माहली जनजाति का विस्तृत अध्ययन
Mahali Tribe माहली जनजाति
भारत में सबसे ज्यादा माहली की जनसंख्या झारखंड में पाई जाती है। यह झारखंड की शिल्पी जनजाति है। ये बाँस कला में काफी दक्ष होते है। इस जनजाति की सर्वाधिक आबादी राँची जिला में पाई जाती है। भारत मे सबसे ज्यादा माहली झारखंड में ही पाई जाती है। ये कला-प्रेमी जनजाति होते है। इस जनजाति की परंपरागत पेशा पालकी ढोना तथा बाँस के समान बनाना है।
वर्गीकरण
प्रजातीय दृष्टि से माहली को द्रविड़ वर्ग में रखा गया है। इसकी मूल भाषा माहली है जो विलुप्त होने के कगार पर है। ये अभी सादरी मुंडारी और संताली भाषा विशेष रूप से बोलते है। इसे सदान जनजाति के अंतर्गत रखा गया है।
उपजाति
रिजले ने इसे 5 उपजातियों में विभक्त किया है:-
1) बाँसफोड़ माहली – ये बाँस से बनी बस्तुओ को बेचकर जीवन-यापन करते है।
2) पातर माहली – ये बाँस उपकरण बनाने के साथ-साथ कृषि-कर्म भी करते है। ये मुख्यतः राँची के तमाड़ क्षेत्र में पाए जाते है।
3) तांती माहली – शादी-विवाह में पालकी ढोना और बाजा बजाना इसका मुख्य कार्य होता है।
4) सुलंकी माहली – ये कृषिक मजदूर होते है।
5) माहली मुंडा – ये मुख्यतः लोहारदग्गा में पाए जाते है। ये कृषि और मजदूरी करते है।
सामाजिक जीवन
इनके समाज पितृसत्तात्मक होते है। इनके घरों में प्रायः खिड़कियां नही पाई जाती है। समगोत्रिय विवाह वर्जित है। वधुमुल्य की प्रथा है जिसे पौनटाका कहा जाता है।
धार्मिक जीवन
इस जनजाति का प्रधान देवता सुरजी देवी है। इसके अलावा बड़ पहाड़ी और मनसा देवी की पूजा धूमधाम से करते है। ये पूर्वजों की पूजा “गोड़ाम साकी (बूढ़ा -बूढ़ी पूजा)” के नाम से करते है। सिल्ली क्षेत्र के माहली “उतुर पूजा” बड़ी धूमधाम से करते है। बाँगरी, हरियारी और नवाखानी इसके मुख्य त्योहार है। इसके धार्मिक प्रधान पाहन कहलाते है।
गोत्र
माहली समाज कई गोत्रों में विभक्त होते है तथा हर गोत्र के टोटम होते है जैसे:- केसरीयार डूंगरीयार, हंसदागीयार, कांटीटयार, इंदवार, मैंलवार, बरवार, टुडू, किस्कू, सोरेन, बेसरा, हेमब्रोम, मुर्मू, मरांडी, बास्की, धान तुमरांग, तांबा, बारला, नाग, खालको, टोप्पो, कौड़ी, कांडिर इत्यादि।
राजनीतिक जीवन
इसके ग्रामीण शासन व्यवस्था को परगनैत शासन व्यवस्था कहा जाता है जिसका प्रधान परगनेत होता है।
माहली जनजाति के महत्वपूर्ण तथ्य
🌹 माहली और कोल जनजाति में ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव की प्रधानता पाई जाती है।
🌹 नागपुरी के महान गीतकार घासीराम इस जनजाति के थे जिन्हें लोग “नागपुरी के विद्यापति” के नाम से जानते हैं।
Mahali Tribe माहली जनजाति