गाँधीजी का झारखंड से संबंध
(Gandhi Yug In Jharkhand) गाँधीजी का झारखंड से बहुत ही गहरा रिश्ता रहा। 1917 से 1940 तक गाँधीजी 12 बार झारखंड आए, वो सिर्फ शहर ही नही कई कस्बों और गांवों में भी गए। गाँधीजी 1917(4 बार),1920, 1921,1925, 1927,1934 (2 बार) और 1940 (2 बार) मे झारखंड आए।
गाँधीजी सर्वप्रथम राँची आए 1917 में और अंतिम बार व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान राँची। 29 मई को तत्कालीन बिहार-उड़ीसा के लेफ्टिनेंट गवर्नर एडवर्ड एलबर्ट गेट ने सरकारी पत्र के माध्यम से 4 जून को रांची में मिलने बुलाया था।
प्रथम बार गाँधीजी झारखण्ड के राँची 4 जून 1917 में आए। उन्हें राँची आने का आमंत्रण श्याम कृष्ण सहाय ने पहले ही दिया था जब वो लंदन में थे। श्याम कृष्ण सहाय, गाँधीजी के सहपाठी थे। वो राँची चंपारण सत्याग्रह के सिलसिले में बिहार के मोतिहारी से चलकर राँची पहुंचे। राँची में आकर श्याम कृष्ण सहाय के आवास में रुके। यहां गाँधीजी के साथ स्वतंत्रता सेनानी ब्रजकिशोर भी रुके थे।
चंपारण आंदोलन की रूपरेखा राँची में रहकर ही तैयार की गई थी। इस प्रवास के दौरान गाँधीजी बिहार के तत्कालीन लेफ्टिनेंट गवर्नर एडवर्ड अल्बर्ट गेट से 4 जून को मिले और चंपारण सत्याग्रह को लेकर चर्चा हुई, यह मुलाकात आड्रे हाउस में हुई थी, यह वार्ता 3 दिन तक चली थी। इस प्रवास के दौरान इनकी पत्नी कस्तूरबा गाँधी और पुत्र देवदास गाँधी भी साथ रहे। गाँधीजी चंपारण सत्याग्रह के दौरान 4 बार राँची आए।
असहयोग आंदोलन के दौरान
असहयोग आंदोलन के दौरान (1920) भी गांधीजी झारखंड के रांची आए और भीमराज वंशीधर मोदी धर्मशाला में ठहरे। गाँधीजी के उपस्थिति में इस धर्मशाला के सामने विदेशी कपड़ो (लंकाशायर और मैनचेस्टर में बनी वस्तुएं) की होली जलाई गई और लोगों ने खादी पहनने और चरखा चलाने का प्रण लिया। यही ताना भगत पहली बार गांधीजी से मिले। गांधीजी ने ताना भगतों को अपने सारे शिष्यों में सर्वोत्कृष्ट कहा।
1921 में गांधीजी धनबाद आए थे। यहां के रईस व्यक्ति रामजस अग्रवाल ने गांधीजी को 50 हजार का दान दिया था।
1925 में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष दीनबंधु सी एफ एंड्रूज के आमंत्रण पर गाँधीजी जमशेदपुर आए और यहां दो दिन ठहरे। टाटा कंपनी और टाटा वर्कर्स यूनियन के बीच विवाद चल रहा था, गांधीजी ने इस विवाद को यहां सुलझाया। यहां जे आर डी टाटा ने उसका भव्य स्वागत किया।
अगले दिन राजेंद्र प्रसाद और नेहरू भी टाटा पहुंचे थे। 8 अगस्त 1925 को इंडियन एसोसिएशन नामक संगठन ने गाँधीजी के सम्मान में प्रीतिभोज दिया। जमशेदपुर की सभा में गाँधीजी को ₹5000 की भेंट दी गई देशबंधु स्मृति कोष से। यहां के महिलाओं ने भी गाँधीजी को नकद रूपए और आभूषण दान में दिए।
इसके बाद जमशेदपुर से गाँधीजी चाईबासा गए और एक सभा को संबोधित किया, इस दौरान ये हो समुदाय से मिले। हजारीबाग जाने के क्रम में खूँटी में इन्होंने मुंडा समुदाय को संबोधित किया।
फिर हजारीबाग के संत कोलंबा महाविद्यालय के विद्यार्थियों को मटवारी मैदान में 18 सितंबर 1925 में संबोधित किया, इस मैदान का अभी नाम गाँधी मैदान कर दिया गया है।
बैधनाथधाम मंदिर में गाँधीजी
1925 में ही गांधीजी बैद्यनाथ धाम मन्दिर देवघर गए, वहां उसने छुआछूत न होने पर पण्डो की खूब तारीफ की। यही संताल समुदाय से मिले और इनकी बहुत तारीफ किए क्योंकि ये खुद ही अपना वस्त्र बना लेते थे। इन दोनो बातो को गांधीजी ने अपने अखबार यंग इंडिया में छापा। इसके बाद वो मधुपुर गए जहां एक टाउन हॉल का उद्घाटन किया फिर गिरिडीह के रास्ते खड़गडीहा गए।
