बौद्ध धर्म
Buddhism Religion
गौतम बुद्ध का जन्म
गौतम बुद्ध का जन्म 563 ईसा पूर्व (बैशाख पुर्णिमा) में कपिलवस्तु में स्थित रूमनिदेई गांव के लुंबिनी नामक वाटिका में हुआ था। यह स्थान अभी नेपाल में अवस्थित है। इनकी माता का नाम माया देवी था जिसकी मृत्यु गौतम बुद्ध के जन्म के सातवें दिन ही हो गया था। इनका लालन-पालन इनकी सतोली माता प्रजापति गौतम ने किया था। प्रजापति गौतमी ही गौतम बुद्ध की प्रथम शिष्या/बौद्ध भिक्षुणी बनी थी।
Note:- गौतम बुद्ध के जन्म एवं मृत्यु की तिथि को कैंटोन (चीन) अभिलेख के आधार पर निश्चित किया गया है।
गौतम बुद्ध के गुरु
गृह त्याग के बाद सिद्धार्थ ने वैशाली के अलार कलाम से योग उपनिषद एवं सांख्य दर्शन की शिक्षा ग्रहण की थी अलार कलाम सिद्धार्थ के प्रथम गुरु थे। इसके बाद सिद्धार्थ ने राजगीर के रूद्रक रामपुत्त से शिक्षा ग्रहण की थी
बुद्ध के उपदेश
बुद्ध ने अपना पहला उपदेश ऋषिपतनम (सारनाथ) के हिरण्य उद्यान में पांच शिष्यों को दिया था। जिसे बौद्ध ग्रंथों में धर्मचक्र प्रवर्तन कहा जाता है। इन पांच ब्राह्मण शिष्यों का नाम है: – कौंडिण्य, वप्पा, भाद्दीय, महानामा और अस्सागी था। गौतम बुद्ध को ये पांच शिष्य उरुवेला में मिले थे। इन्होंने उपदेश कौशल, राजगीर, वैशाली कौशांबी राज्यों में दिए। इन्होंने सर्वाधिक उपदेश कौशल देश की राजधानी श्रावस्ती में दिए थे। गौतम बुद्ध ने अपना उपदेश पाली भाषा में दिए थे। गौतम बुद्ध का आखरी उपदेश “अप्प दीपो भव (स्वयं दीपक बनो)” था। यह उपदेश अपने शिष्य सुभद्र/भद्रक को कुशीनगर में दिया गया था।
गौतम बुद्ध के अन्य नाम
🔥 सिद्धार्थ – यह गौतम बुद्ध के बचपन का नाम है।
🔥 गौतम बुद्ध – ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ का नाम बुद्ध हो गया।
🔥 महात्मा बुद्ध
🔥 विष्णुजी के अवतार – वैष्णव संप्रदाय में इसे विष्णु जी का 9th अवतार माना जाता है।
🔥 एशिया का प्रकाश स्तंभ- बुद्ध के विचारों का प्रसार पूरे एशिया में हुआ। इस वजह से बुद्ध को “एशिया का प्रकाश स्तंभ” भी कहा जाता है। बुद्ध के जीवन पर आधारित पुस्तक “Light Of Asia” के रचनाकार एडविन अर्नाल्ट है।
🔥 शाक्यमुनि
🔥 तथागत – त्रिपिटको में बुद्ध का जिक्र तथागत के रूप में मिलता है।
बैशाख पुर्णिमा
बौद्ध संप्रदाय में वैशाख पूर्णिमा के दिन को बहुत पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी दिन बुद्ध का जन्म, बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति, धम्म के प्रचार की शुरुआत और बुद्ध का महापरिनिर्वाण हुआ था। इस दिन को बौद्ध संप्रदाय में बुद्ध पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है।
गौतम बुद्ध का गृह-त्याग
