झारखंड आने वाले प्रमुख मिशनरी
1. GEL Mission(Gossner Evangelical Mission)
This is first Christian Missionary In Jharkhand. झारखंड में इसका आगमन राँची में 1845 में हुआ। यह जर्मनी के बेथलेहम चर्च के फादर GE Gossner के द्वारा भेजा गया था। इस दल में कुल चार धर्म-प्रचारक थे।
1. एमिलो स्कॉच
2. अगस्ट ब्रांट
3. फ्रेडरिक वॉच
4. थियोडर जैक
ये धर्म-प्रचारक मेरगुई (बर्मा) जाने के क्रम में कोलकाता में रुके थे। डॉ हेकलरिन ने सूचना दिया की बर्मा में पहले से ही अमेरिकन बैप्टिस्टन मिशन के धर्म प्रचारक पहुंच चुके है।
डॉ हेकलरिन के कहने से इनलोगो ने बर्मा जाने के बजाय राँची जाने का निर्णय लिया।
चारो धर्मप्रचारक 2 नवंबर 1845 को राँची पहुंचे। उस समय छोटानागपुर के कमिश्नर कर्नल आउस्ले थे तथा डिप्टी कमिश्नर हेनिंगटन थे। इन दोनो के सहयोग से रांची में Gossner Misson की स्थापना की गई। इसका नामकरण इस मिशन को भेजनेवाले फादर GE Gossner के नाम से की गई। जुलाई 1919 में Gossner Mission को Gossner Church बनाया गया।
Gossner Mission ने सर्वप्रथम 9 जून 1850 में चार रांची निवासी कबीरपंथी उरांव केशव, बंधु, नवीन और घुरन का धर्म परिवर्तन कर ईसाई बनाया। यह झारखंड में आदिवासियों का पहला धर्मांतरण है।
01 दिसंबर 1945 राँची में बाथसेडा (पवित्र घर/दया घर) की स्थापना की। गोस्सनर मिशन ने 1850 में गोविंदपुर, 1851 में चाईबासा, 1854 में हज़ारीबाग और 1855 में चाईबासा में अपनी शाखा स्थापित की थी।
गोस्सनर मिशन द्वारा पहला प्राथमिक स्कूल राँची में खोली गई। 1899 में गोस्सनर उच्च विद्यालय बनाया। राँची में 971 में गोस्सनर महाविद्यालय बनाया।
राँची स्थित GEL चर्च का निर्माण 1855 में GEL Mission द्वारा किया गया। इस चर्च का निर्माण वास्तुशास्त्री पेस्टर हिराजॉग ने किया था। 1857 के सिपाही विद्रोह के दौरान विद्रोहियों ने इस चर्च पे गोले दागे थे जिससे यहाँ के सारे पादरी भाग गए थे।
1864 में इस मिशन में नए धर्म-प्रचारकों का आगमन हुआ। नए धर्म-प्रचारक और पुराने धर्म-प्रचारक के बीच विवाद शुरु हो गया। 22 नवम्बर 1868 में पुराने धर्म-प्रचारकों को मिशन से निष्कासित कर दिया गया। 1869 में इस मिशन का दो भागों में विभाजन हो गया- GEL मिशन और SPG मिशन। विभाजन के बाद नोट्रोट ने GEL मिशन को आगे बढ़ाया।
Note:- 1915 में गोस्सनर मिशन द्वारा नागपुरी मासिक पत्रिका “झारखण्ड आराधना की शुरुवात” की गई थी।
2. SPG Mission (Society For Propagation Of Gospel)
इस मिशन का स्थापना 1869 में GEL मिशन द्वारा निष्कासित धर्म प्रचारको द्वारा राँची में किया गया। यह मिशन लन्दन के इंग्लिकन चर्च से सम्बंधित है। रे जे सी व्हीटली इस मिशन के प्रमुख अधिकारी थे। यहमिशन बाद में SPG चर्च बन गया। SPG चर्च को “Church Of North India” कहा जाता है। इस मिशन का केंद्र राँची,हजारीबाग और चाईबासा में था और इन तीनो जगहों पर इस मिशन ने आवासीय विद्यालय बनाये। इस मिशन ने 1898 में राँची में सेंट माइकल ब्लाइंड स्कूल खोला।
