कुरमाली साहित्य
परिचय- कुरमाली झारखंड के 16 द्वितीय राजभाषा में से एक है। यह झारखंड से बाहर उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, असम, बिहार आदि जगहों पर बोली जाती है। यह भाषा झारखंड के दक्षिण पूर्व (राँची, खूँटी, सराईकेला खरसवां, पूर्वी सिंहभूम और पश्चिम सिंहभूम)में प्रचलित है, झारखंड के दक्षिण-पूर्व दे सटे हुए पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के जिलों में भी कुरमाली संपर्क भाषा के रूप में प्रचलित है। राँची के पंचपरगना क्षेत्र की यह मुख्य संपर्क भाषा है। पंचपरगना के कुरमी समुदाय में इस भाषा का बहुत प्रचलन है। यह पंच परगना के दूसरी सम्पर्क भाषा पंचपरगनिया से ये काफी मिलती जुलती है। इस भाषा को टमरिया नाम से भी जाना जाता है।
पंचेत राजाओं के शिलालेख में कुरमाली भाषा का प्रयोग मिलता है। इस भाषा का लोक साहित्य बहुत ही धनी है मगर शिष्ट साहित्य का ज्यादा विकास नहीं हो पाया है। पहला लिखित साहित्य का प्रमाण 14वीं सदी में मिलता है। चंडीदास को कुरमाली भाषा का प्रथम लेखक माना जाता है। और विनंद सिंह गौरंगिया को “कुरमाली के सुर” कहा जाता है।
Script:- कुरमाली भाषा के लिए “कुरमाली चिस/कूड़म” लिपि बनाई गई है। जिसे डॉ मुरलीधर महतो ने विकसित किया है। इस लिपी में 52 वर्ण है। डॉ मुरलीधर महतो हिंदी मासिक पत्रिका “दामोदर मोहर” के संपादक भी है।
कुरमाली के भाषा-परिवार
हिंद-यूरोपियन ➡ हिंद-ईरानी ➡ हिन्द-आर्य ➡ पूर्वी समूह ➡ बिहारी ➡ कुरमाली
Important Kurmali Literature
1.कृष्ण कीर्तन – चंडीदास (14 वीं सदी)
2. करमलिका घंघर – चंडीदास (14 वीं सदी)
3. जगरामी रामायण – जगराम (17 वीं सदी)
4. करम गीत – बुधु महतो
5. नेठा पाला – निरंजन महतो
6. आदि झूमर गीत -विनंद सिंह विनंदिया
Note – विनंद सिंह विनंदिया सिल्ली के राजा थे और इसने पंचपरगनिया में भी पुस्तक लिखे
7.आदि झूमर संगीत – उपेन्दनाथ सिंह
8. कुरमाली के भाषा तत्व – खुदीराम महतो
9. कपिला मंगल – राजेंद्र प्रसाद महतो
10.निधरे आंखे जल आँखी पाते – देवकीनंदन प्रसाद
11.पथे चलक लेहा नमस्कार – नंद किशोर सिंह
Note:- नंद किशोर सिंह कुरमाली भाषा के प्रथम शोधकर्ता है।
12. भात भगवान – सृष्टिधर सिंह कटिमान
13. मानभूमेक -सृष्टिधर सिंह कटिमान
14. साधन संगीत – सृष्टिधर सिंह कटिमान
15. झूमर संगीत एवं पाला संगीत – रामेश्वर महतो
16. केरिया बहु – कालीपद महतो (नाटक)
17. रावण वध – हेमंत कुमार सिंह (नाटक)
18. पड़हा – गीता सिंह (नाटक)
19. जाहली – अनंत महतो (नाटक)
20. उठे माई कतेक निंदाबे – नरसिंह महतो (नाटक)
21. कुरमाली व्याकरण – श्याम सुंदर महतो
Kurmali Literature
Introduction – Kurmali is one of the 16 second official languages of Jharkhand. It is spoken outside Jharkhand in places like Orissa, West Bengal, Assam, Bihar etc. This language is prevalent in the south-east of Jharkhand (Ranchi, Khunti, Seraikela Kharswan, East Singhbhum and West Singhbhum), Kurmali is also spoken in the districts of West Bengal and Orissa adjoining the south-east of Jharkhand. It is the main contact language of Panchpargana region of Ranchi. This language is very popular in the Kurmi community of Panchpargana. It is very similar to Panchparganiya, the second contact language of Panch Pargana. This language is called Tamaria.
Use of Kurmali language is found in the inscriptions of Panchet kings. The folk literature of this language is very rich but the polite literature has not developed much. The first evidence of written literature is found in the 14th century. Chandidas is considered to be the first writer of Kurmali language. And Vinand Singh Gaurangiya is called “Kurmali Ke Sur”.
Script:- “Kurmali Chis/Koodam” script has been created for Kurmali language. Which has been developed by Dr. Muralidhar Mahato. There are 52 characters in this script. Dr. Muralidhar Mahato is also the editor of Hindi monthly magazine “Damodar Mohar”.
Language family of Kurmali
Indo-European ➡ Indo-Iranian ➡ Indo-Aryan ➡ Eastern Group ➡ Bihari ➡ Kurmali.
Important Kurmali Literature
Krishna Kirtan – Chandidas (14th century)
Karamlika Ghanghar – Chandidas (14th century).
Jagrami Ramayana – Jagram (17th century)
Karam Geet – Budhu Mahato
Netha Pala – Niranjan Mahato
Aadi Jhoomar Song – Vinand Singh Vinandiya
Note – Vinand Singh Vinandiya was the king of Silli and he also wrote books in Panchparganiya.
Adi Jhoomar Sangeet – Upendranath Singh
Kurmali Ke BhashaTatva– Khudiram Mahato
Kapila Mangal – Rajendra Prasad Mahato
Nidhre Aankhe Jal Ankhi Pate – Devkinandan Prasad
Pathe Chalak Leha Namaskar – Nand Kishore Singh
Note:- Nand Kishore Singh is the first researcher of Kurmali language.
Bhaat Bhagwan – Srishti Dhar Singh Katiman
Manbhumek – Sristidhar Singh Katiman
Sadhan Sangeet – Srishti Dhar Singh Katiman
Jhumar Sangeet and Pala Sangeet – Rameshwar Mahato
Keriya Bahu – Kalipada Mahato (Drama)
Ravana Vadh – Hemant Kumar Singh (Drama)
Parha – Geeta Singh (Drama)
Jahali – Anant Mahato (Drama)
Uthe Mai Katek Nindabe – Narsingh Mahato (Drama)
Kurmali Grammar – Shyam Sundar Mahato
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