झारखंड में जमीन के प्रकार
Types Of Jharkhand Land
कोड़कर भूमि – सदान या गैर आदिवासियों की भूमि को झारखंड में कोड़कर भूमि कहा जाता है।
राजहंस भूमि – यह जमीन राजाओं की जमीन थी तथा इसके अंतर्गत वह जमीन आते हैं, जो राजाओं द्वारा दान में दी गई या वितरित की गई थी।
खुटकट्टी भूमि – मुंडा आदिवासियों की भूमि को खुटकट्टी भूमि कहा जाता है।
भुईंहरी भूमि – उरांव जनजातियों की जमीन को भुईंहरी भूमि जमीन कहा जाता है।
मांझियस भूमि – जमींदारों की जमीन को मांझियस भूमि कहा जाता है। इसे वकास्त, जिरात, मन, वेटखेता के नाम से भी जाना जाता है।
गैर मजरुवा जमीन
गैर मजरुवा जमीन दो प्रकार के होते हैं: – गैर मजरुवा खास और गैर मजरुवा आम ( गैर मजरुवा मालिक)
गैर-मजरुवा आम – यह सरकारी जमीन होता है। इस जमीन का उपयोग वहां रहने वाले समुदाय सामूहिक रूप से उपयोग करते हैं जैसे सड़क कुंआ, तालाब, मसना, सरना, श्मशान घाट इत्यादि। इस जमीन की बंदोबस्ती किसी के नाम से नहीं की जा सकती है। इसे ना खरीदा ना बेचा जा सकता है।
गैर-मजरुवा खास – इसे गैर मजरुवा मालिक जमीन भी कहा जाता है। यह सरकारी जमीन होता है। इसकी बंदोबस्ती की जा सकती है। ऐसी जमीन जो जमीदारी प्रथा के समय जमींदार के अधीन खलिहान, मवेशी के चरागाह, गौशाला आदि के रुप में थे। इस जमीन को जमीदारी प्रथा के खत्म होने के बाद सरकार ने ले तो ली पर इस जमीन पर किसी प्रकार का खेती/जोत संभव नहीं हो पाया। भू सर्वे में इस जमीन को किसी आम व्यक्ति के नाम में सर्वे नहीं किया गया। इस जमीन पर किसी का स्वामित्व नहीं हो पाया। इसी जमीन को गैरमजरूआ खास या मालिक जमीन कहा जाता है। सरकार ने भूमिहीन लोगों के लिए इसी जमीन का बंदोबस्ती किया है।
कैसर ए हिंद भूमि – केंद्र सरकार की जमीन को केसर ए हिंद जमीन कहा जाता है। इस जमीन की भी बंदोबस्ती नहीं की जा सकती है। इस जमीन का देखभाल करने का दायित्व राज्य सरकार को होता है।
खासमहल भूमि – आजादी से पहले जो अंग्रेज प्रशासक अपने सैनिकों को रखने के लिए, घोड़े को रखने के लिए, सरकारी आवास, कार्यालय को के लिए जो जमीन उपयोग करते थे उस जमीन को खासमहल वर्ग में रखा गया है। यह जमीन सरकारी जमीन होता है। साहेबगंज और मेदिनीनगर शहर की ज्यादातर भूमि खासममहल भूमि कहलाता है। यह जमीन कुछ निर्धारित समय के लिए लीज पर दिया जाता है। किंतु इसकी बंदोबस्ती नही की जा सकती है।
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