गौतम बुद्ध ने 29 वर्ष की अवस्था में गृह त्याग किया था जिसे बौद्ध साहित्य में महाभिनिष्क्रमण के नाम से जाना जाता है। गृह त्याग के बाद बिना अन्न जल ग्रहण किए हुए 6 वर्ष की कठिन तपस्या के बाद 35 वर्ष की आयु में वैशाख पूर्णिमा की रात निरंजना (फल्गु नदी, गया जिला बिहार) के किनारे पीपल वृक्ष के नीचे सिद्धार्थ को ज्ञान की प्राप्ति हुई। ज्ञान प्राप्ति के बाद सिद्धार्थ बुद्ध के नाम से जाने जाने लगे और वह स्थान बोधगया तथा वह पीपल का वृक्ष बोधि वृक्ष कहा जाने लगा।
बौद्ध धर्म में संघ
गौतम बुद्ध ने अपने सबसे प्रिय शिष्य आनंद के आग्रह पर संघ में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दी थी। संघ में अल्पवयस्क, चोर, दासी, ऋणी, राजा के सेवक, हत्यारे और रोगी का प्रवेश वर्जित था। बौद्ध संघ में सम्मिलित होने के लिए न्यूनतम आयु सीमा 15 वर्ष की थी। दूध संघ में प्रवेश होने को उप संपदा कहा जाता था।
बौद्ध धर्म की मुख्य मान्यताएं
बौद्ध धर्म अनिश्वरवादी होता है अर्थात ईश्वर की अस्तित्व को और स्वीकार करता है। बोध धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है। बौद्ध धर्म में आत्मा की परिकल्पना नहीं है। बौद्ध धर्म में दक्षिण दिशा को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था एवं वर्ण व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया गया है।
बौद्ध महाकाव्य
त्रिपिटक
बौद्ध संप्रदाय में त्रिपिटक को सबसे पवित्र ग्रंथ माना गया है। यह त्रिपिटक है सुत्त पिटक, विनय पिटक एवं अभिधम्म पिटक
सुत्त पिटक – यह बुध के धार्मिक विचार और उपदेशों का संग्रह है। इसे प्रारंभिक बौद्ध साहित्य का इनसाइक्लोपीडिया कहा जाता है। इसकी रचना आनंद ने की थी। इसके 5 भाग है: – दीर्घ निकाय, मज्झम निकाय, संयुक्त निकाय, अंगुत्तर निकाय एवं कुदरत निकाय।
विनय पिटक – इसने बौद्ध संप्रदाय की विवेचना तथा बौद्ध संप्रदाय के नियम है। इसमें महिला और पुरुष सन्यासियों के नियम बताए गए हैं। इसकी रचना उपाली ने की थी। इस पिटक के भाग हैं:- सूक्त विभंग, खंधक और परिवार
अभिधम्म पिटक – इसमें गौतम बुद्ध के दार्शनिक विचार है। बौद्ध धर्म में संस्कृत का प्रयोग अभिधम्म पिटक से प्रारंभ होता है। इस ग्रंथ का संकलन तृतीय बौद्ध संगीति के दौरान मोग्गलिपुत्र तिस्सा ने किया था। अभिधम्म पिटक के भाग है: – धम्मसंगिणी, विभंग, पुग्गल पज्जती, धातुकथा, कथावत्थू, यमक और पट्ठान
मिलिंदपन्हो (मिलिंद के प्रश्न)
यह एक बौद्ध धर्म ग्रंथ है जिसे 100 BC से 200 AD के मध्य में लिखा गया था। इस धर्म ग्रंथ में बौद्ध भिक्षु नागसेन (नागार्जुन)और इंडो-ग्रीक शासक मिनांडर (मिलिंद) का वार्तालाप है। यह वार्तालाप साकल (स्यालकोट, पाकिस्तान) में हुई थी यह पुस्तक पाली भाषा में लिखा गया है।
जातक कथाएं
