Laurates Of Khortha Literature
खोरठा कवियों के उपनाम
नाम उपनाम
यू
विनय तिवारी खोरठा गीतकार
ए के झा झारपात
विश्वनाथ दसौंधी राज
बंशीलाल बंशी
शांति भारत
विश्वनाथ नागर
शिवनाथ प्रामाणिक मानिक
गोविंद महतो जंगली
दिनेश कुमार दिनमणि
शिवदयाल सिंह शिवदीप
प्रदीप कुमार दीपक
सुरेश कुमार विश्वकर्मा सुकुमार
कैलाश महतो व्यथित
जनार्दन गोश्वामी व्यथित
गिरधारी गोस्वामी आकाशखूंटी
सिराजुद्दीन अंसारी सिराज
श्याम सुंदर महतो श्याम
शिवनंदन पांडेय गरीब
धनपत महतो गणपति
गजाधर महतो प्रभाकर
शेखर गँवार
भुवनेश्वर दत शर्मा व्याकुल
महेश गोलवार
परितोष कुमार प्रजापति
बासुदेव महतो बिहारी
प्यारे हुसैन प्यारे
बहादुर पांडे झिंगफुलिया
चित्तरंजन महतो चित्रा
कृष्ण चंद्र दास आला
बी एन ओहदार सव्यसाची
महेंद्र नाथ गोस्वामी सुधाकर
वासुदेव महतो पढ़ाकू
श्रीनिवास पानुरी खोरठा के भीष्म पितामह
दलेल सिंह दहशाल
Note:- दलेल सिंह रामगढ़ राज्य के राजा थे जिन्होंने रामगढ़ को अपनी राजधानी बनाई थी। इन्हें झारखंड का पहला कवि माना जाता है। खोरठा का पहला प्रबंध काव्य “शिवसागर” की रचना इन्होने ही की। यह 700 पृष्ठ की पुस्तक है तथा इसमे 1200 दोहे है। इसके अलावा दलेर सिंह ने गोविंद लीलामृत खोरठा काव्य की भी रचना की।
दलेल सिंह के पुत्र रुद्र सिंह ने “ज्ञान सुधाकर” नाम से खोरठा काव्य की रचना की है। दलेल सिंह के राजकवि पद्मदास भी खोरठा के विद्वान रहे जिन्होंने “काव्य मंजरी” नामक काव्य की रचना की।
श्रीनिवास पानुरी खोरठा के भीष्मपितामह Note:- यह उपनाम विश्वनाथ दसौंधी “राज” ने दिया।
श्रीनिवास पानुरी खोरठा जगत का ध्रुवतारा
श्रीनिवास पानुरी खोरठा के बाल्मीकि Note:- यह उपनाम इन्हें रामदयाल पांडेय ने दिया था।
श्रीनिवास पानुरी खोरठा का नागार्जुन Note:- यह उपनाम इन्हें विकल शास्त्री ने दिया था।
श्रीनिवास पानुरी खोरठा के टैगोर Note:- यह उपनाम इन्हें चतुर्भुज साहू ने दिया था।
श्रीनिवास पानुरी खोरठा के भारतेन्दु
श्रीनिवास पानुरी अखय बोर
श्रीनिवास पानुरी खोरठा शिष्ट साहित्य के जनक
खोरठा कवियों के उपनाम
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