सरकार ने नए सिरे से शुरू किया है। इससे पहले यह योजना 2021 में शुरू हो चुकी थी। मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का प्राथमिक लक्ष्य झारखंड के किसानों को सब्सिडी प्रदान करके पशुपालन में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस पहल का उद्देश्य किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले मवेशी खरीदने और डेयरी व्यवसाय शुरू करने में सक्षम बनाकर उनकी आजीविका में सुधार करना है। इस योजना के जरिए आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को गाय भैंस खरीदने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, ताकि उन्हें रोजगार से जोड़ा जा सके। इस योजना के सफलतापूर्वक संचालन के लिए सरकार द्वारा 660 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया गया है। मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा गौ पालन, बकरी पालन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन आदि को शामिल किया गया है। इस योजना के द्वारा पशुओं के स्वास्थ्य के लिए एंबुलेंस की सुविधा एवं उच्च गुणवत्तापूर्ण डायग्नोस्टिक एवं अन्य परीक्षण प्रयोगशाला और मोबाइल पशु चिकित्सा क्लीनिक शुरू करने का निर्णय लिया गया है। पशुओ को विभिन तरह के रोगो से बचाने के लिए पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्था, कांके में 28.69 करोड़ रुपए की लागत से टीका औषधि उत्पादन एवं प्रयोग शालाओं को विकसित किया जा रहा है। इस प्रयोगशाला में लगभग 1 करोड़ औषधि टीकों का निर्माण किया जाएगा।

सब्सिडी – इस योजना के तहत दुधारू पशुओं की खरीद के लिए 50 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी देती है। सामान्य किसानों को 50% की सब्सिडी प्रदान की जाती है। वहीं 90% सब्सिडी अनाथों, दिव्यांग व्यक्तियों, विधवाओं और निःसंतान दंपत्तियों को दी जाती है। इसके अलावा अन्य आर्थिक रूप से पिछले समूहों के लिए 75 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाती है। योजना के तहत लाभ देने के लिए महिला किसानों, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़े वर्गों को विशेष प्राथमिकता दी जाती है।

मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना, 2021 –इस योजना की शुरुआत 2021 में की गई। इस योजना के तहत बकरीपालन, सुकरपालन, मवेशी पालन और बतख पालन को बढ़ावा दिया गया है। इस योजना के तहत निम्न कार्यक्रम को शामिल किया गया है:-

a) बकरी पालन- उच्च नस्ल की 4 मादा बकरी और एक नर बकरे का वितरण किया जाएगा।

b) सुकर पालन – उच्च नस्ल की 4 मादा सुअर और एक नर सुअर का वितरण किया जाएगा।

c) बतख पालन – 15 बतख प्रति लाभुक वितरित किया जाएगा।

उपरोक्त तीनो कार्यक्रम में 100% तक अनुदान दिया जाएगा।

d) दुधारू गाय वितरण कार्यक्रम – इस कार्यक्रम के अंतर्गत 50% सब्सिडी के साथ दो उच्च नस्ल की गाय का वितरण 6 महीने के अंतराल पर किया जाएगा।

e) कामधेनु डेयरी फार्मिंग कार्यक्रम – इस कार्यक्रम के अन्तर्गत मिनी डेयरी के लिए 5 और मिड डेयरी के लिए 10 गाय का वितरण किया जाएगा।

f) हस्तचालित/विद्युतचालित चैफ कटर का वितरण – यह 50% के अनुदान पर वितरित किया जाएगा।

g) प्रगतिशील पशुपालको को सहायता – इसके अन्तर्गत अनुदानित दर पर पशु आहार, मिनरल मिक्सर आदि चीजे वितरित की जाएगी।

टेक्निकल इनपुट कार्यक्रम –यह पूर्णतः राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 1 अप्रैल 2002 में की गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था का सुदृढ़ीकरण करना है जिसके लिए किसानों और पशुपालकों को दुग्ध उत्पादन व्यवसाय से जुड़ी सुविधा उपलब्ध कराना। है। इस कार्यक्रम के तहत निम्न कार्य किये जाते है:-