यह पाली भाषा में रचित गौतम बुद्ध की पूर्व जन्म की कहानियों का संग्रह है। इन कहानियों से यह पता चलता है कि भाभी बुद्ध एक राजा, एक बहिष्कृत, एक हाथी, एक देवता के रुप में प्रकट होंगे और किसी भी रूप में वह गुण प्रदर्शित करेंगे जो इस कहानियों से उत्पन्न होते है।
महाविभाषसूत्र – इसकी रचना चतुर्थ बौद्ध संगीति के दौरान वसुदेव ने किया था। इसे बौद्ध धर्म का विश्व को कहा जाता है।
बुद्धचरित – इसे कनिष्क के राज्य कवि अश्वघोष ने लिखा था। इसे बौद्ध धर्म का रामायण कहा जाता है।
दीपवंश एवं महावंश – यह दोनों श्रीलंका का बौद्ध साहित्य है।
गौतम बुद्ध से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
बुद्ध का अर्थ | ज्ञान |
बुद्ध का जन्म | 563 ईसा पूर्व लुंबिनी वाटिका कपिलवस्तु (नेपाल) |
गौतम बुद्ध की माताजी | महामाया (कौशल महाजनपद की राजकुमारी) |
गौतम बुद्ध के पिताजी | शुद्धोधन (शाक्य गणराज्य के मुखिया) |
राजकुमार सिद्धार्थ का कपिलवस्तु सैर | इस दौरान सिद्धार्थ ने क्रमशः चार दृश्यों को देखा था:- एक बूढ़ा व्यक्ति ▶️ एक बीमार व्यक्ति▶️ एक शव ▶️ एक सन्यासी |
बुद्ध का विवाह (16 वर्ष में) | यशोधरा से |
बुद्ध का चचेरा भाई | देवदत्त |
बुद्ध की मौसी (प्रथम बौद्ध भिक्षुणी) | प्रजापति गौतमी |
कन्या जिसने बुद्ध को चावल की मीठी खीर खिलाई थी | सुजाता |
जिसके दिए मांस के खाने से गौतम बुद्ध की मृत्यु हुई थी | चूंद सोनार |
बुद्ध का प्रिय घोड़ा | कंथक |
बुद्ध का सारथी | चन्ना |
व्यक्ति जिससे बुद्ध ने योग उपनिषद एवं सांख्य दर्शन की शिक्षा ली। | अलार कलाम |
गौतम बुद्ध का एकमात्र संतान | राहुल (पुत्र) |
वह वृक्ष जिसके नीचे बुद्ध को निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। | अश्वत्थ |
जिसे बुद्ध ने अपना अंतिम उपदेश दिया था। | सुभद्र या भद्रक |
जहां बुद्ध का अंतिम वर्षा काल बीता | वैशाली |
गौतम बुद्ध के प्रिय शिष्य | आनंद, उपाली, सारिपुत्र, अनिरुद्ध, रानी खेमा (महिला), मोगदल्यायन |
जिस वृक्ष के नीचे बुद्ध की मृत्यु हुई | साल |
बुद्ध की महापरिनिर्वाण | 80 वर्ष की उम्र में 483 ईसा पूर्व कुशीनगर (देवरिया, उ प्र) |
बुद्ध के अनुयाई शासक | बिंबिसार, प्रसेनजित, उदयन |
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बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांत
मूल सिद्धान्त | सिद्धान्त का विवरण |
त्रिरत्न | बुद्ध, धम्म एवं संघ |
चार आर्य सत्य | 🔥 दुख 🔥दुख समुदाय 🔥 दुख निरोध 🔥 दुख निरोधगामिनी प्रतिपदा |
सांसारिक दुखों से मुक्ति के लिए बुद्ध ने अष्टांगिक मार्ग की बात की | 1) सम्यक दृष्टि 2)सम्यक संकल्प 3) सम्यक वाणी 4) सम्यक कर्मांत 5) सम्यक आजीव 6) सम्यक व्यायाम 7) सम्यक स्मृति 8) सम्यक समाधि |
पंचशील सिद्धान्त (गृहस्थों के लिए), यह सिद्धांत छांदोग्य उपनिषद से लिया गया है। | 1) अहिंसा 2) सत्य 3) अस्तेय ( चोरी ना करना) 4) अपरिग्रह (किसी प्रकार की संपत्ति न रखना) 5) मद्य निषेध |
