सुभाष चन्द्र बोस का झारखण्ड से रिश्ता
Subhash Chandra Bose Jharkhand
झारखंड क्षेत्र के कई शहर, कस्बे और गांव से सुभाष चंद्र बोस का सीधे तौर पर रिश्ता रहा। सुभाष बोस जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन के तीसरे अध्यक्ष रहे इनका कार्यकाल 1928 से 1936 तक रहा, इस दौरान इन्होने मजदूर के कल्याण के लिए बहुत कार्य किए।
इन्होने समझौता विरोधी अधिवेशन 1940 में रामगढ़ में किए, जो कांग्रेस के 53वी अधिवेशन के विरोध में और उसके समानांतर था। बोस ने कांग्रेस के नीतियों से नाराज होकर कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। वो कांग्रेस के समझौतावादी नीतियों के खिलाफ हो गए।उनके अनुसार कांग्रेस अंग्रेजो के साथ समझौता करने में तुली है और वो देश का अहित करके भी समझौता कर लेगी।इसलिए उन्होंने रामगढ़ अधिवेशन के दौरान ही निकटवर्ती स्थान बिहिटा में अखिल भारतीय समझौता विरोधी सम्मेलन आयोजित किया। बोस द्वारा यही नई राजनीतिक पार्टी अखिल भारतीय फारवर्ड ब्लाॅक की स्थापना की गई।
सुभाष बोस का भारत से पलायन
1940 में ब्रिटिश सरकार द्वारा बनाया गया ‘हॉलवेल स्मारक’ सुभाष बोस के नेतृत्व में कोलकाता में गिरा दिया जाता है। जिसके वजह से वे गिरफ्तार होते है तथा अगली पेशी 27 जनवरी 1941 की होती है। इससे पहले ही 18 जनवरी 1941 को पुलिस को चकमा देकर भारत से बाहर जर्मनी की और रवाना हो जाता है। वो गोमो स्टेशन से हावड़ा -पेशावर मेल पकड़ते है, इस ट्रेन का वर्तमान नाम हावड़ा-कालका मेल है। इस पूरे घटनाक्रम में सत्यव्रत बनर्जी का सहयोग रहता है। सुभाष इंश्योरेंस एजेंट जियाउद्दीन के नाम से चकमा देता है पुलिस को। ट्रेन पकड़ने के क्रम में पुलिस की कड़ी निगरानी को जिस जगह से चकमा देकर भागे थे, उस रेलवे स्टेशन का नाम भागा पड़ गया जो धनबाद और झरिया रेलवे स्टेशन के बीच में है।
झरिया में सुभाष बोस के रिश्तेदार शिशिर चंद्र बोस रहते थे। वे हमेशा यहां आया जाया करते थे। झरिया के तिलक भवन में गुप्त मीटिंग किया करते थे। झरिया के AITUC (All India Trade Union Congress) थे। इन्होने झरिया के राज मैदान में AITUC के सभा को भी संबोधित किया था।
कलिकापुर (पोटका, पूर्वी सिंहभूम)
1934 में कालिकापुर थाने के दरोगा काली प्रसाद से तंग आकर हरिचरण भगत के साथ स्थानीय ग्रामीण युवाओं द्वारा इसकी हत्या कर दी जाती है। जिसके लिए अंग्रेजों द्वारा 76 लोगो की गिरफ्तारी होती है और यहां का माहौल बहुत खराब हो जाता है। इस विवाद को सुलझाने के क्रम में सुभाष बोस कालिकापुर 1939 में आते है। नेताजी से संबंधित सारी वस्तुओ को कलिकापुर गांव में सुरक्षित रखा गया है (टेबल, कुर्सी, ग्लास, थाली)। इसी समय बोस बहरागोड़ा, घाटशिला भी गए यहां के लोगो ने सुभाष बोस को एक प्रशस्ति पत्र दिया था जिसे वो व्यस्तता के कारण अपने साथ नही ले जा सके यह पत्र अभी भी कालिकपुर गांव में सुरक्षित है।
Note :- सुभाष चंद्र बोस की स्मृति में पोटका में सुभाष चंद्र बोस स्टेडियम बनाया गया है।
सुभाष चन्द्र बोस से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य
1. सत्यव्रत बनर्जी ने सुभाष चंद्र बोस के भारत छोड़ने की घटना को “महाभिनिष्क्रम” नाम दिया।
नोट-महाभिनिष्क्रम गौतम बुद्ध के गृहत्याग को कहा जाता है।
2. 23 जनवरी 2009 को गोमो स्टेशन का नाम बदलकर “नेताजी सुभाष चन्द्र बोस रेलवे स्टेशन” कर दिया गया।
3. हावड़ा कालका मेल का नाम 23 जनवरी 2021 में नेताजी एक्सप्रेस कर दिया गया है।
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