कृष्ण वल्लभ सहाय
कृष्ण वल्लभ सहाय झारखंड के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका जन्म बिहार के शेखपुरा में 31 दिसंबर 1898 में हुआ था। इसके पिता का नाम मुंशी गंगा प्रसाद थे जो हजारीबाग में दारोगा थे इसलिए इनका जीवन हजारीबाग में बीता और हजारीबाग ही इसकी कर्मभूमि रही। इन्होंने संत कोलम्बा कॉलेज हजारीबाग से इंग्लिश में स्नातक किए। ये अंग्रेजी भाषा के उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण सर “एडवर्ड अल्बर्ट गेट गोल्ड मेडल” पुरस्कार से सम्मानित किए गए।
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ये हजारीबाग के सबसे बड़े नेता थे। असहयोग आंदोलन के दौरान कानून की पढ़ाई छोड़के ये आन्दोलन में कूद पड़े और 1921 में बजरंग सहाय, सरस्वती देवी, त्रिवेणी प्रसाद, शालीग्राम सिंह के साथ जेल भेजे गए। 1923 में कृष्ण वल्लभ सहाय स्वराज पार्टी से जुड़े। 1923 में जब प्रांतीय लेजिस्लेटिव काउंसिल बनी तब कृष्ण वल्लभ सहाय स्वराज पार्टी के प्रतिनिधि के रूप में चुने गए।
26 जनवरी 1930 में जब पूरे देश में पूर्ण स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था तब कृष्ण वल्लभ सहाय ने और नेताओ के साथ मिलके लाठीचार्ज के बावजूद हजारीबाग में तिरंगा झंडा फहराया।
कृष्ण बल्लभ सहाय ने हजारीबाग के खजांची तालाब के निकट नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था। इसमें इसे एक साल की सजा हुई थी।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इनको इस हजारीबाग जेल में कैद रखा गया। बाद में जब जयप्रकाश नारायण अपने पाँच साथियों के साथ जेल से फरार हो गए तब इन्हें रामनारायण सिंह और सुखलाल सिंह को भागलपुर जेल में शिफ्ट कर दिया गया।
स्वामी सहजानंद द्वारा चलाए गए किसान आंदोलन में इसने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। इन्होंने “छोटानागपुर संदेश” नामक हिन्दी साप्ताहिक पत्रिका का संपादन किया था।
1937 से 1939 तक ये बिहार विधान परिषद के सदस्य रहे, इस दौरान ये संसदीय सचिव भी बने। ये संविधान सभा के सदस्य भी चुने गए थे। आजादी के बाद ये गिरिडीह विधान सभा क्षेत्र से पहले विधायक चुने गए। श्रीकृष्ण सिंह के मंत्रिमंडल में ये संयुक्त बिहार के पहले राजस्व मंत्री (1947 से 1962) थे। ये 1963 से 1967 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे। ये बिहार के चौथे मुख्यमंत्री थे। ये झारखंड क्षेत्र से विनोदानंद झा के बाद बिहार के दूसरे मुख्यमंत्री बने। चुनाव हार जाने और भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद इनका राजनीतिक भविष्य हाशिए पर आ गया था। इसकी मृत्यु 3 जून 1974 में कार दुर्घटना से हजारीबाग में हुई।
कृष्ण वल्लभ सहाय से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
1.गिरिडीह में”कृष्ण वल्लभ सहाय” इनके नाम का एक रेलवे हॉल्ट है।
2. इन्होंने हजारीबाग में महिला कॉलेज खुलवाया, जिसका अभी नाम कृष्ण वल्लभ महिला कॉलेज है।
3. कृष्ण वल्लभ पार्क हजारीबाग मे स्थित है।
4. सैनिक स्कूल तिलैया बनाने में इनका प्रमुख योगदान है। इनके मुख्यमंत्रिकाल में ही इसका निर्माण हुआ।
5. बरौनी रिफाइनरी, HEC, बोकारो स्टील प्लांट के स्थापना में इसका प्रमुख योगदान है। ये इनके मुख्यमंत्रीकाल में बने है।
6. जमींदारी प्रथा के उन्मूलन और भूमि सुधार के क्षेत्र में इसका बहुत योगदान रहा। जमींदारी उन्मूलन बिल का ड्राफ्ट कृष्ण वल्लभ सहाय ने ही तैयार किया था।रामगढ़ राज्य के जमींदारी व्यवस्था के उन्मूलन में इनका बहुत बड़ा योगदान था। रामगढ़ के आखरी राजा कामाख्या नारायण सिंह ने इसे चुनाव में हराया था।
Krishna Vallabh Sahay
Krishna Vallabh Sahay was a famous freedom fighter of Jharkhand. He was born on 31 December 1898 in Sheikhpura, Bihar. His father’s name was Munshi Ganga Prasad who was a sub-inspector in Hazaribagh, hence his life was marked by Hazaribagh. He graduated in English from Saint Columba College, Hazaribagh. He was awarded the Sir “Edward Albert Gate Gold Medal” award for his excellent performance in English language.
He was the biggest leader of Hazaribagh during the freedom struggle. During the non-cooperation movement, he left law studies and jumped into the movement and in 1921, Sent to jail along with Bajrang Sahay, Saraswati Devi, Triveni Prasad, Shaligram Singh. Krishna Vallabh Sahay joined the Swaraj Party in 1923. When the Provincial Legislative Council was formed in 1923, Krishna Vallabh Sahay was elected as the representative of the Swaraj Party.
On 26 January 1930, when Independence Day was being celebrated across the country, Krishna Vallabh Sahay along with other leaders hoisted the tricolor flag in Hazaribagh despite lathi charge.
Krishna Ballabh Sahay had broken the salt law by making salt near the Khajanchi pond of Hazaribagh. In this he was sentenced to one year imprisonment.
He was imprisoned in this Hazaribagh jail during the Quit India Movement. Later, when Jayprakash Narayan escaped from jail along with his five associates, Ramnarayan Singh and Sukhlal Singh were shifted to Bhagalpur jail.
He actively participated in the farmers’ movement led by Swami Sahajanand. He edited a Hindi weekly magazine named “Chhotanagpur Sandesh”.
He was a member of the Bihar Legislative Council from 1937 to 1939, during which he also became Parliamentary Secretary. He was also elected member of the Constituent Assembly. After independence, he was elected the first MLA from Giridih assembly constituency. He was the first Revenue Minister of United Bihar (1947 to 1962) in the cabinet of Shri Krishna Singh. He was the Chief Minister of Bihar from 1963 to 1967. He was the fourth Chief Minister of Bihar. He became the second Chief Minister of Bihar after Vinodanand Jha from Jharkhand region. After losing the elections and being accused of corruption, his political future was marginalized. He died in a car accident on 3 June 1974.
Important facts related to KB Sahay
1. There is a railway halt named after him “Krishna Vallabh Sahay” in Giridih.
2. He opened a women’s college in Hazaribagh, which is now named Krishna Vallabh Women’s College.
3. Krishna Vallabh Park is located in Hazaribagh.
4. He has a major contribution in building Sainik School Tilaiya. It was constructed during his tenure as Chief Minister.
5. It has major contribution in the establishment of Barauni Refinery, HEC, Bokaro Steel Plant. These were made during his tenure as Chief Minister.
6. It contributed a lot in the field of abolition of Zamindari system and land reforms. The draft of the Zamindari Abolition Bill was prepared by Krishna Vallabh Sahay. He had a huge contribution in the abolition of the Zamindari system of Ramgarh state. Kamakhya Narayan Singh, the last king of Ramgarh, won it in the elections.
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