Bathudi Tribes
बथुड़ी जनजाति Bathuri Tribe
परिचय
बथुड़ी जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या उड़ीसा में पाई जाती है। इनका मूल निवास स्थान उड़ीसा के मयूरभंज के पंचपीर पठार और सिमलीपाल जंगल है। यहीं से आकर बथुड़ी झारखंड के पड़ोस सिंहभूम जिले में बसे। इसकी ज्यादा जनसंख्या स्वर्णरेखा नदी के तट और धालभूम पहाड़ी के आसपास में पाई जाती है। झारखंड में इसकी सबसे ज्यादा जनसंख्या पूर्वी सिंहभूम में है।
ये अपने को ब्रह्माजी के बाँह से उत्पन्न मानते है इसलिए ये अपने को “बाहुतुली” कहलाना पसंद करते है। झारखंड में पाए जानेवाले 5 जनजातियों में बथुड़ी भी एक है। ये अपने को उच्च हिन्दू मानते है। ये खुद को आदिवासी या जनजाति कहलाना पसंद नही करते। ये सरदार तथा मुंडा उपाधि धारण करते है।
2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी झारखंड में आदिवादियों की आबादी का मात्र 0.04% है। जनसंख्या 3,464 है। अतः यह झारखंड की एक लघु जनजाति है।
इसे बेरी/बागदीस/भुई/भुइयाँ जाती का पूर्वज माना जाता है। प्रजातीय दृष्टि से द्रविड़ समूह के अंतर्गत आते है। ये मुंडारी भाषा बोलते है।
गोत्र
इसमें मुख्यता 5 गोत्र पाए जाते हैं:- बथुड़ी समाज में सालुक, कोक, डहुक, नाग, पानीपाट
आर्थिक जीवन
बथुड़ी खेती करते है तथा भूमिहीन बथुड़ी कृषक मजदूर का काम करते है। महिलाएं चटाई बनाने का काम तथा ताड़ और खजूर के पत्ते से थाली, खिलौने, कप इत्यादि बनाने का काम करती है। बहुत से परिवार चूड़ा -मुड़ी बनाकर बाजार में बेचने का काम करते है।
राजनीतिक व्यवस्था
बथुड़ी के जातीय पंचायत का प्रधान “डेहारी” कहलाता है। यह पद वंशानुगत होता है।
धार्मिक जीवन
डेहारी बथुड़ी जनजाति का धार्मिक प्रधान और राजनीतिक प्रधान दोनों होता है। विवाह के समय गोसाई या पुरोहित का सेवा लिया जाता है। विवाह के दौरान जो अगुआ होता है उसे घटकदार दुक्का कहते हैं। रास पूर्णिमा, सारोल पूजा, आसारी पूजा, धूलिया पूजा शीतला पूजा, मकर सक्रांति इनके मुख्य त्यौहार है।
सामाजिक जीवन
इनके समाज पितृसत्तात्मक होते हैं। विवाह में वधू मूल्य देने की परंपरा पाई जाती है। मृत्यु होने पर शव का अंतिम संस्कार मोराकुल (ससान) में करते है। 10 वर्ष से कम उम्र का हो तो उसे दफनाया जाता है। जन्म संस्कार में दाई मां की जरूरत होती है जो घासी जातीकी महिला होती है।
प्रमुख वाद्य यंत्र
बथुड़ी के प्रमुख वाद्य यंत्र कहंगु वंशी, झाल, मांदर है।
बथुड़ी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
🌹 ये चांदी से बने आभूषण का बहुत प्रयोग करते है।
🌹 इनमे खाडा (एक प्रकार का गोदना) की परम्परा पाई जाती है।
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