दस शील सिद्धांत (भिक्षुको के लिए) | 1) अहिंसा 2) सत्य 3) अस्तेय ( चोरी ना करना) 4) अपरिग्रह (किसी प्रकार की संपत्ति न रखना) 5) मद्य निषेध 6) असमय भोजन करना 7) सुखदाई बिस्तर पर न सोना 8) धन संचय न करना 9) स्त्रियों से दूर रहना और 10) नृत्य-गान से दूर रहना। |
बुद्ध के जीवन से संबंधित प्रतीक चिह्न
बुद्ध के गर्भ में आने का प्रतीक | हाथी |
बुद्ध के जन्म का प्रतीक | कमल |
बुद्ध के यौवन का प्रतीक | साढ़ |
बुद्ध के गृह त्याग का प्रतीक | घोड़ा |
बुद्ध के ज्ञान प्राप्ति का प्रतीक | पीपल का वृक्ष/ बोधि वृक्ष |
बुद्ध के प्रथम उपदेश | चक्र |
बुद्ध के निर्वाण की प्राप्ति | पद चिन्ह |
बुद्ध के महापरिनिर्वाण/ मृत्यु | स्तूप |
समृद्धि का प्रतीक | शेर |
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बुद्ध से संबंधित घटनाओं का संबोधन
घटना | संबोधन |
गृह त्याग | महाभिनिष्क्रमण |
प्रथम उपदेश | धर्म चक्र प्रवर्तन |
ज्ञान प्राप्ति | संबोधि |
मृत्यु | महापरिनिर्वाण |
बौद्ध धर्म में प्रविष्टि (प्रवेश) | उप संपदा |
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बुद्ध की मृत्यु
गौतम बुद्ध अपने प्रचार के दौरान पावापुरी पहुंचे वहां उसने चुंद सोनार ने आम्रावाटिका में सुकरमद्द (सुवर का मांस) मिला हुआ भोजन दिया जिससे उसे रक्तातिसार हो गया। भयानक वेदना के साथ गौतम बुद्ध मल्ल महाजनपद की राजधानी कुशीनगर पहुंचे। कुशीनगर में वैशाख पूर्णिमा के दिन 483 ईसा पूर्व में हुई थी। इस घटना को बौद्ध धर्म में महापरिनिर्वाण कहा जाता है। मल्लो ने अति सम्मान पूर्वक गौतम बुद्ध का अंतिम संस्कार किया था।।
भारत में प्रसिद्ध बौद्ध मठ
तवांग मठ – यह भारत का सबसे बड़ा बौद्ध मठ है। यह अरुणाचल प्रदेश के तवांग नामक स्थान पर अवस्थित है। यह मत बूंदी ला दर्रा के पास अवस्थित है। तवांग क्षेत्र में चीन अपना दावा करता है।
रूमटेक मठ – यह मत सिक्किम राज्य के गंगटोक में अवस्थित है।
बोधीमंडा मठ – यह मत बिहार के बोधगया में अवस्थित है।
नामलाय मठ – हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में अवस्थित है। यह मठ दलाई लामा का आधिकारिक निवास स्थान है।
थिकसे मठ – यह मत लेह में अवस्थित है प्रतिवर्ष यहां ठीक से महोत्सव मनाया जाता है।
हिमिस मठ – यह मठ लेह में अवस्थित है प्रतिवर्ष यहां हेमी महोत्सव मनाया जाता है।
ताबो मठ – यह मठ हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्फीति जिले में अवस्थित है।
मिंड्रालिंग मठ – यह मठ उत्तराखंड के देहरादून में अवस्थित है।
शासुर मठ – यह मठ हिमाचल प्रदेश के लाहुल स्फीति जिले में अवस्थित है।
बुद्ध की प्रतिमा
सर्वाधिक बुद्ध में मूर्तियों का निर्माण गांधार शैली से हुआ है लेकिन बुध की प्रथम मूर्ति मथुरा कला के अंतर्गत बनाई गई थी।
