Saraikela Kharsawan
सरायकेला-खरसावाँ का बिहार में विलय –आजादी के समय भारत में 560 से ज्यादा देशी रियासते थी। इन देशी रियासतों में अविभाजित बिहार में केवल दो देशी रियासते थी:- सरायकेला रियासत और खरसावां रियासत। इन रियासतों में कभी भी ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रत्यक्ष आधिपत्य नही हो पाया था। सरायकेला और खरसावां रियासत की संबंध अंग्रेजों के साथ हमेशा अच्छे रहे थे इस वजह से 1899 ई में इन दोनों रियासतों को देसी रियासत के रुप में अंग्रेजो ने स्वीकृति दी थी। यह दोनों रियासतें 1 जनवरी 1948 को भारतीय संघ में सम्मिलित हुआ। उस समय इसे उड़ीसा राज्य के मयूरभंज जिले का अंग बनाया गया था। जिसके विरोध में यहां के लोगों ने 1 जनवरी 1948 को खरसावां हाट मैदान में एक विद्रोही सभा की थी। इस सभा में जयपाल सिंह मुंडा शामिल होने वाले थे किंतु सुरक्षा वजहों से वह इस सभा में शामिल ना हो पाए जिस वजह से यहां की भीड़ उग्र हो गई और उड़ीसा मिलिट्री पुलिस को गोली चलानी पड़ी जिससे कई लोगों की मृत्यु हो गई। इस घटना को झारखंड के इतिहास में “खरसावां-गोलीकांड” के नाम से जाना जाता है। खरसावां गोलीकांड की जांच करने के लिए केंद्र सरकार ने “बोदकर समिति” की स्थापना की थी। समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया ने इस घटना को “आजाद भारत का जालियांवाला हत्याकांड” नाम दिया था। लोगों के उग्र विरोध के कारण 18 मई 1948 को सरायकेला और खरसावां को अस्थाई रूप से तत्कालीन बिहार के सिंहभुम जिला में सम्मिलित कर लिया गया। सरायकेला और खरसावां कुल 139 दिन उड़ीसा राज्य के अंतर्गत रहे। 1956 में एक सरकारी नोटिफिकेशन के द्वारा सरायकेला खरसावां को स्थाई रूप से तत्कालीन बिहार का अंग घोषित किया गया।
जिला निर्माण – 30 अप्रैल 2001 को सरायकेला खरसावां, पश्चिम सिंहभूम की 8 ब्लॉक के साथ अलग होकर एक नया जिला बना।
सरायकेला खरसावाँ जिला के अनुमंडल –सरायकेला खरसावाँ जिला में 2 अनुमंडल है।
1. सरायकेला
2. चांडिल
सरायकेला खरसावाँ जिला के प्रखण्ड –सरायकेला खरसावाँ जिला में प्रखंडों की संख्या 9 है जिसमे सरायकेला अनुमण्डल में 5 प्रखण्ड है वही चांडिल अनुमंडल में 4 प्रखंड है।
सरायकेला अनुमंडल के प्रखंड
1. सरायकेला
2. खरसावां
3. गम्हरिया
4. राजनगर
5. कुचाई
चांडिल अनुमंडल के प्रखंड
1. चांडिल
2. ईचागढ़
3. नीमडीह
4. कुकडू
सरायकेला खरसावाँ जिला के विधान सभा क्षेत्र –सरायकेला खरसावाँ में कुल 3 विधान सभा क्षेत्र है।
1. सरायकेला – यह सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र में आता है।
2. खरसावां – यह खूंटी लोकसभा क्षेत्र में आता है।
3. ईचागढ़ – यह रांची लोकसभा क्षेत्र में आता है।
सरायकेला खरसावाँ जिला की सिंचाई परियोजना
1. मुरामसोना जलाशय परियोजना – यह जलाशय परियोजना सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है।
2. लोरगारा जलाशय परियोजना – यह जलाशय परियोजना सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है। लोरगरा डैम 1985 में खरखरी नदी पर बनाया गया है।
3. पालना जलाशय परियोजना – यह जलाशय परियोजना सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है। यह डैम 1985 में रांका झुरिया नदी पर बनाया गया है।
4.सुरु जलाशय सिंचाई परियोजना – यह जलाशय सिंचाई परियोजना सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है।
5.दुगुनी बराज परियोजना – यह सिंचाई परियोजना सरायकेला खरसावां जिला में अवस्थित है।
सरायकेला खरसावाँ जिला की नदियां
1. संजय
2. स्वर्णरेखा
3. करकरी – यह ईचागढ़ में स्वर्णरेखा से मिल जाती है। यह 37KM की एक नदी है।
सरायकेला खरसावां के डैम
कशीदा डैम – यह राजनगर प्रखंड में अवस्थित है।
सीतारामपुर डैम – यह डैम सरायकेला खरसावां में खरकई नदी पर 1964 में बनाया गया
3चांडिल डैम – स्वर्णरेखा बहुद्देशीय परियोजना के अंतर्गत स्वर्णरेखा नदी पर चांडिल डैम बनाया गया है।
पालना डैम – यह स्वर्णरेखा नदी पर बना एक बांध है। यह चांडिल में पालना नामक गांव में बनाया गया है।
सरायकेला-खरसावां के उद्योग
1. सरायकेला पावर प्रोजेक्ट
2. टाटा रोलर्स लिमिटेड
3. हिंदुस्तान पेट्रोलियम बॉटलिंग प्लांट
4. ऊषा मार्टिन लिमिटेड
5. TISCO GROWTH SHOP
7. नीलांचल आयरन एंड पावर लिमिटेड
स्पंज आयरन संयंत्र –भारत में पहला वाणिज्यिक स्पंज आयरन संयंत्र चांडिल के उमेश नगर में स्थित है।
