Jainism In Jharkhand

झारखंड में जैन धर्म का प्रभाव | Jainism In Jharkhand

Ancient History Of Jharkhand

झारखंड में जैन धर्म

Jainism In Jharkhand

ईसा पूर्व 6ठी शताब्दी में चले धार्मिक आंदोलन का झारखंड में व्यापक प्रभाव पड़ा। इस काल मे झारखंड में बौद्ध और जैन धर्म का प्रचार-प्रसार हुआ। झारखंड में जैन और बौद्ध दोनों संप्रदायों का केंद्र मानभूम (आधुनिक धनबाद) था। जैन सम्प्रदाय के 23वें तीर्थांकर पार्श्वनाथ स्वामी का निर्वाण गिरीडीह के इसरी के निकट एक पहाड़ में हुआ। इस पहाड़ का नाम पार्श्वनाथ स्वामी के नाम पर पारसनाथ पड़ा। यह पहाड़ जैनियों के प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में जाना जाता है। पारसनाथ को जैनियों का मक्का कहा जाता है। पारसनाथ पहाड़ी पर जैनियों के 24 में से 20 तीर्थांकर को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी।

धनबाद जिला के कंसाई और दामोदर नदीयो के घाटी से मिले जैन अवशेष इस बात की पुष्टि करता है कि झारखंड में इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा जैन मत का प्रसार हुआ था।

पकबिरा, तुइमासा, कर्रा, पर्रा, बोड़ाम, कतरास, अरशा, पलमा (गिरीडीह), गोलमारा, देवली, पवनपुर आदि स्थानों पर जैन धर्म के साक्ष्य मीले है।

जैन धर्म के आचरांगसूत्र में छोटानागपुर सहित बंगाल क्षेत्र को “राघ क्षेत्र” या “लाघ क्षेत्र” कहा गया है। आचरांगसूत्र के अनुसार महावीर स्वामी ने लाघ क्षेत्र का भ्रमण किया था। लाघ क्षेत्र के लोगों ने महावीर स्वामी के साथ अच्छा व्यवहार नही किया था, इसलिए यहाँ के निवासियों के लिए इस पुस्तक में ” धृष्ट जन” का प्रयोग किया है।

कोल्हुआ पहाड़ (चतरा) 10वें तीर्थांकर शीतलनाथ की तपोभूमि है। इसी पहाड़ में “जैन महापुराण’ के रचयिता जिनसेन का साधनास्थल माना जाता है।

Jain Religion’s Archeologial Sites Of Jharkhand

1. सातवीं शताब्दी की जैन मूर्तियां बेनुसागर(पश्चिम सिंहभूम से प्राप्त हुई।

2. बोकारो जिला के चंदनक्यारी प्रखंड में अलवरा में जैन संप्रदाय के अवशेष मिले है। यहां अवशेष की खोज 1947 में हुआ यहां अष्टधातु से निर्मित कुल 29 मूर्तियों का समूह मिला है जो विभिन्न तीर्थंकरों के है। पटना संग्रहालय में इसे सुरक्षित रखा गया है।

3. हनुमांड गांव – पलामू के हनुमान गांव में जैन संप्रदाय के पुजा स्थल मिले है।

4. बोड़ाम – यह पूर्वी सिंहभूम में स्थित एक गांव है यहां ईंटो से बने तीन जैन मंदिर के अवशेष मिले है।

5. मधुवन – गिरीडीह में स्थित मधुवन दुनिया का इकलौता श्वेताम्बरी गांव है। यह श्वेताम्बरी जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल है।

6. वेनुसागर – पश्चिम सिंहभूम स्थित वेणुसागर में 7वी शताब्दी के जैन मूर्तियां बनी है।

7. धनबाद जिला के कंसाई और दामोदर नदीयो के घाटी से मिले जैन अवशेष इस बात की पुष्टि करता है कि झारखंड में इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा जैन मत का प्रसार हुआ था।

8,.सिंहभूम के आरंभिक निवासी जैन मत को माननेवाले थे, जिसे सरक कहा जाता था। सरक, श्रावक का ही अपभ्रंश है। श्रावक गृहस्थ जैन मतावलंबी को कहा जाता था। हो जनजातियों का जब सिंहभूम में आगमन हुआ तब सरकों को सिंहभूम से बाहर निकाल दिया। यह जानकारी हमें इतिहासकार वी बॉल की पुस्तक “Jungle Life Of India” से मिलती है।

सरायकेला खरसवां जिला के ईचागढ़ के देवलटांड़ में प्राचीन दिगंबर जैन मंदिर है जिसे आदिनाथ जैन मंदिर भी कहा जाता है। यहा आज भी सरक जैन का पवित्र पूजा स्थल है।

Jainism Of Jharkhand Video

https://youtu.be/9L_A_SlQi4g

3 thoughts on “झारखंड में जैन धर्म का प्रभाव | Jainism In Jharkhand

  1. सरायकेला खरसावां जिला में ईचागढ़ देवलटांंड स्थित एक दिंगबर जैन मंदिर है जिसे आदित्यनाथ जैन मंदिर के नाम से जाना जाता है।
    जो लगभग 2500 वर्ष पुराना माना जाता है। सराक समाज द्वारा यहाँ पूजा की जाती है।

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