Lohardagga District

Introduction Of Lohardagga District लोहरदग्गा जिला का इतिहास|

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Introduction Of Lohardagga District

इतिहास

लोहरदग्गा (Lohardagga District) का सबसे प्राचीनतम जिक्र जैन महापुराणों मे लोर-ए-यादगा के उपनाम से मिलती है जिसका मुंडारी मे शाब्दिक अर्थ आँसूवों(लोर) की नदी (यादगा) होता है, समकालीन जानकारियों के मुताबिक उस समय लोहागंज के नाम से इस क्षेत्र को जाना जाता था। जैन महापुराण के अनुसार महावीर स्वामी छोटानागपुर के भ्रमण के दौरान लोहरदग्गा मे रुके थे।

मुगलकालीन साहित्य अबुल फज़ल रचित आईने अकबरी मे लोहारदग्गा का जिक्र किस्मत-ए-लोहरदग्गा के रूप मे मिलती है।

लोहरदग्गा दो शब्दों से मिलके बना है, लोहार (लोहे का व्यापारी) और दग्गा (केंद्र)

कोल विद्रोह (1830-31) के बाद अंग्रेज सरकार ने 1833 मे कोल विद्रोह से अप्रभावित छोटानागपुर को हजारीबाग जिला बना दिया और कोल विद्रोह से प्रभावित क्षेत्र को 1834 मे SWFA(SOUTH-WEST FRONTIER AGENCY)बना दिया और इस क्षेत्र का मुख्यालय लोहरदग्गा को बनाया|1854 ई मे SWFA का नाम छोटानागपुर बनने के बाद भी मुख्यालय लोहरदग्गा ही रहा।

1892 ई मे पालमु, छोटानागपुर से अलग हो जाता है।1899 मे फ़िर रांची जिला का निर्माण हुआ और अब लोहरदग्गा को रांची जिला के अंतर्गत लाया गया। 1972 ई मे लोहरदग्गा रांची जिला का अनुमंडल बना। 1983 ई मे रांची जिला से अलग होकर लोहरदग्गा (17 मई) और गुमला जिला(18 मई) बना। 18 मई को लोहारदग्गा में स्थापना दिवस के रूप में “शंख दिवस” मनाया जाता है।

लोहारदग्गा के प्रखंड

Lohardagga District 7 प्रखंड से मिलके बना है लोहरदग्गा, भंडरा, केरो, पेशरार(सबसे बड़ा), कुडू, किस्को, सेन्हा

लोहरदग्गा लोक सभा क्षेत्र

इस लोक सभा क्षेत्र तीन जिलों तक 5 विधान सभा में फैला हुआ है। इसके अंतर्गत लोहरदग्गा विधान सभा क्षेत्र (सम्पूर्ण लोहरदग्गा), गुमला जिला का गुमला, बिशुनपुर और सिसई विधान सभा क्षैत्र (सम्पूर्ण गुमला), और राँची जिला का मांडर विधान सभा क्षेत्र।

लोहरदग्गा लोकसभा क्षेत्र (गुमला, लोहरदग्गा और राँची के 5 विधानसभा क्षेत्र मिला के)

विधानसभा क्षेत्र-1(लोहरदग्गा)

लोहरदग्गा जिला के जलप्रपात

1. धरधरिया जलप्रपात – Lohardagga District के सेन्हा प्रखंड में अवस्थित हैं।

2. लावापानी जलप्रपात – Lohardagga District के पेशरार प्रखंड में अवस्थित हैं।

3.केकरांग जलप्रपात- केकरांग जलप्रपात केकरांग जंगल में है। 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान पांडेय गणपत राय और विश्वनाथ शाहदेव ने इसी जंगल में छुपकर अंग्रेजो के खिलाफ गुरिल्ला युद्ध किया था।

4. निंदी जलप्रपात

पुरातात्विक स्थल

1. खुखरा भकसो का किला – यह किला Lohardagga District

2. कुम्हारिया – यहां से कुषाण कालीन अवशेष मिले हैं। राजा हुविष्ककालीन सोने की चूड़ियां मिला है।

3. कसपुर- यहां से भी कुषाणकालीन राजा विम कडफिसेस कालीन तांबे और सोने के सिक्के मिले है।

मंदिर/मस्जिद/गुरूद्वारा

1. अखिलेश्वर धाम मंदिर –यह मंदिर भंडारा प्रखंड में अवस्थित है और ये भगवान शिव को समर्पित है।

2. खखपरता शिव मंदिर-यह अद्भुत मंदिर खखपरता गांव के एक पहाड़ी में स्थित है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता है की यह मन्दिर बिना नीव के बनी है।जमीन के ऊपर से इसके दीवार बने हैं, बिना नीव के खुदाई के और मध्यकाल से अब तक सुरक्षित है। इस मंदिर की संरचना उड़ीसा के देउल मंदिरों से मिलती है।

3.कोराम्बे महाप्रभु मंदिर – यह मंदिर सेन्हा प्रखंड में अवस्थित है।

4. भक्सो मंदिर – यह मंदिर दक्षिण कोयल नदी के तट पर अवस्थित है।

5. बाबा दुखन शाह का मजार –यह मजार विक्टोरिया जलाशय के पास है। यहां पर भी उर्स मेला लगता है।

अन्य पर्यटन स्थल (Tourist Place)

1. नंदिनी डैम (Nandini Dam) यह जलाशय 1983-84 में अविभाजित बिहार में चलाई गई। झारखंड सरकार द्धारा यहीं नंदिनी जलाशय सिंचाई परियोजना चलाई जा रही। तीन नहर निकालकर आसपास के क्षेत्रों में सिंचाई की जा रही है।