राँची स्थित सेंटपॉल चर्च का निर्माण 1873 में SPG Mission द्वारा किया गया। इस चर्च का निर्माण जनरल रॉलेट ने किया था।यह झारखंड के पहला मिशन था जिसे 1890 में बिशपी का दर्जा मिला. इस मिशन के पहले बिशप रे जे सी व्हिटली नियुक्त हुए।
3. Roman catholic Mission(Christian Missionary In Jharkhand)
झारखंड में रोमन कैथोलिक मिशन की स्थापना फादर स्टॉकमन ने 1869 में चाईबासा में किया।
मगर झारखंड में इसका वास्तविक संस्थापक फादर कन्सटांट लिवेन्स कोमाना जाता है। फादर कन्सटांट लिवेन्स को “लिबिन साहब” उपनाम से भी जाना जाता है।
1885 में फादर कन्सटांट लिवेन्स ने इस मिशन की तरफ से अपनी कार्यकलाप शुरू किए। बाद में मिशन का मुख्यालय चाईबासा से पुरुलिया रोड (राँची) में हस्तांतरित किया गया। फादर लिवेन्स ने आदिवासियों को ईसाई धर्म मे परिवर्तित करने में अभूतपूर्व सफलता पाई।
1893 से रोमन कैथोलिक मिशन को फादर जॉन बैप्टिस्ट हॉफमैन की सेवा प्राप्त हुई। इसने खूँटी के सरवदा को अपना कर्मक्षेत्र बनाया।
रोमन कैथोलिक मिशन ने 1905 में राँची में सेंट जॉन स्कूल खोला। इसी मिशन ने 1944 में सेंट जैवियर इंटर कॉलेज की स्थापना राँची में की जो 1948 में डिग्री कॉलेज बना।
झारखंड के निम्न स्थानों में रोमन कैथोलिक चर्च स्थित है:-
- दिधिया रोमन कैथोलिक चर्च (स्थापना-1914)
- रोमन कैथोलिक चर्च, नावाडीह (स्थापना-1911)
- रोमन कैथोलिक चर्च, पुरुलिया रोड, राँची (स्थापना-1909)
- खटकही रोमन कैथोलिक (स्थापना-1899)
- रोमन कैथोलिक चर्च, खूँटी (स्थापना-1898)
- नावाटोली रोमन कैथोलिक चर्च, नावाटोली (स्थापना-1901)
4. The United Free Church Of Scottland
इस मिशन की शुरुवात पचम्बा में 15 दिसंबर 1871 में हुई l इसके संस्थापक रे टेम्पलटन थे l टेम्पलटन ने पचम्बा में एक हॉस्पिटल बनवाया। इस हॉस्पिटल मे कई प्रसिद्ध डॉक्टर हुए जैसे डॉ कैंपबेल, डॉ हेंडर्सन स्टीवेनसन, डॉ मेरी गिलक्रिस्ट, डॉ जे ए डायर। डॉ कैम्पबेल इसी मिशन से जुड़े थे जिसे “संथालो का देवदूत या एपोस्टल ऑफ़ संथाल ” कहा गया l डॉ कैम्पबेल का मुख्य कार्य क्षेत्र धनबाद के पोखरिया और गोविंदपुर था.|
डॉ कैम्पबेल को संथालो के बीच काम करने के लिए इसे “केसर-ए -हिन्द” की उपाधि दी गई l संताल समुदायों पर इस मिशन ने सबसे ज्यादा प्रभाव डाला इसलिए बाद में 1929 में इस मिशन का नाम बदल कर “संताल मिशन ऑफ़ चर्च ऑफ़ द स्कॉटलैंड” रखा गया l पचम्बा में स्थित “द स्टीफेंसन मेमोरियल चर्च” की स्थापना रे टेम्पलटन द्वारा 1871 मे डॉ हेंडरसन स्टिवेंसन के नाम से की गई l इस मिशन ने बामदा, तिसरी और पोखरिया में भी चर्च बनाये हैं l
5. Dublin University Mission
इस मिशन की स्थापना डब्लिन यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हुए अविवाहित विद्यार्थियों द्वारा 1891 में स्थापित की गई।
यह मिशन 1892 में झारखण्ड के हजारीबाग पहुँचा। हजारीबाग को इस मिशन का मुख्यालय बनाया गया।
इस मिशन को SPG Mission के अधिकारी रे जे सी व्हीटली ने भारत बुलाया था।
व्हीटली पहले से ही झारखण्ड के राँची में धर्म प्रचार का काम कर रहे थे।
SPG Mission के देख रेख में ही इस मिशन ने काम करना शुरू किया। बाद में यह मिशन स्वतंत्र रूप से काम करने लगा।
