खोंड जनजाति
खोंड जनजाति Khond Tribes
इस जनजाति कौंध भी कहा जाता है। यह जनजाति एक लघु जनजाति है। 2011 की जनगणना के अनुसार इस की संख्या मात्र 221 है जो कुल जनजातीय जनसंख्या का 0.003% तीन है। इस जनजाति की सबसे ज्यादा जनसंख्या उड़ीसा राज्य में पाई जाती है। झारखंड में इस जनजाति का मुख्य निवास स्थल संथाल परगना है। खोंड जनजाति द्रविड़ प्रजाति समूह के अंतर्गत आते हैं। इसकी मूल भाषा कुई है जिसे कोंधी भी कहते हैं। यह भाषा मुख्यता ओड़िया लिपि में लिखा जाता है।
उपवर्ग
जनजाति में 3 वर्ग पाए जाते हैं कुटिया, डोंगरिया और देशिया।
कूटिया/कुहिया खोंड- कुटिया खोंड पहाड़ों में निवास करते हैं।
डोंगरिया खोंड – डोंगरिया खोंड पहाड़ों के तलहटी पर निवास करते हैं।
देशीया खोंड – यह समतल विभाग में निवास करते हैं।
Note:-खोंड की एक प्रजाति जिसे सीथ का आ जाता है वह उड़ीसा के कोरापुट में पाया जाता है।
आर्थिक जीवन
प्रारम्भ में ये जनजाति पूर्णतः वन्योत्पाद पर आधारित जीविका से जीते थे। कुटिया और डोनगरिया खोंड द्वारा की जाने वाली स्थानांतरित कृषि को पोडचा या “पोड चासा” कहते हैं। डोंगरिया खोंड ने बागवानी को अपना लिया है और फल और सब्जी की खेती करने में निपुण होते हैं।
धार्मिक जीवन
इस जनजाति के प्रमुख देवता बेलापुर या बुरा पेनु है जिसे सूर्य का प्रतिरूप माना जाता है। यह ग्राम देवता ठाकुर देवता एवं मरांग बुरु की भी पूजा करते हैं। इस जनजाति का प्रमुख त्यौहार नवानंद है जिसमें नए अनाज का भोग लगाया जाता है। यह जनजाति का आचरण शत-प्रतिशत सामान्य हिंदुओं की तरफ पाया जाता है।
खोंड विद्रोह
इस जनजाति में मरियाह प्रथा का प्रचलन था जिसमें नर बलि देने की रिवाज है। ब्रिटिश सरकार ने ( लॉर्ड हार्डिंग) जब मरियाह प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे खोंड विद्रोह (1837-1856) शुरू हुआ। इस विद्रोह के दौरान 1855 ईस्वी में चक्र बिसोई के नेतृत्व में खोंड विद्रोह हुआ था। चक्र बिसोई के अचानक लापता होने के बाद इस विद्रोह में राधाकृष्ण दंडसेना के नेतृत्व में कई आदिवासी शामिल हुए और 1856 सवार आंदोलन की शुरुआत हुई। 1857 में राधाकृष्ण दंडसेना को फांसी पर चढ़ा दिया गया। यह विद्रोह पुनः 1914 में शुरू हुआ था।
राजनीतिक व्यवस्था
खोंड जनजाति के ग्राम प्रधान को गोटिया कहा जाता है। वर्तमान में यह पद विद्यमान नहीं पाया जाता है। अभी गांव के प्रशासन को देखने के लिए सर्वसम्मति से एक सरपंच का चयन होता है और सरपंच ही गांव का प्रशासनिक व्यवस्था देखता है वही गांव का प्रशासनिक मुखिया होता है।
Video खोंड जनजाति Khond Tribes