Ho Literature Detailed Study
Ho Literature Introduction- हो भाषा झारखंड के 16 द्वितीय राजभाषा में से एक है। यह मुख्य रूप से झारखंड के कोल्हान क्षेत्र (पूर्वी सिंहभूम, पश्चिम सिंहभूम और सरायकेला खरसावां) में हो समुदाय द्वारा बोली जाती है। इस भाषा का अपनी लिपि है जिसका नाम वारांग क्षिति है जिसकी रचना लाखो बोदारा ने 1940 में की थी और इस लिपि के प्रचार प्रसार के लिए “आदि संस्कृति एवं विज्ञान शोध संस्थान” की स्थापना की। वारांग क्षिति में कुल 31 अक्षर है, पश्चिम लिपियों की तरह इसमें भी हर अक्षर का बड़ा और छोटा रूप होता है।
लाखो बोदारा व्यक्तित्व परिचय
इनका जन्म 19 सितंबर 1919 में पश्चिम सिंहभूम के पसेया गांव में एक हो परिवार में हुआ था। इनका उपनाम “ओत गुरु कोल” है।इसने हो भाषा में दो पुस्तको की रचना की पहली सहार होड़ा (स्वर्ग के रास्ते) दूसरी बोंगा होड़ा (बोंगा के रास्ते)। इन्होंने हो समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर करने के लिए “आदि समाज” नामक संगठन की स्थापना की। 1950 में इन्होंने हो पुनर्जागरण आंदोलन चलाया। 1957 और 1962 में इन्होंने सिंहभूम लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लडा मगर दोनो में इनकी हार हुई। ये भारतीय पुरातत्व विभाग से भी जुड़े थे।
हो साहित्य का क्रमवार विकास
1. विलियम जोन्स (एशियाटिक सोसायटी ऑफ बंगाल के संस्थापक) ने प्राचीन काल से चली आ रही हो भाषा की कविता,कहानियों का एक लेख “The Grammatical Construction Of Ho Language” के नाम से लेख प्रकाशित किया।
2. हो दुरंग – यह डब्लू सी आर्चर द्वारा लिखा गया है जो हो लोकगीतों का संकलन है। इस पुस्तक को हो साहित्य का महाकाव्य कहा जाता है। यह देवनागरी लिपि में लिखा गया है।
3.फोकलोर ऑफ कोल्हान- सी एच बोम्बास और एन के बोस
4. हो ग्रामर – लियोनल बरो
5. ग्रामर ऑफ द कोल – इसके रचयिता नोट्रोट है। यह रांची के GEL मिशन द्वारा प्रकाशित किया गया था।
6. An Introduction Of Ho Language – ये जॉन डिनी की रचना है।
Note:- Ho English Dictionary और Ho Grammer And Vocabulary भी जॉन डिनी की रचना हैै।
7. हो काजी (व्याकरण ग्रंथ) – भीमराज सुलंकी
8. Ho Tribes Of Singhbhum – सी पी सिंह
9. इटा बटा लिना बसा – कमल लोचन कोड़ा
10. जोऊर –कमल लोचन कोड़ा
11.बीरू बुरू –कमल लोचन कोड़ा
12. बोंगा बूरू – कमल लोचन कोड़ा
13. दिसूम जारी मांगे दुरुंग – शिवचरण बरुआ
14. हो दिसूम हो हानको – धनुर सिंह पूर्ति
15. तिरिया दुर्दुर –करुणाकर तिरिया
16. हो हिंदी शब्दकोश – ब्रज बिहारी
17.रुमुल ( कविता संग्रह) – किसी हो व्यक्ति द्वारा लिखित प्रथम साहित्य “रूमुल” है जिसे सतीश कोड़ा ने लिखा।
Note:-“सेंगल” यह सतीश कोड़ा का उपनाम है। गीता के श्लोकों का हो भाषा में अनुवाद भी सतीश कोड़ा ने किया
18. कंपीटेटीव ग्रामर ऑफ मॉडर्न एरियन लैंग्वेज – सी एच बोम्बास
Ho Literature से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य
Ho Literature का Video (इसे भी देखें)