इस मिशन ने सर्वप्रथम गणपत नाम के आदमी का धर्म भ्रष्ट किया और उसे ईसाई बनाकर गेब्रियल नाम दिया। इस मिशन में ए एफ मार्खम और पेबेल ग्राहम नामक दो प्रसिद्ध महिला धर्म प्रचारक थी। इस मिशन ने 1899 में हजारीबाग सेंट कोलम्बा महाविद्यालय बनवाया। ये कॉलेज अविभाजित बिहार का पहला महाविद्यालय है यह विद्यालय 13 विद्यार्थियों से शुरू हुआ था। इसके पहले आचार्य आर जे एच मर्रे थे। 1920 में इस मिशन ने हजारीबाग में सेंट किरण महिला विद्यालय का निर्माण किया।
Note :- आयरलैंड की राजधानी डब्लिन है।
6. Seventh Day Adventist Mission
इस मिशन का मुख्यालय मोराबादी (रांची ) में था। इस मिशन के धर्म प्रचारक बरगिज ने बड़गाई गांव में एक विद्यालय खोला। एक अन्य धर्म प्रचारक डब्लू बी बौटे ने खूँटी में एक आवासीय विद्यालय खोला।
7. द मेन नाईट मिशन एंड द ब्रिटिश चर्च ऑफ़ क्राइस्ट- झारखंड में यह चर्च सिर्फ पलामू जिला में है। इसकी सदस्यों की संख्या बहुत ही कम है।
8. द अमेरिकन बापटिस्ट बंगाल,उड़ीसा मिशन-इस मिशन के केंद्र घाटशिला और जमशेदपुर में है।
9. द यूनाइटेड चर्च ऑफ नॉर्थ इंडिया –इस चर्च का दो केंद्र धनबाद में तथा दो केंद्र गिरिडीह जिला में है। इस में सदस्यों की संख्या बहुत ही कम है।
10. द मेथाडिस्ट चर्च ऑफ साउथ एशिया –यह चर्च सिंहभूम और धनबाद के औद्योगिक क्षेत्रों में स्थापित है। गोमिया गोमू सिंदरी बोकारो धनबाद में इसकी इकाई अवस्थित है। संथाल परगना में भी इस चर्च की कुछ शाखाएं है।
11. दो नॉर्दन इवेंजलिकल लूथरन चर्च
यह चर्चित GEL Church के समान संरचना वाला चर्च है। इसका मूल नाम एवेंजर इवेंजलिकल कल लूथरन चर्च है। इस चर्च के ज्यादातर सदस्य मालदा, पश्चिम दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद जिले में पाए जाते हैं। झारखंड में संथाल परगना में इसके सदस्यों की संख्या सर्वाधिक है।
12. Pente Coastal Haliners Mission
Important Facts
1. झारखंड में सबसे ज्यादा ईसाई जनसंख्या गुमला में तथा सबसे कम देवघर में है।
ईसाई जनसंख्या प्रतिशत सबसे ज्यादा सिमडेगा में है।
2. सेण्ट कैथेड्रल चर्च राँची के बहुबाजार में स्थित है।
इसका निर्माण 1870-73 में राँची के न्यायिक आयुक्त जनरल रॉलेट के द्वारा किया गया। यह गोथिक शैली से बनी है।
3. सेण्ट मेरी चर्च राँची में स्थित है जिसका निर्माण 1909 में हुआ।
इस गिरिजाघर को महागिरिजाघर भी कहा जाता है।
सेण्ट मेरी चर्च धनबाद और जमशेदपुर में भी अवस्थित है।
4. झारखंड में सबसे ज्यादा ईसाईकरण खड़िया जनजाति का हुआ है।
5. सेण्ट पैट्रिक चर्च गुमला में है।
Christian Missionary In Jharkhand Video
जोहार सर ,
आप की पढ़ाई के सामने टक्कर में कोई है ही नही सर । धन्यवाद मुफ्त में अपनी समय देने के लिए । हम आपको दिल से धन्यवाद देते हैं।
बालूमाथ(लातेहार)
🙏
जोहार सर
शानदार जबरजस्त जिंदाबाद। तहे दिल से धन्यवाद् सर आपको। आपके मेहनत को हमलोग जरूर साकार करेंगे।
🙏
Sir jharkhand ke bare me kuch nahi janti thi par ab ek ek kona najar aata hai aapki class se. SUKRIYA
🙏
Sir please give a place to download