सोलंकी वंश
History of Solanki dynasty
परिचय
इस वंश को गुजरात के चालुक्य वंश के नाम से भी जाना जाता है। सोलंकी वंश की उत्पत्ति के बारे में इतिहासकारों का विभिन्न मत हैं कुछ इतिहासकार इसे अग्निवंशी मानते हैं तो कुछ इतिहासकार प्राचीन क्षत्रिय राजाओं के संतान मानते हैं। सोलंकी वंश की स्थापना 10 वीं शताब्दी में मूलराज सोलंकी के द्वारा की गई थी। युवराज सोलंकी ने अपनी राजधानी अनहिलवाड़ (आधुनिक पाटन) को बनाई थी। सोलंकी वंश के राजा मूल रूप से से शैव धर्म के अनुयायी थे परंतु वह जैन धर्म के प्रति भी आस्था रखते थे।
ऐतिहासिक स्रोत
अभिलेख
बड़नगर अभिलेख – यह अभिलेख आधुनिक बड़नगर में है जो गुजरात के मेहसाणा जिले में स्थित है। यह कुमार पाल का अभिलेख है। इस अभिलेख से सोलंकी वंश की उत्पत्ति के बारे में पता चलता है। इस अभिलेख में लिखा है की सोलंकी अग्निवंशी थे।
उज्जैन अभिलेख – यह जयसिंह सिद्धराज का अभिलेख है।
उदयपुर अभिलेख – यह भी जयसिंह सिद्धराज का अभिलेख है।
चित्तौड़गढ़ अभिलेख – यह कुमार पाल का अभिलेख है इससे कर्ण के बारे में जानकारी मिलती है।
साहित्य
प्रबंधचिंतामणि-इस ग्रंथ की रचना मेरुतुंग ने संस्कृत में की थी।
कीर्ति कौमुदी – इसके रचयिता सुमेश्वर थे।
कुमारपालचरित – इसकी रचना हेमचंद्र सूरी द्वारा किया गया है और इस ग्रंथ से हमें सोलंकी राजा कुमार पाल के बारे में जानकारी मिलती है।
हसन निजामी के लेख
मूलराज प्रथम
मूलराज को गुजरात के सोलंकी वंश का संस्थापक माना जाता है। मूलराज का शासनकाल संभवत 940 से 950 ईसवी के मध्य में था। मूलराज ने अपनी राजधानी अन्हिल्वाड़ (आधुनिक पाटन) को बनाई थी। मूलराज के बाद 995 से 1022 ई के मध्य चामुंडराज, बल्लभ राज और दुर्लभराज ने शासन किया परंतु इनमें से कोई शक्तिशाली राजा नहीं था। भीम प्रथम के सामंत विमल ने आबू पर्वत पर दिलवाड़ा का प्रसिद्ध जैन मंदिर का निर्माण कराया था।
भीम प्रथम
भीम प्रथम का शासनकाल संभवत 1022 से 1064 ईसवी के मध्य में माना जाता है। भीम प्रथम के शासनकाल में 1024-25 ई में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को लूटा था पर भीम प्रथम ने उसका मुकाबला नहीं किया और गुजरात छोड़ कर भाग गया था। भीम प्रथम के परम मित्र चेदी के कलचुरी राजा लक्ष्मी करने थे और दोनों ने मिलकर मालवा पर (राजा भोज के समय) आक्रमण किया था परंतु इसी आक्रमण के दौरान भीम प्रथम की मृत्यु हो गई थी।
कर्ण
करण का शासनकाल 1064 से 1093 ईसवी के मध्य में माना जाता है। धर्म के बारे में जानकारी कुमारपाल के चित्तौड़गढ़ अभिलेख से मिलती है। कर्ण ने कर्णावती (आधूनिक अहमदाबाद) नामक नगर की स्थापना की थी तथा यहीं पर कर्णेश्वर मंदिर और कर्ण सागर झील का निर्माण भी कराया था। सर ने अपनी राजधानी अन्हिलवाड़ में कर्णमेरु नामक एक सुंदर मंदिर का निर्माण भी कराया था।
जयसिंह सिद्धराज
ये सोलंकी वंश के सबसे शक्तिशाली और प्रतापी राजा थे। इसका शासनकाल संभवत 1093 से 1143 ईस्वी तक माना जाता है। जय सिंह शिवराज ने अवंतीनाथ की उपाधि धारण की थी। यह शैव धर्म के अनुयाई थे परंतु जैन धर्म के प्रति भी आस्था रखते थे। जयसिंह सिद्धराज ने सिद्धपुर में रूद्र महाकाल तथा अंहिलवाड़ में सहस्त्रलिंग मंदिर का निर्माण कराया था। जैन विद्वान हेमचंद्र इन्हीं के दरबार में रहते थे।
इन्होंने माउंट आबू पर्वत पर एक मंडप बनाकर अपने सातों पूर्वजों की गजारोही मूर्तियों की स्थापना की थी। जयसिंह सिद्धराज के कोई पुत्र नहीं थे। जयसिंह सिद्धराज के के उत्तराधिकारी उसके मंत्री उदयन के बेटे कुमारपाल हुए। ❤️ History of Solanki dynasty ❤️
कुमारपाल
इसका शासनकाल संभवत 1143 से 1172 ईस्वी के मध्य माना जाता है। कुमारपाल के शासनकाल की जानकारी हेमचंद्र सूरी के द्वारा लिखे गए कुमारपाल चरित ग्रंथ से मिलती है। कुमारपल जैन धर्म के अनुयाई थे परंतु कुछ इतिहासकार ने धर्म से संबंधित मानते हैं। कुमारपाल का विवाह चौहान वंश है राजकुमारी जल्हना देवी के साथ हुआ था।
अजयपाल
अजय पाल का शासन काल संभवत 1172 से 1176 ईसवी के मध्य था। अजय पाल ने परम महेश्वर की उपाधि धारण की थी। प्रबंध चिंतामणि के अनुसार यह जैन धर्म के विरोधी थे और शैव धर्म के प्रबल समर्थक थे।
मूलराज द्वितीय
मूलराज द्वितीय का शासन काल संभवत 1176 से 1178 ईसवी के मध्य में था। मूल राजनीति के शासनकाल में शासन की बागडोर उसकी माता नायिका देवी के हाथों में थी। मूलराज द्वितीय ने 1178 ईस्वी में मोहम्मद गोरी को आबू पर्वत के पास पराजित किया था।
भीम द्वितीय
भीम द्वितीय का शासन काल संभव था 1178 से 12 से 39 ईसवी के मध्य माना जाता है। भीम द्वितीय को भोला भीम के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उनके ही शासनकाल में उनके ही एक मंत्री लवण प्रसाद ने गुजरात के दक्षिण में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना बघेल वंश के नाम से कर ली थी। भीम द्वितीय को सोलंकी वंश का अंतिम राजा माना जाता है। 1197 ई में कुतुबुद्दीन ऐबक ने भीम द्वितीय के राजधानी अन्हिलवाड में खूब लूट मचाई थी।
Note:- 1297 से 12 से 99 ईसवी के मध्य में अलाउद्दीन खिलजी के सेनानायक नुसरत खान और उल्लू खाने गुजरात पर आक्रमण किया था। उस समय गुजरात में बघेल वंश के राजा कर्ण का शासन था जो गुजरात छोड़ कर भाग गया और संपूर्ण गुजरात को दिल्ली सल्तनत का हिस्सा बना लिया गया था।
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
❤️ गुजरात में स्थित मोढेरा के सूर्य मंदिर का निर्माण सोलंकी राजाओं के शासनकाल में हुआ था।
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Harappa Civilization