1927 ई में गाँधीजी काशी से ट्रेन से मेदिनीनगर आए और वहां के लोगो ने उसे ₹525 का दान दिए। इस दौरान गांधीजी मेदिनीनगर के मारवाड़ी सार्वजनिक पुस्तकालय भी गए। 1927 में गाँधीजी गोमिया और कतरास भी गए। कतरास निवासी बीके रॉय ने गांधीजी को दस हजार का दान दिया था।
1934 में गांधीजी पुनः झारखंड आए इस यात्रा के दौरान जसीडीह में उनके कार पर हमला हुआ था। 29 अप्रैल 1934 में रांची में निवारण आश्रम का उद्घाटन किए, निवारण बाबू गांधीजी के परम अनुयायी थे। 3 मई 1934 को रांची में इंडस्ट्रियल हरिजन स्कूल की स्थापना किया और 4 मई को उड़ीसा चले गए।
1934 में गाँधीजी झरिया भी गए वहां के लोगो ने राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के लिए 60 हजार रुपए का दान दिया था। 1934 में बापू जब धनबाद आए तो वो त्रिगुणायत कोठी में ठहरे जो यहां के अमीर व्यक्ति मुक्तेश्वर त्रिगुणायत और भुवनेश्वर त्रिगुणायत के निवास स्थान था। यहां गांधी जी को गुप्त धन की थैली भेंट की गई थी।
रामगढ़ कांग्रेस अधिवेशन में गाँधी
1940 के कांग्रेस अधिवेशन के दौरान गाँधी झारखंड आए। वह पहले राँची आए थे। राँची में वो स्वतंत्रता सेनानी निवारण बाबू से मिलने निवारणपुर गए फिर कोकर निवासी राय साहब लक्ष्मी नारायण की फोर्ड कार से गए थे। यह कार आज भी सुरक्षित रखा गया है। रामगढ़ अधिवेशन से पहले 14 मार्च 1940 में महात्मा गांधी ने रामगढ़ में खादी ग्रामोद्योग का शुभारंभ किया था। यहां ताना भगतो ने गांधीजी को ₹400 की थैली भेंट की थी।
गाँधीजी से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य
1.आड्रे हाउस
आड्रे हाउस राँची स्थित बहुत ही खूबसूरत भवन है जो लकड़ी और खपरैल से बनाया गया है। इसका निर्माण तत्कालीन छोटानागपुर के डिप्टी कमिश्नर कैप्टन हैनिंगटन ने 1854 में करवाया था। गाँधीजी ने इस भवन की खूब तारीफ की थी। झारखंड सरकार ने इस भवन का बदलकर महात्मा गांधी स्मृति भवन कर दिया है।
झारखण्ड राज्य बनने के बाद आड्रे हाउस को सचिवालय कार्यालय के रूप में उपयोग किया जा रहा है। इस ऑड्रे हाउस को अभी कला और संस्कृति केंद्र बनाया गया जिसमें कई झारखंड से प्राप्त पुरातात्विक अवशेष रखे गए है। अभी इस कला और सांस्कृतिक केंद्र का नाम बदलकर महात्मा गाँधी कला और सांस्कृतिक केंद्र कर दिया गया है। बिरसा मुंडा जब मुंडा उलगुलान के बाद गिरफ्तार हुए तब उनकी न्यायिक प्रक्रिया यही चली थी।
- 2. बापू वाटिका राँची के मोहराबादी में अवस्थित है।
3.महात्मा गाँधी समाधि
यहस्थल झारखंड के रामगढ़ जिला में दामोदर नदी के तट पर अवस्थित है। 30 जनवरी 1948 को जब इनकी हत्या हुई तब इनके अस्थियाँ देश के विभिन्न हिस्सा में ले जाया गया था। झारखंड के रामगढ़ में भी इनकी अस्थियां रखी गई और इस स्थान को महात्मा गाँधी समाधि स्थल कहा जाता है। दामोदर नदी के इस तट को गाँधी घाट के नाम से जाना जाता है।
4. गांधीजी 2017 में 4 बार चंपारण आंदोलन के सिलसिले में झारखंड आए। 4 जून, 11जुलाई, 22सितंबर और 3-4 अक्टूबर। 4 अक्टूबर को गांधीजी ने एडवर्ड अल्बर्ट गेट को पत्र भी लिखा था।
5.गांधीजी जमशेदपुर 3 बार गए 1925, 1934 और 1940 में।
6. देवघर दो बार आए 1925 और 1934 में।
7. धनबाद 3 बार आए 1921,1927 और 1934
8. गाँधीजी अंतिम बार झारखंड अगस्त 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह को प्रोत्साहित करने आये थे।
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