Freedom Fighters Of Jharkhand

Freedom Fighters Of Jharkhand| झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी| JPSC GK|JSSC GK

Jharkhand GK

झारखंड के स्वतंत्रता सेनानी

Freedom Fighters Of Jharkhand

दिवा-किसून

ये दोनो मामा-भांजा थे। जिसने ब्रिटिश सरकार और पोरहाट के सिंहवंशी राजा अभिराम सिंह के खिलाफ 1872 में सशस्त्र विद्रोह किया था।

इसके विद्रोह का मुख्य कारण आर्थिक शोषण था। दिवा सोरेन का जन्म सरायकेला खरसावां के राजनगर थाना अंतर्गत मातकोम बेड़ा में हुआ।

किसून सोरेन का घर गोबिंदपुर गांव (सरायकेला खरसावां के राजनगर थाना ) में हुआ था।

दिवा सोरेन का जन्म 1820 में हुआ था इसके पिता का नाम देवी सोरेन था। इनके गुरु का नाम रघुनाथ भुइंया थे।

इसके विद्रोह का क्षेत्र डोडा पहाड़ और घुड़पहाड़ (घोड़ापहाड़) गांव था।इस विद्रोह का दमन अंग्रेजों ने बहुत हि क्रूरतापूर्वक कर दिया। इन दोनो को सरायकेला जेल में फांसी दे दिया गया था।

Note:– इन दोनो के जन्मस्थान मतकोम बेड़ा और गोविंदपुर को शहीद ग्राम योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है।

मुकुटधारी सिंह

ये प्रसिद्ध मजदूर नेता, संपादक और स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इन्होंने कोयला मजदूरों की समस्या को प्रमुखता से उठाया था। ये साप्ताहिक पत्रिका ” युगांतर” के संपादक थे।आपातकाल के दौरान युगान्तर में छपे लेख के कारण इसे जेल जाना पड़ा था।

मोतीलाल केजरीवाल

इनका जन्म 1902 ई को कानपुर में हुआ था। ये संताल परगना जिला के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा संपादक थे। 1920 ई में असहयोग आंदोलन के समय विद्यालय छोड़कर राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल हो गए थे। जमुना लाल बजाज के माध्यम से इन्होंने 1935 ई में सेवाग्राम (वर्धा) में गांधी से मुलाकात की थी। इन्होंने 1940 ई में व्यक्तिगत सत्याग्रह तथा 1942 ई में भारत छोड़ो आंदोलन को संथाल परगना क्षेत्र में चलाया था जिसमें प्रफुल्ल चंद्र पटनायक, श्री कृष्ण प्रसाद, के गोपालन, लाल हेमरोम तथा बरियार हेमब्रॉम भी शामिल थे। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान मोतीलाल केजरीवाल को अशोक बोस, रामजीवन और हिम्मत सिंह के साथ भारत सुरक्षा अधिनियम के तहत दुमका से गिरफ्तार किया गया तथा गिरफ्तार कर भागलपुर जेल भेज दिया गया था। जहां इनकी दोनों आंखों की रोशनी समाप्त हो गई थी। स्वतंत्रता के बाद इन्होंने संथाल परगना में ग्राम उद्योग समिति के माध्यम से रचनात्मक कार्य किए थे तथा संथाल परगना क्षेत्र में भूदान आंदोलन का नेतृत्व किया था। इनकी पत्नी महादेवी केजरीवाल ने भी स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भूमिका निभाई। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान मोतीलाल केजरीवाल ने “निर्माण” तथा “गाँधी संदेश” नामक पत्रिका का संपादन किया। 2 जुलाई 1980 ई को पटना में इसकी मृत्यु हो गई थी।

नारायणजी

ये प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और संपादक थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान इन्होंने जनजातियों को स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति जागृत किया और आंदोलन से जोड़ा। “आदिम जाति सेवा मंडल” नामक संस्था का इन्होंने स्थापना किया। इस माध्यम से इन्होंने गाँधीजी के विचार और उद्देश्य को जनजातियों के बीच पहुंचाया। इन्होंने “ग्राम-निर्माण” अखबार का संपादन किया।

नागरमल मोदी

यह व्यापार के क्रम में 18 सो 52 ईस्वी में राजस्थान से आकर रांची में बसे थे। ये झारखंड के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे। झारखंड में स्वदेशी आंदोलन के शुरुआत करने वाले अग्रणी नेता थे। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान राँची के चुटिया में 8 अप्रैल 1932 को नागरमल मोदी के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन किया गया था।

मारवाड़ी समाज मे आधुनिक शिक्षा का प्रसार करने में इनका प्रमुख योगदान रहा। विधवा और निराश्रित महिलाओ के लिए इन्होंने 1935 में “अबला आश्रम” खोला। इनके नाम पर 31 अगस्त 1958 ई में रांची में नागरमल मोदी सेवा सदन अस्पताल स्थापित किया गया है। यह अस्पताल 1953 इसी में स्थापित नागरमल मोदी ट्रस्ट के अधीन संचालित है।