1) संतुलित पशु आहार में सब्सिड़ी

2) पशु के लिए मिनरल फीड सप्लीमेंट और पशुओं के औषधि का वितरण

3) चारा काटने वाली मशीन, मिल्क बकेट, हाईजीन किट का वितरण

4) ग्रामीण क्षेत्रो में उत्पादकता वृद्धि शिविर का आयोजन

5) हरा चारा के बीज का वितरण

6) दूध संग्रहण, प्रसंकरण और बिक्री के लिए सुविधा स्थापित करना।

पशुओं के लिए यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर योजना –इस योजना की शुरुआत 2017 में की गई। इस योजना का उद्देश्य राज्य के गायों की पहचान करना। इस योजना के तहत हर गाय की 12 नंबर का यूनिक आइडेंटिफिकेशन कोड दिया जाएगा। इस दिशा में पायलट प्रोजेक्ट के तहत JSIACB (Jharkhand Implement Agency For Cattle & Buffalo) द्वारा किया जा रहा है। इस योजना में गायों के कान के पास UID Number फिक्स किया जाता है। जिसमे उम्र, लिंग, आयु, वजन, रंग, ऊंचाई, पूँछ और सिंह का आकार आदि की जाँच होती है।

डेयरी पशु विकास कार्यक्रम –यह कार्यक्रम झारखंड सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2005 में आरंभ किया गया। इस योजना के तहत राज्य के दुधारू पशुओं (गाय एवं भैंस) के कृत्रिम गर्भाधान द्वारा नस्ल सुधार करना तथा दूध उत्पादकता में वृद्धि करना है। इसके लिए राज्य सरकार ने BIAF (Bharat Agriculture Industries Foundation) को मुख्य अभिकर्ता बनाया है। इस योजना के तहत 10-15 गाँव को मिलाकर डेयरी पशु विकास केंद्र की स्थापना की गई है।

दुग्ध उत्पादकों हेतु प्रशिक्षण एवं प्रसार कार्यक्रम –यह योजना राज्य सरकार द्वारा 1 अप्रैल, 2002 में शुरू की गई। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रो के दुग्ध उत्पादकों को विभिन्न तरीकों से प्रशिक्षित करना है। इसके लिए लघु प्रशिक्षण और संबंधित पत्र-पत्रिकाओं का वितरण किया जाता है। इसके लिए कार्यशाला, प्रदर्शनी, सेमिनार का आयोजन भी किया जाता है। प्रशिक्षण अवधि के दौरान मुफ्त भोजन, आवास और स्टाइपेंड भी दिया जाता है। राज्य से बाहर निःशुल्क भ्रमण कराया जाता है जहाँ वे दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के तरीके सीख सके।

गोकुल ग्राम विकास योजना –इस परियोजना के अंतर्गत आनेवाला 100% व्यय झारखंड सरकार वहन करती है। इस योजना का आरंभ 1 अप्रैल 2002 से की गई। इस योजना का उद्देश्य झारखंड के सभी गाँव को सुंदर, समृद्ध, स्वच्छ और सुविधायुक्त बनाना है। इस योजना के अंतर्गत 4-5 गाँव का क्लस्टर बनाकर दूध उत्पादन तथा इसके लिए बाजार का व्यवस्था करना, चारागाह का विकास, गोबर और गोमूत्र से जैविक खाद का उत्पादन का बढ़ावा देना है तथा इस सबको विकसित करने के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण देना है।

Note:- झारखंड में कुल 182 गोकुल ग्राम विकास केंद्र है जिसमे 32 निर्माणाधीन है।

(झारखंड की पशुपालन योजना)

Schemes of Jharkhand Government Part-1

https://youtu.be/ACfMWheKSwM

Schemes of Jharkhand Government Part-2

https://youtu.be/xGa4KinJwdc

Schemes of Jharkhand Government Part-3

https://youtu.be/ZevwycIFFLI

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