बिहार स्पॉन्ज आयरन प्लांट – यह चांडिल के उमेश नगर में अवस्थित है। इसके संस्थापक उमेश कुमार मोदी है।इसके नाम से ही इस जगह का नाम उमेशनगर पडा। यह भारत का पहला व्यवसायिक स्पॉन्ज आयरन प्लांट है।
माधव प्रसाद सुपर थर्मल पावर प्लांट –यह ताप विद्युत गृह में कांडरा के निकट पदमपुर में अवस्थित है। यह एक निजी ताप विद्युत गृह है। यह ताप विद्युत गृह आधुनिक पावर एंड नेचुरल रिसोर्स के अन्तर्गत आता है। इस ताप विद्युत गृह को “जमशेदपुर-कांड्रा पावर स्टेशन” के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर विद्युत उत्पादन की दो इकाई है प्रत्येक की क्षमता 270 MW हैं। कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 540 MW है। यहां भविष्य में और 540 MW उत्पादन क्षमता बढ़ाने की योजना है।
सरायकेला खरसावाँ जिला के मंदिर
जायदा शिव मंदिर – यह मंदिर चांडिल में स्वर्णरेखा नदी तट में अवस्थित है। मकर संक्रांति के दिन यहां जायदा टुसू मेला लगता है।
आकर्षिणी माता मंदिर – यह सुंदर सा मंदिर खरसावां प्रखंड में चिल्कू गांव में आकर्षिणि पहाड़ी के ऊपर है
भीमखंदा मंदिर – यह भगवान शंकर का मंदिर सरायकेला-खरसवां जिला के राजनगर प्रखंड में बोनबोंगा नदी के तट पर अवस्थित है। इस मंदिर का संबंध महाभारत काल से है। अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने यहाँ समय बिताया था।
पौड़ी मंदिर – यह पोरहाट के सिंह राजाओं की कुल देवी है। यह सरायकेला में संजय नदी तट पर अवस्थित है।
मठिया मंदिर – जिसे साधु बंध मठिया के नाम से भी जाना जाता है, जूना अखाड़े के केंद्रों में से एक है। यह स्वामी परमानंद के आश्रमों में से एक है और इसने कई हठ योगियों की मेजबानी की है। रथ यात्रा इसी मंदिर द्वारा आयोजित की जाती है।
सरायकेला खरसावाँ जिला दर्शनीय स्थल
ईचागढ़ पक्षी विहार – इसे स्वर्णरेखा नदी परियोजना के अन्तर्गत आने वाले डूब क्षेत्रो में बनाया गया है। इसका विस्तार ईचागढ़-निमडीह प्रखंड में है।
शीशमहल ऑडिटोरियम – यह चांडिल डैम के पासमें अवस्थित है।
अर्जुन तीरंदाजी स्टेडियम – यह स्टेडियम खरसावां में अवस्थित है।
शहीद पार्क – यह पार्क खरसावां में स्थित है। 1 जनवरी 1948 ई में हुई “खरसावां गोलीकांड” के दौरान हुए शहीदों की स्मृति में यह पार्क बनाया गया है।
आदित्यपुर – यह सरायकेला खरसावां जिले के सरायकेला सदर अनुमंडल में एक नगर निगम है। आदित्यपुर भारत सरकार के जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय शहरी नवीकरण मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत ग्रेटर जमशेदपुर का हिस्सा है। आदित्यपुर भारत में सबसे तेजी से बढ़ते उपग्रह शहरों में से एक है। यह खरकई नदी द्वारा जमशेदपुर से अलग है। आदित्यपुर का नाम राजा आदित्य प्रताप सिंह देव (1887-1969) के नाम पर रखा गया है, जो सरायकेला राज्य के अंतिम शासक थे। 1972 में बिहार सरकार ने आदित्यपुर को एक औद्योगिक क्षेत्र और नगर निगम के रूप में अधिसूचित किया।
इचागढ़ – पाटकुम राज्य की राजधानी इचागढ़ थी। इचागढ़ में राजा विक्रमादित्य के द्वारा बनाया गया चतुर्मुखी शिव का मंदिर है। मंदिर के परिसर से एक गुफा का पता चला है जो दयापुर (नीमडीह) तक जाती थी। दयापुर में पहले पाटकुम राजघराने का राजवाड़ी था। इचागढ़ पैलेस पटकुम राज्य की राजधानी थी। इसकी स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के वंशज द्वारा की गई थी, यह स्थान करकरी और स्वर्णरेखा नदी के तट पर कई ऐतिहासिक स्थानों को समेटे हुए है। इसकी स्थापना उज्जैन के राजा विक्रमादित्य के वंशज ने की थी, यह स्थान करकरी और स्वर्णरेखा नदी के तट पर कई ऐतिहासिक स्थानों को समेटे हुए है।
सरायकेला खरसावाँ जिला से सम्बन्धित मुख्य तथ्य
1.सरायकेला खरसावां जिला में स्थित ईंटागढ़ के कुलगढ़ा और बासपत को भारतीय पुरातात्त्विक विभाग ने राष्ट्रीय महत्त्व का पुरातात्त्विक स्थल घोषित किया है।
2. सरायकेला खरसावां जिला के वाहन निबंधन नंबर JH-22 है।
3.सरायकेला खरसावां जिला के दुगुनी में तीरंदाजी अकादमी है।
4. ऐस्बस्टस के उत्पादन में सरायकेला खरसावां जिला का झारखंड में प्रथम स्थान है।
5. खरसावां के गितिलता गाँव मे प्रसिद्ध रोसो पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाता है।
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