उद्भासल कर्ण खोरठा एकांकी का हिंदी में अनुवाद
उपेक्षित कर्ण उद्भासाल कर्ण पहला दृश्य कुंती: इस बच्चे को कहां रखूं? इस पाप को कहां छुपाऊ? क्या कहेंगे लोग मुझे ? किस आंख से देखेगा ? यह दुनिया इतना बड़ा किंतु आज मुझे छिपने के लिए किस जगह, कोई गढ्ढा नहीं। सूर्यदेव! सूर्य देव!! आपने जो धन दिया, उसको हम आज रख नहीं पा […]
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