झारखंड की भाषा
Languages Of Jharkhand
झारखंड की राजभाषा हिंदी है। झारखंड के 16 द्वितीय राज्यभाषा है। झारखंड राज्य राजभाषा अधिनियम, 2011 के अन्तर्गत 12 क्षेत्रीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया।
1. उर्दू
2. संताली
3. मुण्डारी
4. हो – यह कोल्हान क्षेत्र में प्रचलित भाषा है।
5. खड़िया
6. खोरठा
7. कुरमाली
8. नागपुरी
9. बंगाली
10. उड़िया
11.कुरुख
12. पंचपरगनिया
झारखंड राज्य राजभाषा अधिनियम 2018 के अन्तर्गत और 4 क्षेत्रीय भाषाओं को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया गया जो निम्न है:-
13. मैथिली
14. अंगिका – यह भाषा मुख्य रूप से संताल परगना प्रमंडल में बोली जाती है।
15. भोजपुरी – झारखंड में भोजपुरी मुख्य रूप से पलामू प्रमंडल में बोली जाती।
16. मगही – ये भाषा हज़ारीबाग, चतरा और कोडरमा में ज्यादा प्रचलित है।
Note :- झारखंड की एकमात्र जनजातीय भाषा संताली को संविधान की अनुसूची 8 में जगह मिला है। इसे 92वें संविधान संशोधन, 2003 के द्वारा शामिल किया गया। इसके अलावा झारखंड की राजभाषा में शामिल हिंदी, बांग्ला, उड़िया, मैथिली, उर्दूू है जिसे आठवीं अनुसूची में जगह दिया गया है।
Note:- झारखंड में नट, मलाट और गुलगुलिया समूहों द्वारा “जिप्सी” बोली बोली जाती है।
भाषा-परिवार
झारखंड में तीन प्रकार के भाषा परिवार पाया जाता है:-
a) भारोपीय भाषा-परिवार (Indo-Aryan)
b) आस्ट्रिक भाषा-परिवार (Asiatic/Austro-Asiatic)
c) द्रविड़ भाषा-परिवार (Dravidian)
भारोपीय भाषा-परिवार
इस भाषा परिवार के अंतर्गत नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, मगही, अंगिका, भोजपुरी, कुरमाली है। भोजपुरी भाषा झारखंड- बिहार के सीमावर्ती पलामू क्षेत्र में बोली जाती है।
Note:- प्रायः झारखंड में सभी सदानो की भाषा इस श्रेणी में आते है।
आस्ट्रिक भाषा-परिवार
इस भाषा-परिवार के अंतर्गत संताली, मुंडारी, हो, खड़िया आदि भाषाएँ आती है।
जनजातीय भाषाओं में भारोपीय भाषा का सबसे ज्यादा प्रभाव खड़िया भाषा मे पड़ा है।
द्रविड़ भाषा-परिवार
इस भाषा परिवार के अंतर्गत कुरुख, गोंडी, बैगानी, किसानी और माल्तो भाषा आता है। कुरुख भाषा की समानता दक्षिण भारत के कन्नड़ भाषा से पाई जाती है।
झारखंड के जनजातियों की भाषाएँ
संताल- संतालों की मूल भाषा संताली है जिसे ओल चिकि लिपि में लिखा जाता है।
उराँव- कुरुख
मुंडा- मुंडारी
हो- हो जनजाति की मूल भाषा हो है जिसे वारंग क्षिति लिपि में लिखा जाता है।
खड़िया- खड़िया
खरवार- खरवारी
गोंड-गोंडी
बथुड़ी- मुंडारी
चिक बड़ाईक- नागपुरी
माल पहाड़िया- माल्तो
सौरिया पहाड़िया- माल्तो
बिरहोर- बिरहोरी
भूमिज – भूमिज की मातृभाषा भूमिजी है। भूमिजी कि लिए ओल ओनल लिपि बनाई गई है।
कोल – कोल की मातृभाषा कोली है। झारखंड में ज्यादातर कोल संताली बोलते है।
कंवर – कवारसी
बंजारा – लम्बाड़ी
बैगा – बैगानी
सबर – लोधी
Note:- संताली, कुरमाली और कुरुख को पश्चिम बंगाल में द्वितीय राज्यभाषा का दर्जा प्राप्त है।
Script Of Jharkandi Language
भाषा | लिपि | निर्माता |
संताली | ओल चिकी | रघुनाथ महतो |
हो | वारांग क्षिति | लाखो बोदारा |
मुंडारी | मुंडा वाणी | रोहिदास सिंह नाग |
कुरुख | तोलोंग सिकी | नारायण उरांव |
खोरठा | खोरठा लिपि | नागेश्वर महतो |
कुरमाली | कुरमाली चिस | |
नागपुरी | देवनागरी/कैथी | |
भूमिजी | ओल ओनल | |
पंचपरगनिया | झार लिपि |
क्षेत्रीय/जनजातीय भाषा और सांस्कृतिक उत्थान केंद्र
झारखंड सरकार ने राज्य के 9 क्षेत्रीय जनजातीय भाषा तथा इसकी संस्कृति के प्रचार प्रसार के लिए क्षेत्रीय जनजातीय भाषा और सांस्कृतिक केंद्र की स्थापना करने का निर्णय लिया है। जिसका मुख्यालय निम्न स्थानों पर बनाया जा रहा है।
भाषा | मुख्यालय |
संताली | दुमका |
मुंडारी | खूंटी |
खड़िया | सिमडेगा |
हो | चाईबासा |
खोरठा | बोकारो |
कुरमाली | सिल्ली |
पंच परगनिया | बुंडू |
नागपुरी | रांची |
कुरुख | गुमला |
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