राम विनोद सिंह

ये हज़ारीबाग स्थित सेंट कोलंबा के विद्यार्थी थे। इसे “हज़ारीबाग का जतिन बाघा” कहा जाता है। इसे13 जनवरी 1918 में गिरफ्तार किया गया था। युगांतर संस्था के जतिन बाघा की तरह राम विनोद सिंह ने छात्र जीवन से ब्रिटिश शासन के खिलाफ खड़े हुए थे इसलिए इसे “हज़ारीबाग का जतिन बाघा” कहा जाता है।

सुखलाल सिंह

इनका जन्म 3 जून 1897 को चतरा जिला के तेतरिया गाँव (हंटरगंज) में हुआ था। ये बाबू रामनारायण सिंह के चचेरे भाई थे। इन्होंने चतरा से स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन का नेतृत्व किया था। असहयोग आंदोलन के दौरान चतरा जेल में कैद करके रखा गया था। सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान इन्हें बजरंग सहाय के साथ एक वर्ष की सजा सुनाई गई थी। भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान इन्हें 9 अगस्त 1942 को इसके भाई रामनारायण सिंह के साथ गिरफ्तार किया जाता है।

ये 1934 में हजारीबाग डिस्ट्रिक्ट बोर्ड के चेयरमैन चुने गए। 1936 में बिहार प्रांतीय चुनाव में चतरा-गिरीडीह निर्वाचन क्षेत्र से MLA चुने गए। आजाद भारत के पहले चुनाव 1952 में चतरा से विधायक चुने जाते है। इनकी मृत्यु 9 जून 1971 में हुई थी।

प्रो अब्दुल बारी

ये झारखंड के प्रसिद्ध मजदूर नेता, शिक्षाविद और स्वतंत्रता सेनानी थे। इनका जन्म बिहार के कंसुआ गाँव मे 1892 में हुआ था। भारत छोड़ो आंदोलन में ये जमशेदपुर से सक्रिय रहे। 1936 में ये जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन के ये चौथे अध्यक्ष बने और 1947 तक इस पद पे बने रहे। इन्होंने 1937 म जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन का नाम बदलकर टाटा वर्कर्स यूनियन कर दिया।

इनके नाम पे Prof Abdul Bari Memorial High School नोअमुण्डी में तथा Prof Abdul Bari Memorial College गोलमुरी में खोला गया है। अब्दुल बारी पार्क राँची में तथा अब्दुल बारी मैदान साकची में बनाया गया है। 28 मार्च 1947 में Police Encounter में ये पटना के समीप फतुहा में ये शहीद हुए।

धनंजय महतो

यह झारखंड के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी एवं समाजसेवी थे। इनका जन्म 8 अगस्त 1919 ईस्वी में सिंहभूम जिला के गुंदा गांव में हुआ था। यह 16 वर्ष की उम्र में 1935 ईस्वी में राष्ट्रीय आंदोलन में सम्मिलित हुए। 1936 में विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार संबंधी आंदोलन में शामिल होने के कारण इसके ऊपर पुरुलिया में लाठीचार्ज हुआ था।

इन्होंने भीमचंद्र महतो के साथ मिलकर 1942 ई में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान बड़ा बाजार में आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस दौरान इसे पुरुलिया जेल में कैद रखा गया था। इन्होंने 1957 ई के विधानसभा चुनाव में इचागढ़ क्षेत्र से विजय हुए थे। 1984 में इन्होंने आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण का चेयरमैन नियुक्त किया गया था इनकी मृत्यु 2 जनवरी 2014 को चांडिल में हुई थी।

गौरीशंकर डालमिया

इस महान व्यक्तित्व का जन्म बिहार के लखीसराय में हुआ था। महात्मा गांधी के आवाहन पर स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गए तथा झारखंड के जसीडीह में आकर बस गए। 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान यह जेल भेजे गए। 1936 में संथाल परगना जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे थे। इन्होंने 1936 में “संथाल पहाड़िया सेवा मंडल” की स्थापना की थी। इस संस्थान के मदद से कई पहाड़िया विद्यालय तथा अन्य शिक्षण संस्थान खोले गए तथा कुष्ठ रोगों के निवारण के लिए अस्पताल की स्थापना की गई थी। 12 नवंबर 2009 में भारतीय डाक विभाग ने इनके नाम की डाक टिकट जारी किया। इन्होंने हिंदी में “प्रकाश” तथा इंग्लिश में “The Spark” नामक पत्रिकाओं का संपादन किया। इन्होंने कई संथाली लेखों को देवनागरी भाषा में लिखा था।

Gouri Shankar Dalmia
Gouri Shankar Dalmia

Women Freedom Fighters Of Jharkhand

https://youtu.be/b22w7N9bISk