2. विक्टोरिया जलाशय (Victoria Lake)-ये जलाशय 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान कैदी विद्रोहियो के दौरान 1857 से 1881 के बीच में बनाया गया था तत्कालीन ब्रिटिश महारानी विक्टोरिया के स्मृति में।

3. हिरणकट्टा डैम – यह लोहारदग्गा के भंडारा प्रखंड में स्थित है।

लोहरदग्गा के विभूति

1. पांडेय गणपत राय- 1857 के सिपाही विद्रोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पांडेय गणपत रॉय का जन्म 17 जनवरी 1809 को भंडारा प्रखंड के भौरों गांव में हुआ था।

2. बुधन सिंह – लोहरदग्गा जिला से 1942 में भारत छोड़ों आंदोलन के आंदोलनकारी थे। क्रांतिकारी साहित्य लोगो में बांटने के आरोप में इनपर देशद्रोह का मुकादमा चला और 2 वर्ष के लिए जेल गए।

खनिज संसाधन

1.बॉक्साइड-बॉक्साइड के उत्पादन में झारखंड का सबसे अव्वल जिला लोहरदग्गा हैं। यहाँ के बागडू पाट, खामर पाट, पाखर पाट, रुधली पाट में बॉक्साइड के अपार भंडार है। बॉक्साइड के उत्पादन में दूसरा स्थान गुमला का है। लेकिन गुमला में बॉक्साइड खानों की संख्या लोहरदग्गा से ज्यादा है। ध्यान देने की बात ये है की झारखंड में राजमहल की पहाड़ियों में भी बॉक्साइड के अकूत भंडार का पता चला है। लोहरदग्गा में HINDALCO बॉक्साइड के उत्पादन में कार्यरत है।

2. अग्नि मिट्टी (Fire Clay)- अग्नि मिट्टी का सबसे बडा भंडार लोहरदग्गा में है।

उद्योग-धंधे

1. चमड़ा उद्योग-झारखंड के चमड़ा उद्योग सिर्फ लोहरदग्गा में थोड़ा बहुत विकसित है।

2. बीड़ी उद्योग – पाकुड़ के बाद बीड़ी उद्योग लोहरदग्गा में विकसित है।

लोहारदग्गा की नदियां

1. शंख नदी- यह एक पहाड़ी नदी है और लोहरदग्गा इसी नदी के किनारे अवस्थित हैं(NOTE:- ये वो शंख नदी नहीं है जो चैनपुर, गुमला से निकलती है) ये नदी लोहरदग्गा रेेलवे स्टेशन केे पास दक्षिण कोयल से मिल जाती हैं।

2. दक्षिण कोयल नदी –यह नदी रांची जिला के नगडी गांव से निकलकर लोहरदग्गा जिला और शहर में प्रवेश करती हैं।

3. मुगलदाहा नदी- टोरी-रांची रेलवे लाइन इसी नदी के उपर नामुदाग नामक गांव में बनाया गया है जो की काफी ऊंचाई से गुजरने के कारण बहुत ही रमणीय दृश्य बनाती है। यहां पर प्रायः सिनेमा सूटिंग होता रहता है। ये सेल्फी प्वाइंट के नाम से मशहूर है। ये ब्रिज नंबर 27 कहलाता है।जो झारखंड का दूसरा सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज है।

4. औरंगा नदी – यह नदी लोहरदग्गा के किस्को प्रखंड के उम्दाग गांव से निकलकर उत्तरी कोयल नदी में मिल जाती है।

Stadiums/उद्यान

1. अजय उद्यान- लोहरदग्गा स्थित अजय उद्यान भूतपूर्व आईपीएस अधिकारी की स्मृति मे बनाया गया है, जो नक्सलवादियों से मुठभेड़ में बहादुरी के साथ शहीद हुए थे सन 2000 में।

2. ललित नारायण स्टेडियम

शिक्षण संस्थान

1. Ursuline Women’s B Ed College

2.MLA College

3. राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय

4. बलदेव साहू कॉलेज, लोहरदग्गा

भौगोलिक सीमाएं:- लोहरदग्गा सिर्फ झारखंड के 3 जिला से सीमा बनाता है।

1. गुमला

2. रांची

3. लातेहार

लोहारदग्गा के महत्वपूर्ण तथ्य

1.भारत छोड़ों आंदोलन के दौरान नदिया हाई स्कूल के विद्यार्थियों ने अपने हाते में राष्ट्रीय झंडा फहराया था।

2. झारखंड राज्य का पहला आयुर्वेदिक महाविद्याल लोहरदग्गा स्थित “राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय लोहरदग्गा है”

3. झारखंड का जनसंख्या में सबसे छोटा जिला लोहरदग्गा है।

4. लोहरदग्गा और खुंटी झारखंड राज्य में दो ऐसे जिले है जो किसी भी दूसरे राज्य से सीमा नहीं बनाता।

5. झारखंड में नलकूप से सबसे ज्यादा सिंचाई लोहरदग्गा जिला में होता है।

6. लोहरदग्गा जिला में स्थित प्राचीन प्रस्तर मंदिर और शिवलिंग को भारतीय पुरातात्त्विक विभाग ने राष्ट्रीय महत्त्व का पुरातात्त्विक स्थल घोषित किया है।

Lohardagga District Detailed Video

https://youtu.be/PG2xp3kGTh8

ये Article मेरे प्रिय शिष्य नितेश भारती के सहयोग से लिखा गया है

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