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बौद्ध संगीति
बुद्ध के महापरिनिर्वाण के तुरंत बाद ही उनके उपदेशों को संग्रहित करने के लिए प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन 483 BC किया गया (बुद्ध के परिनिर्वाण वाले वर्ष में ही)। संगीति का शाब्दिक अर्थ होता है “साथ साथ गाना”।
प्रथम बौद्ध संगीति
प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन अजातशत्रु के समय 483 BC मैं राजगृह के सप्तपर्णी गुफा में किया गया। इस बौद्ध संगीति का अध्यक्ष महाकश्यप थे जो गौतम बुद्ध के शिष्य थे। इस बौद्ध संगीति में विनयपिटक (आनंद के द्वारा) एवं सूक्तपिटक(उपाली के द्वारा) का संकलन किया गया।
द्वितीय बौद्ध संगीति
द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन बुद्ध के महापरिनिर्वाण के सौ वर्ष के पश्चात अर्थात 383 BC में किया गया। इस संगीति का आयोजन कालाशोक के शासनकाल में वैशाली के कुसुमपुरी विहार (वालिका राम विहार) में किया गया। इस संगीति के अध्यक्ष सुबुकामी (सब्बाकमीर) थे। इस बौद्ध संगीति के बाद बौद्ध धर्म स्थाविर एवं महासंधिक दो भागों में बांट गए। स्थाविर ज्ञानी बोध साधुओं का संघ था तथा महासंधिक बुद्ध को भगवान मानने वाले विद्वानों का संघ था।
तृतीय बौद्ध संगीति
इस बौद्ध संगीति का आयोजन अशोक के शासनकाल में पाटलिपुत्र के अशोकराम विहार में 255 BC करवाया गया था। इस बौद्ध संगीति के दौरान अभिधम्म पिटक की रचना की गई थी तथा इसे समझने के लिए “कथावस्तु” नामक ग्रंथ की भी रचना इसी समय की गई थी। तृतीय बौद्ध संगीति तक बौद्ध धर्म 17 संप्रदाय में बैठ चुका था। यह संगीति 9 महीने तक चली थी।
Note:- कुछ विद्वानों का मानना है कि अभिधम्म पिटक की भी स्थापना प्रथम बौद्ध संगीति के दौरान किया गया था।
चौथी बौद्ध संगीति
यह बोध संगीति कनिष्क के शासन काल में प्रथम शताब्दी (संभवतः 78 AD) में कश्मीर के कुंडलवन में हुआ था। इस संगीति के अध्यक्ष वसुमित्र थे तथा उपाध्यक्ष अश्वघोष थे। इस बौद्ध संगीति के दौरान त्रिपिटक को पर टीका लिखा गया था। इस बौद्ध संगीति के दौरान वसुमित्र ने महाविभाषसूत्र की रचना की जिसे बौद्ध धर्म का विश्वकोश कहा जाता है। इस संगिति के दौरान बुद्ध धर्म दो भागों में विभाजित हो गया।
बौद्ध धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
👉 भारतीय दर्शन में तर्कशास्त्र का विकास बौद्ध धर्म के प्रभाव से शुरू हुआ है।
👉 वर्षा काल में गौतम बुद्ध वेलुवन तथा जेतवन में निवास करते थे। बेलुवन का निर्माण बिंबिसार ने तथा जेतवन का निर्माण जेत राजकुमार ने करवाया था।
👉 पद्मसंभव ने 8वीं सदी में बौद्ध धर्म का प्रचार तिब्बत और भूटान में किया था।
जैन तीर्थंकरों के निर्वाण स्थल Tricks